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तो क्या उधार का सिंदूर लेकर सुहागन बनने वाले राहुल गांधी के अच्छे दिन आ गए?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 16 दिसम्बर, 2017 06:37 PM
  • 16 दिसम्बर, 2017 06:37 PM
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राहुल समर्थकों का मत है कि राहुल के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस के अच्छे दिन आ गए हैं. मगर जब हम राहुल के पिछले कामों और ट्विटर पर राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद आई प्रतिक्रियाओं को देख रहे हैं, तो मिल रहा है कि कांग्रेस के लिए अभी दिल्ली दूर है.

तो आखिरकार राहुल गांधी ने, कांग्रेस पार्टी का 49 वां अध्यक्ष बन पार्टी की कमान संभाल ली. राहुल गांधी को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बहन प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वाड्रा समेत कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेताओं की उपस्थिति में सर्टिफिकेट देकर आधिकारिक तौर पर अध्यक्ष घोषित किया गया है. अध्यक्ष बनते ही उन्होंने वो किया जिसकी उनसे उम्मीद की जा रही थी. अध्यक्ष बनने के फौरन बाद राहुल ने अपने पहले ही भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोआड़े हाथों लिया और उन पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए तीखे हमले किये. राहुल ने कहा कि कांग्रेस भारत को 21वीं सदी में लेकर आई थी जबकि पीएम  मोदी हमें मध्यकाल की तरफ ले जा रहे हैं. बीजेपी की वर्तमान कार्यप्रणाली पर प्रहार करते हुए राहुल ने ये भी कहा कि एक बार आग लगने के बाद उसे बुझाना बहुत मुश्किल होता है. राहुल का मानना है कि बीजेपी ने पूरे देश में आग लगा दी है. राहुल ने अपने भाषण में कहा है कि बीजेपी के लोग आग लगाते हैं और हम आग बुझाते हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद आने वाला वक़्त राहुल गांधी के लिए और जटिल होगा

राहुल ने एक मुश्किल दौर में कांग्रेस की कमान अपने हाथों में ली है. ऐसा इसलिए क्योंकि कभी भारत की आम जनता के बीच लोकप्रिय कांग्रेस आज इस देश के लोगों के बीच अपना जनाधार खो चुकी है. आज के समय में,  आम जनता के बीच इस बात का संचार कर दिया गया है कि भारत के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण, यहां एक लम्बे समय तक कांग्रेस का राज रहा है. कह सकते हैं कि इस जटिल समय में जब देश की राजनीति में कांग्रेस लगातार पिछड़ती चली जा रही है पार्टी के  लिए नए अध्यक्ष का चुना जाना एक हैरान करने वाली घटना है.

हाल फ़िलहाल में कांग्रेस और राहुल गांधी को देखकर यही लग रहा है...

तो आखिरकार राहुल गांधी ने, कांग्रेस पार्टी का 49 वां अध्यक्ष बन पार्टी की कमान संभाल ली. राहुल गांधी को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बहन प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वाड्रा समेत कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेताओं की उपस्थिति में सर्टिफिकेट देकर आधिकारिक तौर पर अध्यक्ष घोषित किया गया है. अध्यक्ष बनते ही उन्होंने वो किया जिसकी उनसे उम्मीद की जा रही थी. अध्यक्ष बनने के फौरन बाद राहुल ने अपने पहले ही भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोआड़े हाथों लिया और उन पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए तीखे हमले किये. राहुल ने कहा कि कांग्रेस भारत को 21वीं सदी में लेकर आई थी जबकि पीएम  मोदी हमें मध्यकाल की तरफ ले जा रहे हैं. बीजेपी की वर्तमान कार्यप्रणाली पर प्रहार करते हुए राहुल ने ये भी कहा कि एक बार आग लगने के बाद उसे बुझाना बहुत मुश्किल होता है. राहुल का मानना है कि बीजेपी ने पूरे देश में आग लगा दी है. राहुल ने अपने भाषण में कहा है कि बीजेपी के लोग आग लगाते हैं और हम आग बुझाते हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद आने वाला वक़्त राहुल गांधी के लिए और जटिल होगा

राहुल ने एक मुश्किल दौर में कांग्रेस की कमान अपने हाथों में ली है. ऐसा इसलिए क्योंकि कभी भारत की आम जनता के बीच लोकप्रिय कांग्रेस आज इस देश के लोगों के बीच अपना जनाधार खो चुकी है. आज के समय में,  आम जनता के बीच इस बात का संचार कर दिया गया है कि भारत के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण, यहां एक लम्बे समय तक कांग्रेस का राज रहा है. कह सकते हैं कि इस जटिल समय में जब देश की राजनीति में कांग्रेस लगातार पिछड़ती चली जा रही है पार्टी के  लिए नए अध्यक्ष का चुना जाना एक हैरान करने वाली घटना है.

