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सरयू के तट पर नमाज: सौहार्द्र के नाम पर ये बेवकूफी है !

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 13 जुलाई, 2018 05:04 PM
  • 13 जुलाई, 2018 05:04 PM
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कौमी एकता के नाम पर जो मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने किया वो एक बेवकूफी भरी पहल है जिसकी निंदा होनी चाहिए, साथ ही कुछ चीजों को लेकर संघ और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को अपनी स्थिति भी साफ करनी होगी.

अयोध्या चर्चा में है. कारण हैं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की एक ऐसी पहल जिसे वाहियात कहना शाब्दिक रूप से कहीं से भी गलत न होगा. बात आगे शुरू करने से पहले आपको खबर से अवगत करा दें. खबर थी कि अयोध्या में राम मंदिर बन सके इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की मुस्लिम इकाई मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की ओर से अयोध्या में सरयू नदी के किनारे मुस्लिमों के लिए खास आयोजन किया जाएगा. प्रोग्राम के विषय में आयोजकों का तर्क था कि इसमें बड़ी संख्या में आम मुसलमान और मौलवी 'भाईचारे' का संदेश देते हुए कुरान की आयतें और नमाज पढ़ेंगे.

अयोध्या में राम मंदिर बन सके इसलिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा इस पहल को अमली जामा पहनाया गया

क्या थी प्रोग्राम की रूपरेखा

इस प्रोग्राम की प्लानिंग कुछ ऐसी थी कि राम मंदिर पर अपनी सहमती दर्ज करने के लिए मुस्लिम समुदाय से जुड़े तकरीबन 1500 लोग सरयू नदी के किनारे जुटेंगे जो सरयू नदी के जल से वजू कर नमाज पढ़ेंगे और कुरान की तिलावत करेंगे.

हुआ इस पहल का विरोध

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की इस पहल का हिंदू संतों और अन्य लोगों ने काफी विरोध किया जिसके चलते आयोजित नमाज कार्यक्रम की जगह अंतिम समय में बदलनी पड़ गई. आपको बताते चलें कि कार्यक्रम का विरोध करने वाले हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास की धमकी के बाद आयोजन की जगह बदली गई. राजू ने कहा था कि यदि ऐसा होता है तो वो आत्महत्या कर लेंगे. संतों के आक्रोश को देखते हुए कार्यक्रम का आयोजन अयोध्या स्थित नौ गजी मजार पर किया गया.

क्यों इस खबर की आलोचना होनी...

अयोध्या चर्चा में है. कारण हैं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की एक ऐसी पहल जिसे वाहियात कहना शाब्दिक रूप से कहीं से भी गलत न होगा. बात आगे शुरू करने से पहले आपको खबर से अवगत करा दें. खबर थी कि अयोध्या में राम मंदिर बन सके इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की मुस्लिम इकाई मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की ओर से अयोध्या में सरयू नदी के किनारे मुस्लिमों के लिए खास आयोजन किया जाएगा. प्रोग्राम के विषय में आयोजकों का तर्क था कि इसमें बड़ी संख्या में आम मुसलमान और मौलवी 'भाईचारे' का संदेश देते हुए कुरान की आयतें और नमाज पढ़ेंगे.

अयोध्या में राम मंदिर बन सके इसलिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा इस पहल को अमली जामा पहनाया गया

क्या थी प्रोग्राम की रूपरेखा

इस प्रोग्राम की प्लानिंग कुछ ऐसी थी कि राम मंदिर पर अपनी सहमती दर्ज करने के लिए मुस्लिम समुदाय से जुड़े तकरीबन 1500 लोग सरयू नदी के किनारे जुटेंगे जो सरयू नदी के जल से वजू कर नमाज पढ़ेंगे और कुरान की तिलावत करेंगे.

