• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Ramcharitmanas Controversy: राजद, सपा, आप की भाजपा विरोधी एक जैसी रणनीति!

    • अशोक भाटिया
    • Updated: 27 जनवरी, 2023 09:48 PM
  • 27 जनवरी, 2023 09:48 PM
offline
Ramcharitmanas Controversy: संभवतः देश में पहली बार यह देखने को मिल रहा है कि राजनीतिक दलों की ओर से हिंदुओं की आस्था पर प्रहार किए जा रहे हैं. इसके अलावा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर गोलबंद हो रहे हिंदुओं को तोड़ने की कोशिश भी की जा रही है.

समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और आम आदमी पार्टी भले अलग अलग राज्यों की पार्टियां हैं लेकिन कुछ मामलों में इनकी राजनीति बिल्कुल एक जैसी है. जैसे रामचरित मानस को बदनाम करने और उसको दलित-पिछड़ा विरोधी बताने की राजनीति में तीनों पार्टियां एक जैसे काम कर रही हैं. संभवतः देश में पहली बार यह देखने को मिल रहा है कि राजनीतिक दलों की ओर से हिंदुओं की आस्था पर प्रहार किए जा रहे हैं. इसके अलावा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर गोलबंद हो रहे हिंदुओं को तोड़ने की कोशिश भी की जा रही है. तीनों पार्टियों के पिछड़े या दलित नेताओं ने रामचरित मानस का विरोध किया, पार्टियों के सर्वोच्च नेता इस पर चुप रहे और फिर कुछ सवर्ण नेताओं ने इन बयानों का विरोध किया. अंत में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसे जाहिर होता है कि यह पार्टियों के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा है. यह जानना जरुरी है कि इस फसाद कि जड़ बना क्या है स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान बयान ? शुरुआत हुई उत्तरप्रदेश विधान परिषद के सदस्य और सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने देश में रामचरितमानस को बैन करने की मांग के साथ . उन्होंने रामचरितमानस की एक चौपाई 'ढोल-गंवार-शूद्र-पशु-नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी' का जिक्र करते हुए इसकी अपने शब्दों में व्याख्या की है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसे जातीय आधार पर जोड़ते हुए कहा कि इस तरह की पुस्तकों को मान्यता कैसे दे दी गई? इस प्रकार की पुस्तक को तो जब्त किया जाना चाहिए. इसे नष्ट कर देना चाहिए.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो कहा है सवाल ये है कि अलग अलग दल खुलकर उसका विरोध क्यों नहीं कर रहे

स्वामी मौर्य ने आगे कहा कि महिलाएं सभी वर्ग की हैं. क्या उनकी भावनाएं आहत नहीं हो रही हैं? रामचरितमानस की इस चौपाई से महिलाओं और दलितों का अपमान होता है. उन्होंने कहा कि एक तरफ आप कहेंगे कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता. दूसरी ओर तुलसी बाबा से गाली दिलवाकर उनको कहोगे कि नहीं, इन पर डंडा बरसाइए. मारिए-पीटिए. अगर यही धर्म है, तो ऐसे धर्म से हम तौबा करते हैं.स्वामी मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है.

मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में तेली और 'कुम्हार' जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं. उन्होंने मांग की कि पुस्तक के ऐसे हिस्से, जो किसी की जाति या ऐसे किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं, पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी का भी मुस्लिम यादव गठजोड़ यानी 'MY' समीकरण पर भरोसा रहा है. ठीक उसी तरह बिहार में लालू यादव की पार्टी के लिए भी मुस्लिम-यादव गठजोड़ किसी संजीवनी से कम नहीं है. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से मुसलमान एक बार फिर कांग्रेस की ओर आकर्षित होने लगे हैं.

देश के मुसलमानों को लगने लगा है कि केंद्र की सत्ता से भाजपा को कांग्रेस ही हटा सकती है. लिहाजा क्षेत्रीय पार्टियों को वोट देने का कोई फायदा नहीं है. विश्लेषकों का कहना है कि यही वजह है समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल जैसे राजनीतिक दल के नेता, मुसलमानों को अपनी ओर बनाए रखने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं.बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और लालू यादव की आरजेडी ने मिलकर भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. उस वक्त यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बिहार की जनता लालू यादव को स्वीकार नहीं करेगी और इस चुनाव में भाजपा को बहुमत मिल सकता है.

