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लद्दाख में चीन की घुसपैठ का सच

    • अशरफ वानी
    • Updated: 20 अगस्त, 2017 10:45 PM
  • 20 अगस्त, 2017 10:45 PM
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जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में चीनी घुसपैठ कोई नई बात नहीं है, मात्र एक साल के दौरान चीनी सेना ने लद्दाख में भारतीय सीमा के भीतर कम से कम 35 बार घुसपैठ की. लेकिन 15 अगस्त को जो हुआ वह पिछले 60 सालों में कभी नहीं हुआ.

पूरा देश जब स्वतंत्रता दिवस मना रहा था तभी सुबह-सुबह चीनी सेना की एक टुकड़ी भारत के इलाके में घुसपैठ करती है, वह भी तब जब घुसपैठ की की जगह से थोड़ी ही दूरी पर चुशूल में भारतीय सेना चीनी सेना के स्वागत के लिए बैठी थी.

दरअसल चीन की तरफ से इस तरह की हिमाकत का इस दिन भारतीय सेना को एहसास भी नहीं था लेकिन पीठ के पीछे छुरा घोंपने के लिए चीन हमेशा से जाना जाता है. उस की ताज़ा मिसाल 18 सितम्बर 2014 है, जब चीनी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मोदी के साथ अहमदाबाद में झूला झूल रहे थे और चीनी सेना लद्दाख़ में ही डेमचोक के पास भारतीय इलाके में अपनी सेना के लिए टेंट गाड़ रही थी. तब करीब 28 दिन के बाद डिप्लोमेटिक दबाव से चीन उस इलाके से निकल गया, लेकिन उस घटना और 15 अगस्त की घटना में बड़ा फर्क है.

जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में चीनी घुसपैठ कोई नई बात नहीं है, मात्र एक साल के दौरान चीनी सेना ने लद्दाख में भारतीय सीमा के भीतर कम से कम 35 बार घुसपैठ की. यह वह आंकड़े हैं जिसमें घुसपैठ देखी गई वरना इस इलाके में कब चीनी सेना भारतीय इलाके में घुस आयी उसका पता भी कभी-कभी नहीं चलता है, क्योंकि लद्दाख क्षेत्र में भारत की चीन के साथ 700 किलोमीटर से भी लम्बी सीमा है जिसको लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल कहा जाता है, यह काफी दुर्गम पहाड़ी इलाका है जहां सर्दियों के मौसम में तापमान 0 से 40 डिग्री तक नीचे चला जाता है. इलाके में इंसानी आबादी न के बराबर है. इलाके में सीमा पर कोई निशां भी नहीं हैं और दोनों देश सीमा को लेकर अपनी अपनी सोच रखते हैं. यही कारण है जिस इलाके को भारत अपना कहता है उसपर चीन भी दावा ठोकता रहा है और सीमा पर होने वाली पट्रोलिंग में एक दूसरे से आमना सामना होता है. लेकिन 15 अगस्त को जो हुआ वह पिछले 60 सालों में कभी नहीं हुआ.

पूरा देश जब स्वतंत्रता दिवस मना रहा था तभी सुबह-सुबह चीनी सेना की एक टुकड़ी भारत के इलाके में घुसपैठ करती है, वह भी तब जब घुसपैठ की की जगह से थोड़ी ही दूरी पर चुशूल में भारतीय सेना चीनी सेना के स्वागत के लिए बैठी थी.

दरअसल चीन की तरफ से इस तरह की हिमाकत का इस दिन भारतीय सेना को एहसास भी नहीं था लेकिन पीठ के पीछे छुरा घोंपने के लिए चीन हमेशा से जाना जाता है. उस की ताज़ा मिसाल 18 सितम्बर 2014 है, जब चीनी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मोदी के साथ अहमदाबाद में झूला झूल रहे थे और चीनी सेना लद्दाख़ में ही डेमचोक के पास भारतीय इलाके में अपनी सेना के लिए टेंट गाड़ रही थी. तब करीब 28 दिन के बाद डिप्लोमेटिक दबाव से चीन उस इलाके से निकल गया, लेकिन उस घटना और 15 अगस्त की घटना में बड़ा फर्क है.

जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में चीनी घुसपैठ कोई नई बात नहीं है, मात्र एक साल के दौरान चीनी सेना ने लद्दाख में भारतीय सीमा के भीतर कम से कम 35 बार घुसपैठ की. यह वह आंकड़े हैं जिसमें घुसपैठ देखी गई वरना इस इलाके में कब चीनी सेना भारतीय इलाके में घुस आयी उसका पता भी कभी-कभी नहीं चलता है, क्योंकि लद्दाख क्षेत्र में भारत की चीन के साथ 700 किलोमीटर से भी लम्बी सीमा है जिसको लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल कहा जाता है, यह काफी दुर्गम पहाड़ी इलाका है जहां सर्दियों के मौसम में तापमान 0 से 40 डिग्री तक नीचे चला जाता है. इलाके में इंसानी आबादी न के बराबर है. इलाके में सीमा पर कोई निशां भी नहीं हैं और दोनों देश सीमा को लेकर अपनी अपनी सोच रखते हैं. यही कारण है जिस इलाके को भारत अपना कहता है उसपर चीन भी दावा ठोकता रहा है और सीमा पर होने वाली पट्रोलिंग में एक दूसरे से आमना सामना होता है. लेकिन 15 अगस्त को जो हुआ वह पिछले 60 सालों में कभी नहीं हुआ.

15 अगस्त को इंडो तिब्बतियन बॉर्डर पुलिस की एक टुकड़ी अपने इलाके में अपने पोस्ट में तैनात होती है उसी बीच सुबह सुबह चीनी सेना की एक टुकड़ी जिसमें 30 चीनी सेना के जवान और एक अफसर शामिल होते हैं इलाके के पास दिखाई देते हैं. दोनों देशो के बीच समझौते के अनुसार ITBP के जवान चीनी सेना को सफेद कपड़ा दिखाकर उन्हें भारतीय इलाके में घुसने का संकेत देते हैं, लेकिन चीनी सैनिक इलाके पर अपना हक़ जताते हुए पहले ITBP से बहस करते हैं और फिर हाथापाई पर उतर जाते हैं, जिसमें ITBP के 2 जवान घायल भी होते हैं.

अमूमन चीनी सेना के पेट्रोल में 8 से 12 लोग होते हैं लेकिन इस पैट्रोल में 30 से भी ज़्यादा चीनी सैनिक थे. चीनी सैनिक ITBP पोस्ट के करीब भारतीय इलाके के बहुत भीतर आए. चीनी सेना ने लोहे की रौडों और पत्थरों से ITBP के जवानों पर हमला किया. पोस्ट में ITBP के मात्र 12 जवान थे. चीनी सेना तोड़-फोड़ के बाद वापस तो चली गई लेकिन सीमा पर तनाव बढ़ गया.

वीडियो को दो दृश्य जिसके बारे में लोग सबसे ज्यादा जानना चाहते हैं. एक तो ये कि वो कौन से देश का सैनिक है जो उछलकर लात मार रहा है और वीडियो के आखिर में किस देश का सिपाही है जो पत्थर लगने से चित हुआ. तो आपको ये स्पष्ट कर दें कि जिन्हें लात मारी गई और जो गिरा वो दोनों ही भारतीय सेना के जवान हैं.

देखिए वीडियो-  

अब चीन की इस हरकत के बाद भारतीय सेना भी इलाके में सतर्क हो गई है और सेना प्रमुख 3 दिन की यात्रा पर लद्दाख पहुंच चुके हैं, जहां वह चीन से लगने वाली सीमा पर भारतीय सेना की तैयारी का जायज़ा लेंगे. चीन की इस हरकत के बाद इतना तो साफ है कि चीन लद्दाख क्षेत्र में किसी भी हरकत को अंजाम दे सकता है जिसके लिए भारत की तैयारी और मुस्तैदी अनिवार्य बन गई है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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