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पीएम मोदी परिवारवाद के खिलाफ हैं, मगर MP चुनाव में सब जायज है...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 नवम्बर, 2018 09:53 PM
  • 09 नवम्बर, 2018 09:53 PM
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परिवारवाद के खिलाफ रहने वाली बीजेपी ने जिस तरह मध्य प्रदेश में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बेटे बहुओं को टिकट दिया है उससे विपक्ष को भाजपा के खिलाफ बोलने का एक बड़ा मौका मिल गया है

अपनी रैलियों में कांग्रेस और गांधी परिवार की आलोचना के वक़्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक खास अंदाज होता है. पीएम कुछ कहें या न कहें मगर वो राजनीति में परिवार वाद की बात करना बिल्कुल भी नहीं भूलते. पीएम जनता को बताते हैं कि कैसे एक ही परिवार की राजनीति में दावेदारी है और कैसे उस परिवार ने उस दावेदारी के दम पर इस देश पर शासन किया और भोली भली जनता को बेवकूफ बनाया. ये सारी बातें एक जगह हैं. मध्य प्रदेश चुनाव अपनी जगह है. वो बीजेपी जो अब तक राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ थी मध्य प्रदेश में एक बिल्कुल अलग मोड़ पर है.

आकाश विजयवर्गीय को टिकट मिलने से साफ है कि मध्य प्रदेश में भाजपा परिवारवाद को लेकर अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर पा रही है

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने अपने ही नियमों और उसूलों की जमकर धज्जियां उड़ाई और पार्टी परिवारवाद को लेकर अपना स्टैंड भूलती नजर आ रही है. मध्य प्रदेश में पार्टी ने जिस हिसाब से टिकटों का बंटवारा किया है उसमें ज्यादातर टिकट उन लोगों की झोली में आए हैं जो या तो वरिष्ठ भाजपा नेताओं के बहू बेटे हैं या फिर करीबी रिश्तेदार और परिचित.

चूंकि करीबियों के बीच टिकट बांटने का उद्द्देश्य एक बड़ी जीत हासिल करना है इसलिए पार्टी में अंदरूनी संघर्ष तेज हो गया है. वर्तमान में टिकटों के वितरण के बाद पार्टी के भीतर आलोचना का दौरत जारी है. बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना बेहद जरूरी है कि मध्य प्रदेश चुनावों के मद्देनजर अभी तक 10 प्रत्याक्षी ऐसे हैं जिन्हें टिकट मिला है और जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से जुड़े हैं.

मध्य प्रदेश में भाजपा परिवारवाद की...

अपनी रैलियों में कांग्रेस और गांधी परिवार की आलोचना के वक़्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक खास अंदाज होता है. पीएम कुछ कहें या न कहें मगर वो राजनीति में परिवार वाद की बात करना बिल्कुल भी नहीं भूलते. पीएम जनता को बताते हैं कि कैसे एक ही परिवार की राजनीति में दावेदारी है और कैसे उस परिवार ने उस दावेदारी के दम पर इस देश पर शासन किया और भोली भली जनता को बेवकूफ बनाया. ये सारी बातें एक जगह हैं. मध्य प्रदेश चुनाव अपनी जगह है. वो बीजेपी जो अब तक राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ थी मध्य प्रदेश में एक बिल्कुल अलग मोड़ पर है.

आकाश विजयवर्गीय को टिकट मिलने से साफ है कि मध्य प्रदेश में भाजपा परिवारवाद को लेकर अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर पा रही है

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने अपने ही नियमों और उसूलों की जमकर धज्जियां उड़ाई और पार्टी परिवारवाद को लेकर अपना स्टैंड भूलती नजर आ रही है. मध्य प्रदेश में पार्टी ने जिस हिसाब से टिकटों का बंटवारा किया है उसमें ज्यादातर टिकट उन लोगों की झोली में आए हैं जो या तो वरिष्ठ भाजपा नेताओं के बहू बेटे हैं या फिर करीबी रिश्तेदार और परिचित.

चूंकि करीबियों के बीच टिकट बांटने का उद्द्देश्य एक बड़ी जीत हासिल करना है इसलिए पार्टी में अंदरूनी संघर्ष तेज हो गया है. वर्तमान में टिकटों के वितरण के बाद पार्टी के भीतर आलोचना का दौरत जारी है. बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना बेहद जरूरी है कि मध्य प्रदेश चुनावों के मद्देनजर अभी तक 10 प्रत्याक्षी ऐसे हैं जिन्हें टिकट मिला है और जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से जुड़े हैं.

मध्य प्रदेश में भाजपा परिवारवाद की कितनी पक्षधर है, इसका खुलासा पार्टी की 176 प्रत्याशियों वाली उस पहली लिस्ट में हो गया जिसमें पार्टी ने टिकट बांटे थे. पार्टी ने सांची से मंत्री रह चुके गौरी शंकर शेजवार के बेटे मुदित को टिकट दिया था. शेजवार ने पार्टी से आग्रह किया था कि इस चुनाव वो, उनके बदले बेटे मुदित, जो देश की राजनीति में परिवर्तन लाना चाहते हैं उन्हें मौका दे.