लेकिन तब संघ प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण की समीक्षा करने वाला बयान सामने आ गया था. हालांकि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान का आशय कुछ और था. लेकिन लालू यादव जैसे कुशल राजनीतिज्ञ ने भागवत के इस बयान का जमकर इस्तेमाल किया. लालू यादव बिहार की जनता के मन में यह बात बिठाने में कामयाब रहे की भाजपा आने वाले समय में आरक्षण को ही समाप्त कर देगी. 2015 विधानसभा चुनाव को लालू प्रसाद यादव ने बैकवर्ड-फॉरवर्ड की लड़ाई में बदल दिया था. जिसका नतीजा यह हुआ कि नीतीश-लालू की जोड़ी वाली महागठबंधन ने प्रचंड बहुमत के साथ बिहार में सरकार का गठन किया.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आरजेडी नेता बिहार के शिक्षा मंत्री का रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयान का सही तरीके से अध्ययन करें. यह पता लगता है कि उन्होंने धार्मिक ग्रंथ का अपमान ही नहीं किया है. बल्कि उन्होंने रामचरितमानस के एक दोहे के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि आदि काल से ही पिछड़ों को दबाने की कोशिश की जाती रही है. उन्होंने अपने बयान से पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित, महादलित को यह संदेश देने की कोशिश की है.

सामंतवादी सोच वाले शुरू से ही कमजोर वर्ग का दमन करते रहे हैं. यानी राष्ट्रीय जनता दल की ओर से 2024 लोकसभा चुनाव को भी बैकवर्ड-फॉरवर्ड की लड़ाई में बदलना चाहती है. उत्तरप्रदेश के समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का भी उद्देश्य वही है. राष्ट्रीय जनता दल के एक नेता ने जहां रामचरितमानस के जरिए पिछड़ा-अति पिछड़ा और दलित को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. वहीं दूसरी तरफ आरजेडी के ही एक दूसरे नेता बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर अगड़ों को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने पर सवाल उठाया है.

नीतीश कुमार के मंत्री और आरजेडी के नेता आलोक मेहता ने तो फॉरवर्ड जाति को 10 फीसदी का आरक्षण देने वालों को अंग्रेजों का गुलाम तक बता दिया. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की गुलामी करने वालों ने ही यह व्यवस्था लागू की है. इसके अलावा उन्होंने मंदिर में पूजा किए जाने पर भी टिप्पणी करते हुए भाजपा को घेरने की कोशिश की है. इस पूरे मसले पर भाजपा के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म ग्रंथ पर विवादित टिप्पणी, भारतीय सेना को लेकर विवादित बयान और समाज को बांटने की विपक्षी कोशिश कामयाब नहीं होगी.

बिहार के साथ-साथ देश की जनता काफी समझदार है. विकसित हो रहे भारत में दूर-दराज के गांव में भी इंटरनेट का साधन उपलब्ध है. प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि अब वह दिन बीत गए जब नेता झूठे बयान देकर देश की जनता को बरगला देते थे. और देश की जनता भी नेताओं के झूठी बातों को सुनकर भ्रमित हो जाती थी. लेकिन नए भारत की जनता इंटरनेट के माध्यम से नेताओं की ओर से कही गई बात की सच्चाई जान लेती है. इसलिए इस बार विपक्ष का कोई भी झूठा फंडा देश की जनता को भ्रमित नहीं कर सकता.

प्रेम जी पटेल ने कहा कि देश में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी की सरकार प्रचंड बहुमत के साथ बनने जा रही है. बिहार में भी भाजपा कम से कम 36 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करेगी.देखा जाय तो जैसे ही मामला जाति से निकलकर धर्म तक पहुंचता है, फायदे में भाजपा आने लगती है. वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले ऐसे बयानों से अलग राजनीतिक माहौल बनने की संभावना दिखने लगी है. भाजपा फायदे वाले मुद्दों को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी. रामचरितमानस पर दिए गए बयान को भाजपा की ओर से तुष्टीकरण की राजनीति के रूप में पेश किया जाना शुरू कर दिया गया है.

हालांकि, सपा नेता शिवपाल यादव ने इस पूरे बयान से पार्टी को अलग कर लिया है. उन्होंने कहा है कि हम राम और कृष्ण के आदर्श पर चलने वाले लोग हैं . परन्तु यह कोई अनायास दिया गया बयान नहीं दिख रहा है. यह सुविचारित है और योजना के तहत इसे मुद्दा बनाया गया है. मंडल की राजनीति करने वाली बिहार की दोनों सत्तारूढ़ पार्टियां और उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी को हिंदुत्व और मंदिर के मुद्दे की काट जाति की आक्रामक राजनीति में दिख रही है. जाति की राजनीति के साथ साथ इन पार्टियों ने भगवान राम, अयोध्या और मंदिर राजनीति के मूल स्रोत यानी रामचरित मानस को ही प्रदूषित करना शुरू कर दिया है.

