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NIA-विरोधी Rahul Gandhi के निशाने पर मोदी नहीं, 'मोदी' हैं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 17 जनवरी, 2020 06:21 PM
  • 17 जनवरी, 2020 06:21 PM
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DSP Davinder Singh case: Rahul Gandhi को PM Modi पर हमला करने के लिए नया हथियार मिला है मगर राहुल को जान लेना चाहिए कि न्याय की एक व्यवस्था होती है. NIA पर अंगुली उठाने से पहले राहुल को जान लेना चाहिए कि न्‍याय होने से पहले अपील नहीं की जाती.

राफेल, बेरोजगारी. महंगाई जैसे अस्त्रों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से जंग करने और मात खाने वाले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के पास नया हथियार आ गया है. डीएसपी दविंदर सिंह (DSP Devinder Singh) के रूप में राहुल गांधी ने नए सिरे से पीएम मोदी और भाजपा सरकार पर हमला करने की शुरुआत कर दी है. जम्मू-कश्मीर में हिजबुल के आतंकियों की मदद के चलते गिरफ्तार डीएसपी दविंदर सिंह (DSP Davinder Singh Arrest) के मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए (NIA probe DSP Davidner Singh case) द्वारा किए जाने के सरकार के फैसले से राहुल गांधी खफा हैं. मुद्दे को राहुल गांधी ने अपने ट्विटर पर उठाया है और कहा है कि 'आतंकी डीएसपी दविंदर को चुप कराने का सबसे अच्छा तरीका है, मामले की जांच एनआईए को सौंप देना.' ध्यान रहे कि बीते दिनों ही जम्मू कश्मीर के कुलगाम जिले से जम्मू कश्मीर के डीएसपी दविंदर सिंह, दो आतंकवादियों और एक वकील को उनके वहान के साथ गिरफ्तार किया गया था.

मामला प्रकाश में आने के बाद कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था और इसको लेकर धार्मिक एंगल भी निकाल लिया था. कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर दविंदर सिंह इत्तफाक से दविंदर खान होता, तो RSS की ट्रोल टुकड़ी की प्रतिक्रिया कहीं ज़्यादा तीखी और मुखर होती. देश के दुश्मनों की धर्म, आस्था या रंग देखे बिना निंदा की जानी चाहिए. चौधरी के इस बयान को भाजपा ने भी गंभीरता से लिया था और कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.

दविंदर सिंह मामले में राहुल गांधी का एनआईए से असंतुष्ट होना कई जरूरी सवाल खड़े...

राफेल, बेरोजगारी. महंगाई जैसे अस्त्रों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से जंग करने और मात खाने वाले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के पास नया हथियार आ गया है. डीएसपी दविंदर सिंह (DSP Devinder Singh) के रूप में राहुल गांधी ने नए सिरे से पीएम मोदी और भाजपा सरकार पर हमला करने की शुरुआत कर दी है. जम्मू-कश्मीर में हिजबुल के आतंकियों की मदद के चलते गिरफ्तार डीएसपी दविंदर सिंह (DSP Davinder Singh Arrest) के मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए (NIA probe DSP Davidner Singh case) द्वारा किए जाने के सरकार के फैसले से राहुल गांधी खफा हैं. मुद्दे को राहुल गांधी ने अपने ट्विटर पर उठाया है और कहा है कि 'आतंकी डीएसपी दविंदर को चुप कराने का सबसे अच्छा तरीका है, मामले की जांच एनआईए को सौंप देना.' ध्यान रहे कि बीते दिनों ही जम्मू कश्मीर के कुलगाम जिले से जम्मू कश्मीर के डीएसपी दविंदर सिंह, दो आतंकवादियों और एक वकील को उनके वहान के साथ गिरफ्तार किया गया था.

मामला प्रकाश में आने के बाद कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था और इसको लेकर धार्मिक एंगल भी निकाल लिया था. कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर दविंदर सिंह इत्तफाक से दविंदर खान होता, तो RSS की ट्रोल टुकड़ी की प्रतिक्रिया कहीं ज़्यादा तीखी और मुखर होती. देश के दुश्मनों की धर्म, आस्था या रंग देखे बिना निंदा की जानी चाहिए. चौधरी के इस बयान को भाजपा ने भी गंभीरता से लिया था और कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.

दविंदर सिंह मामले में राहुल गांधी का एनआईए से असंतुष्ट होना कई जरूरी सवाल खड़े करता नजर आ रहा है

बात दविंदर सिंह मामले में राहुल गांधी की नाराजगी और उनके ट्वीट से शुरू हुई है. तो हमारे लिए भी इस ट्वीट का अवलोकन करना जरूरी हो जाता है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में NIA नहीं बल्कि उसके मुखिया पर भी अंगुली उठाई है. अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने आगे कहा है कि 'एनआईए के मुखिया एक और मोदी हैं - YK. जिन्होंने गुजरात दंगे और हरेन पांड्या की मर्डर की जांच की थी. वाईके मोदी की वजह से केस की जांच शायद ही हो पाए.'

