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आतंकवाद के नाम पर पाकिस्तान ही नहीं, चीन का बॉयकॉट भी जरूरी

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 16 फरवरी, 2019 01:58 PM
  • 16 फरवरी, 2019 01:58 PM
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यूएन में बार बार जैसे चीन जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को समर्थन दे रहा है और उसे वैश्विक आतंकी घोषित किये जाने पर अड़ंगा डाल रहा है. साफ है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के प्रचार प्रसार में चीन उसे पूरी मदद मुहैया करा रहा है.

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में CRPF जवानों की बस पर हमला करने से पहले फ़िदायीन आतंकी आदिल अहमद डार का एक वीडियो पोस्ट हुआ था. वीडियो में आदिल ने भारत में हुए उन हमलों का जिक्र किया है जिनकी रूप रेखा जैश-ए-मोहम्मद ने तैयार की थी. बात अगर इन हमलों की हो तो चाहे ICA18 की हाईजैकिंग हो या फिर 2001 में भारतीय संसद पर हुआ हमला. नागरोटा हमला, उरी हमला, पठानकोट आईएएफ बेस हमला सब में जैश का हाथ है. इतनी दहशतगर्दी फैलाने के बावजूद जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मौलाना मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादियों की सूची में नहीं है.

लम्बे समय से भारत की तरफ से मांग की जा रही है कि जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाए

जैश द्वारा जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद एक बार फिर अजहर चर्चा में है. भारत लम्बे समय से यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में इसी प्रयास में है कि मसूद अजहर को यूएन वैश्विक आतंकवादी घोषित करे. मगर चीन की बदौलत ऐसा नहीं हो पा रहा है. चीन लगातार मौलाना मसूद अजहर को बचाता नजर आ रहा है.

पुलवामा हमले के बाद, जैश की भूमिका पर बात करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, 'इस आतंकवादी समूह का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी मसूद अजहर कर रहा है, जिसे पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में अपने आतंकी बुनियादी ढांचे के संचालन और विस्तार के लिए पाकिस्तान सरकार द्वारा पूर्ण स्वतंत्रता दी गई है.' भारत और अन्य जगहों पर हमले करने के लिए पाकिस्तान उसका पूरा सहयोग कर रहा है.

चीन का नाम लिए बगैर भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों से मांग की है कि वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (NSC) की 1267 प्रतिबंध समिति के तहत जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को...

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में CRPF जवानों की बस पर हमला करने से पहले फ़िदायीन आतंकी आदिल अहमद डार का एक वीडियो पोस्ट हुआ था. वीडियो में आदिल ने भारत में हुए उन हमलों का जिक्र किया है जिनकी रूप रेखा जैश-ए-मोहम्मद ने तैयार की थी. बात अगर इन हमलों की हो तो चाहे ICA18 की हाईजैकिंग हो या फिर 2001 में भारतीय संसद पर हुआ हमला. नागरोटा हमला, उरी हमला, पठानकोट आईएएफ बेस हमला सब में जैश का हाथ है. इतनी दहशतगर्दी फैलाने के बावजूद जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मौलाना मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादियों की सूची में नहीं है.

लम्बे समय से भारत की तरफ से मांग की जा रही है कि जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाए

जैश द्वारा जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद एक बार फिर अजहर चर्चा में है. भारत लम्बे समय से यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में इसी प्रयास में है कि मसूद अजहर को यूएन वैश्विक आतंकवादी घोषित करे. मगर चीन की बदौलत ऐसा नहीं हो पा रहा है. चीन लगातार मौलाना मसूद अजहर को बचाता नजर आ रहा है.

पुलवामा हमले के बाद, जैश की भूमिका पर बात करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, 'इस आतंकवादी समूह का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी मसूद अजहर कर रहा है, जिसे पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में अपने आतंकी बुनियादी ढांचे के संचालन और विस्तार के लिए पाकिस्तान सरकार द्वारा पूर्ण स्वतंत्रता दी गई है.' भारत और अन्य जगहों पर हमले करने के लिए पाकिस्तान उसका पूरा सहयोग कर रहा है.

