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Citizenship Amendment Bill को 'कुछ शब्दों' में समेटना राहुल की गंभीरता दर्शाता है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 10 दिसम्बर, 2019 10:22 PM
  • 10 दिसम्बर, 2019 10:21 PM
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Citizenship Amendment Bill, 2019 पर चाहे संसद रही हो या फिर ट्विटर, Rahul Gandhi ने अपनी चुप्पी और ढीले ढाले रवैये से इस बात की पुष्टि कर दी है कि अब वो दौर आ गया है जब राहुल को राजनीति से संन्यास लेकर राजनीति से दूरी बना लेनी चाहिए.

मोदी सरकार द्वारा ले गए नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) पर सियासी घमासान मचा हुआ है. एक तरफ जहां पूरा देश इस मामले पर देश की सरकार के साथ खड़ा है. तो वहीं बात अगर विपक्ष (Opposition on CAB) की हो तो इस बिल के कारण सरकार, विपक्ष से दो दो हाथ कर रही है. मुद्दा मोदी सरकार (Modi Government) है. बात विपक्ष की है. स्थिति जब ऐसी हो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का जिक्र जरूर होगा. 2019 के आम चुनाव से पहले के समय का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि ऐसे तमाम मौके आए थे जब कांग्रेस को लगा कि अपनी बातों से राहुल गांधी ने मोदी सरकार की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा दिया. चुनाव हुए. परिणाम आए. कांग्रेस और राहुल गांधी दोनों को इस देश की जनता ने पूरी तरह से खारिज कर दिया. बात मोदी 2.0 की हो और उसमें जिक्र राहुल गांधी (Rahul Gandhi On Citizenship Amendment Bill 2019) का हो तो बतौर विपक्ष उनकी भूमिका उतनी ही जितना दाल में नमक. चाहे नागरिकता संशोधन बिल हो या फिर एनआरसी और जम्मू कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए हटाए जाने का फैसला रहा हो. बतौर प्रमुख विपक्ष इन मुद्दों पर जैसा रुख राहुल गांधी का रहा, अपने आप साफ़ हो जाता है कि वो एक खानापूर्ति से ज्यादा और कुछ नहीं कर रहे हैं.

नागरिकता संशोधन बिल पर राहुल गांधी की चुप्पी ने उनकी राजनितिक समझ का परिचय दे दिया है

बात नागरिकता संशोधन बिल और राहुल गांधी की चल रही है. देश की जनता को उम्मीद थी कि राहुल आएंगे और इस मुद्दे को एक बड़ा मुद्दा बनाते हुए संसद में अपने मन की बात करेंगे. लेकिन इस पूरे मामले पर जैसा रवैया राहुल गांधी का रहा और जो उनकी चुप्पी थी उसने तमाम सवालों के जवाब दे दिए. राहुल गांधी को देखकर महसूस हुआ कि वो संसद बस इसलिए आए हैं ताकि वो देश के अन्य सांसदों को...

मोदी सरकार द्वारा ले गए नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) पर सियासी घमासान मचा हुआ है. एक तरफ जहां पूरा देश इस मामले पर देश की सरकार के साथ खड़ा है. तो वहीं बात अगर विपक्ष (Opposition on CAB) की हो तो इस बिल के कारण सरकार, विपक्ष से दो दो हाथ कर रही है. मुद्दा मोदी सरकार (Modi Government) है. बात विपक्ष की है. स्थिति जब ऐसी हो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का जिक्र जरूर होगा. 2019 के आम चुनाव से पहले के समय का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि ऐसे तमाम मौके आए थे जब कांग्रेस को लगा कि अपनी बातों से राहुल गांधी ने मोदी सरकार की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा दिया. चुनाव हुए. परिणाम आए. कांग्रेस और राहुल गांधी दोनों को इस देश की जनता ने पूरी तरह से खारिज कर दिया. बात मोदी 2.0 की हो और उसमें जिक्र राहुल गांधी (Rahul Gandhi On Citizenship Amendment Bill 2019) का हो तो बतौर विपक्ष उनकी भूमिका उतनी ही जितना दाल में नमक. चाहे नागरिकता संशोधन बिल हो या फिर एनआरसी और जम्मू कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए हटाए जाने का फैसला रहा हो. बतौर प्रमुख विपक्ष इन मुद्दों पर जैसा रुख राहुल गांधी का रहा, अपने आप साफ़ हो जाता है कि वो एक खानापूर्ति से ज्यादा और कुछ नहीं कर रहे हैं.

