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भाजपा के गुमनाम सैनिक हैं राजनाथ सिंह

    • गुंजा कपूर
    • Updated: 04 जून, 2018 10:06 PM
  • 04 जून, 2018 10:06 PM
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ये राजनाथ सिंह की बड़ाई लगेगी, लेकिन कुछ सच्चाइयां हैं जिनसे इनकार नहीं किया जा सकता है. खासतौर पर कश्‍मीर और माओवाद की समस्‍या से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने राजनाथ के नेतृत्‍व में जिस धैर्य का परिचय दिया है.

प्यारे राजनाथ जी,

उत्तर प्रदेश के ऐसे शिक्षा मंत्री जिसने राजनीतिक तौर पर रिस्की माने जाने वाले नकल विरोधी कानून को 1992 में लागू किया. और फिर ऐसे गृह मंत्री जिन्‍होंने माओवादियों पर लगाम लगा दी, तक के अपने चार दशकों के राजनीतिक सफर में आपने कार्यान्वन, विचारधारा और मर्यादा को अपना मूल मंत्र बनाया है.

डिलिवरी और परफॉर्मेंस भरा गवर्नेंस :

मायने ये नहीं रखता कि आप किस पद पर हैं, बल्कि अपने पद पर रहते हुए आम काम क्या करते हैं ये मायने रखता है. 2008 में 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों से पूरे देश को झटका लगा था. 2007 के बाद भारतीय सरज़मी पर आतंकवादी हमलों में तेजी से उछाल आया था. 2008 में हमलों में 250 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 2009 में 30 प्रतिशत की. आतंकी हमलों में वृद्धि की घटनाएं 2015 में 3 प्रतिशत और 2016 में 5 प्रतिशत तक पहुंच गई. जाहिर है, हमलों और हताहत होने की संख्या में महत्वपूर्ण स्थिरता रही है.

2016 में जम्मू-कश्मीर में हमलों में 93 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जब मैंने सुना कि कश्मीर में स्कूल जाने वाली लड़कियों का सिस्टम पर से भरोसा खत्म हो गया है तो मैं हिल गई थी. उन्होंने स्कूल की वर्दी पहनी और किताबों के बदले हाथों में पत्थर उठा रखे थे. इस खबर ने मुझे अंदर तक हिलाकर रख दिया, क्योंकि शिक्षा सामाजिक प्रगति का रास्ता है. मैं उनके भविष्य का सोचकर डर गई.

मेरा डर तब कुछ कम हुआ जब आपने जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री से पहली बार अपराध करने वाले किशोर युवाओं को क्षमा करने का आग्रह किया. अब बारबार कश्मीर दौरे पर गए. यहां तक की कश्मीरियों के साथ बातचीत करके हल निकालने और शांति स्थापित करने के मकसद से आपने इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व प्रमुख, दिनेश्वर शर्मा को भी नियुक्ति किया. ये घाटी में शांति और अमन चैन लाने के लिए अच्छा कदम...

प्यारे राजनाथ जी,

उत्तर प्रदेश के ऐसे शिक्षा मंत्री जिसने राजनीतिक तौर पर रिस्की माने जाने वाले नकल विरोधी कानून को 1992 में लागू किया. और फिर ऐसे गृह मंत्री जिन्‍होंने माओवादियों पर लगाम लगा दी, तक के अपने चार दशकों के राजनीतिक सफर में आपने कार्यान्वन, विचारधारा और मर्यादा को अपना मूल मंत्र बनाया है.

डिलिवरी और परफॉर्मेंस भरा गवर्नेंस :

मायने ये नहीं रखता कि आप किस पद पर हैं, बल्कि अपने पद पर रहते हुए आम काम क्या करते हैं ये मायने रखता है. 2008 में 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों से पूरे देश को झटका लगा था. 2007 के बाद भारतीय सरज़मी पर आतंकवादी हमलों में तेजी से उछाल आया था. 2008 में हमलों में 250 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 2009 में 30 प्रतिशत की. आतंकी हमलों में वृद्धि की घटनाएं 2015 में 3 प्रतिशत और 2016 में 5 प्रतिशत तक पहुंच गई. जाहिर है, हमलों और हताहत होने की संख्या में महत्वपूर्ण स्थिरता रही है.

2016 में जम्मू-कश्मीर में हमलों में 93 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जब मैंने सुना कि कश्मीर में स्कूल जाने वाली लड़कियों का सिस्टम पर से भरोसा खत्म हो गया है तो मैं हिल गई थी. उन्होंने स्कूल की वर्दी पहनी और किताबों के बदले हाथों में पत्थर उठा रखे थे. इस खबर ने मुझे अंदर तक हिलाकर रख दिया, क्योंकि शिक्षा सामाजिक प्रगति का रास्ता है. मैं उनके भविष्य का सोचकर डर गई.

मेरा डर तब कुछ कम हुआ जब आपने जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री से पहली बार अपराध करने वाले किशोर युवाओं को क्षमा करने का आग्रह किया. अब बारबार कश्मीर दौरे पर गए. यहां तक की कश्मीरियों के साथ बातचीत करके हल निकालने और शांति स्थापित करने के मकसद से आपने इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व प्रमुख, दिनेश्वर शर्मा को भी नियुक्ति किया. ये घाटी में शांति और अमन चैन लाने के लिए अच्छा कदम था. एफसीआरए नियमों के उल्लंघन के लिए 2017 में 4,842 गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए थे.

