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राहुल जूझ रहे हैं और कांग्रेसी आपस में उलझ रहे हैं

    • कुमार विक्रांत
    • Updated: 19 अक्टूबर, 2016 06:10 PM
  • 19 अक्टूबर, 2016 06:10 PM
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यूपी में व्यस्त राहुल की मुश्किल है कि वो प्रचार की कमान संभालें या फिर पार्टी नेताओं के आपसी झगड़े सुलझाने में समय लगाएं.

एक तरफ राहुल गांधी यूपी चुनाव में कांग्रेस को 27 साल बाद सत्ता में वापस लाने के लिए पसीना बहा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ राज्यों में कांग्रेसी आपस में सिर फुटौवल में मशगूल हैं. यूपी में व्यस्त राहुल की मुश्किल है कि वो प्रचार की कमान संभालें या फिर पार्टी नेताओं के आपसी झगड़े सुलझाने में समय लगाएं. राहुल की दिक्कत ये भी है कि चीज़ें काफी बेकाबू हो गयी हैं और इन आपसी झगड़ों में बीच का रास्ता निकालना भी राहुल के लिए पेचीदा हो गया है. आलम ये है कि, कई राज्यों में पार्टी टूट गयी है, तो कई जगह टूट की कगार पर खड़ी है.

राहुल प्रचार की कमान संभालें या पार्टी नेताओं के आपसी झगड़े सुलझाएं

ये भी पढ़ें- यूपी के चुनावी समर में कांग्रेस का 'नीतीश फॉर्मूला'

राज्यवार कांग्रेस में झगड़े की बानगी जरा आप भी देखिये-

हरियाणा- यहां तो पूर्व सीएम भूपिंदर हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष के बीच का झगड़ा कई बार सड़क पर आ चुका है. हद तो तब हो गयी जब देवरिया से दिल्ली तक की राहुल की किसान यात्रा के दौरान दोनों के समर्थकों में लाठियां बज गयीं और अशोक तंवर घायल हो गए. आजिज आकर सोनिया ने सुशील शिंदे को पूरे मामले की जांच करके एक हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा.

अरुणांचल प्रदेश- बमुश्किल अदालती आदेश के बाद सत्ता मे लौटी कांग्रेस ने मुख्यमंत्री तक...

एक तरफ राहुल गांधी यूपी चुनाव में कांग्रेस को 27 साल बाद सत्ता में वापस लाने के लिए पसीना बहा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ राज्यों में कांग्रेसी आपस में सिर फुटौवल में मशगूल हैं. यूपी में व्यस्त राहुल की मुश्किल है कि वो प्रचार की कमान संभालें या फिर पार्टी नेताओं के आपसी झगड़े सुलझाने में समय लगाएं. राहुल की दिक्कत ये भी है कि चीज़ें काफी बेकाबू हो गयी हैं और इन आपसी झगड़ों में बीच का रास्ता निकालना भी राहुल के लिए पेचीदा हो गया है. आलम ये है कि, कई राज्यों में पार्टी टूट गयी है, तो कई जगह टूट की कगार पर खड़ी है.

राहुल प्रचार की कमान संभालें या पार्टी नेताओं के आपसी झगड़े सुलझाएं

ये भी पढ़ें- यूपी के चुनावी समर में कांग्रेस का 'नीतीश फॉर्मूला'

राज्यवार कांग्रेस में झगड़े की बानगी जरा आप भी देखिये-

हरियाणा- यहां तो पूर्व सीएम भूपिंदर हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष के बीच का झगड़ा कई बार सड़क पर आ चुका है. हद तो तब हो गयी जब देवरिया से दिल्ली तक की राहुल की किसान यात्रा के दौरान दोनों के समर्थकों में लाठियां बज गयीं और अशोक तंवर घायल हो गए. आजिज आकर सोनिया ने सुशील शिंदे को पूरे मामले की जांच करके एक हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा.

अरुणांचल प्रदेश- बमुश्किल अदालती आदेश के बाद सत्ता मे लौटी कांग्रेस ने मुख्यमंत्री तक बदला, लेकिन राहुल के रवैये पर सवाल खड़ा कर एक विधायक को छोड़ सीएम समेत सभी विधायकों ने पार्टी छोड़ दी.

