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राहुल गांधी की सदस्यता खत्म होने के बाद अब 'वायनाड' का क्या होगा?

    • अशोक भाटिया
    • Updated: 26 मार्च, 2023 05:45 PM
  • 26 मार्च, 2023 04:41 PM
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद अब बड़ा सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग इस सीट पर जल्द ही उपचुनाव करवा सकता है या नहीं? यदि लोकसभा 2024 से पहले उप चुनाव होते हैं, तो परिणाम क्या होगा? अब तक हुए उपचुनावों का इतिहास क्या रहा है? आइए जानते हैं.

केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सदस्य रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद अब बड़ा सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग इस सीट पर जल्द ही उपचुनाव करवा सकता है? जानकारों का कहना है कि उपचुनाव की घोषणा से पहले चुनाव आयोग हर कानूनी पहलू को देखेगा और राहुल गांधी के अगले कदम पर भी आयोग की नजर रहेगी. राहुल गांधी की ओर से जल्द ही ऊपरी अदालत में अपील की जा सकती है. वहीं, चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार राहुल के अयोग्य घोषित होने के बाद वायनाड सीट पर उपचुनाव कराने से पहले तमाम पहलुओं की समीक्षा की जाएगी. आयोग के सूत्रों के अनुसार पहले से तय गाइडलाइंस के अनुरूप जो नियम हैं, उनके तहत आयोग कार्रवाई करेगा. नियम के अनुसार, खाली सीट को 6 महीने के अंदर भरना होता है. सूत्रों के अनुसार, इस बार आयोग कोई फैसला लेने से पहले तमाम कानूनी पहलुओं और घटनाक्रमों की समीक्षा करेगा. दरअसल, इसी साल आयोग अपने ही कुछ फैसलों से कानूनी अड़चनों में फंसा रहा.

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी कहते हैं कि तकनीकी तौर पर तो चुनाव आयोग उपचुनाव की घोषणा कर सकता है, लेकिन अभी आयोग को जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं करना चाहिए. उनका कहना है कि अगर आयोग उपचुनाव की घोषणा कर देता है और राहुल गांधी को भी ऊपरी अदालत से दोषसिद्धि पर स्टे के रूप में राहत मिल जाती है तो फिर उपचुनाव पर भी स्टे हो जाएगा. अगर अदालत से सिर्फ सजा (2 साल) पर रोक या स्टे लगाया जाता है तो यह काफी नहीं है. वहीं अगर दोषसिद्धि पर रोक लगाई जाती है तो फिर उपचुनाव नहीं हो सकेगा.पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कहते हैं कि उपचुनाव करवाने के लिए आयोग के पास छह महीने का समय होता है और ऐसा जरूरी नहीं है कि किसी सदस्य की सदस्यता जाने के कुछ दिनों के बाद ही उपचुनाव की घोषणा कर दी जाए. लक्षद्वीप के एक सांसद के मामले में केरल हाई कोर्ट का फैसला आयोग को ध्यान में होगा और अभी आयोग को हर पहलू पर ध्यान देने के बाद ही कोई फैसला लेना चाहिए. ऐसे में चुनाव आयोग को तमाम पक्षों पर विचार करने के बाद ही उपचुनाव को लेकर फैसला लेना चाहिए.

यदि हम केवल नियम कि बात करें तो दरअसल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के तहत चुनाव आयोग को संसद और विधानसभाओं में खाली सीटों पर रिक्ती के छह महीने के भीतर उपचुनाव करवाने का अधिकार है. हालांकि इसमें एक शर्त है कि नवनिर्वाचित सदस्य के लिए एक वर्ष या उससे अधिक का कार्यकाल बचा हो. यहां राहुल गांधी की अयोग्यता के बाद वायनाड सीट 23 मार्च को खाली हो गई थी, ऐसे में धारा 151ए के अनुसार चुनाव आयोग के लिए 22 सितंबर, 2023 तक इस निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव कराना अनिवार्य है. यहां 17वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने में अभी एक साल से ज्यादा का समय बचा है, ऐसे उपचुनाव अनिवार्य हो जाता है, भले ही निर्वाचित सांसद को बेहद छोटा कार्यकाल मिले.

सांसद और विधायक कई मामलों में अदालत से दोषी और सजा पाने के बाद अपनी सदस्यता खो देते हैं और सजा की अवधि पूरी करने के बाद 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य भी होते हैं. सवाल उठता है कि क्या सिर्फ 2 साल से अधिक सजा पाए जाने के बाद ही सांसद और विधायक की सदस्यता खत्म होती है और वो 6 साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाते है? ऐसा नहीं है, दरअसल कुछ मामलों में सिर्फ दोषी पाए जाने और फाइन देकर छूट जाने के बाद भी सांसद और विधायक की सदस्यता खत्म हो जाती है.

जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 में दोषी नेताओं, सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने से रोकने का प्रावधान है. इस अधिनियम की धारा 8(1) के अंतर्गत प्रावधान है कि यदि कोई विधायिका सदस्य सांसद अथवा विधायक बलात्कार, अस्पृश्यता, विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम के उल्लंघन; धर्म, भाषा या क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करना, भारतीय संविधान का अपमान करना, प्रतिबंधित वस्तुओं का आयात या निर्यात करना, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होना जैसे अपराधों में लिप्त होता है, तो उसे इस धारा के अंतर्गत अयोग्य माना जाएगा और कोर्ट की तरफ से सिर्फ हर्जाना और जेल की सजा होने पर वो अपनी सांसद और विधायक की सदस्यता को खो देगा और 6 वर्ष की अवधि के लिये चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा. इस अधिनियम की धारा 8 (2) में प्रावधान है की कालाबाजारी, मुनाफाखोरी, मिलावटखोरी और दहेज से जुड़े मामले में 6 महीने से अधिक की सजा पाता है तो वो अपनी विधायक और सांसद की सदस्यता खो देगा और सजा पूरी करने के बाद 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेगा.

 ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (3) के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे 2 साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी. वह रिहाई के 6 साल बाद तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा.परन्तु ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट’ की धारा 8 (4) कहती है कि दोषी सांसद या विधायक की सदस्यता तुरंत खत्म नहीं होती. उसके पास तीन महीने का समय होता है. इस दौरान अगर वह हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर देता है तो उस अपील की सुनवाई पूरी होने तक सदस्यता नहीं जाती. अगर वह अपील नहीं करता है तो तीन महीने बाद उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाती है.

इसी साल जनवरी में लक्षद्वीप के पूर्व सांसद फैजल को हत्या के प्रयास के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद आयोग ने तुरंत उपचुनाव की घोषणा की. हालांकि केरल हाई कोर्ट ने लक्षद्वीप के पूर्व सांसद मोहम्मद फैजल की सजा को निलंबित कर दिया था. इसके बाद आयोग को अपनी अधिसूचना वापस लेनी पड़ी.  हालांकि यहां एक और दिलचस्प बात यह है कि केरल हाईकोर्ट से मिली राहत के बाद फैजल की लोकसभा सदस्यता भले ही दोबारा बहाल हो गई, लेकिन वह सदन की कार्यवाही में अब भी हिस्सा नहीं ले सकते.  ऐसे ही एक अन्य मामले में आयोग को सुप्रीम कोर्ट से कड़ी टिप्पणी का सामना करना पड़ा था. ऐसे में इस बार आयोग चुनाव उपचुनाव की घोषणा करने से पहले इन पहुलओं को ध्यान में रखेगा. आयोग नहीं चाहेगा कि एक बार उपचुनाव की घोषणा के बाद नोटिफिकेशन वापस लेना पड़े. आयोग के सूत्रों के अनुसार अगले कुछ दिनों में इस केस में और स्पष्टता आ जाएगी जिसके बाद कुछ फैसला लिया जा सकता है.

जुलाई 2013 में लिली थॉमस vs यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (4) के तहत मिली छूट को असंवैधानिक बताया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि सांसद या विधायक दोषी करार दिए जाते हैं और उन्हें 2 साल या इससे ज्यादा साल की सजा सुनाई, तो दोषी करार होते ही उनकी संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी.हालांकि इस प्रक्रिया को पूरा करने में लोकसभा सचिवालय को कुछ समय लग सकता है.सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के हिसाब से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खतरे में है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि उन्हें अब तभी राहत मिल सकती है जब ऊंची अदालत दोषसिद्धी पर रोक लगा दे. सिर्फ सजा पर ही रोक लगाना काफी नहीं होगा.पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी का कहना  हैं कि लोकसभा स्पीकर को राहुल को अयोग्य घोषित करने की शिकायत मिलती है तो लोकसभा सचिवालय एक या दो दिन में चुनाव आयोग को बता सकता है कि केरल की वायनाड सीट अब खाली हो गई है और चुनाव कराओ. या फिर राहुल को अपील कोर्ट से राहत मिल जाए यानी उनकी दोषसिद्धी पर रोक लगा दी जाए.

बताया जाता है कि  अब राहुल को सिर्फ सजा के खिलाफ अपील दायर करने से ही राहत नहीं मिलेगी, बल्कि सजायाफ्ता सांसद को ट्रायल कोर्ट की तरफ से दोषसिद्धि के खिलाफ अपील कोर्ट स्पेसिफिक स्टे ऑर्डर दे. यानी सजा पर रोक नहीं बल्कि दोषसिद्धि पर ही रोक लगा दे तब राहुल की संसद सदस्यता जाने से बच सकती है.अपील कोर्ट अगर ये कहे कि हम CrPC की धारा 389 के तहत सजा पर रोक लगाते हैं तो ये जमानत मिलने जैसा है. राहत तब मिल सकती है जब अपील कोर्ट दोषसिद्धि पर ही रोक लगा दे. ऐसी स्थिति में राहुल लोकसभा सांसद बने रह सकते हैं. और यदि सुप्रीम कोर्ट भी सजा बरकरार रखती है तो राहुल को 2 साल जेल में रहना पड़ सकता है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 की धारा 8 (3) के तहत राहुल रिहाई के 6 साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. यानी लगभग 8 साल तक राहुल चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

