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राम जेठमलानी उनके भी वकील थे, जिनके खिलाफ पूरा समाज था

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 08 सितम्बर, 2019 03:23 PM
  • 08 सितम्बर, 2019 03:23 PM
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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जहां पूरे देश में कोई भी वकील आरोपी सतवंत सिंह और केहर सिंह के लिए पैरवी करने को तैयार नहीं था, तब जेठमलानी ने आगे बढ़कर इस केस को भी हाथ में ले लिया.

देश के महान वकील राम जेठमलानी का 95 साल की उम्र में निधन हो गया है. वह काफी समय से बीमार थे. पिछले सप्ताह भर से तो वह अपने बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहे थे. अपनी बीमारी की वजह से ही वह बेहद कमजोर भी हो गए थे. उनकी मौत के बाद पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक ने दुख व्यक्त किया है. जिसे भी उनकी मौत की खबर मिल रही है वह दुखी हो रहा है. राम जेठमलानी का व्यक्तित्व ही ऐसा था. वह इतना बेहतरीन वकील थे कि सभी उनका लोहा मानते थे. क्या निर्दोष और क्या दोषी, वो किसी भी केस में हाथ डालने से नहीं डरते थे. जहां एक ओर वह अमित शाह का केस लड़ चुके थे, तो वहीं दूसरी ओर केजरीवाल के तरफ से अरुण जेटली तक के खिलाफ पैरवी करते दिखे थे. अपने पेशे में वह कोई भेदभाव नहीं करते थे. जो भी उनकी मदद मांगता था, वह उसका केस लड़ने पहुंच जाते थे, भले ही वह किसी भी पार्टी का हो, दोषी हो या निर्दोष हो. यही बातें राम जेठमलानी को अन्य वकीलों से अलग बनाती हैं. हालांकि, वह बहुत ही महंगे वकील थे. हर दिन का वह करोड़ रुपए तक भी चार्ज करते थे.

महज 17 साल की उम्र में वकालत की डिग्री लेने वाले राम जेठमलानी अपने पहले ही केस से चर्चित हो गए थे.

17 साल के वकील पहले केस से हुए थे फेमस

अक्षय कुमार की फिल्म रुस्तम को आपने देखी ही होगी. कम से कम उसके बारे में तो जरूर सुना होगा. ये फिल्म जिस केस से प्रेरित होकर बनी है, उसे राम जेठमलानी ने ही लड़ा था. महज 17 साल की उम्र में वकालत की डिग्री लेने वाले राम जेठमलानी अपने पहले ही केस से चर्चित हो गए थे, जो उन्होंने 1959 में लड़ा था. ये केस था नानावती बनाम महाराष्ट्र सरकार का. ये केस उन्होंने यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के साथ लड़ा था, जो बाद में देश के चीफ जस्टिस भी बने थे.

'स्मगलरों के वकील' कहने लगे थे लोग

जैसा कि ये पहले...

देश के महान वकील राम जेठमलानी का 95 साल की उम्र में निधन हो गया है. वह काफी समय से बीमार थे. पिछले सप्ताह भर से तो वह अपने बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहे थे. अपनी बीमारी की वजह से ही वह बेहद कमजोर भी हो गए थे. उनकी मौत के बाद पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक ने दुख व्यक्त किया है. जिसे भी उनकी मौत की खबर मिल रही है वह दुखी हो रहा है. राम जेठमलानी का व्यक्तित्व ही ऐसा था. वह इतना बेहतरीन वकील थे कि सभी उनका लोहा मानते थे. क्या निर्दोष और क्या दोषी, वो किसी भी केस में हाथ डालने से नहीं डरते थे. जहां एक ओर वह अमित शाह का केस लड़ चुके थे, तो वहीं दूसरी ओर केजरीवाल के तरफ से अरुण जेटली तक के खिलाफ पैरवी करते दिखे थे. अपने पेशे में वह कोई भेदभाव नहीं करते थे. जो भी उनकी मदद मांगता था, वह उसका केस लड़ने पहुंच जाते थे, भले ही वह किसी भी पार्टी का हो, दोषी हो या निर्दोष हो. यही बातें राम जेठमलानी को अन्य वकीलों से अलग बनाती हैं. हालांकि, वह बहुत ही महंगे वकील थे. हर दिन का वह करोड़ रुपए तक भी चार्ज करते थे.

महज 17 साल की उम्र में वकालत की डिग्री लेने वाले राम जेठमलानी अपने पहले ही केस से चर्चित हो गए थे.

17 साल के वकील पहले केस से हुए थे फेमस

अक्षय कुमार की फिल्म रुस्तम को आपने देखी ही होगी. कम से कम उसके बारे में तो जरूर सुना होगा. ये फिल्म जिस केस से प्रेरित होकर बनी है, उसे राम जेठमलानी ने ही लड़ा था. महज 17 साल की उम्र में वकालत की डिग्री लेने वाले राम जेठमलानी अपने पहले ही केस से चर्चित हो गए थे, जो उन्होंने 1959 में लड़ा था. ये केस था नानावती बनाम महाराष्ट्र सरकार का. ये केस उन्होंने यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के साथ लड़ा था, जो बाद में देश के चीफ जस्टिस भी बने थे.