चीन का नाम लिए बगैर भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों से मांग की है कि वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (NSC) की 1267 प्रतिबंध समिति के तहत जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को सूचीबद्ध करे और उसपर कड़ी कार्रवाई करे. इसके अलावा विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा है कि, हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी सदस्यों के लिए अपनी अपील को दृढ़ता से दोहराते हैं कि, वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति के तहत, एक नामित आतंकवादी के रूप में और पाकिस्तान द्वारा नामित आतंकवादियों को नियंत्रित करने वाले आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए, जेएम प्रमुख मसूद अजहर सहित आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव का समर्थन करें.

चीन का मौलाना मसूद अजहर को समर्थन देना बताता है कि वो भी पूरी तरह भारत के खिलाफ है

अजहर, जिसे इंडियन एयरलाइन्स की विमान संख्या IC-814 का अपरहण करने के बाद दिसम्बर 1999 को वाजपेयी सरकार द्वारा रिहा किया गया था,को सूचीबद्ध करने के लिए दिल्ली की कोशिशें पर चीन ने हमेशा ही अड़ंगा डाला है. चीन लगातार यही प्रयास कर रहा है कि कैसे भी करके अजहर को वैश्विक आतंकी न घोषित किया जाए.

बात अगर हालिया प्रयासों की हो तो 2 जनवरी, 2016 को पठानकोट में भारतीय वायु सेना के ठिकाने पर हमला करने और इस हमले में जैश का नाम आने के बाद फरवरी 2016 में भारत सरकार ने NSC 1267 समिति के तत्वावधान में एक प्रस्ताव यूएन को भेजा था, जिसमें ये मांग की गई थी कि यूएन मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करे.

इसके बाद मार्च 2016 में चीन ने इसमें अड़ंगा डाला था और कहा था कि इस प्रस्ताव में कुछ तकनीकी दिक्कतें हैं जिसपर वो बिल्कुल भी सहमत नहीं है. इसके बाद अक्टूबर 2016 में भी चीन अपनी बात पर अड़ा रहा और जैश की कार्यप्रणाली का समर्थन करता नजारा आया. इसके बाद दिसम्बर 2016 में भी चीन ने इसी चीज को दोहराया और वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए इस प्रस्ताव को ब्लॉक कर दिया कि जैश एक वैश्विक आतंकी संगठन और इसका मुखिया मौलाना मसूद अजहर एक वैश्विक आतंकी है.

इसके बाद 19 जनवरी 2017 में फिर चीन ने अपना रंग दिखाया और यूएस, यूके और फ्रांस के उस प्रस्ताव को ब्लॉक कर दिया जिसमें मौलाना मसूद अजहर को आतंकी कहे जाने की बात कही गई थी. इससे पहले जब 26/11 के मुंबई हमले के बाद भारत ने अजहर को सूचीबद्ध करने की मांग दोहराई थी तब उस एक बार फिर चीन ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए इसका विरोध किया था.

गौरतलब है कि जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर लम्बे समय से चीन के साथ होने वाली द्विपक्षीय वार्ता का मुख्य एजेंडा रहा है. हालांकि अब तक कभी भी चीन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है और हमेशा ही भारत की मांग को खारिज किया है.

अब जबकि अपने बायो डाटा में मौलाना मसूद अजहर और जैश-ए-मोहम्मद ने एक कारनामा और जोड़ लिया है तो देखना दिलचस्प रहेगा कि चीन इनके विरोध में सामने आता है या फिर हमेशा की तरह इसमें 'टेक्नीकल दिक्कत' निकलते हुए जैश और मौलाना मसूद अजहर का समर्थन करता नजर आएगा. साथ ही इस पूरे मामले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी रुख देखना दिलचस्प रहेगा कि वो मौलाना और उसके संगठन को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करेगा याफिर हमेशा की तरह ये मामला अधर में लटका रहेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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