• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

जन्‍नत में तो नासिर गया है, जाहिल आदिल तुझे जहन्‍नुम मुबारक

    • नीरज पाल
    • Updated: 16 फरवरी, 2019 08:43 PM
  • 16 फरवरी, 2019 08:43 PM
offline
पुलवामा में शहीद होने वाला नासिर अहमद भी एक मुसलमान ही था जो उसी तरह से मार दिया गया जैसे हमारे अपने हिन्दू सैनिक. लेकिन क्या वाकई सैनिकों की कोई जाति, मज़हब या क़ौम होती है?

आदिल अहमद डार, आज भारत का हर एक बच्चा शायद इस नाम को जानता है और साथ ही पुलवामा को भी. यह वही डार है जिसने अपनी जान तो दी ही, साथ ही ले गया अपने साथ 40 जवानों को भी. मुझे नहीं पता कि उसे जन्नत की हूरें मिलेंगी कि नहीं लेकिन पूरे भारत की नफरत उसे जरूर मिल रही है. क्या पता शायद यही हो जन्नत? क्या पता?

डार अपने बनाए वीडियो में भारत के सारे मुसलमानों को मुशरिक (इस्‍लाम का पालन न करने वाला) कहने से भी नहीं चूकता है, उसे कश्मीर या आज़ाद कश्मीर नहीं चाहिए था. उसे भारत के हुक्मरानों को सबक सिखाना था जो उसके हिसाब से मुसलमानों को पश्चिमी सभ्यता में रंग रहे हैं. अगर उसे मुसलमानों की फिक्र होती तो शायद उसे यह भी पता होता कि पैरा मिलिट्री के उस काफ़िले में कई मुसलमान सैनिक भी थे. नासिर अहमद शहीदों की सूची में शामिल वह नाम है जिसके बारे में मीडिया से लेकर आम लोग, कोई बात नहीं कर रहा. हां एक बडी खाई और रिक्त स्थान जरूर खिंच गया है जो धर्म के नज़रिए से भी इस पूरे वाकिए को देख रहा है.

पुलवामा आतंकी हमला करने वाला आदिल की वजह से देश को 40 से भी ज्यादा सैनिक खोने पड़े

डार कुछ कम नहीं था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का एक छात्र जो कश्मीर का रहने वाला था, ट्वीट करता है और #howsthejaish के हैश टैग से नफ़रत की एक और दीवार खड़ी कर देता है. कुछ लोग मुसलमानों को पानी पी पी कर कोस रहे हैं तो कुछ उन्हें पाकिस्तान तक भेज दे रहे हैं. शहीद अभी सुपुर्द-ए-ख़ाक भी नहीं हुए हैं और पूरे देश में एक और ही लड़ाई और नफ़रत ने घर कर लिया है.

लेकिन किसी मुसलमान को गाली देने वाले ने एक बार भी उस मुसलमान दोस्त के बारे में सोचा जो हर हाल में आपके साथ होता है. ईद की सेवइयां जिसकी मां आपको वैसे ही खिलाती हैं जैसे अपने बेटे को. हंसी ख़ुशी और गम में जो आपका...

आदिल अहमद डार, आज भारत का हर एक बच्चा शायद इस नाम को जानता है और साथ ही पुलवामा को भी. यह वही डार है जिसने अपनी जान तो दी ही, साथ ही ले गया अपने साथ 40 जवानों को भी. मुझे नहीं पता कि उसे जन्नत की हूरें मिलेंगी कि नहीं लेकिन पूरे भारत की नफरत उसे जरूर मिल रही है. क्या पता शायद यही हो जन्नत? क्या पता?

डार अपने बनाए वीडियो में भारत के सारे मुसलमानों को मुशरिक (इस्‍लाम का पालन न करने वाला) कहने से भी नहीं चूकता है, उसे कश्मीर या आज़ाद कश्मीर नहीं चाहिए था. उसे भारत के हुक्मरानों को सबक सिखाना था जो उसके हिसाब से मुसलमानों को पश्चिमी सभ्यता में रंग रहे हैं. अगर उसे मुसलमानों की फिक्र होती तो शायद उसे यह भी पता होता कि पैरा मिलिट्री के उस काफ़िले में कई मुसलमान सैनिक भी थे. नासिर अहमद शहीदों की सूची में शामिल वह नाम है जिसके बारे में मीडिया से लेकर आम लोग, कोई बात नहीं कर रहा. हां एक बडी खाई और रिक्त स्थान जरूर खिंच गया है जो धर्म के नज़रिए से भी इस पूरे वाकिए को देख रहा है.

