• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

घुमाकर नाक पकड़ने वाले राहुल गांधी ने सीधे-सीधे कान पकड़ लिए

    • संजय शर्मा
    • Updated: 01 मई, 2019 04:04 PM
  • 01 मई, 2019 04:04 PM
offline
राहुल गांधी को समझ में आ गया कि सियासत और अदालत में बहुत फर्क है. क्योंकि सियासत में जिन जुमलों पर तालियां पड़ती हैं वही जुमले अदालत में दोहरा दिए जाएं तो गालियां भी पड़ती हैं.

राफेल रिव्यू पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का तड़का लगाकर अपनी चुनावी चौकीदार चोर वाली दाल को ज्यादा लजीज बनाने में लगे राहुल गांधी की दाल जल गई. सुप्रीम कोर्ट ने उनको ऐसा खींचा कि राहुल ने तौबा करने में ही अपनी भलाई समझी.

क्योंकि राहुल गांधी को समझ में आ गया कि सियासत और अदालत में बहुत फर्क है. क्योंकि सियासत में जिन जुमलों पर तालियां पड़ती हैं वही जुमले अदालत में दोहरा दिए जाएं तो गालियां भी पड़ती हैं. राहुल गांधी के नारे 'चौकीदार चोर है' को सुप्रीम कोर्ट के कठघरे में खड़ा किया गया तो नतीजे का अंदाजा लगाते हुए भी युवराज को सीधे सीधे माफी मांगने में शर्म आई या फिर उनके कानूनी सलाहकारों को ये गवारा नहीं था. लिहाजा बहुत हिम्मत जुटाकर राहुल ने सीधे नाक पकड़ने की बजाय घुमाकर नाक पकड़ने की जुगत भिड़ा ली. लेकिन कोर्ट को भी उनके जवाब की भाषा और खासकर एक शब्द रिग्रेट यानी अफसोस है पर एतराज था. राहुल सीधे-सीधे 'गलती हो गई माफ कर दीजिए' नहीं कहना चाह रहे थे. शायद ईगो आड़े आ रहा हो. लेकिन कोर्ट का भी तो स्वाभिमान है.

राहुल गांधी को 'चौकीदार चोर है' कहने पर अदालत से माफी मांगनी पड़ी

अब सुनिये कोर्ट का हाल ए बयां

खचाखच भरी अदालत ने कड़क आवाज में पूछा ये 20 पन्नों के हलफनामे में नया क्या है. राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी बोले नया कुछ नहीं है हू-ब-हू पुराना है. कोर्ट ने फटकारा- तो क्या आप अपने आप को जस्टिफाई कर रहे हैं. हमें समझ नहीं आ रहा कि आखिर आप इन 20 पन्नों में कहना क्या चाह रहे हैं. आपने अपने बोले और किये पर भी रिग्रेट शब्द लिखा है वो भी ब्रैकेट में.

पूछा कि आखिर ब्रैकेट में रिग्रेट का मतलब क्या है. इस पर राहुल के पैरोकार अभिषेक मनु सिंघवी कुछ कहते इससे पहले ही याचिकाकर्ता मीनाक्षी...

राफेल रिव्यू पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का तड़का लगाकर अपनी चुनावी चौकीदार चोर वाली दाल को ज्यादा लजीज बनाने में लगे राहुल गांधी की दाल जल गई. सुप्रीम कोर्ट ने उनको ऐसा खींचा कि राहुल ने तौबा करने में ही अपनी भलाई समझी.

क्योंकि राहुल गांधी को समझ में आ गया कि सियासत और अदालत में बहुत फर्क है. क्योंकि सियासत में जिन जुमलों पर तालियां पड़ती हैं वही जुमले अदालत में दोहरा दिए जाएं तो गालियां भी पड़ती हैं. राहुल गांधी के नारे 'चौकीदार चोर है' को सुप्रीम कोर्ट के कठघरे में खड़ा किया गया तो नतीजे का अंदाजा लगाते हुए भी युवराज को सीधे सीधे माफी मांगने में शर्म आई या फिर उनके कानूनी सलाहकारों को ये गवारा नहीं था. लिहाजा बहुत हिम्मत जुटाकर राहुल ने सीधे नाक पकड़ने की बजाय घुमाकर नाक पकड़ने की जुगत भिड़ा ली. लेकिन कोर्ट को भी उनके जवाब की भाषा और खासकर एक शब्द रिग्रेट यानी अफसोस है पर एतराज था. राहुल सीधे-सीधे 'गलती हो गई माफ कर दीजिए' नहीं कहना चाह रहे थे. शायद ईगो आड़े आ रहा हो. लेकिन कोर्ट का भी तो स्वाभिमान है.

राहुल गांधी को 'चौकीदार चोर है' कहने पर अदालत से माफी मांगनी पड़ी

अब सुनिये कोर्ट का हाल ए बयां

खचाखच भरी अदालत ने कड़क आवाज में पूछा ये 20 पन्नों के हलफनामे में नया क्या है. राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी बोले नया कुछ नहीं है हू-ब-हू पुराना है. कोर्ट ने फटकारा- तो क्या आप अपने आप को जस्टिफाई कर रहे हैं. हमें समझ नहीं आ रहा कि आखिर आप इन 20 पन्नों में कहना क्या चाह रहे हैं. आपने अपने बोले और किये पर भी रिग्रेट शब्द लिखा है वो भी ब्रैकेट में.

पूछा कि आखिर ब्रैकेट में रिग्रेट का मतलब क्या है. इस पर राहुल के पैरोकार अभिषेक मनु सिंघवी कुछ कहते इससे पहले ही याचिकाकर्ता मीनाक्षी लेखी के वकील मुकुल रोहतगी बोल पड़े. ये तो सब बकवास है. गलती एक बार होती है. यहां राहुल गांधी ने अमेठी में नामांकन भरने के बाद जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया उन्होंने ये जुमला उछाला कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि चौकीदार चोर है. इस पर अदालत ने सिंघवी से पूछा कि आप जो कह रहे थे क्या हमने कहा था. सिंघवी ने कहा कि हमें इसका अफसोस है. रोहतगी आगे बोले- अमेठी के बाद कटिहार और उसके बाद भी राहुल अपने बयानों के साथ सुप्रीम कोर्ट को जोड़ते रहे. जो कि सरासर गलत और अपमानजनक था. ये सबसे बड़ी अदालत के आदेश की बेअदबी थी.

कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि आप इस हलफनामे पर ही जोर दे रहे हैं तो हम आपको इसी पर सुनेंगे और इसी दलील के आधार पर हम आदेश पारित करेंगे. सिंघवी की समझ में आ गया थ कि अब खैर नहीं. सीधे-सीधे बोले जी हां, हमसे तीन भूल हुई हैं. हमने उनको अपने हलफनामे में भी मान लिया है. हम गलती मानते हैं. इस आशय का तीसरा हलफनामा भी हम सोमवार को सौंप देंगे.

कोर्ट ने भी आदेश पारित कर दिया कि राहुल सोमवार को माफीनामा का हलफनामा दे देंगे. यानी नये हलफनामे पर सुनवाई सोमवार को. राहुल और सिंघवी ने चैन की सांस ली कि चलो जान बची लाखों पाये.

ये भी पढ़ें-

इन 8 बयानों के आधार पर प्रधानमंत्री मोदी-शाह का नामांकन रद्द हो जाना चाहिए?

राजस्‍थान में कांग्रेस के मैथ्स पर बीजेपी की केमिस्ट्री भारी

 


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