• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

राहुल गांधी के मैथ्स में कम मार्क्स आये हैं, पॉलिटिकल साइंस में नहीं

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 18 दिसम्बर, 2017 08:32 PM
  • 18 दिसम्बर, 2017 08:32 PM
offline
मेहसाणा जिले के इस विधानसभा क्षेत्र में वडनगर भी आता है. वडनगर पीएम मोदी का जन्मस्थान है. गुजरात में चुनाव से ठीक पहले वडनगर का दौरा किया था. लेकिन कांग्रेस की आशा पटेल ने पीएम मोदी के घर में बीजेपी को मात दी है.

राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव की वोटिंग के बाद और नतीजों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला. ऐसे में गुजरात के नतीजों के जरिये उनकी काबिलियत का आकलन तय था. न एग्जिट पोल न ही किसी राजनीतिक विश्लेषक ने कांग्रेस की जीत या बीजेपी की हार की भविष्यवाणी की थी. योगेंद्र यादव को भी अपवाद नहीं माना जा सकता क्योंकि अब तो वो भूतपूर्व चुनाव विश्लेषक ही रह गये हैं, वर्तमान में तो वो स्वराज अभियान के नेता हैं.

देखा जाय तो राहुल गांधी के चुनावी गणित में मार्क्स जरूर कम आये हैं, लेकिन पॉलिकिटक साइंस में तो बिलकुल नहीं.

चुनावी गणित

- राहुल गांधी को गणित में भी फेल नहीं हुए हैं, बस मार्क्स उन्हें कम मिले हैं. कांग्रेस को गुजरात में अतिरिक्त सीटें मिली हैं– और हिमाचल में भी उसका वैसा सफाया नहीं हुआ है जैसी आशंका थी.

- गुजरात जीतने पर एक फायदा तो यही होता कि पांच राज्यों में कांग्रेस की सरकार होती, हिमाचल प्रदेश तो वैसे भी उसे हारना ही था. गुजरात की हार के चलते कांग्रेस पांच राज्यों से चार में सरकार पर सिमट गयी है.

राहुल ने अपने लीड़रशीप स्किल को दिखा दिया

- कांग्रेस की हार में एक वजह बागियों से होने वाले नुकसान का अंदाजा न लगा पाना भी रहा. गठबंधन के सहयोगियों को टिकट देने के चक्कर में उसे अपने नेताओं को नाराज करना पड़ा, जो उसके लिए भारी साबित हुआ.

- कांग्रेस ने ग्रामीण इलाकों में तो वोट पाया, लेकिन शहरों में उसका गणित गड़बड़ा गया.

- जिन जातीय समीकरणों के बूते कांग्रेस चुनाव में आगे बढ़ी, बाद में उसी जाकर उलझ गयी. बीजेपी के प्रचार के शोर में ऐसे मुद्दे गायब तो हुए ही, कांग्रेस लोगों को ये...

राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव की वोटिंग के बाद और नतीजों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला. ऐसे में गुजरात के नतीजों के जरिये उनकी काबिलियत का आकलन तय था. न एग्जिट पोल न ही किसी राजनीतिक विश्लेषक ने कांग्रेस की जीत या बीजेपी की हार की भविष्यवाणी की थी. योगेंद्र यादव को भी अपवाद नहीं माना जा सकता क्योंकि अब तो वो भूतपूर्व चुनाव विश्लेषक ही रह गये हैं, वर्तमान में तो वो स्वराज अभियान के नेता हैं.

देखा जाय तो राहुल गांधी के चुनावी गणित में मार्क्स जरूर कम आये हैं, लेकिन पॉलिकिटक साइंस में तो बिलकुल नहीं.

चुनावी गणित

- राहुल गांधी को गणित में भी फेल नहीं हुए हैं, बस मार्क्स उन्हें कम मिले हैं. कांग्रेस को गुजरात में अतिरिक्त सीटें मिली हैं– और हिमाचल में भी उसका वैसा सफाया नहीं हुआ है जैसी आशंका थी.

- गुजरात जीतने पर एक फायदा तो यही होता कि पांच राज्यों में कांग्रेस की सरकार होती, हिमाचल प्रदेश तो वैसे भी उसे हारना ही था. गुजरात की हार के चलते कांग्रेस पांच राज्यों से चार में सरकार पर सिमट गयी है.