हुआ इस पहल का विरोध

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की इस पहल का हिंदू संतों और अन्य लोगों ने काफी विरोध किया जिसके चलते आयोजित नमाज कार्यक्रम की जगह अंतिम समय में बदलनी पड़ गई. आपको बताते चलें कि कार्यक्रम का विरोध करने वाले हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास की धमकी के बाद आयोजन की जगह बदली गई. राजू ने कहा था कि यदि ऐसा होता है तो वो आत्महत्या कर लेंगे. संतों के आक्रोश को देखते हुए कार्यक्रम का आयोजन अयोध्या स्थित नौ गजी मजार पर किया गया.

क्यों इस खबर की आलोचना होनी चाहिए

कहना गलत नहीं है कि ये एक बेवकूफी भरी पहल थी. यदि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की इस पहल का गहनता से अवलोकन करें तो मिल रहा है कि ऐसा कर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं बल्कि कुल्हाड़ी पर पैर मारा है. बात बहुत साफ है. सबसे पहले तो मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को अपना स्टैंड साफ करना चाहिए और बताना चाहिए कि आज जिस सांप्रदायिक सौहार्द्र का बहाना कर मंच ये पहल कर रहा है तब वो क्या करेगा जब ये अयोध्या में रोज का नाटक बन जाएगा. इसके बाद तो फिर कोई भी कभी भी मुंह उठाकर सरयू के तट पर चला आएगा और राम मंदिर निर्माण में सहयोग की दृष्टि से नमाज अता करेगा. मंच को ये बताना चाहिए कि यदि वहां कुछ ऊंच नीच हुई तो क्या वो इसकी जिम्मेदारी लेगा.

इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में संघ लम्बे समय से मुसलमानों को अपने से जोड़ने की कवायद कर रहा है

अयोध्या के मुसलमान मुसलमान, हरियाणा के मुसलमान उपद्रवी

ये बात किसी को आहत कर सकती है मगर ये एक ऐसा सत्य है जिसे नाकारा नहीं जा सकता. अयोध्या के मुसलमानों को मंच मुसलमान मान रहा है मगर यही मंच तब कहां था जब हरियाणा में सरकार ने सार्वजनिक जगह पार नमाज की रोक की वकालत की थी. अयोध्या के मुसलमान को मुसलमान मानने वाले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को हरियाणा के उन नमाजियों के समर्थन में आना चाहिए था. आगे बढ़ कर उन्हें गले लगाना चाहिए था उनके हक में आवाज उठानी चाहिए थी. अब चूंकि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने ऐसा कुछ नहीं किया है तो क्या ये मान लिया जाए कि अयोध्या के मुसलमान, मुसलमान हैं और हरियाणा में जो मुसलमान हैं वो उपद्रवी हैं.

कहना बिल्कुल दुरुस्त है कि ऐसी पहल दो समुदायों की शांति को प्रभावित करेंगी

इन बेवकूफियों के इतर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को करना चाहिए कोर्ट का सम्मान

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मामला अदालत में है. कोर्ट को जब भी कभी इसपर फैसला सुनाना हो वो सुनाएगा और लोग अवश्य ही अदालत के फैसले का सम्मान करेंगे. अब इसके बाद जो राजनीति से ग्रसित होकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा किया गया वो कई मायनों में खतरनाक है और गहरी चिंता का विषय है. कहना गलत नहीं है कि शायद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को शांति से रहते लोगों को देखकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा और वो इस बात को लेकर फिर एक बार तनाव के हालात उत्पन्न करना चाहता है. ध्यान रहे कि जहां एक तरह मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की इस पहल से संतों में आक्रोश था तो वहीं कई मुसलमान भी ऐसे थे जिनका मानना था कि हम अपनी ठेकेदारी 1500 लोगों के हाथ में बिल्कुल नहीं देंगे.

चैन से जिए और आम लोगों को भी सुकून से रहने दे मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात को विराम देंगे कि देश में यूं ही बहुत तनाव है. इस तरह की पहल जब सुखद परिणाम देगी तब देगी मगर निश्चित तौर पर त्वरित क्रिया के तौर पर होगा यही कि इससे शांति से जीवन यापन करते लोगों के बीच चिंताजनक स्थिति बनेगी. अतः हम यही कहेंगे कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच बेवजह चौधरी बनने का रोल न अता करे और चैन से जिए और आम लोगों को भी शांति से रहने दे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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