• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

आखिर अबतक राष्ट्रीय स्मारक क्यों नहीं बन पाया मानगढ़ धाम?

    • रमेश सर्राफ धमोरा
    • Updated: 11 नवम्बर, 2022 08:09 PM
  • 11 नवम्बर, 2022 08:09 PM
offline
मानगढ़ धाम राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के एक पहाड़ी क्षेत्र पर स्थित है. इसका 80 प्रतिशत भाग राजस्थान में वह 20 प्रतिशत भाग गुजरात की सीमा में स्थित है. इस क्षेत्र में राजस्थान, गुजरात व मध्यप्रदेश की सीमा लगती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नवंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित आदिवासियों के सबसे बड़े तीर्थस्थल मानगढ़ धाम की यात्रा की थी. प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से इस क्षेत्र को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किए जाने की आस जगी थी. मगर प्रधानमंत्री द्वारा उस संबंध में कोई घोषणा नहीं किए जाने के कारण लोगों में निराशा व्याप्त हो रही है. प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाने की मांग भी की थी. मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किए जाने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानगढ़ धाम की यात्रा के दौरान इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर देंगे. लेकिन उनकी यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी. उन्होंने कहा कि शायद प्रधानमंत्री मोदी को यह लगा होगा कि इस मामले में राजनीति हो रही है इसलिए थोड़ा रुका जाए. हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत ने विश्वास जताया है कि मानगढ़ धाम आज नहीं तो कल राष्ट्रीय स्मारक घोषित होकर रहेगा. उन्होंने कहा कि लगता है प्रधानमंत्री से हमने कुछ ज्यादा मांग कर ली हो.

बताया जाता है कि मानगढ़ धाम का क्षेत्र भील आदिवासी बहुल क्षेत्र है

मानगढ़ धाम राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के एक पहाड़ी क्षेत्र पर स्थित है. इसका 80 प्रतिशत भाग राजस्थान में वह 20 प्रतिशत भाग गुजरात की सीमा में स्थित है. इस क्षेत्र में राजस्थान, गुजरात व मध्यप्रदेश की सीमा लगती है. मानगढ़ धाम का क्षेत्र भील आदिवासी बहुल क्षेत्र है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 साल बाद मानगढ़ धाम की यात्रा की है. गुजरात विधानसभा के आगामी चुनाव को देखते हुए मोदी की मानगढ़ धाम यात्रा के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.

इस क्षेत्र में 3 प्रदेशों की 99 विधानसभा सीटों आती है. जिनमें राजस्थान की करीबन 25 सीटें गुजरात की करीबन 27 सीट एवं मध्य प्रदेश की करीबन 47 सीट शामिल है. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान गुजरात क्षेत्र से राजस्थान में प्रवेश किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद अगले साल राजस्थान व मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव होने हैं. आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में अधिकतर कांग्रेस पार्टी का ही अधिक प्रभाव रहता आया है.

इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐन चुनावी माहौल में मानगढ़ धाम की यात्रा की है.प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम के दौरान मंच पर गुजरात के बड़े आदिवासी नेता व मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, सांसद कनक मल कटारा, मानगढ़ धाम के विकास से जुड़े महेश शर्मा, मानगढ़ धाम के महंत सहित कुल बारह लोग मंच पर उपस्थित थे.

मानगढ़ धाम में प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा शासित गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जो मध्य प्रदेश के मांडला से सांसद है. उनको विशेष रूप से कार्यक्रम में शामिल करवा कर एक संदेश देने का प्रयास किया कि केंद्र सरकार आदिवासियों के विकास के लिए सतत प्रयत्नशील है.

मानगढ़ धाम में उपस्थित आदिवासी जनसमुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मानगढ़ धाम की एक नई तस्वीर बनाने के लिए राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र को जिम्मेदारी सौंपते हुए कहा कि चारों राज्य मिलकर विस्तृत चर्चा करें और एक रोड मैप बनाए ताकि मानगढ़ धाम में गोविंद गुरु की कर्म स्थली की भी दुनिया में बड़ी पहचान बने. उन्होंने कहा कि वह विश्वास दिलाते हैं कि जितनी जल्दी, जितना ज्यादा क्षेत्र निर्धारित करेंगे सब मिलकर भारत सरकार के नेतृत्व में क्षेत्र का और विकास कर सकते हैं.