ओड़िसा- प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की मांग को लेकर 4 विधायक राहुल को इस्तीफ़ा देने की धमकी दे चुके हैं और अपनी मांग पर अड़े हैं. पहले ही पूर्व सीएम गिरधर गोमांग बीजेपी का दामन थाम चुके हैं.

उत्तर प्रदेश- कई विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं, तो कई छोड़ने की तैयारी में हैं. वहीं हाल में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता जोशी के नाराज होकर पार्टी छोड़ने की अटकलें तेज हैं, जिस पर खुद रीता ने चुप्पी कर अटकलों को और मजबूती दे दी है.

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मुम्बई- मुम्बई कांग्रेस में शिवसेना से आये संजय निरुपम को अध्यक्ष बनाया जाना पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष गुरुदास कामत, दिग्गज नेता मिलिंद देवड़ा और प्रिया दत्त को रास नहीं आ रहा. तमाम मौकों पर पार्टी गुटों में बंटी साफ दिखती है.

उत्तराखंड- पहले ही सीएम हरीश रावत की कार्यशैली से नाराज होकर 9 कांग्रेस विधायक बागी होकर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. लेकिन अब कभी रावत के करीबी माने जाने वाले प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने तलवार खींच ली है. आये दिन रावत और किशोर के बीच विरोधाभाषी बयानबाजी पार्टी का नया सिर दर्द बनी हुयी है.

राजस्थान- राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बीच की तनातनी जगजाहिर है.

मध्य प्रदेश- दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी जैसे दिग्गज एकजुट नहीं हो पा रहे. ऐसे में कद में इन दिग्गजों से छोटे, प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के लिए संगठन चलाना मुश्किल हो रहा है.

छत्तीसगढ़- दिग्गज नेता अजीत जोगी पार्टी से बाहर जा चुके हैं और अब वो कांग्रेस पार्टी के कई विधायकों और नेताओं को तोड़ने की तैयारी में हैं.

बिहार- राज्य में अरसे बाद सरकार का हिस्सा तो पार्टी बन गयी, लेकिन पार्टी की तरफ से सबसे ताकतवर मंत्री बने अशोक चौधरी अभी भी पार्टी अध्यक्ष बने हुए हैं. खुद राहुल एक व्यक्ति एक पद के हिमायती रहे हैं, लेकिन अशोक की जगह किसी अध्यक्ष बनाने पर गुटबाजी का डर है कि, अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है.

बंगाल- यहां तो पार्टी कुछ ज़िलों में सिमटी दिखती है, ऊपर से ममता लगातार कांग्रेस विधायकों में सेंधमारी करती रहती हैं, कांग्रेस के लोगों को लगता है कि, ममता कांग्रेस की विचारधारा के करीब हैं, इसलिए सत्ता सुख के लिए साथ जाने में क्या हर्ज? इस पर लगाम लगाना कांग्रेस आलाकमान के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.

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हालांकि इस पर कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह का कहना है कि, पार्टी एक परिवार की तरह है, जिसमें किसी बात पर मतभेद हो सकता है, लेकिन मनभेद नहीं. हां, पार्टी छोड़कर जाने वाले सत्ता और पद के लालची हैं, जिनका जाना पार्टी के लिए अच्छा.

केंद्र में राहुल की टीम में जगह पाने की पहले से ही होड़ है, जिनको लगता है कि, वो टीम राहुल से बाहर रह सकते हैं, वो अंदरखाने भितरघात में गाहे बगाहे जुट जाते हैं. ऐसे हालात में राहुल को अध्यक्ष बनाने का फैसला भी अटका पड़ा है.

कुल मिलाकर पार्टी और आलाकमान सियासी लड़ाई के वक़्त भीतर की लड़ाई से जूझने को मजबूर दिख रहे हैं. पार्टी की कमजोर हालत के चलते खुद आलाकमान भी कड़े फैसले लेने से परहेज करता दिख रहा है और नेताओं की एक जमात इसी का फायदा उठाती दिख रही है. वैसे पार्टी की लगातार हार भी नेताओं के बीच बढ़ती नाराजगी और निराशा की वजह है, जिसके चलते वो नए नए कदम उठा रहे हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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