सर्वप्रथम तो हम राहुल को बताना चाहेंगे कि NIA के मुखिया 'वाईके' नहीं, 'वाईसी' मोदी हैं. योगेश चन्द्र मोदी. जो खुद लंबे समय तक राहुल गांधी की सरकार में काम कर चुके हैं. क्योंकि बात 'वाईसी' मोदी से शुरू होकर गुजरात दंगों तक आ गई है तो हमारे लिए भी जरूरी हो जाता है कि हम योगेश चन्द्र मोदी के बारे में जानें और ये समझें कि उन दंगों की जांच में उनकी क्या भूमिका थी. साथ ही ये भी कि क्यों उनके कंधे पर बंदूक रखकर राहुल गांधी मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं.

कौन हैं योगेश चन्द्र मोदी?

अब तक तो ये बात हमें पता चल ही गई है कि योगेश चन्द्र मोदी एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी के प्रमुख हैं. जिनके पास इंडियन पुलिस सर्विस में करीब 33 साल का अनुभव है. वाईसी मोदी के बारे में दिलचस्प बात ये है कि इन्होंने दस साल सीबीआई में बिताए हैं. जिसमें छह साल 2004 से 2010 के बीच तो वे यूपीए के कार्यकाल में ही सीबीआई में पदस्‍थ रहे. और महत्‍वपूर्ण मामलों की जांच करते रहे. यानी दस में छह साल वायसी मोदी कांग्रेस के लिए भरोसेमंद थे!

दस सालों तक सीबीआई में सेवा देने वाले मोदी ने 1991-2002 के बीच का समय भारत की केंद्रीय कैबिनेट में बिताया था. यूं तो वायसी मोदी के खाते में तमाम उपलब्धियां हैं. राहुल गांधी ने गुजरात दंगों में उनकी जांच पर भी तंज कसा है, जबकि यह भूमिका उन्‍होने 2002 के गुजरात दंगों के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित SIT का हिस्‍सा होते हुए निभाई थी. वह भी कांग्रेस के नेतृत्‍व में यूपीए वाली सरकार के दौर में.

2002 के बाद बनी SIT में क्या थी YC Modi की भूमिका

वाईसी मोदी उस एसआईटी का हिस्सा थे जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी. और जिसने 2002 के गुजरात दंगों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच की थी. इस एसआईटी में मोदी को 2010 में शामिल किया गया था जहां उन्होंने जुलाई 2012 तक अपनी सेवा दी थी.

अन्य घटनाओं के रूप में इन्होंने नरोदा पाटिया नरसंहार (Naroda Patia massacre) की भी जांच की थी. इसी जांच के हवाले से 29 अगस्त 2012 में भाजपा विधायक माया कोडनानी, बजरंग दल कार्यकर्ता बाबू बजरंगी को अलग अलग धाराओं में दोषी ठहराया गया था. इनके अलावा 30 अन्य लोग भी दोषी ठहराए गए थे जबकि 29 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया था.

हरेन पंड्या केस में आए थे विवादों में

सीबीआई में रहते हुए गुजरात मामले में जिस बात को लेकर योगेश मोदी विवादों में आए थे वो था हरेन पंड्या की हत्या. योगेश मोदी इस मामले की जांच में भी शामिल थे. आपको बताते चलें कि हरेन पंड्या किसी ज़माने में नरेंद्र मोदी के पॉलिटिकल राइवल हुआ करते थे. हरेन पंड्या हत्याकांड की जांच वायसी मोदी ने ही की थी. जिसके आधार पर निचली अदालत ने 12 लोगों को दोषी ठहराया गया था. लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने उसी जांच पर तल्‍ख टिप्‍पणी करते हुए सभी दोषियों को बरी कर दिया. हाईकोर्ट ने वायसी मोदी को फटकार भी लगाई कि उनकी अक्षमता के कारण अन्‍याय हुआ है. पंड्या हत्‍याकांड के आरोपी रिहा होने से पहले आठ साल जेल में रहे थे.

NIA नहीं तो कौन सी एजेंसी जांच करेगी?

बहरहाल, राहुल गांधी का शुमार देश के जिम्मेदार नागरिकों में है. रही बात दविंदर सिंह और उसकी गिरफ़्तारी की तो ये मामला देश की रक्षा से जुड़ा है और बेहद संवेदशील है इसलिए उन्हे और उनकी पार्टी को इसे राजनीति से दूर रखना चाहिए. राहुल गांधी ने NIA और उसके मुखिया पर ही अविश्‍वास जता दिया है, लेकिन यह नहीं कहा कि वे किस एजेंसी की जांच पर भरोसा करेंगे? सीबीआई जांच तो शायद वे कभी पसंद नहीं करते? न्याय एक व्यवस्था के तहत होता है. कोई न्‍याय होने से पहले न्‍याय देना भी न्‍यायसंगत नहीं है. राहुल गांधी का NIA और उसके मुखिया पर चलाया गया तीर फिर हवाई साबित हो रहा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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