नागरिकता संशोधन बिल पर राहुल गांधी की चुप्पी ने उनकी राजनितिक समझ का परिचय दे दिया है

बात नागरिकता संशोधन बिल और राहुल गांधी की चल रही है. देश की जनता को उम्मीद थी कि राहुल आएंगे और इस मुद्दे को एक बड़ा मुद्दा बनाते हुए संसद में अपने मन की बात करेंगे. लेकिन इस पूरे मामले पर जैसा रवैया राहुल गांधी का रहा और जो उनकी चुप्पी थी उसने तमाम सवालों के जवाब दे दिए. राहुल गांधी को देखकर महसूस हुआ कि वो संसद बस इसलिए आए हैं ताकि वो देश के अन्य सांसदों को बता दे कि वो भी एक सांसद हैं.

राहुल गांधी का शुमार उन नेताओं में हैं जो ट्विटर पर सक्रिय हैं और इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल वो उन मुद्दों को उठाने के लिए करते हैं जिनसे मोदी सरकार को घेरा जा सके. लोगों को उम्मीद थी कि वो राहुल गांधी जो नागरिकता संशोधन बिल जैसी चीज पर संसद में चुप्पी साधे थे. अवश्य ही ट्विटर पर सक्रिय होंगे और वहां इस मामले को एक बड़ा मुद्दा बनाते हुए देश की सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर जमकर बरसेंगे. यहां भी देश की जनता को राहुल गांधी ने नाउम्मीद ही किया. ट्विटर पर भी इतने बड़े मसले को लेकर राहुल गांधी ने केवल खाना पूर्ति की और अपना काम चलता किया.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि यह बिल भारतीय संविधान पर हमला है. अगर कोई इसका सपोर्ट कर रहा है तो वह हमारे देश की बुनियाद को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है.

ज्ञात हो की काफी मशक्कत और 12 घंटे तक चली बहस के बाद यह बिल लोकसभा में पास हो गया है. अब इसे राज्यसभा में रखने की तैयारी जोरों पर है.

नागरिकता संशोधन बिल के मद्देनजर बहस का विषय राहुल गांधी की ख़ामोशी है तो बता दें कि देश ने एक दौर वो भी देखा है जब राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ कहने के लिए उनके पास इतना कुछ है कि यदि उन्होंने कहा तो भूकंप आ जाएगा. सवाल ये है कि जब राहुल गांधी इस बात से परिचित हैं कि उनका कहा इस देश की राजनीति में प्रलय की स्थिति उत्पन्न कर देगा. फिर वो चुप क्यों हुए? कहीं ऐसा तो नहीं कि राहुल गांधी इस बात को समझ गए हों कि अब इस देश की राजनीति में उनकी कोई जगह नहीं  है और उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली है.

एक सांसद होने के नाते इतने बड़े मसले पर पहले संसद में राहुल गांधी की चुप्पी फिर ट्विटर पर महज 24 शब्दों में राहुल गांधी का इतने बड़े मसले को समेत देना ये बताने के लिए काफी है कि वो इस देश की राजनीति के लिए बिलकुल फिट नहीं हैं और कहीं न कहें कांग्रेस पार्टी भी इनका बोझ मजबूरी में उठा रही है.

बात गांधी परिवार की हो तो इस मामले पर राहुल से ज्यादा सक्रिय प्रियंका गांधी हैं. प्रियंका गांधी की ट्विटर टाइमलाइन का रुख करने पर मालूम दे रहा है कि वो नागरिकता संशोधन बिल को ठीक तरह से फॉलो कर रही हैं और अगले कुछ दिनों तक वो इसके दम पर अपनी राजनितिक सक्रियता जाहिर करती रहेंगी.

मामले पर प्रियंका ने दो ट्वीट किये हैं जो ये बताता है कि भाई राहुल की अपेक्षा वो अपनी राजनीति के लिए ज्यादा गंभीर हैं.

गौरतलब है कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के अनुसार, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी. बात अगर इस विधेयक की हो तो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में ये मुद्दा भाजपा के चुनावी मेनिफेस्टो का हिस्सा था.

बहरहाल, बात इस विधेयक और इस विधेयक पर राहुल गांधी के रवैये की चल रही है तो बता दें कि इस अहम बिल पर सिर्फ '2 शब्दों' में अपनी बात कहकर राहुल ने बता दिया है कि अब वो दौर आ गया है जब उन्हें इस देश की राजनीति या फिर राजनितिक गतिविधियों से संन्यास लेकर सदा के लिए घर बैठ जाना चाहिए.

कह सकते हैं कि देश की राजनीति में एक निर्णायक भूमिका के लिए नागरिकता संशोधन बिल के रूप में कांग्रेस और राहुल गांधी के पास एक बड़ा मौका था जो उन्होंने अपनी लापरवाही के चलते गंवा दिया है. राहुल और कांग्रेस ने इस बिल को नकार कर एक ऐसी गलती की है जिसका खामियाजा उसे आने वाले चुनावों में भुगतना होगा.  

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