• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

वेमुला की मौत के लिए क्या वाकई कोई जिम्मेदार नहीं है?

    • आईचौक
    • Updated: 18 जनवरी, 2016 07:48 PM
  • 18 जनवरी, 2016 07:48 PM
offline
यूनिवर्सिटी प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ ये छात्र परिसर के बाहर खुले में ही रहते हुए आंदोलन चला रहे थे.

पहली बार लिखे अपने आखिरी खत में रोहित वेमुला ने लिखा है कि उनकी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है. साथ ही, इस पत्र में एक रिक्वेस्ट भी है, "मेरे जाने के बाद मेरे दोस्तों और दुश्मनों को परेशान न किया जाए."

26 साल के इस पीएचडी स्कॉलर की मौत के लिए क्या वाकई कोई जिम्मेदार नहीं है?

आखिरी रास्ता क्यों?

एक वेबसाइट, काउंटर करेंट्स के मुताबिक रोहित वेमुला सहित पांच दलित छात्रों को हाल ही में हॉस्टल से निकाल दिया गया था. उनके कमरों में ताला जड़ दिया गया. इस कार्रवाई के पीछे जो कारण बताए गए उनमें से एक था उन्होंने याकूब मेमन की फांसी का विरोध किया था. उसी वक्त इनकी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक छात्र नेता से झड़प भी हुई थी - और उसके बाद ही उनके खिलाफ कार्रवाई हुई.

इन छात्रों को क्लासरूम, लाइब्रेरी और अपने विषय से संबंधित कांफ्रेंस और वर्कशॉप में हिस्सा लेने की छूट तो थी, मगर हॉस्टल और दूसरी यूनिवर्सिटी की दूसरी इमारतों में घुसने की इजाजत नहीं थी.

इसी बीच नये वाइस चांसलर आए तो उनके पास केंद्र सरकार की ओर से एक फरमान पहुंच गया जो सिकंदराबाद के सांसद बंडारू दत्तात्रेय की संस्तुति पर जारी किया गया था. स्मृति ईरानी को लिखे अपने पत्र में बंडारू ने लिखा कि हाल फिलहाल यूनिवर्सिटी जातीय, अतिवादी और राष्ट्रविरोधी राजनीति का गढ़ बन गई है. बंडारू ने कहा कि इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि जब याकूब मेमन को फांसी दी गई यहां सक्रिय अंबेडकर स्टुडेंट्स एसोसिएशन ने विरोध जताया था.

यूनिवर्सिटी प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ ये छात्र परिसर के बाहर खुले में ही रहते हुए आंदोलन चला रहे थे. बाद में हॉस्टल के ही एक कमरे में रोहित ने यूनियन के बैनर को फंदा बना कर फांसी लगा ली.

एक और मुरुगन...

मशहूर तमिल लेखक पेरुमल मुरुगन ने एक दिन अपने फेसबुक पेज घोषणा की कि - मुरुगन मर गया. मुरुगन अपने उपन्यास 'मधोरुबगन' के विरोध से बहुत गुस्से में थे और काफी निराश भी. फेसबुक पर उन्होंने...

पहली बार लिखे अपने आखिरी खत में रोहित वेमुला ने लिखा है कि उनकी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है. साथ ही, इस पत्र में एक रिक्वेस्ट भी है, "मेरे जाने के बाद मेरे दोस्तों और दुश्मनों को परेशान न किया जाए."

26 साल के इस पीएचडी स्कॉलर की मौत के लिए क्या वाकई कोई जिम्मेदार नहीं है?

आखिरी रास्ता क्यों?

एक वेबसाइट, काउंटर करेंट्स के मुताबिक रोहित वेमुला सहित पांच दलित छात्रों को हाल ही में हॉस्टल से निकाल दिया गया था. उनके कमरों में ताला जड़ दिया गया. इस कार्रवाई के पीछे जो कारण बताए गए उनमें से एक था उन्होंने याकूब मेमन की फांसी का विरोध किया था. उसी वक्त इनकी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक छात्र नेता से झड़प भी हुई थी - और उसके बाद ही उनके खिलाफ कार्रवाई हुई.

