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पाकिस्तान का ये पुलिसवाला शहीद है या कातिल?

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 02 मार्च, 2016 03:39 PM
  • 02 मार्च, 2016 03:39 PM
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कत्ल के किसी गुनहगार की फांसी के बाद उसकी मैय्यत में उमड़ा यह जनसैलाब पाकिस्तान का वह चेहरा दिखा रहा है जो वहां की सरकार और सेना के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है.

पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में एक पुलिसवाले मुमताज कादरी को सुप्रीम कोर्ट से सजा मिलने के बाद फांसी दे दी गई. उसके शव को शहर के एक ऐतिहासिक पार्क में रखा गया और देश के हर कोने से जुटे 50 हजार से ज्यादा लोगों ने उसके लिए अंतिम दुआ की. इस हुजूम में पाकिस्तान सरकार के साथ-साथ पश्चिमी देशों के खिलाफ बेहद आक्रोश देखा गया. इस आक्रोशित भीड ने ‘गो नवाज गो’ के नारे भी लगाए गए. देश की सर्वोच्च अदालत से मिली सजा को धता किया गया. इसके बावजूद पाकिस्तान की सरकार और वहां की मजबूत सेना यह सबकुछ होते देखती रही. इसे रोकना तो दूर, इसके खिलाफ कुछ कहना भी पाकिस्तान में मुमकिन नहीं है. हकीकत यह है कि नवाज शरीफ की लोकतांत्रिक सरकार और जनरल रहील शरीफ की मजबूत सेना इसे चाहकर भी तियानमेन स्क्वायर नहीं बना सकती.

रावलपिंडी, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का प्रमुख शहर है और सेना के मजबूत गढ़ के साथ-साथ इसे नवाज शरीफ का इलाका भी कहा जाता है. ऐसे में कत्ल के किसी गुनहगार की फांसी के बाद उसकी मैय्यत में उमड़ा यह जनसैलाब पाकिस्तान का वह चेहरा दिखा रहा है जो वहां की सरकार और सेना के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है.

मुमताज कादरी ने 2011 में पंजाब के ताकतवर नेता और गवर्नर सलमान तासीर की गोली मारकर उस वक्त हत्या कर दी जब वह उनकी सुरक्षा में तैनात था. कातिल पुलिसवाले ने पंजाव के गवर्नर पर ईशनिंदा का आरोप लगाया और इस्लाम की रक्षा करने के नाम पर कई गोलियां सलमान तसीर के सीने में दाग दी थी. कादरी ने यह हत्या इसलिए की थी क्योंकि तासीर ने एक इसाई महिला पर लगे ईशनिंदा के आरोपों का विरोध किया था. पांच साल तक चली आदलती कारवाई के बाद कादरी को मौत की सजा दी गई जिसे 29 फरवरी को अमल में ले आया गया. लेकिन मुमताज कादरी की मौत पर जो तस्वीर दुनिया को देखने को मिली उससे यह साफ है कि इस्लामिक आतंकवाद से जूझ रही पाकिस्तान की सरकार अपने नागरिकों के बीच बढ़ते धार्मिक अतिवाद का मुकाबला नहीं कर सकती है.

पाकिस्तान के कानून में इस्लाम का अपमान करने...

पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में एक पुलिसवाले मुमताज कादरी को सुप्रीम कोर्ट से सजा मिलने के बाद फांसी दे दी गई. उसके शव को शहर के एक ऐतिहासिक पार्क में रखा गया और देश के हर कोने से जुटे 50 हजार से ज्यादा लोगों ने उसके लिए अंतिम दुआ की. इस हुजूम में पाकिस्तान सरकार के साथ-साथ पश्चिमी देशों के खिलाफ बेहद आक्रोश देखा गया. इस आक्रोशित भीड ने ‘गो नवाज गो’ के नारे भी लगाए गए. देश की सर्वोच्च अदालत से मिली सजा को धता किया गया. इसके बावजूद पाकिस्तान की सरकार और वहां की मजबूत सेना यह सबकुछ होते देखती रही. इसे रोकना तो दूर, इसके खिलाफ कुछ कहना भी पाकिस्तान में मुमकिन नहीं है. हकीकत यह है कि नवाज शरीफ की लोकतांत्रिक सरकार और जनरल रहील शरीफ की मजबूत सेना इसे चाहकर भी तियानमेन स्क्वायर नहीं बना सकती.

