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रामलला के वकील परासरण का वीडियो जितना रोमांचक है, उस पर रिएक्शन उतना ही दिलचस्प!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 05 अगस्त, 2020 01:16 PM
  • 05 अगस्त, 2020 01:16 PM
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अयोध्या (Ayodhya) राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद (Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute ) मामले में राम लला (Ramlala) के वकील के परासरण (K Parasaran) का एक वीडियो वायरल हुआ है. वीडियो में जिस तरह की प्रतिक्रियाएं हैं साफ़ है कि अगर राम लला के वकील परासरन न होते तो तीनों ही प्रमुख पक्षों में कांटे की टक्कर रहती.

बात 2019 की है. भारत में अगर किसी नाम ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं तो वो और कोई नहीं बल्कि वरिष्ठ वकील के परासरण (K Parasaran) हैं. के परासरण ने रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Janmabhoomi Babri Masjid Dispute) में रामलला विराजमान (Ramlala Virajmaan) का पक्ष रखा और सवाल जवाबों और दलीलों का कुछ ऐसा चक्रव्यूह रचा कि चाहे वो निर्मोही अखाड़ा (Nirmohi Akhada) रहा हो या फिर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड (Sunni Waqf Board) किसी की न चली और देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) को फैसला रामलला विराजमान के पक्ष में देना पड़ा. 92 साल के के परासरण को इंडियन बार का पितामह कहा जाता है. दो बार देश के अटॉर्नी जनरल रह चुके के परासरण न सिर्फ एक उच्च कोटि के वकील हैं बल्कि हिंदू धर्म के अच्छे जानकार भी हैं. इतनी जानकारी के बाद सवाल होगा कि आखिर हम के परासरण की उपलब्धियों पर चर्चा क्यों कर रहे हैं? तो जवाब है इंटरनेट पर बड़ी ही तेजी के साथ वायरल हुआ उनका एक पुराना वीडियो.

एक प्रोग्राम में बोलते राम लला के वकील के परासरन

वीडियो नवंबर 2019 का है जिसमें परासरण एक लॉ कॉलेज के कार्यक्रम में हैं और अयोध्या फैसले के मद्देनजर छात्रों से संवाद स्थापित कर रहे हैं. परासरण अपने इस वीडियो में फैसले के दौरान हुई एक घटना का जिक्र करते हुए बता रहे हैं कि जब ये फैसला आया तब एक रात करीब 40 के आस पास बंदर उनके घर आए. इसपर विश्वास करना मुश्किल है मगर उस रात उन्होंने खूब शोर मचाया. भगवान श्री राम का जादू चल चुका था. भगवान राम 14 साल वनवास में रहे जबकि उन्होंने 28 साल तिरपाल के नीचे बिताए. अब बहुत हुआ. अब मंदिर बन जाना चाहिए.

बात 2019 की है. भारत में अगर किसी नाम ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं तो वो और कोई नहीं बल्कि वरिष्ठ वकील के परासरण (K Parasaran) हैं. के परासरण ने रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Janmabhoomi Babri Masjid Dispute) में रामलला विराजमान (Ramlala Virajmaan) का पक्ष रखा और सवाल जवाबों और दलीलों का कुछ ऐसा चक्रव्यूह रचा कि चाहे वो निर्मोही अखाड़ा (Nirmohi Akhada) रहा हो या फिर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड (Sunni Waqf Board) किसी की न चली और देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) को फैसला रामलला विराजमान के पक्ष में देना पड़ा. 92 साल के के परासरण को इंडियन बार का पितामह कहा जाता है. दो बार देश के अटॉर्नी जनरल रह चुके के परासरण न सिर्फ एक उच्च कोटि के वकील हैं बल्कि हिंदू धर्म के अच्छे जानकार भी हैं. इतनी जानकारी के बाद सवाल होगा कि आखिर हम के परासरण की उपलब्धियों पर चर्चा क्यों कर रहे हैं? तो जवाब है इंटरनेट पर बड़ी ही तेजी के साथ वायरल हुआ उनका एक पुराना वीडियो.

एक प्रोग्राम में बोलते राम लला के वकील के परासरन

वीडियो नवंबर 2019 का है जिसमें परासरण एक लॉ कॉलेज के कार्यक्रम में हैं और अयोध्या फैसले के मद्देनजर छात्रों से संवाद स्थापित कर रहे हैं. परासरण अपने इस वीडियो में फैसले के दौरान हुई एक घटना का जिक्र करते हुए बता रहे हैं कि जब ये फैसला आया तब एक रात करीब 40 के आस पास बंदर उनके घर आए. इसपर विश्वास करना मुश्किल है मगर उस रात उन्होंने खूब शोर मचाया. भगवान श्री राम का जादू चल चुका था. भगवान राम 14 साल वनवास में रहे जबकि उन्होंने 28 साल तिरपाल के नीचे बिताए. अब बहुत हुआ. अब मंदिर बन जाना चाहिए.