राहुल ने अपने लीड़रशीप स्किल को दिखा दिया

- कांग्रेस की हार में एक वजह बागियों से होने वाले नुकसान का अंदाजा न लगा पाना भी रहा. गठबंधन के सहयोगियों को टिकट देने के चक्कर में उसे अपने नेताओं को नाराज करना पड़ा, जो उसके लिए भारी साबित हुआ.

- कांग्रेस ने ग्रामीण इलाकों में तो वोट पाया, लेकिन शहरों में उसका गणित गड़बड़ा गया.

- जिन जातीय समीकरणों के बूते कांग्रेस चुनाव में आगे बढ़ी, बाद में उसी जाकर उलझ गयी. बीजेपी के प्रचार के शोर में ऐसे मुद्दे गायब तो हुए ही, कांग्रेस लोगों को ये नहीं समझा पायी कि पाटीदारों को आरक्षण वो कैसे दे पाएगी.

चुनावी राजनीति

- मोदी की घरेलू पिच पर आशा पटेल की जीत बड़ा राजनीतिक मैसेज है. ठीक वैसे ही जैसे गोरखपुर के उस इलाके से जहां से योगी वोटर हैं, उनके उम्मीदवार का हार जाना. मेहसाणा जिले की ऊंझा सीट पर 1995 से बीजेपी के नारायणभाई लल्लू दास ही जीतते आ रहे थे. लेकिन इस बार कांग्रेस की आशाबेन पटेल ने न सिर्फ ब्रेक लगा दिया, बल्कि 20 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी.

मेहसाणा जिले के इस विधानसभा क्षेत्र में वडनगर भी आता है. वडनगर पीएम मोदी का जन्मस्थान है. उन्होंने यहीं पर अपना बचपन गुजारा. गुजरात में चुनाव से ठीक पहले वडनगर का दौरा किया था. जहां उनका ग्रैंड स्वागत हुआ था. लेकिन कांग्रेस की आशा पटेल ने पीएम मोदी के घर में बीजेपी को मात दी है.

- पूरे चुनाव में सबसे अच्छी बात रही कि राहुल गांधी मुद्दों से नहीं भटके. ये बात अलग है कि जिन मुद्दों को उन्होंने उठाया, बीजेपी ने उसे गैर मुद्दों में उलझाकर हाशिये पर डाल दिया. राहुल गांधी ने विकास, बेरोजगारी और किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा उठाया, तो आखिर तक उस पर कायम रहे. जाहिर है जिन लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया, उन्हें राहुल गांधी की बातों में दम नजर आया होगा.

आत्मविश्वास राहुल के बॉडी लैंग्वेज में दिखा

- राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पद के मर्यादा की बात की, तो आखिर तक उस पर कायम भी रहे. एक बार उन्होंने तय किया कि प्रधानमंत्री पद का वो सम्मान करेंगे तो आखिर तक निभाया भी.

- कांग्रेस पर पाकिस्तान से मदद मिलने से लेकर राहुल के लिए तुगलक-औरंगजेब तक की मिसालें दी गयीं, लेकिन राहुल गांधी ने धैर्य बनाये रखा. कांग्रेस की कमान सौंपते वक्त सोनिया गांधी ने भी इसी बात का जिक्र किया था.

- गुजरात की लड़ाई को राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी बन पायी तो इसमें कांग्रेस अध्यक्ष की ही काबिलियत रही.

सीएम का चेहरा होना क्या मायने रखता है, कांग्रेस इसका अंदाजा नहीं लगा पायी. हिमाचल में तो वीरभद्र सिंह वैसे ही चेहरा बने रहे जैसे असम में तरुण गोगोई. लेकिन गुजरात में उसने यूपी जैसी ही गलती दोहरा दी, जबकि पंजाब का उदाहरण उसके सामने था.

राहुल गांधी को लेकर शिवसेना की ओर से सामना में संपादकीय टिप्पणी काफी अहम है- "जब हार के डर से बड़े बड़े महारथियों के चेहरे स्याह पड़ गए थे, तब राहुल गांधी नतीजे की परवाह किये बगैर चुनावी रण में लड़ रहे थे. यही आत्मविश्वास राहुल को आगे ले जाएगा."

ये भी पढ़ें-

गुजरात चुनाव नतीजे : भाजपा की 'कामचलाऊ' जीत !

Gujarat election results : बीजेपी के वॉर रूम के भीतर से...

Gujarat Elections results : हार्दिक के लिए कुछ दो टूक सबक...


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