हाल फ़िलहाल में कांग्रेस और राहुल गांधी को देखकर यही लग रहा है कि इनके पास दोबारा सत्ता में आने की कोई रणनीति नहीं है. काफी लम्बे समय से पार्टी के सर्वे सर्वा राहुल गांधी के पास पार्टी को आगे ले जाने का कोई विशेष प्लान नहीं है वो केवल "परीक्षण और त्रुटि" विधि से अपनी राजनीति चमका रहे हैं और ये बताने का प्रयास कर रहे हैं कि यदि इस देश को कोई वास्तव में आगे ले जा सकता है तो वो केवल कांग्रेस पार्टी है.

राहुल गांधी के करीबियों का मानना है कि अंब राहुल ही पार्टी को आगे ले जा सकते हैं

मौजूदा राजनीतिक परिपेक्ष और उसमें राहुल गांधी के काम करने के तरीके को देखें तो मिलता है कि राहुल "उधार के सिंदूर से सुहागन बनने का प्रयास कर रहे हैं" मौजूदा वक़्त में इस बात को समझने के लिए गुजरात का उदाहरण सबसे बेहतर रहेगा. गुजरात में राहुल, हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी का दामन पकड़ अपनी राजनीति चमकाते नजर आए. गुजरात चुनावों के मद्देनजर लोगों की एक बड़ी तादाद ये मान बैठी है कि राहुल पूर्व की अपेक्षा समझदार हुए हैं मगर इस बात को जब गहनता से देखें तो मिल रहा है कि चीजें जैसे पहले थीं वैसे ही आज भी हैं और वो बस उन चीजों जैसे नोटबंदी और जीएसटी, को भुनाने का प्रयास कर रहे हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कमजोर कड़ी हैं.

गुजरात में राहुल, मंदिरों में घूम रहे हैं, हिंदुत्व का नाम लेकर विकास की बात कर रहे हैं, पटेलों के आरक्षण की बात कर रहे हैं, दलित और पिछड़ों की बात कर रहे हैं, महंगाई, बेरोजगारी, जीएसटी, नोटबंदी पर बात कर रहे हैं. गौर करें तो मिल रहा है कि भले ही ये बातें राहुल की हों मगर इन बातों के लिए जो जुबान चाहिए वो राहुल की नहीं बल्कि हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश मेवानी की है.

पूर्व में भी हम राहुल को बिहार और उत्तर प्रदेश में भी ऐसे ही ढर्रे पर काम करते हुए देख चुके हैं. एक समय में राहुल, बिहार की राजनीति में अहम भूमिका रखने वाले नीतीश कुमार के साथ भाजपा की आलोचना करते नजर आए मगर उसके बाद जो हुआ वो हमारे सामने है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी अखिलेश के साथ गठबंधन पर सपा और कांग्रेस के लिए हालात कैसे थे वो भी देश की जानता देख चुकी है.

ये कांग्रेस के लिए मुश्किल वक़्त है कांग्रेस आम जनता के बीच अपना जनाधार खो चुकी है

ज्ञात हो कि  उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले, जब अखिलेश और राहुल का मिलन हुआ तो उसपर राजनीतिक पंडितों का तर्क था कि यदि अखिलेश अपना फैसला बदलने पर विचार नहीं करते हैं तो ये उनके राजनीतिक भविष्य को गर्त के अंधेरों में डाल देगा. चुनाव हुए, और उन चुनावों के बाद जो परिणाम आए वो ये बताने के लिए काफी है कि राहुल को कड़ी मेहनत करने की जरूरत है.

गौरतलब है कि गत वर्षों में, हम भारतीय राजनीति में राहुल गांधी की भूमिका के मद्देनजर कई ऐसे मौके देख चुके हैं जहां राहुल गांधी द्वारा की गयी गलतियों का खामियाजा हार के रूप में पूरी कांग्रेस पार्टी को भुगतना पड़ा है. गुजरात चुनावों के परिणाम के बाद, ये बात एक बार फिर साफ हो जाएगी कि जब तक राहुल अपने काम करने के रवैये को नहीं बदलते तब तक स्थिति ऐसी ही रहेगी. बहरहाल, भले ही अध्यक्ष बनते ही राहुल गांधी के तेवर तीखे हो गए हों मगर ट्विटर पर लोग मीठी चुटकी से बाज नहीं आ रहे. जब इस विषय पर ट्विटर का रुख किया गया तो ऐसी- ऐसी बातें निकल कर सामने आईं जिनपर यदि राहुल ढंग से अमल कर लें तो वो दिन दूर नहीं जब भारतीय राजनीति में इन्हें देश की जनता द्वारा हाथों हाथ लिया जाए.

सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर आए ये ट्वीट ये बताने के लिए काफी हैं कि भले ही कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनना राहुल गांधी के लिए बच्चोंका खेल हो मगर इसके बाद की जिम्मेदारी बहुत जटिल है. ऐसा इसलिए क्योंकि आने वाले वक़्त में राहुल के लिए सबसे बड़ा काम देश की जनता के दिल से कांग्रेस के लिए नफरत निकालना और खोया हुआ जनाधार वापस लाना होगा. इसके अलावा उन्हें कुछ ऐसा करना होगा जिससे वो देश की राजनीति में एक मजबूत विपक्ष तैयार कर सकें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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