पुलवामा आतंकी हमला करने वाला आदिल की वजह से देश को 40 से भी ज्यादा सैनिक खोने पड़े

डार कुछ कम नहीं था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का एक छात्र जो कश्मीर का रहने वाला था, ट्वीट करता है और #howsthejaish के हैश टैग से नफ़रत की एक और दीवार खड़ी कर देता है. कुछ लोग मुसलमानों को पानी पी पी कर कोस रहे हैं तो कुछ उन्हें पाकिस्तान तक भेज दे रहे हैं. शहीद अभी सुपुर्द-ए-ख़ाक भी नहीं हुए हैं और पूरे देश में एक और ही लड़ाई और नफ़रत ने घर कर लिया है.

लेकिन किसी मुसलमान को गाली देने वाले ने एक बार भी उस मुसलमान दोस्त के बारे में सोचा जो हर हाल में आपके साथ होता है. ईद की सेवइयां जिसकी मां आपको वैसे ही खिलाती हैं जैसे अपने बेटे को. हंसी ख़ुशी और गम में जो आपका साथी रहा है. वह भी एक मुसलमान ही था, शहीद होने वाला नासिर अहमद भी एक मुसलमान ही था जो उसी तरह से मार दिया गया जैसे हमारे अपने हिन्दू सैनिक. लेकिन क्या वाकई सैनिकों की कोई जाति, मज़हब या क़ौम होती है? या फिर क्या कोई देश भी होता है? वह लड़ते हैं एक ऐसी लड़ाई जो दरअसल थोप दी गई है, वह खड़े होते हैं उस काल्पनिक रेखा के दोनों ओर जिसे हम सरहद कहते हैं.

लेकिन सरहद से भी बड़ी रेखाएं हमने अपने दिलों पर खींच ली हैं, उनका क्या? जहां सैनिक नहीं हमारी भावनाएं मरती हैं, हमारी संवेदनाएं निर्जीव हो जाती हैं और हम आपस में ही लड़ते मरते हैं. दरअसल, हमें जरूरत है उस देश की जहां डार जैसे लोगों का ब्रेनवॉश ना हो सके, जहां हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई एक साथ अमन और चैन से रहें, जहां घरों में प्यार हो ना कि शक की सूइयां. जहां हिन्दू, हिन्दू नहीं, मुसलमान, मुसलमान नहीं बल्कि एक इंसान हो, जहां कौमें अमन की चाह रखती हों. और जब तक ऐसा नहीं होता तब तक कुछ नहीं बदलने वाला, तब तक सिर्फ और सिर्फ राजनीति की रोटियां सेंकी जाती रहेंगी और कुछ दिनों के बहस के बाद शहीदों को भुला दिया जाता रहेगा. जहां शहीद हिन्दू और मुसलमान की तरह पहचाने जाएंगे और जहां इन्हें चुनावी और राजनैतिक मुद्दा बनाया जाता रहेगा. लोग तालियां बजाएंगे, देश भक्ति के गीत गाएंगे और फिर सब कुछ भूल जाएंगे.

पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों को ऋद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री मोदी

आपको मुझ पर गुस्सा आ रहा होगा लेकिन एक बात बताइए आपको राजीव गांधी, इंदिरा गांधी और ऐसे ही कई राजनेताओं की शहादत याद होगी लेकिन कितने शहीदों की शहादत आपको याद है, कितने शहीदों के नाम आपको याद हैं? नहीं याद हैं और अगर हैं भी तो दिमाग पर ज़ोर देना पड़ रहा है, है ना? अब जरा सोचिए ऐसा क्यों है या फिर देशभक्ति जैसे शब्द सिर्फ एक भरोसा मात्र है हमारी सोच को एक विराम देने के लिए?

ये भी पढ़ें-

मोदी से सिद्धू की तुलना करने वाले 'पाकिस्तान हिमायती' ही हैं

पुलवामा हमला और CRPF जवानों की शहादत को रोका जा सकता था

5 साल (1825 दिन) में 1708 आतंकी हमले: इसे युद्ध घोषित न करना भूल थी...

                      


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