इन छात्रों को क्लासरूम, लाइब्रेरी और अपने विषय से संबंधित कांफ्रेंस और वर्कशॉप में हिस्सा लेने की छूट तो थी, मगर हॉस्टल और दूसरी यूनिवर्सिटी की दूसरी इमारतों में घुसने की इजाजत नहीं थी.

इसी बीच नये वाइस चांसलर आए तो उनके पास केंद्र सरकार की ओर से एक फरमान पहुंच गया जो सिकंदराबाद के सांसद बंडारू दत्तात्रेय की संस्तुति पर जारी किया गया था. स्मृति ईरानी को लिखे अपने पत्र में बंडारू ने लिखा कि हाल फिलहाल यूनिवर्सिटी जातीय, अतिवादी और राष्ट्रविरोधी राजनीति का गढ़ बन गई है. बंडारू ने कहा कि इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि जब याकूब मेमन को फांसी दी गई यहां सक्रिय अंबेडकर स्टुडेंट्स एसोसिएशन ने विरोध जताया था.

यूनिवर्सिटी प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ ये छात्र परिसर के बाहर खुले में ही रहते हुए आंदोलन चला रहे थे. बाद में हॉस्टल के ही एक कमरे में रोहित ने यूनियन के बैनर को फंदा बना कर फांसी लगा ली.

एक और मुरुगन...

मशहूर तमिल लेखक पेरुमल मुरुगन ने एक दिन अपने फेसबुक पेज घोषणा की कि - मुरुगन मर गया. मुरुगन अपने उपन्यास 'मधोरुबगन' के विरोध से बहुत गुस्से में थे और काफी निराश भी. फेसबुक पर उन्होंने लिखा, "मर गया पेरुमल मुरुगन. वो ईश्वर नहीं कि दोबारा आए. अब वो पी मुरुगन है, बस एक शिक्षक. उसे अकेला छोड़ दो."

रोहित वेमुला तो अभी लेखक बनना चाहता था, कार्ल सगान की तरह विज्ञान पर लिखने वाला. रोहित ने अपने पत्र में लिखा, "मुझे विज्ञान से प्यार था, सितारों से, कुदरत से, लेकिन मैं लोगों से प्यार कर बैठा और ये नहीं जान सका कि वो प्रकृति को कब के तलाक दे चुके हैं."

माना जा रहा है कि अपने सोशल बायकॉट से रोहित बेहद दुखी थे, "एक इंसान की अहमियत उसकी तात्कालिक पहचान और नजदीकी संभावना तक सीमित कर दी गई है. इंसान एक वोट, एक आंकड़ा, कोई वस्तु बन कर रह गया है. कभी भी इंसान को उसकी बुद्धि से नहीं आंका गया. हर क्षेत्र में, अध्ययन में, गलियों में, राजनीति में, मरने में और जीने में. मैं पहली बार इस तरह का पत्र लिख रहा हूं. पहली बार मैं अंतिम पत्र लिख रहा हूं."

रोहित ने लिखा है कि उनकी ख्वाहिश है कि उनकी शवयात्रा शांति से गुजरे, "लोग ऐसा व्यवहार करें जैसे मैं आया था और चला गया. मेरे लिए आंसू न बहाए जाएं. आप समझ लें कि मैं मर कर खुश हूं जीने से भी ज्यादा."

रोहित की मौत के लिए जिम्मेदार बताते हुए कुछ छात्रों की ओर से केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है.

अपने पत्र में रोहित वेमुला ने आत्महत्या की एक वजह ये भी बताई है, "इस क्षण मैं आहत नहीं हूं. मैं दुखी नहीं हूं. मैं बस खाली हूं."

मुरुगन की मौत की बात तो बहुत लोग भूल भी चुके थे. एमएम कलबुर्गी और अखलाक की हत्या के बाद भी वक्त लंबा सफर तय कर चुका था. दादरी और माल्दा की घटनाओं पर बहस के बीच वेमुला की मौत ने सारे जख्म एक साथ हरे कर दिए हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