एक ऑनलाइन एनालिटिकल टूल लॉन्च करके देश में विदेशी धन के प्रवाह की निगरानी करने की नीति नीतिनिर्माताओं को भारतीय जमीन से पैसों की हेराफेरी पर लगाम लगाने में मदद करेगी.

रमजान के दौरान जम्मू-कश्मीर में युद्धविराम लगाना एक बहुत ही साहसी निर्णय है. दुर्भाग्य ये है कि जो लोग धर्म में विश्वास करते हैं वे हिंसा का सहारा नहीं लेंगे और जो विद्रोही हैं उन्हें खूनखराबा करने से रमजान का पाक मौका भी नहीं रोक पाएगा. हमें पश्चिम बंगाल से सटी अपनी सीमाओं को सील करने की जरूरत है ताकि इस क्षेत्र में घुसपैठ बंद हो सके. मुझे यकीन है कि हम चरमपंथियों को गिरफ्तार कर लेंगे और पुलिस बल के आधुनिकीकरण के तहत किए गए सुधारों के जरिए नागरिकों और पुलिसकर्मियों की मौत को कम करेंगे.

सिर्फ वाजपेयी पर आश्रित या मोदी के सहयोगी नहीं-

आज, भारतीय राजनीति बिल्कुल बदल रही है. ऐसे में आपका स्वभाव हमें वाजपेयी के समय की याद दिलाता है, जहां युद्ध के लिए कोई जगह नहीं थी. ये हिम्मत सिर्फ वाजपेयी का छात्र में ही हो सकती है जो ये साफ स्वीकार करे कि भारत में राजनेता मतदाताओं के भीतर "विश्वसनीयता का संकट" से पीड़ित हैं. और इसके लिए दोषी कोई और नहीं बल्कि वो खुद हैं.

हालांकि, लोगों ने निष्कर्ष निकाला है कि आप पार्टी के इतिहास या वर्तमान नेतृत्व से अपनी पहचान प्राप्त करते हैं. लेकिन ये बताना जरूरी है कि आप राजनीति में अखंडता को व्यक्त करते हैं.

मुझे याद है दो महीने पहले एक मीडिया कॉन्क्लेव में आपसे तीन सवाल पूछे गए थे और उन सभी सवालों पर आपका जवाब व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए एक भावुक करने वाला पल था.

नेता जो और से अलग है

छात्र राजनेताओं को आगे बढ़ाएं, उन्हें राजनीतिक न बनाएं: यह सुनिश्चित करना हर राजनीतिज्ञ/ राजनीतिक पार्टी की ज़िम्मेदारी है कि शिक्षा का राजनीतिकरण न हो. हालांकि, छात्र राजनेता समाज के लिए उपद्रव नहीं हैं. एक छात्र नेता होने के नाते, मंत्री ने खुद छात्र संघों की जरुरत को समझाया और ये बताया कि इनके माध्यम से कैसे युवा नेतृत्व कौशल हासिल करते हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों की सराहना करते हैं.

संसद में बहस करिए, विरोध नहीं: संसद की गतिविधियों को रोकना, मतदाताओं का मजाक बनाना है. क्योंकि लोगों ने प्रतिनिधियों को संसद में उनकी आवाज बनाकर भेजा है. और ये उनकी जिम्मेदारी भी है.

शासन की जगह सत्ता: नकल विरोधी अधिनियम, 1992 के राजनीतिक असर के बारे में अच्छी तरह से जानते हुए भी आपने आगे बढ़कर इसे लागू किया. लोकप्रिय राजनीति पर सुशासन को प्राथमिकता देना आत्मनिर्भर राजनेता का संकेत है.

परामर्श और सहयोग की राजनीति

राष्ट्र निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है जो दशकों तक चलती है. सच्चाई ये है कि भारत को जो वैश्विक पहचान और प्रशंसा मिली है वो कई सरकारों, किसानों, सैनिकों, वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों और भारत के लोगों के अथक प्रयासों का नतीजा है. खुद के पहले देश को रखकर पार्टी, विचारधारा और समाज को रखकर आपने सम्मान अर्जित किया है.

जब आपने 2013 में आपने दूसरी बार पार्टी की ज़िम्मेदारी संभाली थी तो पार्टी एक नाजुक मोड़ पर थी. आपके विलक्षण संगठनात्मक कौशल और दशकों के अनुभव ने सुनिश्चित किया कि पार्टी की आंतरिक राजनीति से छवि को कोई नुकसान न हो. साथ ही आपने परेशान नेताओं को अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ हैंडल किया. पार्टी ने एक अपरिवर्तनीय चुनाव अभियान तैयार किया जो तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और "सबका साथ सबका विकास" के आसपास ही घूमता रहा.

कोई भी इस सच्चाई से इनकार नहीं कर सकता है कि यह आपका ही नेतृत्व था जिसने 2014 के चुनावों में पार्टी को बहुमत दिलाया और भारत को स्थिर सरकार दी. 2014 में आम चुनावों में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण और अनिवार्य थी. केंद्रीय मंत्री के रूप में नक्सलबाड़ियों के लिए आपके काम हमेशा याद रखे जाएंगे जो आज हिंसा का रास्ता छोड़ शांति की राह अपना रहे हैं.

हम एक शांतिपूर्ण भविष्य की उम्मीद करते हैं जहां राम राज्य सही अर्थों में नजर आएगा.

(DailyO से साभार)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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