इस प्रकार का यह पहला मामला नहीं है , देश में ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ के आने के बाद से अब तक कई सांसद-विधायकों को अपना सदस्यता गंवानी पड़ी है ... चारा घोटाले के मामले में साल 2013 में कोर्ट ने लालू यादव को दोषी ठहराते हुए 5 साल के जेल की सजा सुनाई थी. इसके बाद उनकी सांसदी चली गई थी. साथ ही लालू सजा पूरी करने के 6 साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सके.MBBS सीट घोटाले में कांग्रेस के सांसद रशीद मसूद की सदस्यता चली गई थी. काजी रशीद कांग्रेस से राज्यसभा पहुंचे थे. कांग्रेस ने उन्हें यूपी से राज्यसभा में भेजा था. राज्यसभा सांसद रहते उन्हें एमबीबीएस सीट घोटाले में दोषी पाया गया. कोर्ट ने साल 2013 में चार साल की सजा सुनाई थी. इससे उनकी सांसदी चली गई.हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल की सदस्यता रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 के तहत साल 2019 में चली गई थी. 19 अप्रैल 2019 को हाईकोर्ट ने उन्हें हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सजा सुनाई थी.

उन्नाव में नाबालिग से सामूहिक रेप केस में बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई थी. विधानसभा के प्रमुख सचिव की ओर से सजा के ऐलान के दिन यानी 20 दिसंबर 2019 से ही उनकी सदस्यता खत्म किए जाने का आदेश जारी किया गया था. इसी साल फरवरी में मुरादाबाद की एक विशेष कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में सपा नेता आजम खान और उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम को 2 साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद उनकी विधायकी चली गई थी. यूपी विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आजम की सीट को 2 दिन बाद ही रिक्त घोषित कर दिया था.

यह मामला  यहीं समाप्त नहीं हो जाता  हैं. राहुल गांधी पर मानहानि के 4 और मुकदमे चल रहे हैं, जिन पर फैसला आना बाकी है और इस फैसले का असर उन पर भी पड़ सकता हैं. 2014 में राहुल गांधी ने संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया था. एक संघ कार्यकर्ता ने राहुल पर IPC की धारा 499 और 500 के तहत मामला दर्ज कराया था. ये केस महाराष्ट्र के भिवंडी कोर्ट में चल रहा है. 2016 में राहुल गांधी के खिलाफ असम के गुवाहाटी में धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज किया गया था. शिकायतकर्ता के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा था कि 16वीं सदी के असम के वैष्णव मठ बरपेटा सतरा में संघ सदस्यों ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया. इससे संघ की छवि को नुकसान पहुंचा है. ये मामला भी अभी कोर्ट में पेंडिंग है.

2018 में राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड की राजधानी रांची में एक और केस दर्ज किया गया. ये केस रांची की सब-डिविजनल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चल रहा है. राहुल के खिलाफ IPC की धारा 499 और 500 के तहत 20 करोड़ रुपए मानहानि का केस दर्ज है. इसमें राहुल के उस बयान पर आपत्ति जताई गई है, जिसमें उन्होंने 'मोदी चोर है' कहा था. 2018 में ही राहुल गांधी पर महाराष्ट्र में एक और मानहानि का केस दर्ज हुआ. ये मामला मझगांव स्थित शिवड़ी कोर्ट में चल रहा है. IPC की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज है. केस संघ के कार्यकर्ता ने दायर किया था. राहुल पर आरोप है कि उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या को भाजपा और संघ की विचारधारा से जोड़ा.  

गौरतलब है कि राहुल गांधी के हाथ से अमेठी चार साल पहले ही छिन गई थी. अब कोर्ट और लोकसभा स्पीकर के फैसले के साथ ही राहुल का दूसरा घर वायनाड भी उनके हाथ से छिटक गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अमेठी के साथ ही वायनाड को भी चुना था. अमेठी लोकसभा सीट पर तो उन्हें भाजपा  की स्मृति ईरानी ने शिकस्त दे दी थी लेकिन वायनाड में वह बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे. वायनाड सीट पर राहुल को 7 लाख 6 हजार 367 वोट मिले थे. यह कुल वैध मतों को 64.64 प्रतिशत था.

वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीआई के पीपी सुनीर माले को 2 लाख 74 हजार 597 वोट हासिल (वैध मतों को 25.13 प्रतिशत) हुए थे. इस तरह से राहुल गांधी ने इस चुनाव में 4 लाख 31 हजार 770 वोटों के बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की थी. वायनाड सीट राहुल गांधी के हाथ से छिनना इसलिए भी बड़ा झटका है, क्योंकि अमेठी गंवाने के बाद राहुल ने अपना फोकस दक्षिण की तरफ किया था. वह लगातार वायनाड का दौरा करते रहते थे. राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी केरल में ज्यादा समय दिया था. यहां पर उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 18 दिन बिताए थे. तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू होकर यह यात्रा 12 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों से गुजरी थी. राहुल गांधी अपने लोकसभा क्षेत्र वायनाड में भी इस यात्रा के दौरान नजर आए थे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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