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आप चाहे इससे राष्ट्रीय स्मारक का नाम दें या अन्य कुछ कहें लेकिन मैं चाहता हूं कि केंद्र सरकार व चारों प्रदेश मिलकर मानगढ़ धाम का चहुमुखी विकास करें. जिससे इस धाम को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके और क्षेत्र का समुचित विकास हो. हालांकि मानगढ़ धाम आने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान, गुजरात व मध्यप्रदेश के मुख्य सचिवों से स्वयं विस्तृत चर्चा की थी और यहां के बारे में फीडबैक लिया था.

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय भी मानगढ़ धाम के बारे में विस्तृत जानकारियां एकत्रित कर रहा है. इससे लगता है कि मानगढ़ धाम के विकास को लेकर प्रधानमंत्री के मन में अवश्य ही कुछ चल रहा है. लेकिन उन्होंने अपनी बात को अभी प्रकट नहीं किया है. हो सकता है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंच पर मौजूद होने के कारण प्रधानमंत्री ने किसी तरह की घोषणा नहीं की हो. लेकिन मानगढ़ धाम के विकास से जुड़े महेश शर्मा का मानना है कि आने वाले समय में शीघ्र ही केंद्र सरकार के सहयोग से मानगढ़ धाम का भव्य रूप सबके सामने होगा.

17 नवंबर 1913 को मानगढ़ में भील समुदाय के पंद्रह सौ लोगों पर अंग्रेज सरकार ने गोलियां चला कर मार दिया था. इतिहास में इससे मानगढ़ नरसंहार कहते हैं. लोगों का मानना है कि यह घटना जलियांवाला बाग से भी कहीं बड़ी घटना थी. मगर भील आदिवासियों को मारे जाने के कारण इसकी ज्यादा चर्चा नहीं हो पाई. इसमें बलिदान होने वाले लोग निर्धन बनवासी थे जिनका सामाजिक रूप से उस समय ज्यादा प्रभाव नहीं था. मानगढ़ धाम के आसपास गुजरात के छह जिलों बनासकांठा, अंबाजी, दाहोद, पंचमहल, छोटा उदयपुर और नर्मदा में आदिवासियों की संख्या सबसे ज्यादा है.

गुजरात की कुल जनसंख्या का 15 फीसदी आदिवासी है. वहां 182 विधानसभा सीटों में से 27 सीटों पर आदिवासी आबादी निर्णायक स्थिति में है. इसमें भी भील समुदाय की आबादी अधिक है. 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की 27 सीटों में से भाजपा को सिर्फ 9 सीटें और कांग्रेस को 14 सीटें मिली थी. वही दो सीटें भारतीय ट्राइबल पार्टी ने जीती थी. 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने 16 सीटें जीती थी.

2007 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने 14 सीटें जीती थी. कांग्रेस के प्रभाव को कम करने के लिए ही प्रधानमंत्री ने एन चुनावों के वक्त इस क्षेत्र का दौरा किया है. मानगढ़ धाम से मध्य प्रदेश के नीमच, मंदसौर, रतलाम, जावरा, झाबुआ, उज्जैन, आगर, धार, अलीराजापुर, बढ़वानी जिले लगते हुये हैं. इन जिलों में रहने वाले लोगों की मानगढ़ धाम से गहरी आस्था जुड़ी हुयी है. राजस्थान का तो पूरा आदिवासी क्षेत्र ही मानगढ़ धाम के प्रति आस्थावान रहता है.

केंद्र सरकार को किसी भी तरह की राजनीति में नहीं पड़कर शीघ्रता से मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर देना चाहिए. ताकि देश के लिए बलिदान होने वाले बहादुर आदिवासी भीलो के इतिहास के बारे में देश-दुनिया जान सके. राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने से यह क्षेत्र देश का एक बड़ा पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित होगा. जिससे इस क्षेत्र के लोगों को अधिक मात्रा में रोजगार उपलब्ध हो सकेगा. उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी. केंद्र व राज्य सरकारों को आपसी मतभेद भुलाकर एकजुटता से क्षेत्र का विकास करना चाहिए. ताकि आने वाला समय भील समुदाय के लिए नई सौगातें लेकर आए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