'स्मगलरों के वकील' कहने लगे थे लोग

जैसा कि ये पहले ही साफ हो गया है कि वह केस लड़ने में कोई भेदभाव नहीं करते थे, ना राजनीति के लेवल पर, ना ही कानून के. यही वजह है कि वह दिल्ली और मुंबई की अदालतों में कई स्मगलरों के केस की भी पैरवी कर चुके हैं. अधिकतर मामलों में जेठमलानी ने अपने क्लाइंट्स को जीत भी दिलाई. 70-80 के दशक में तो उन्हें 'स्मगलरों का वकील' भी कहा जाने लगा था. उन्होंने 1960 के दशक में मुंबई के मशहूर डॉन हाजी मस्तान के भी स्मगलिंग से जुड़े कई केस लड़े थे.

हाई प्रोफाइल केसों से मीडिया में छा गए

- 1999 में हुई जेसिका लाल की हत्या के आरोपी मनु शर्मा को भी जेठमलानी का साथ मिला. वह मनु शर्मा की तरफ से कोर्ट में पैरवी करते दिखे. मीडिया के जरिए जब देश-दुनिया को ये बात पता चली तो उनकी आलोचना भी खूब हुई, लेकिन उन्होंने सुर्खियां भी खूब बटोरीं.

- भाजपा की ओर से कांग्रेस पर 2जी घोटाले के खूब आरोप लगे. कई लोगों की गर्दन इसमें फंसी. 2जी घोटाले में ही डीएमके नेता कनिमोझी पर भी आरोप लगे ते, जिनकी तरफ से राम जेठमलानी अदालत में उनकी पैरवी करने पहुंचे थे.

- 2जी घोटाले में ही यूनीटेक लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय चंद्रा को भी राम जेठमलानी से सुप्रीम कोर्ट से जमानत दिलाने में मदद की.

- इतना ही नहीं, शेयर बाजार के दलाल हर्षद मेहता और केतन पारेख जैसे लोगों के बचाव में भी राम जेठमलानी ने अदालत में पैरवी की.

- चारा घोटाले में उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के लिए भी 2013 में पैरवी की थी.

- राम जेठमलानी की सबसे अधिक आलोचना 2013 में हुई थी, जब उन्होंने नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोपी आसाराम बापू की तरफ से केस लड़ा था.

राजनीति और वकालत को कभी मिक्स नहीं किया

राम जेठमलानी ने भले ही अपने करियर की शुरुआत वकालत से की, लेकिन उनका सफर सियासी गलियारे से भी गुजरा. हालांकि, उन्होंने कभी राजनीति और वकालत को मिक्स नहीं होने दिया. केस लड़ने के मामले में उन्होंने कभी किसी दल या संगठन का केस लड़ने में भेदभाव नहीं किया. अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने सीपीआई के विधायक कृष्णा देसाई की हत्या के मामले में शिवसेना की तरफ से पैरवी की. राम जेठमलानी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कानून मंत्री भी रह चुके हैं, हालांकि बाद में उन्होंने कई बीजेपी नेताओं के खिलाफ भी मुकदमा लड़ा था. यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जहां पूरे देश में कोई भी वकील आरोपी सतवंत सिंह और केहर सिंह के लिए पैरवी करने को तैयार नहीं था, तब जेठमलानी ने आगे बढ़कर इस केस को भी हाथ में ले लिया.

अरुण जेटली के ही खिलाफ खड़े हो गए थे

अरविंद केजरीवाल ने अरुण जेटली पर आरोप लगाया था कि जब जेटली दिल्ली क्रिकेट बॉडी के प्रमुख थे तब उन्होंने और उनके परिवार ने भ्रष्टाचार किया था. इसे लेकर जेटली ने केजरीवाल पर 10 करोड़ रुपए का मानहानि का मुकदमा भी दायर कर दिया था. इस मामले में राम जेठमलानी ने केजरीवाल की तरफ से मामले की पैरवी की थी. हालांकि, कुछ समय बाद किसी अनबन के चलते जेठमलानी ने ही कहा था कि वह अब दोबारा कभी केजरीवाल की तरफ से केस नहीं लड़ेंगे.

मोदी-शाह के करीबी, तो कभी विरोधी

राम जेठमलानी हमेशा नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने के पक्षधर रहे. ये भी सच है कि कुछ समय बाद उन्होंने ही कहा था कि उन्होंने पीएम मोदी का साथ देकर गलत किया और वह अपने फैसले को लेकर गिल्टी महसूस करते हैं. जेठमलानी ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में अमित शाह की तरफ से भी पैरवी की थी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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