• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

चीन को मुहंतोड़ जवाब देने से पहले कुछ तैयारियां भी जरूरी हैं

    • आईचौक
    • Updated: 01 जुलाई, 2017 05:21 PM
  • 01 जुलाई, 2017 05:21 PM
offline
असम के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की सलाह है कि चीन के खिलाफ जंग से भारत को बचना चाहिये. कुछ रक्षा विशेषज्ञ भी पुरोहित की राय से इत्तेफाक रखते हैं. फिर क्या करना चाहिये भारत को?

रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने चीन को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है. दरअसल, चीन ने आर्मी चीफ बिपिन रावत के बयान पर इतिहास से सबक लेने की सलाह दी थी.

असम के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की सलाह है कि चीन के खिलाफ जंग से भारत को बचना चाहिये. कुछ रक्षा विशेषज्ञ भी पुरोहित की राय से इत्तेफाक रखते हैं.

ढाई मोर्चे पर सक्षम

हाल ही में आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत का बयान था कि भारत ढार्इ मोर्चों पर युद्ध के लिए तैयार है. जनरल रावत का आशय एक, पाकिस्तान और दूसरे चीन के अलावा आधा आंतरिक खतरे से रहा. सेना प्रमुख की ये बात चीन को बेहद नागवार गुजरी और उसने इसे गैरजिम्मेदाराना बताया. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के प्रवक्ता कर्नल वू क्यूइन कहा - 'भारतीय सेना के वो शख्स इतिहास से सीख लें और युद्ध के बारे में इस तरह से शोर मचाना बंद करें.'

युद्ध से पहले तैयारी की दरकार...

आज तक के कार्यक्रम में जब इस ओर रक्षा मंत्री अरुण जेटली का ध्यान दिलाया गया तो बोले, "अगर वो हमें 1962 की याद दिलाना चाह रहे हैं तो बता दें 1962 और 2017 के भारत में बहुत अंतर है. भूटान सरकार ने कल ही एक स्टेटमेंट जारी कर कह दिया है कि विवादित क्षेत्र भूटान का है. ये भारत के पास स्थित है और भारत, भूटान को सुरक्षा प्रदान करता है." इस बीच असम के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कहा है कि चीन ताकत में भारत से बहुत आगे है इसलिए भारत को उसके साथ जंग से बचना चाहिए.

एक कार्यक्रम के दौरान में पुरोहित ने कहा, "चीन हमसे दो साल आगे पीछे स्वतंत्र हुआ था आज परिस्थिति ये है कि हम चीन से डरते हैं." लगे हाथ पुरोहित ने भारत के पिछड़ने की वजह भी बतायी - भ्रष्टाचार. कुछ रक्षा विशेषज्ञ भी पुरोहित की तरह ही राय रखते हैं और उनकी राय में रक्षा मंत्री को इतनी सख्त...

रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने चीन को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है. दरअसल, चीन ने आर्मी चीफ बिपिन रावत के बयान पर इतिहास से सबक लेने की सलाह दी थी.

असम के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की सलाह है कि चीन के खिलाफ जंग से भारत को बचना चाहिये. कुछ रक्षा विशेषज्ञ भी पुरोहित की राय से इत्तेफाक रखते हैं.

ढाई मोर्चे पर सक्षम

हाल ही में आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत का बयान था कि भारत ढार्इ मोर्चों पर युद्ध के लिए तैयार है. जनरल रावत का आशय एक, पाकिस्तान और दूसरे चीन के अलावा आधा आंतरिक खतरे से रहा. सेना प्रमुख की ये बात चीन को बेहद नागवार गुजरी और उसने इसे गैरजिम्मेदाराना बताया. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के प्रवक्ता कर्नल वू क्यूइन कहा - 'भारतीय सेना के वो शख्स इतिहास से सीख लें और युद्ध के बारे में इस तरह से शोर मचाना बंद करें.'

युद्ध से पहले तैयारी की दरकार...

आज तक के कार्यक्रम में जब इस ओर रक्षा मंत्री अरुण जेटली का ध्यान दिलाया गया तो बोले, "अगर वो हमें 1962 की याद दिलाना चाह रहे हैं तो बता दें 1962 और 2017 के भारत में बहुत अंतर है. भूटान सरकार ने कल ही एक स्टेटमेंट जारी कर कह दिया है कि विवादित क्षेत्र भूटान का है. ये भारत के पास स्थित है और भारत, भूटान को सुरक्षा प्रदान करता है." इस बीच असम के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कहा है कि चीन ताकत में भारत से बहुत आगे है इसलिए भारत को उसके साथ जंग से बचना चाहिए.

एक कार्यक्रम के दौरान में पुरोहित ने कहा, "चीन हमसे दो साल आगे पीछे स्वतंत्र हुआ था आज परिस्थिति ये है कि हम चीन से डरते हैं." लगे हाथ पुरोहित ने भारत के पिछड़ने की वजह भी बतायी - भ्रष्टाचार. कुछ रक्षा विशेषज्ञ भी पुरोहित की तरह ही राय रखते हैं और उनकी राय में रक्षा मंत्री को इतनी सख्त टिप्पणी नहीं करनी चाहिये थी.

तैयारी जरूरी है

रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी सेना प्रमुख की बात को राजनीतिक बयान मानते हैं. बीबीसी से बातचीत में रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी कहते हैं, "चीन को धमकाने के लिए हिन्दुस्तान के पास कोई मजबूती नहीं है. हमारी क्षमता मामूली है. फौज तो कहती है कि हमारे पास जो भी है उससे लड़ेंगे." बेदी के हिसाब से इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी चीन की तैयारी अच्छी है. बेदी की ही तरह पेल सेंटर फॉर इंटरनेशनल रिलेशंस के सीनियर फेलो आई रहमान अपने शोध पत्र में लिखते हैं, "मई 2016 तक सामरिक महत्व की 61 में से सिर्फ 21 सड़क परियोजनाएं ही पूरी हो पाईं." रहमान सामरिक महत्व की ही रेलवे लाइनों की ओर भी ध्यान दिलाते हैं जिन्हें 2010 में मंजूरी मिली थी लेकिन छह साल बाद भी वे अंतिम रूप नहीं ले पाई हैं. रहमान का ये पेपर 2016 में प्रकाशित हुआ था.

लेकिन एक अन्य रक्षा विशेषज्ञ मारूफ रजा की अलग राय है. बीबीसी से ही बातचीत में मारूफ रजा 1967 की याद दिलाते हैं जब भारत और चीन के बीच झड़प हुई और भारत ने मुहंतोड़ जवाब दिया. वो 1987 में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल के सुंदर जी की कार्रवाई की ओर ध्यान दिलाते हैं जब उन्होंने चीन को ऐसे पेंच में फंसाया कि उसके सैनिक चुपके चुपके भाग खड़े हुए.

भारत और चीन के रिश्ते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान का चीन ने खुले दिल से स्वागत किया था. अपने विदेश दौरे के वक्त रूस में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि चीन के साथ सीमा विवाद के बावजूद पिछले 40 साल में सरहद पर एक भी गोली नहीं चली है.

मोदी के बयान के बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'हमने पीएम मोदी की तरफ से की गयी सकारात्मक टिप्पणी पर गौर किया है. प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान का हम स्वागत करते हैं.'

इन्हें भी पढ़ें :

चीन की एक सड़क से भारत के 7 राज्य खतरे में

भारत के लिए महत्वपूर्ण क्यों है शंघाई सहयोग संगठन

चीन का नया लड़ाकू.. क्या है भारत के लिए खतरे की घंटी?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