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तो क्या भाजपा 2017 को अपनी डायरी में सहेजकर रखेगी ?

    • बिजय कुमार
    • Updated: 26 दिसम्बर, 2017 05:50 PM
  • 26 दिसम्बर, 2017 05:50 PM
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साल 2017 कई मायनों में भाजपा के लिए खास रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल पार्टी ने जिस तरह अलग अलग जगहों पर मोर्चा लिया और जीत दर्ज की, उसने न सिर्फ समर्थकों, बल्कि आलोचकों तक को आश्चर्य में डाल दिया.

साल 2017 में 7 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने चार राज्यों में बहुमत हासिल कर सरकार बनाई. दो राज्यों में दूसरी बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही. जबकि कांग्रेस पार्टी ने एक राज्य में सरकार बनाई तो वहीं वो दो राज्यों में सबसे ज्यादा सीट लाने के बावजूद सरकार बनाने में विफल रही. यही नहीं इस साल बीजेपी के लिए सबसे अच्छी खबर थी कि ना केवल बीजेपी बल्कि उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का दायरा भी बढ़ गया और इस गठबंधन कि सरकार एक और राज्य में बन गई है.

इस साल की सबसे बड़ी राजनीतिक घटना की बात करें तो वो है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पाला बदलकर एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल होना. उनके इस फैसले ने सबको चौंका दिया था, क्योंकि एक समय वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े विरोधी के तौर पर देखे जाते थे और बीजेपी के साथ दोबारा ना जाने कि बात करते थे. लेकिन उन्होंने ऐसी पलटी मारी, जिसे आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद जैसे दिग्गज भी नहीं भांप सके.

साल 2017 कई मायनों में भाजपा के लिए यादगार रहेगा

महागठबंधन छोड़ने के बाद उन्होंने बयान दिया कि लालू यादव के साथ से मुक्ति पाकर वो बहुत खुश हैं. उन्होंने आगे कहा कि हर रोज लगता है कि महागठबंधन छोड़कर बहुत अच्छा काम किया है. उन्होंने ये भी कहा की आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले में कोई टिक नहीं पाएगा. उनके इस फैसले के बाद बीजेपी ने उन्हें समर्थन दिया और अब वहां एनडीए कि सरकार है. उनके इस फैसले के बाद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव ने विधानसभा में जोरदार भाषण देते हुए सवाल पूछे जो खूब चर्चित हुए.

बात साल के शुरुआत में हुए पांच राज्यों के चुनाव की करें तो बीजेपी ने उत्तर...

साल 2017 में 7 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने चार राज्यों में बहुमत हासिल कर सरकार बनाई. दो राज्यों में दूसरी बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही. जबकि कांग्रेस पार्टी ने एक राज्य में सरकार बनाई तो वहीं वो दो राज्यों में सबसे ज्यादा सीट लाने के बावजूद सरकार बनाने में विफल रही. यही नहीं इस साल बीजेपी के लिए सबसे अच्छी खबर थी कि ना केवल बीजेपी बल्कि उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का दायरा भी बढ़ गया और इस गठबंधन कि सरकार एक और राज्य में बन गई है.

इस साल की सबसे बड़ी राजनीतिक घटना की बात करें तो वो है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पाला बदलकर एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल होना. उनके इस फैसले ने सबको चौंका दिया था, क्योंकि एक समय वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े विरोधी के तौर पर देखे जाते थे और बीजेपी के साथ दोबारा ना जाने कि बात करते थे. लेकिन उन्होंने ऐसी पलटी मारी, जिसे आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद जैसे दिग्गज भी नहीं भांप सके.

साल 2017 कई मायनों में भाजपा के लिए यादगार रहेगा

महागठबंधन छोड़ने के बाद उन्होंने बयान दिया कि लालू यादव के साथ से मुक्ति पाकर वो बहुत खुश हैं. उन्होंने आगे कहा कि हर रोज लगता है कि महागठबंधन छोड़कर बहुत अच्छा काम किया है. उन्होंने ये भी कहा की आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले में कोई टिक नहीं पाएगा. उनके इस फैसले के बाद बीजेपी ने उन्हें समर्थन दिया और अब वहां एनडीए कि सरकार है. उनके इस फैसले के बाद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव ने विधानसभा में जोरदार भाषण देते हुए सवाल पूछे जो खूब चर्चित हुए.

बात साल के शुरुआत में हुए पांच राज्यों के चुनाव की करें तो बीजेपी ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई. इन चुनावों में नोटेबंदी को विपक्षी पार्टियों ने बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया की मोदी लहर अब भी बरक़रार है. पंजाब में बीजेपी और अकाली गठबंधन को पंजाब में हार मिली, जबकि कांग्रेस यहां सरकार बनाने में कामयाब रही.

इस दौरान दो राज्यों गोवा और मणिपुर में बीजपी दूसरे नंबर पर रही. फिर भी वो यहां सरकार बनाने में सफल रही, जिसे लेकर कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी पर खूब हमले किए. पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बीजेपी पर जनादेश के ख़िलाफ जाने का आरोप लगाया था. चिदंबरम ने ट्वीट किया था- "एक ऐसी पार्टी जो दूसरे नंबर पर आई है उसे सरकार बनाने का कोई अधिकार नहीं है. बीजेपी गोवा और मणिपुर में चुनाव (बहुमत) चुरा रही है." बता दें कि गोवा में कांग्रेस को 17 और बीजेपी को 13 सीटें मिली थीं. मणिपुर में बीजेपी को 21 और कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं.

अपनी आश्चर्यजनक जीत से बीजेपी ने देश के लोगों को कई मौकों पर चौंकाया है

वैसे परंपरा तो ये है कि राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देते हैं. अगर सबसे ज़्यादा सीट लाने वाला दल बहुमत साबित नहीं कर पाता है तब दूसरी बड़ी पार्टी को मौका मिलता है. लेकिन इन दोनों राज्यों में ऐसा नहीं हुआ. लेकिन ऐसा नहीं है कि इस तरह कि घटना देश में पहली बार हुई हो कि बड़ा दल सरकार नहीं बना पाया हो. इससे पहले भी ऐसी सरकारें बनी हैं.

जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि, ''ये सब ऑटोमैटिक नहीं हो रहा है. 2002 में नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी थी. लेकिन गर्वनर पीडीपी और कांग्रेस की सरकार बनाने के नंबरों से संतुष्ट थे, इसलिए उन्हें बुलाया गया.'' कह सकते हैं कि जोड़-तोड़ तो राजनीति का हिस्सा है और कांग्रेस अगर इन दो राज्यों में सरकार नहीं बना पाई तो इसके लिए दोषी खुद कांग्रेस पार्टी ही है.

साल के आखिर में हुए गुजरात और हिमाचल विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने दोनों राज्यों में जीत हासिल की, लेकिन कह सकते हैं कि मोदी को पहली बार उनके गृह प्रदेश में इतनी बड़ी टक्कर मिली. आख़िरकार वो अपनी पार्टी को जीत दिलाने में तो कामयाब रहे, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने भी राहुल और प्रदेश के तीन युवाओं हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश के दम पर ये दिखा दिया कि वो बीजेपी और प्रधानमंत्री को टक्कर दे सकते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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