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पीडीपी-बीजेपी गठबंधन क्‍या टूटा, लगा जैसे कश्‍मीर समस्‍या हल हो गई

    • आईचौक
    • Updated: 19 जून, 2018 09:15 PM
  • 19 जून, 2018 09:15 PM
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राजनीतिक रूप से विपरीत विचार रखने वाली पीडीपी और बीजेपी का जम्‍मू-कश्‍मीर में गठबंधन आखिर टूट ही गया. लेकिन इस खबर के आने के बाद सियासी गलियारों की चर्चा बता रही है कि कश्‍मीर में सरकार गिरने से सबने राहत महसूस की है.

भाजपा और पीडीपी के बीच का गठबंधन आखिरकार खत्म हो चुका है. जैसे ही भाजपा ने इस गठबंधन से निकलने की घोषणा की, उसके कुछ ही देर बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया. ये सब इतना सहज रूप से हुआ, जैसे कोई तनाव ही न हो. इतने सरल रूप से देश में शायद ही कोई सियासी गठबंधन टूटा हो. भाजपा के इस फैसले को हर कोई बेहद अहम बता रहा है. चलिए देखते हैं सोशल मीडिया पर लोग क्या-क्या कह रहे हैं, लेकिन पहले जान लीजिए इस फैसले को लेकर क्या कहना है महबूबा मुफ्ती का.

'लोगों की मर्जी के खिलाफ किया था गठबंधन'

इस गठबंधन के खत्म होने पर महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि उनकी कोशिश थी कि सुप्रीम कोर्ट में धारा 370 को बचाया जा सके. हालांकि, उन्होंने यह माना कि यह गठबंधन लोगों की मर्जी के खिलाफ किया गया था. वह बोलीं कि जम्मू कश्मीर में मस्कुलर पॉलिसी काम नहीं करेगी. महबूबा ने अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में यूनीलेटरल सीजफायर लागू किया और करीब 11,000 युवाओं के खिलाफ केस वापस लिए. महबूबा के मुताबिक कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान समेत हर किसी के साथ बात होनी चाहिए. अंत में महबूबा ने यह साफ किया कि उन्होंने यह गठबंधन लोगों के भले के लिए किया था, ना कि ताकत पाने के लिए.

कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद का कहना है कि जो भी हुआ वह अच्छा हुआ. इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी. भाजपा पर उंगली उठाते हुए वह बोले कि उन्होंने कश्मीर को बर्बाद कर दिया है और अब समर्थन वापस ले लिया है. वह बोले कि इन 3 सालों में सबसे अधिक नागरिक और सेना के जवान मारे गए हैं. जब उनसे कांग्रेस के...

भाजपा और पीडीपी के बीच का गठबंधन आखिरकार खत्म हो चुका है. जैसे ही भाजपा ने इस गठबंधन से निकलने की घोषणा की, उसके कुछ ही देर बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया. ये सब इतना सहज रूप से हुआ, जैसे कोई तनाव ही न हो. इतने सरल रूप से देश में शायद ही कोई सियासी गठबंधन टूटा हो. भाजपा के इस फैसले को हर कोई बेहद अहम बता रहा है. चलिए देखते हैं सोशल मीडिया पर लोग क्या-क्या कह रहे हैं, लेकिन पहले जान लीजिए इस फैसले को लेकर क्या कहना है महबूबा मुफ्ती का.

'लोगों की मर्जी के खिलाफ किया था गठबंधन'

इस गठबंधन के खत्म होने पर महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि उनकी कोशिश थी कि सुप्रीम कोर्ट में धारा 370 को बचाया जा सके. हालांकि, उन्होंने यह माना कि यह गठबंधन लोगों की मर्जी के खिलाफ किया गया था. वह बोलीं कि जम्मू कश्मीर में मस्कुलर पॉलिसी काम नहीं करेगी. महबूबा ने अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में यूनीलेटरल सीजफायर लागू किया और करीब 11,000 युवाओं के खिलाफ केस वापस लिए. महबूबा के मुताबिक कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान समेत हर किसी के साथ बात होनी चाहिए. अंत में महबूबा ने यह साफ किया कि उन्होंने यह गठबंधन लोगों के भले के लिए किया था, ना कि ताकत पाने के लिए.

कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद का कहना है कि जो भी हुआ वह अच्छा हुआ. इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी. भाजपा पर उंगली उठाते हुए वह बोले कि उन्होंने कश्मीर को बर्बाद कर दिया है और अब समर्थन वापस ले लिया है. वह बोले कि इन 3 सालों में सबसे अधिक नागरिक और सेना के जवान मारे गए हैं. जब उनसे कांग्रेस के पीडीपी के साथ गठबंधन करने की बात उठाई तो उन्होंने साफ कह दिया कि इसका तो सवाल ही नहीं उठता है.

