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सियासत

बधाई दीजिए! लालूजी के घर लक्ष्मी आईं हैं

    • अशोक प्रियदर्शी
    • Updated: 04 जून, 2016 04:34 PM
  • 04 जून, 2016 04:34 PM
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ज्यादातर सियासी घराने बेटियों को राजनीति में मौका देने से परहेज करते रहे हैं. अपवाद को छोड़ दें तो ज्यादातर सियासी घराने बेटों को ऐसा अवसर देते रहे हैं ताकि उनकी सियासी परंपरा कायम रहे. मीसा भारती इस मामले में भाग्यशाली हैं..

बिहार में राज्ससभा की पांच सीटें जुलाई में खाली हो रही हैं. इसमें दो सीटें राजद के हिस्से में गई. एक सीनियर एडवोकेट राम जेठमाली, जबकि दूसरा डॉ मीसा भारती के नाम. दोनों निर्विरोध निर्वाचित हुए. अब मीसा भारती राज्यसभा सांसद निवार्चित हो गई हैं. हमसबों को मीसा भारती को बधाई देने का वक्त है. यह इसलिए कि लंबी मांग के बावजूद जो काम कांग्रेस भी नही कर पाई वो लालू प्रसाद और राबड़ी देवी ने पूरी कर दिया.

देखें तो, कांग्रेस लगातार खराब प्रदर्शन कर रही है. इस हार के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी निशाने पर रहे हैं. कई बार कांग्रेसी नेता और कांग्रेस को चाहनेवाले लोग प्रियंका गांधी को राजनीति में उतारने की मांग करते रहे हैं. लेकिन अब तक प्रियंका गांधी को न ही पार्टी का दायित्व और न ही किसी सदन का प्रतिनिधित्व का अवसर दिया गया है. इसके लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुत्रमोह को जिम्मेवार ठहराया जाता रहा है. यही कारण है कि प्रियंका ऐसे अवसर से वंचित रही हैं. हालांकि, प्रियंका ने भी कभी अपनी इच्छा जाहिर नही की.

दरअसल, सियासत में महिलाओं की भागीदारी की बात उठती रही है. देखें तो, ज्यादातर सियासी घराने बेटियों को राजनीति में मौका देने से परहेज करते रहे हैं. अपवाद को छोड़ दें तो ज्यादातर सियासी घराने बेटों को ऐसा अवसर देते रहे हैं ताकि उनकी सियासी परंपरा कायम रहे. वह बेटा चाहे कितना भी अयोग्य क्यों ना हो, लेकिन पहला अवसर बेटों को ही दिए जाते रहे हैं. उससे बचा तो पत्नी की बारी आती है. उससे आगे पुत्रवधू तक जाता है. लेकिन बेटियों के साथ पराए जैसा बर्ताव किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि बेटियों को राजनीति में उतारने के बाद सियासी ठिकाना भी बेटी के साथ ससुराल चला जाता है. शायद यही वजह रही हो कि सियासी घराने बेटियों को ऐसा अवसर देने से परहेज करते रहे हैं.

बिहार में राज्ससभा की पांच सीटें जुलाई में खाली हो रही हैं. इसमें दो सीटें राजद के हिस्से में गई. एक सीनियर एडवोकेट राम जेठमाली, जबकि दूसरा डॉ मीसा भारती के नाम. दोनों निर्विरोध निर्वाचित हुए. अब मीसा भारती राज्यसभा सांसद निवार्चित हो गई हैं. हमसबों को मीसा भारती को बधाई देने का वक्त है. यह इसलिए कि लंबी मांग के बावजूद जो काम कांग्रेस भी नही कर पाई वो लालू प्रसाद और राबड़ी देवी ने पूरी कर दिया.

देखें तो, कांग्रेस लगातार खराब प्रदर्शन कर रही है. इस हार के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी निशाने पर रहे हैं. कई बार कांग्रेसी नेता और कांग्रेस को चाहनेवाले लोग प्रियंका गांधी को राजनीति में उतारने की मांग करते रहे हैं. लेकिन अब तक प्रियंका गांधी को न ही पार्टी का दायित्व और न ही किसी सदन का प्रतिनिधित्व का अवसर दिया गया है. इसके लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुत्रमोह को जिम्मेवार ठहराया जाता रहा है. यही कारण है कि प्रियंका ऐसे अवसर से वंचित रही हैं. हालांकि, प्रियंका ने भी कभी अपनी इच्छा जाहिर नही की.

दरअसल, सियासत में महिलाओं की भागीदारी की बात उठती रही है. देखें तो, ज्यादातर सियासी घराने बेटियों को राजनीति में मौका देने से परहेज करते रहे हैं. अपवाद को छोड़ दें तो ज्यादातर सियासी घराने बेटों को ऐसा अवसर देते रहे हैं ताकि उनकी सियासी परंपरा कायम रहे. वह बेटा चाहे कितना भी अयोग्य क्यों ना हो, लेकिन पहला अवसर बेटों को ही दिए जाते रहे हैं. उससे बचा तो पत्नी की बारी आती है. उससे आगे पुत्रवधू तक जाता है. लेकिन बेटियों के साथ पराए जैसा बर्ताव किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि बेटियों को राजनीति में उतारने के बाद सियासी ठिकाना भी बेटी के साथ ससुराल चला जाता है. शायद यही वजह रही हो कि सियासी घराने बेटियों को ऐसा अवसर देने से परहेज करते रहे हैं.

 

ऐसे में मीसा भारती को उतारना हैरान करनेवाली बात जरूर है. हालांकि, एक तरह से स्वभाविक भी लगता है. चूंकि लालू-राबड़ी परिवार में फिलहाल कोई ऐसा नही बचा है, जिन्हें सियासी अवसर दिया जाए. तभी मीसा को राज्यसभा का अवसर मिला है. दोनों बेटे बिहार सरकार में मंत्री हैं. तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम और तेजप्रताप स्वास्थ्य मंत्री हैं. मीसा विधानसभा चुनाव के समय से ही सक्रिय थीं. उम्मीद की जा रही थी कि मीसा को भी दायित्व मिलेगा. बहरहाल, बिहार में लालू प्रसाद का अकेला परिवार है, जिनके परिवार के चार सदस्यों को सदन में प्रतिनिधित्व का अवसर मिला है. लालू की पत्नी, दो बेटे और बेटी सदन में हैं. मेनका गांधी-वरूण गांधी, रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान, राजेश रंजन और उनकी पत्नी रंजिता रंजन , इंदिरा गांधी-संजय गांधी, सोनिया गांधी-राहुल गांधी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया-माधवराव सिंधिया, जगन्नाथ मिश्र-नीतीश मिश्रा, नागेन्द्र झा-मदनमोहन झा समेत कई उदाहरण रहे हैं, जिसके जरिए बाप-बेटे, पति-पत्नी और सगे संबंधियों को सियासत में अवसर दिए जाते रहे हैं. लेकिन लालू और मीसा जैसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं. लिहाजा, मीसा को राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिया जाना महिलाओं के लिए स्वागत योग्य कदम तो है ही.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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