वायरल हुए इस वीडियो में कुछ और बातें भी वरिष्ठ वकील के परासरण ने कहीं हैं मगर उन्हें नजरअंदाज कर इस बात को पकड़ लिया गया है कि बंदरों ने उन्हें धन्यवाद् दिया था. ध्यान रहे कि ये सब एक ऐसे वक़्त में हो रहा है जब मंदिर निर्माण के तहत अगस्त माह में अयोध्या में भूमि पूजन होने वाला है और जिसे लेकर तैयारियां अपने अंतिम दौर में है.

बता दें कि सोशल मीडिया के इस दौर में जब चीजों को वायरल करने की होड़ लगी हो. कोई भी बात यूं ही बेवजह नहीं फैलाई जाती और हर करनी या कथनी के पीछे एक उद्देश्य होता है. इस मामले में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है. वो तमाम लोग जो के परासरण की आलोचना और मंदिर निर्माण के तहत अपनी अपनी छाती कूट रहे हैं उनका कहना है कि जीत के बाद अब जो कुछ भी परासरण कर रहे हैं उसका उद्देश्य सरकार की नजरों में आना और उससे फायदा हासिल करना है.

यानी आलोचना के नाम पर अगर इस पुराने वीडियो के संदर्भ में जो तर्क आज दिए जा रहे हैं वो कुछ इस हद तक खोखले हैं कि सम्पूर्ण घटना क्रम विचलित करता है. महसूस होता है कि जब व्यक्ति के पास मजबूत तर्कों का आभाव होता है तो उस क्षण वो भद्देपन पर उतर आता है और वो तमाम बातें कर देता है जो शर्मसार करती हैं.

बात अगर इस वीडियो पर लगातार आ रहे कॉमेंट्स की हो उन्हें पढ़ते हुए महसूस हो जाता है कि वाक़ई विचारधारा और राजनीति दोनों ही इंसान को गिरा देती है और वो कुछ इस हद तक बीमार हो जाता है कि फिर शायद ही कोई उसका इलाज कर पाए.

आइये कुछ प्रतिक्रियाओं पर नजर डालें और ये समझने का प्रयास करें कि कैसे कुछ लोग एक पढ़े लिखे और काबिल आदमी के लिए आलोचना के नाम पर भद्देपन के उस लेवल पर आ गए हैं जहां आने के बाद उनका ठीक होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.

हर जगह बुराई नहीं होती इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है तमाम यूजर्स हैं जो परासरण की शान में कसीदे पढ़ रहे हैं और बता रहे हैं कि यदि परासरण न होते तो शायद ही ये फैसला आ पाता.

@Supertank248 नाम के यूजर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि ये सब सुनकर उन्हें गूज बम्प्स हो गए हैं. परासरण एक ऐसे वकील हैं जिन्हें भगवान राम का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है.

@RangitTeesta नाम के यूजर ने लिखा है कि ये वाक़ई राम लला के वकील हैं. इन्होने हिन्दुओं के लिए जो कुछ भी हासिल किया है उसपर गर्व होता है. इनकी कुर्बानियों का फल देश को 5 अगस्त को मिलेगा.

@satyajg251 नाम के यूजर ने लिखा है कि परासरण ने जो सेवा श्री राम कि की है वो बिलकुल हनुमान की तरह है. भगवान राम उनकी हर इच्छा पूरी करें.

@secuIarism ने लिखा है कि जब उन्होंने इस वीडियो को देखकर उनकी आंखें भर आईं. ईश्वर परासरण को लम्बी उम्र दे.

बहरहाल कोई कुछ कहें मगर राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद में जो परासरण ये किया है वो अपने आप में ऐतिहासिक है और इसमें वो तमाम एलिमेंट्स मौजूद हैं जिनके चलते इन्हें आने वाले कई सालों तक याद रखा जाएगा. बात सीधी और साफ़ है इतनी उम्र होने के बावजूद जिस तरह कोर्ट में परासरण ने विपक्ष के बाणों को भेदा साफ़ है कि एक दिव्य शक्ति तो थी जो कदम दर कदम परासरण की तमाम बाधाओं से रक्षा कर रही थी. 

अब चूंकि 5 अगस्त को अयोध्या में मंदिर के लिए भूमि पूजन हो गया है, अवश्य ही परासरण का उद्देश्य पूरा हो गया है, और उन्हें अपने सामने मंदिर नजर आ रहा है. एक भव्य और विशाल राम मंदिर.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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