रावलपिंडी, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का प्रमुख शहर है और सेना के मजबूत गढ़ के साथ-साथ इसे नवाज शरीफ का इलाका भी कहा जाता है. ऐसे में कत्ल के किसी गुनहगार की फांसी के बाद उसकी मैय्यत में उमड़ा यह जनसैलाब पाकिस्तान का वह चेहरा दिखा रहा है जो वहां की सरकार और सेना के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है.

मुमताज कादरी ने 2011 में पंजाब के ताकतवर नेता और गवर्नर सलमान तासीर की गोली मारकर उस वक्त हत्या कर दी जब वह उनकी सुरक्षा में तैनात था. कातिल पुलिसवाले ने पंजाव के गवर्नर पर ईशनिंदा का आरोप लगाया और इस्लाम की रक्षा करने के नाम पर कई गोलियां सलमान तसीर के सीने में दाग दी थी. कादरी ने यह हत्या इसलिए की थी क्योंकि तासीर ने एक इसाई महिला पर लगे ईशनिंदा के आरोपों का विरोध किया था. पांच साल तक चली आदलती कारवाई के बाद कादरी को मौत की सजा दी गई जिसे 29 फरवरी को अमल में ले आया गया. लेकिन मुमताज कादरी की मौत पर जो तस्वीर दुनिया को देखने को मिली उससे यह साफ है कि इस्लामिक आतंकवाद से जूझ रही पाकिस्तान की सरकार अपने नागरिकों के बीच बढ़ते धार्मिक अतिवाद का मुकाबला नहीं कर सकती है.

पाकिस्तान के कानून में इस्लाम का अपमान करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है. ईशनिंदा के किसी आरोपी के पक्ष में कुछ कहने का यह नतीजा कि आपकी सुरक्षा में लगा पुलिस वाला ही आपकी हत्या कर दे, ऐसा पाकिस्तान में नई बात नहीं है. कादरी की अंतिम यात्रा में जुटे पूरे के पूरे जनसमुदाय को आतंकवादी भी नहीं करार दिया जा सकता. इस भीड़ में देश के वकील, कारोबारी, डॉक्टर और स्टूडेंट समेत समाज के कई तबकों ने हिस्सा लिया. इस भीड़ ने यह घोषित भी कर दिया कि कादरी कोई गुनहगार नहीं है क्योंकि उसने इस्लाम की रक्षा करने के लिए उसने इस कत्ल को अंजाम दिया था.

पाकिस्तान में अब आइशा सिद्दिका जैसी सुरक्षा विशेषज्ञ का मानना है कि कादरी को फांसी देकर नवाज शरीफ सरकार ने अपने लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर ली है. एक तरफ जहां पाकिस्तान की सेना तालिबान जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ सैनिक मुहिम चला रही है वहीं नागरिकों के बीच बढ़ती धार्मिक कट्टरता को लगाम लगाने में सेना और सरकार पूरी तरह से विफल रही है. देखना यह है कि अब किस तरह पाकिस्तान की सरकार और सेना देश में आतंकवाद और कट्टरपंथ को रोकते हैं. यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि पाकिस्तान सेना और सरकार की वैश्विक नीतियों में आतंकवाद को शामिल करने का ही नतीजा है कि आज उसके नागरिकों में धार्मिक कट्टरवाद घर कर चुका है और अब वह चाहकर भी इस कट्टरवाद का सामना नहीं कर पा रहा है.

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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