पीडीपी के प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने भाजपा के इस कदम पर कहा है कि उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाने की बहुत कोशिश की. यह तो होना ही था. यह हमारे लिए हैरान करने वाला जरूर है क्योंकि हमें ये अंदाजा नहीं था कि भाजपा ऐसा फैसला ले सकती है. उन्होंने कहा कि फिलहाल हम इस पर साथ मिलकर इस बात पर चर्चा कर सकते हैं, जिसके लिए शाम को 4 बजे एक बैठक होगी.

शिवसेना के संजय राउत ने तो इस गठबंधन को राष्ट्र विरोधी तक कह डाला. वह बोले कि यह गठबंधन राष्ट्र-विरोधी और अप्राकृतिक था. हमारे पार्टी प्रमुख ने तो पहले ही कह दिया था कि यह गठबंधन अधिक दिन नहीं चलेगा. वह बोले कि इसका जवाब भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनावों में देना होगा.

वहीं उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर के यह सलाह दी है कि फिलहाल किसी भी पार्टी के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं है, तो उन्हें राज्यपाल शासन लागू करना होगा. साथ ही उन्होंने राज्यपाल से यह अनुरोध भी किया है कि राज्यपाल शासन अधिक दिनों तक नहीं रहना चाहिए, क्योंकि लोगों को हक है कि उनकी चुनी हुई सरकार की राज्य चलाए. फिर से चुनाव होने चाहिए.

तहसीन पूनावाला भाजपा के इस फैसले पर नोटबंदी को याद करते हुए कह रहे हैं कि क्या किसी पत्रकार में इतनी हिम्मत है कि वह भाजपा के राम माधव जी से पूछ सके कि अगर अभी भी आतंकवाद है तो फिर नोटबंदी क्यों की गई थी. अगर अभी भी पत्थरबाजी हो रही है तो फिर नोटबंदी से क्या फायदा हुआ? यहां आपको बता दें कि जब नोटबंदी लागू की गई थी तो यह कहा गया था कि इससे आतंकवाद की कमर टूटेगी और पत्थरबाजी की घटनाओं में भी भारी कमी आएगी.

भाजपा के इस फैसले पर फिल्म मेकर और सोशल एक्टविस्ट अशोक पंडित कहते हैं कि यह फैसला काफी अच्छा है, जिसकी काफी समय से जरूरत भी थी. अब सिर्फ राज्यपाल शासन ही एकमात्र विकल्प बचा है. इस गठबंधन से भाजपा और देश को काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने यह भी कहा है मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखा जाए तो इस बात पर हैरान होने की जरूरत नहीं होगी अगर पीडीपी, नेशनल कान्‍फ्रेंस और कांग्रेस साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में सरकार बना लें.

कांग्रेस की महिला विंग ने भाजपा के इस फैसले पर कमेंट करते हुए कहा है कि सही इरादों के बिना बस एक मौका देखते हुए किया गया गठबंधन देश और जनता की अधिक समय तक सेवा नहीं कर सकता है. जैसी की उम्मीद थी, जम्मू-कश्मीर सरकार गिर गई है, क्योंकि भाजपा ने महबूबा मुफ्ती से अपना समर्थन वापस ले लिया है.

कांग्रेस के कार्यकर्ता गौरव पंधी ने उम्मीद जताते हुए कहा है कि अब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के साथ ही जम्मू-कश्मीर के चुनाव भी हो सकते हैं. इसके बाद नीतीश कुमार सबसे अधिक चिंतित व्यक्ति होंगे.

लोगों की प्रतिक्रिया से यह तो साफ है कि इस गठबंधन के टूटने से सभी खुश हैं. भले ही वह भाजपा हो, नेशनल कान्फ्रेंस हो, कांग्रेस हो या फिर खुद महबूबा मुफ्ती ही क्यों ना हों. महबूबा ने तो यहां तक कह दिया कि यह गठबंधन उन्होंने लोगों की मर्जी के खिलाफ किया था. अब जब वह खुद ही मान रही हैं कि गठबंधन को लोगों की मर्जी के खिलाफ किया गया था तो इसका टूटना तो लाजमी था. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि महबूबा की इस बात को जम्मू-कश्मीर के लोग पॉजिटिव तरीके से लेते हैं या निगेटिव. अगला चुनाव ये साफ कर देगा कि लोग क्या चाहते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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