एमपी में भाजपा के नेता टिकटों के वितरण से बिल्कुल भी खुश नहीं हैं

पार्टी ने मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हर्ष सिंह के बेटे विक्रम सिंह को सतना जिले के रामपुर बघेलन से टिकट दिया. ज्ञात हो कि मंत्री हर्ष सिंह लम्बे समय से बीमार हैं और अब अपने को राजनीति से अलग करना चाहते हैं. इसके अलावा पार्टी ने छतरपुर जिले के चंदला से आर के प्रजापति के बेटे राकेश प्रजापति को टिकट देकर ये साबित कर दिया कि भले ही उसे कुछ पलों के लिए अपने उसूलों को ताख पर रखना पड़े मगर वो किसी भी सूरत में एमपी में चौथी बार कमल खिलते हुए देखना चाहती है. पहली लिस्ट में सागर से लोक सभा सदस्य लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव को सुर्खी से टिकट दिया गया है. इससे पहले ये सीट पारुल यादव की थी जिन्होंने 2013 में 141 वोट्स के अंतर से अपने विरोधी को हराया और जीत दर्ज की थी.

टीकमगढ़ जिले में भाजपा ने अभय यादव को मौका दिया है. अभय पृथ्वीपुर से पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह के बेटे हैं. इसके अलावा खरगापुर से पार्टी ने राहुल लोधी के नाम पर मोहर लगाई है. आपको बताते चलें कि राहुल लोधी केंद्रीय मंत्री उमा भारती के भतीजे हैं. गौरतलब है कि 2013 में कांग्रेस उम्मीदवार से मात्र 5677 वोटों के अंतर से हारने वाले राहुल लोधी का इस सीट पर वापस आना ये साफ कर देता है कि मध्य प्रदेश में भाजपा जीत के लिए व्याकुल है.

टिकट वितरण के बाद कैलाश विजयवर्गीय अपने आलोचकों के सीधे निशाने पर आ गए हैं

ये तो हो गई पहली लिस्ट की बातें यदि हम भाजपा द्वारा जारी की गई दूसरी और तीसरी लिस्ट का अवलोकन करें तो मिल रहा है कि इसमें भी भाजपा ने परिवारवाद को बढ़ावा देने का काम किया है और उसूलों की जमकर अनदेखी की है. इस लिस्ट में दस बार से विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके बाबूलाल गौड़ की बहू कृष्णा गौड़ को बहुत दिया गया है.

पार्टी ने कृष्णा को गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से मौका दिया है. गौरतलब है कि पहले इस सीट पर पार्टी ने वीडी जो राज्य में  पार्टी के महासचिव हैं उनके नाम पर मोहर लगाई थी. गौड़ ने पार्टी के इस फैसले का जमकर विरोध किया था और पार्टी को धमकी दी थी यदि फैसला नहीं बदला जाता है तो पार्टी को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.

सबसे ज्यादा पार्टी की किरकिरी इंदौर में हुई जहां पर टिकट के बंटवारे के लिए लोक सभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और पार्टी के राष्ट्र्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एक दूसरे के खिलाफ खड़े दिखे. कैलाश चाहते थे कि इंदौर 3 से उनके बेटे आकाश चुनाव लड़े. ध्यान रहे कि इस सीट पर 2013 में उषा ठाकुर चुनाव लड़ चुकी हैं और इस सीट से अपनी जीत दर्ज कर चुकी हैं. पार्टी ने ये सीट आकाश को दे दी और उषा को महू भेज दिया.

महू, कैलाश विजयवर्गीय की सीट है और चूंकि उषा यहां एक नया चेहरा हैं इसलिए उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा ही कुछ उज्जैन की घटिया विधानसभा सीट पर भी देखने को मिल रहा है जहां कांग्रेस छोड़कर कुछ दिन पहले ही भाजपा ज्‍वाइन करने वाले पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू के पुत्र अजीत बोरासी को मौका दे दिया है.

पार्टी ने भिंड विधानसभा सीट आधिकारिक रूप से राकेश चतुर्वेदी को दी है. राकेश ने 2013 में अपने भाई मुकेश चतुर्वेदी की मदद से पार्टी ज्वाइन की थी. इस बार भाजपा ने मुकेश को बाहर का रास्ता दिखाकर राकेश को मौका दिया है. पार्टी को पूरी उम्मीद है कि भिंड की इस सीट पर राकेश एक बड़े अंतर से अपने प्रतिद्वंदी को हराकर इतिहास रचेंगे.

गौरतलब है कि जिस तरह से मध्य प्रदेश में भाजपा द्वारा टिकटों का वितरण किया गया है. उसने न सिर्फ विपक्ष को बोलने का मौका दे दिया है. मध्य प्रदेश की जो स्थिति है कहना गलत नहीं है कि कई मायनों में यहां का चुनाव रोचक होने वाला है जिसके परिणाम अपने आप में दिलचस्प होंगे. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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