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नक्सलियों पर समय के साथ क्यों बदल गई कांग्रेस की राय?

    • आईचौक
    • Updated: 01 सितम्बर, 2018 12:57 PM
  • 01 सितम्बर, 2018 12:57 PM
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नक्सल समर्थकों के पक्ष में बोलने से पहले कांग्रेस के नेताओं को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान को याद कर लेना चाहिए था जिसमें उन्होंने नक्सलियों को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था.

बीते साल भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा को लेकर वामपंथी विचारकों और नक्सलियों के सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद से देश में राजनीति तेज हो गई है. गिरफ्तार नक्सल समर्थकों के समर्थन में वामपंथी बुद्धिजीवियों से लेकर कांग्रेस के नेताओं ने भी बयान देना शुरू कर दिया है. किसी ने इसे संविधान का तख्तापलट बताया तो किसी ने आरएसएस की वैचारिक गुंडागर्दी. नक्सलियों के प्रति प्रेम भावना रखने वाले वामपंथियों की हकीकत जगजाहिर है लेकिन इस पूरे मसले पर कांग्रेस पार्टी का खुलकर समर्थन में आना हैरान करता है. जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई है उनमें 3 लोग पहले भी कांग्रेस शासन में नक्सलियों के साथ अपनी सांठ-गांठ को लेकर जेल की हवा खा चुके हैं. दलितों और वंचितों के सामाजिक उत्थान के नाम पर जिस तरह से उन्हें भारतीय कानून व्यवस्था के खिलाफ भड़काया जाता है उसकी हकीकत किसी से छिपी नहीं है.

राहुल गांधी और सलमान खुर्शीद ने नक्सल समर्थकों की गिरफ़्तारी का विरोध किया है.

कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के लिए अपनी नाराजगी जाहिर की. इसी ट्वीट में उन्होंने आरएसएस के ऊपर भी निशाना साधा. कांग्रेस अध्यक्ष ऐसे भी आजकल संघफोबिया नाम की बीमारी से ग्रसित हैं. राहुल गांधी को ये बताना चाहिए कि कांग्रेस शासन में इन तथाकथित बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी के पीछे क्या कारण थे. देश में व्याप्त गरीबी का वैचारिक इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए करना इन तथाकथित बुद्धिजीवियों का पेशा रहा है. 

बीते साल भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा को लेकर वामपंथी विचारकों और नक्सलियों के सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद से देश में राजनीति तेज हो गई है. गिरफ्तार नक्सल समर्थकों के समर्थन में वामपंथी बुद्धिजीवियों से लेकर कांग्रेस के नेताओं ने भी बयान देना शुरू कर दिया है. किसी ने इसे संविधान का तख्तापलट बताया तो किसी ने आरएसएस की वैचारिक गुंडागर्दी. नक्सलियों के प्रति प्रेम भावना रखने वाले वामपंथियों की हकीकत जगजाहिर है लेकिन इस पूरे मसले पर कांग्रेस पार्टी का खुलकर समर्थन में आना हैरान करता है. जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई है उनमें 3 लोग पहले भी कांग्रेस शासन में नक्सलियों के साथ अपनी सांठ-गांठ को लेकर जेल की हवा खा चुके हैं. दलितों और वंचितों के सामाजिक उत्थान के नाम पर जिस तरह से उन्हें भारतीय कानून व्यवस्था के खिलाफ भड़काया जाता है उसकी हकीकत किसी से छिपी नहीं है.

राहुल गांधी और सलमान खुर्शीद ने नक्सल समर्थकों की गिरफ़्तारी का विरोध किया है.

कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के लिए अपनी नाराजगी जाहिर की. इसी ट्वीट में उन्होंने आरएसएस के ऊपर भी निशाना साधा. कांग्रेस अध्यक्ष ऐसे भी आजकल संघफोबिया नाम की बीमारी से ग्रसित हैं. राहुल गांधी को ये बताना चाहिए कि कांग्रेस शासन में इन तथाकथित बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी के पीछे क्या कारण थे. देश में व्याप्त गरीबी का वैचारिक इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए करना इन तथाकथित बुद्धिजीवियों का पेशा रहा है. 

कांग्रेस को सत्ता में पहुंचने की इतनी जल्दबाजी है कि अपने शासन के दौरान की गिरफ्तारियों को याद करना उसे रास नहीं आ रहा है. नक्सल समर्थक और नक्सलियों के बीच के फासले को परिभाषित करने का दुःसाहस करने से पहले कांग्रेस के नेताओं को अपने कार्यकाल के दौरान दंतेवाड़ा और सुकमा में हुए नक्सली हमलों की याद क्यों नहीं आई. छत्तीसगढ़ के सुकमा हमले में हुए अपने पार्टी के नेताओं की मौत को अगर भूल भी गए तो दंतेवाड़ा के शहीद जवानों को याद करने में क्या हर्ज था?

मनमोहन सिंह के बयान को याद करे कांग्रेस

कभी देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नक्सलियों को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था. नक्सली समस्या के बारे में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि नक्सलवादी जनजातियों के एक गुट और कुछ इलाकों में अत्याधिक निर्धनों का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहे हैं. लेकिन आज उन्हीं की पार्टी के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद का ख्वाब देख रहे राहुल गांधी ने नक्सल समर्थकों के लिए अपने भावनाओं का इजहार किया है. देश के पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद मोदी सरकार पर वैचारिक दमन का आरोप लगा रहे हैं.

यूपीए सरकार के दौरान नक्सलियों ने पूरे देश में तांडव मचाया. आम नागरिक से लेकर सुरक्षा बल के जवानों तक सभी इनका निशाना बने. लेकिन शर्म की बात ये है कि मौजूदा वक़्त में जब नक्सलियों की दरिंदगी को बहुत हद तक काबू कर लिया गया है और नक्सल समस्या को जड़ से उखाड़ने की कोशिश की जा रही है तो राहुल गांधी और सलमान खुर्शीद को अपनी राजनीति चमकाने का अवसर दिख रहा है. कांग्रेस को देश की मुख्य राजनीतिक पार्टी होने के नाते इस गन्दी राजनीति से बाज आना चाहिए और कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए.

कंटेंट- विकास कुमार (इंटर्न- आईचौक)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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