• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

यूपी में कांग्रेस और पीके की यारी का सच-

    • कुमार विक्रांत
    • Updated: 08 नवम्बर, 2016 12:01 PM
  • 08 नवम्बर, 2016 12:01 PM
offline
यूपी में राहुल और प्रियंका के सीएम उम्मीदवार बनने के इनकार के बाद ही पीके ने प्लान बी तैयार कर लिया था, जिसके तहत अकेले दम किसी और चेहरे के जरिये यूपी में सत्ता पाना संभव नहीं है.

भले ही यूपी से जुड़े कांग्रेस नेताओं का एक बड़ा तबका राहुल के रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके की मुलायम से मुलाकात पर नाराजगी जता रहा हो, पीके के कांग्रेस से अलग होने की अटकलें लग रहीं हों, लेकिन पीके के करीबियों का साफ कहना है कि वो अपना काम कर रहे हैं और मीडिया में उनके कांग्रेस से अलग होने की अटकलें गलत हैं.

 पीके के करीबियों का कहना है कि वो अपना काम कर रहे हैं, उनके कांग्रेस से अलग होने की अटकलें गलत हैं

वैसे कांग्रेसी मुलायम से मिलने के बाद भले ही पीके का रोना रो रहे हों, उनको प्रशांत किशोर के काम काज के तरीके से ऐतराज है, जिसकी सोमवार को वो आलाकमान से नाराजगी भी जता चुके हैं. लेकिन पीके ने तो आगे बढ़कर मुलायम के बाद अखिलेश से लंबी मुलाकात कर ली, जिससे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच तालमेल की खबरों को और बल मिला है. दरअसल पीके के करीबियों के मुताबिक, पीके अपना काम कर रहे हैं अब इसकी जानकारी किसको है किसको नहीं इससे उनको क्या मतलब, वो किसी बात पर कुछ नहीं बोलना चाहते.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस और पीके दोनों ही खोज रहे हैं पिंड छुड़ाने के सेफ तरीके

वैसे सूत्रों की मानें तो यूपी में राहुल और प्रियंका के सीएम उम्मीदवार बनने के इनकार के बाद ही पीके ने प्लान बी तैयार कर लिया था. जिसके तहत अकेले दम किसी और चेहरे के जरिये यूपी में सत्ता पाना संभव नहीं है. ऐसे...

भले ही यूपी से जुड़े कांग्रेस नेताओं का एक बड़ा तबका राहुल के रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके की मुलायम से मुलाकात पर नाराजगी जता रहा हो, पीके के कांग्रेस से अलग होने की अटकलें लग रहीं हों, लेकिन पीके के करीबियों का साफ कहना है कि वो अपना काम कर रहे हैं और मीडिया में उनके कांग्रेस से अलग होने की अटकलें गलत हैं.

 पीके के करीबियों का कहना है कि वो अपना काम कर रहे हैं, उनके कांग्रेस से अलग होने की अटकलें गलत हैं

वैसे कांग्रेसी मुलायम से मिलने के बाद भले ही पीके का रोना रो रहे हों, उनको प्रशांत किशोर के काम काज के तरीके से ऐतराज है, जिसकी सोमवार को वो आलाकमान से नाराजगी भी जता चुके हैं. लेकिन पीके ने तो आगे बढ़कर मुलायम के बाद अखिलेश से लंबी मुलाकात कर ली, जिससे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच तालमेल की खबरों को और बल मिला है. दरअसल पीके के करीबियों के मुताबिक, पीके अपना काम कर रहे हैं अब इसकी जानकारी किसको है किसको नहीं इससे उनको क्या मतलब, वो किसी बात पर कुछ नहीं बोलना चाहते.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस और पीके दोनों ही खोज रहे हैं पिंड छुड़ाने के सेफ तरीके

वैसे सूत्रों की मानें तो यूपी में राहुल और प्रियंका के सीएम उम्मीदवार बनने के इनकार के बाद ही पीके ने प्लान बी तैयार कर लिया था. जिसके तहत अकेले दम किसी और चेहरे के जरिये यूपी में सत्ता पाना संभव नहीं है. ऐसे में जरूरी है 2019 के लिहाज से 2017 में ही बीजेपी को यूपी में रोकना. आखिर राहुल का निशाना 2019 जो है.

सूत्रों के मुताबिक, इसीलिए यूपी के किसी नेता को चेहरा बनाने के बजाय शीला दीक्षित को सीएम चेहरा बनाया गया, जिससे गठबंधन की सूरत में उनको वापस लिया जा सके. साथ ही राहुल अपनी किसान यात्रा में अखिलेश पर सीधा हमला करने से बचते रहे. उलटे एकाध मौके पर राहुल-अखिलेश एक दूसरे की तारीफ करते भी नजर आये.  शुरुआत में कांग्रेस ने ताकत दिखाई, जिससे मायावती तालमेल के लिए ठीक ठाक सीटों पर राज़ी हो जाएं, लेकिन  मायावती राज़ी नहीं हुईं. ऐसे में राहुल के टारगेट पर सबसे ज़्यादा पीएम मोदी और उसके बाद मायावती रहे. ऐसे में आखिरकार अखिलेश से बिहार के नितीश फॉर्मूले के तहत बातचीत शुरू हो गयी.

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस फूंक फूंक कर कदम रखना चाहती है. पीके मुलायम और अखिलेश से कांग्रेस के साथ लड़ने का फायदा बता रहे हैं और उनकी ताकत भी बता रहे हैं. लेकिन कांग्रेस आलाकमान को डर भी सता रहा है कि, आखिर में अगर बात नहीं बनी तो उसकी फजीहत ना हो इसलिए पार्टी के नेता पीके की मुलाकातों को व्यक्तिगत बता रहे हैं, जिससे अकेले लड़ना पड़ा तो तो कार्यकर्त्ता ठंडे ना पड़ जाएं. लेकिन बात बन गई तो राहुल अखिलेश एक साथ मुलाकात कर लेंगे. यानी पीके अभी होम वर्क कर रहे हैं. आखिर कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें और अखिलेश को नितीश की तर्ज पर आगे लाये बिना राहुल भी नहीं मानेंगे. दरअसल राहुल, अखिलेश से गठजोड़ चाहते हैं और अखिलेश की नितीश की तरह रोल निभाते देखना चाहते हैं, जिससे बीजेपी को यूपी में रोका जा सके.

ये भी पढ़ें- यूपी में मुलायम-कांग्रेस गठबंधन बिहार जैसे नतीजे की गारंटी नहीं

वैसे सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी राहुल गांधी ने अपने भाषण में देवरिया से दिल्ली की अपनी किसान यात्रा की सफलता का ज़िक्र किया, जिस यात्रा के पीछे दिमाग पीके का ही था. लेकिन नेताओं की पीके की कार्यशैली से नाराजगी बरकरार रही. ऐसे में पीके और यूपी को लेकर सोनिया खुद राहुल के घर पर प्रभारी गुलाम नबी आजीद की मौजूदगी में सोमवार देर शाम 20 मिनट की मुलाकात के लिए गयीं. इससे पहले ही प्रियंका और राहुल ने भी आजाद से यूपी और पीके के मुद्दे पर चर्चा की. सूत्रों की मानें तो कोशिश नेताओं और पीके के बीच की नाराजगी खत्म करने की ही है.

इस मुद्दे पर आजतक से कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि, पीके एक रणनीतिकार हैं, जो हमारे सहयोगी के तौर पर काम कर रहे हैं और बाकी अटकलों का मैं जवाब नहीं देता.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