ये पार्टियां दलितों, पिछड़ों के दिमाग में यह बात बैठा रही हैं कि मानस सवर्णों का ग्रंथ है और दलित, पिछड़ा विरोधी है. ‘माय’ समीकरण को साधने के लिए बिहार की राजद और उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के स्तर पर प्रयास किए जाने की बात कही जा रही है. ऐसे में अखिलेश यादव की चुनौती बड़ी हो गई है. वे मुस्लिम वोट बैंक को साधकर हिंदू वोट बैंक के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश करते दिख रहे हैं. अब स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद एकजुट होते हिंदू वोट बैंक को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कैसे करते हैं, देखना दिलचस्प होगा. अगर ऐक्शन नहीं होता है तो इस पर भाजपा की राजनीति गरमाने की आशंका है.

भले ही इस समय शीर्ष नेता टाल मटौल वाले बयान दे रहे है पर श्रीरामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी का विरोध समाजवादी पार्टी में भी हो रहा है. भले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष मामले को उठाया गया है. उनके स्तर पर मामला संज्ञान में लिए जाने की बात कही गई है, पर वे किंकर्त्तव्य-विमूढ़ दिखाई दे रहे है . विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि श्रीरामचरितमानस एक ऐसा ग्रंथ है, जिसे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग पढ़ते हैं. इसका अनुसरण करते हैं.

रायबरेली के ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय ने कहा कि श्रीरामचरितमानस हमें नैतिक मूल्यों और भाइयों, माता-पिता, परिवार और अन्य लोगों के साथ संबंधों के महत्व को सिखाती है. हम न केवल रामचरितमानस बल्कि बाइबिल, कुरान और गुरुग्रंथ साहिब का भी सम्मान करते हैं. वे सभी हमें सबको साथ लेकर चलना सिखाते हैं. शुरुआत से लेकर अभी तक स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी बात पर अडिग हैं… रामचरित मानस हिंदूओं का पवित्र ग्रंथ नहीं है… इसपर बैन लगा देना चाहिए…

ऐसा कह कर स्वामी ने सोचा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से शाबसी मिलेगी… इनाम इकराम देंगे… तोहफा देंगे…लेकिन अब संकेत मिलने लगे स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में किनारा होंगे… क्योंकि अखिलेश नाराज है… नाराज है सपा की महिला ब्रिगेड… स्वामी के खिलाफ सपा की ओर से आवाज उठने लगी है… सपा की वरिष्ठ नेता रोली तिवारी मिश्रा की स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आवाज बुलंद की है… ट्विटर कर लिखा… मौर्या बोल रहे हैं श्रीरामचरितमानस स्त्री शिक्षाविरोधी है और भारत में स्त्रियों को पढ़ने का अधिकार अंग्रेजों ने दिया.

अपाला,गार्गी,मैत्रेयी,लोपामुद्रा,विश्वारा (ब्रह्मवादिनी मन्त्रद्रष्ट्री )घोषा,शाश्वती, इन्द्राणी,सिकता,निवावरी आदि स्त्रियाँ कौन थीं? ज्ञान की माँ सरस्वती कौन हैं?मौर्या जी ने जो बयान दिया वो भी इतना अज्ञानतापूर्ण ?उनको ये नहीं पता कि प्राचीन भारत की स्त्रियों ने वेदों/स्त्रोतों रचना में अपना योगदान दिया है?श्रीरामचरितमानस अलग है और रामायण अलग ये अंतर तक नहीं पता?उनको ये तक नहीं पता कि रामायण के रचियता महर्षि बाल्मीकि जी थे वो किस जाति से थे?

तुलसीदासजी की श्रीरामचरितमानस को पढ़ने से पहले कितने लोग शबरी,केवट,शिवराम धोबी,वनवासियों को जानते थे ?मौर्य जी ये तुलसीदासजी ही हैं जिन्होंने बताया कि किस तरह एक राजा ने अपने राज्य में मल्लाह,दलित,पिछड़ों,आदिवासियों को सम्मान और सुरक्षा देकर समाजवाद की स्थापना की. सनातन धर्म अक्षुण्ण है अक्षय है अविनाशी है अविनश्वर है अनन्त है इसके सत्यानाश की कल्पना करने वालों के सर्वनाश हो गये हैं आप दल बदलते रहते हैं पहले जनता दल,फिर बसपा,फिर भाजपा,फिर सपा आप तो फायदा देखकर निकल लेंगे पर हम लोगों का सत्यानाश ज़रूर करवा देंगे .

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