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फ्लॉप पार्टी से गठबंधन कर प्रियंका गांधी ने यूपी में कर दी बड़ी शुरुआत

    • आशीष वशिष्ठ
    • Updated: 19 फरवरी, 2019 10:31 PM
  • 19 फरवरी, 2019 10:31 PM
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अब यूपी में पार्टी की कमान सीधे तौर पर प्रिंयका गांधी के हाथ में है, ऐसे में गठबंधन की अहमियत दोगुनी हो जाती है. राजनीतिक गलियारों में और पार्टी के अंदर कई नेता ये चर्चा कर रहे हैं कि कांग्रेस ने महान दल जैसी छोटी और ‘फ्लाप पार्टी’ से गठबंधन क्यों किया?

भले ही यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने गठबंधन से कांग्रेस को आउट कर दिया है. लेकिन कांग्रेस की नव मनोनीत राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने सूबे में नये दोस्त तलाशने शुरू कर दिये हैं. इसी कड़ी में पहला नाम ‘महान दल’ का है. राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद आधिकारिक तौर पर ये प्रियंका की पहली बड़ी घोषणा है. वैसे महान दल और कांग्रेस का साल 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन रहा है. चूंकि अब यूपी में पार्टी की कमान सीधे तौर पर गांधी परिवार की बेटी प्रिंयका के हाथ में है, ऐसे में गठबंधन की अहमियत दोगुनी हो जाती है, और इसलिए इसकी चर्चा भी जरूरी है. महान दल का वेस्ट यूपी में ‘बैकवर्ड क्लास’ के वोटरों में असर माना जाता है.

राजनीतिक गलियारों में और पार्टी के अंदर कई नेता ये चर्चा कर रहे हैं कि कांग्रेस ने महान दल जैसी छोटी और ‘फ्लाप पार्टी’ से गठबंधन क्यों किया? आखिरकर कांग्रेस को महान दल की दोस्ती से क्या हासिल होगा? जिस महान दल से प्रियंका गांधी ने गठबंधन का ऐलान किया है उसकी स्थापना वर्ष 2008 में केशव देव मौर्य ने वंचित समाज को हक अधिकार दिलाने के लिए सम्राट अशोक महान के सिद्धांतों की छाया में की थी. 3 जुलाई 1970 को पैदा हुये केशव देव मौर्य मूलतः पूर्वांचल के जौनपुर जिले की शाहगंज तहसील निवासी हैं. किसी जमाने में सपा-बसपा के करीबी रहे मौर्य 2004 में अपना दल की टिकट पर जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. पार्टी का मुख्यालय आगरा में है और यह दल वेस्ट यूपी में पूरी दमदारी से लड़ता है. इस पार्टी का बेस वोटर मौर्या, सैनी, कुशवाहा, शाक्य आदि हैं. यूपी में इनकी 14 फीसदी आबादी है. वेस्ट यूपी में शाहजहांपुर और बदायूं जिलों के अलावा एटा, कन्नौज और बरेली में भी शाक्यों में इस दल की ठीक-ठाक पकड़ व पहचान है.

भले ही यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने गठबंधन से कांग्रेस को आउट कर दिया है. लेकिन कांग्रेस की नव मनोनीत राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने सूबे में नये दोस्त तलाशने शुरू कर दिये हैं. इसी कड़ी में पहला नाम ‘महान दल’ का है. राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद आधिकारिक तौर पर ये प्रियंका की पहली बड़ी घोषणा है. वैसे महान दल और कांग्रेस का साल 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन रहा है. चूंकि अब यूपी में पार्टी की कमान सीधे तौर पर गांधी परिवार की बेटी प्रिंयका के हाथ में है, ऐसे में गठबंधन की अहमियत दोगुनी हो जाती है, और इसलिए इसकी चर्चा भी जरूरी है. महान दल का वेस्ट यूपी में ‘बैकवर्ड क्लास’ के वोटरों में असर माना जाता है.

राजनीतिक गलियारों में और पार्टी के अंदर कई नेता ये चर्चा कर रहे हैं कि कांग्रेस ने महान दल जैसी छोटी और ‘फ्लाप पार्टी’ से गठबंधन क्यों किया? आखिरकर कांग्रेस को महान दल की दोस्ती से क्या हासिल होगा? जिस महान दल से प्रियंका गांधी ने गठबंधन का ऐलान किया है उसकी स्थापना वर्ष 2008 में केशव देव मौर्य ने वंचित समाज को हक अधिकार दिलाने के लिए सम्राट अशोक महान के सिद्धांतों की छाया में की थी. 3 जुलाई 1970 को पैदा हुये केशव देव मौर्य मूलतः पूर्वांचल के जौनपुर जिले की शाहगंज तहसील निवासी हैं. किसी जमाने में सपा-बसपा के करीबी रहे मौर्य 2004 में अपना दल की टिकट पर जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. पार्टी का मुख्यालय आगरा में है और यह दल वेस्ट यूपी में पूरी दमदारी से लड़ता है. इस पार्टी का बेस वोटर मौर्या, सैनी, कुशवाहा, शाक्य आदि हैं. यूपी में इनकी 14 फीसदी आबादी है. वेस्ट यूपी में शाहजहांपुर और बदायूं जिलों के अलावा एटा, कन्नौज और बरेली में भी शाक्यों में इस दल की ठीक-ठाक पकड़ व पहचान है.

प्रियंका गांधी ने महान दल  जैसी छोटी पार्टी के साथ गठबंधन यूं ही नहीं कर लिया है

महान दल ने अपने स्थापना के अगले ही साल 2009 में लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के साथ गठबंधन में मैनपुरी, आंवला, एटा और कन्नौज से लड़ा. इस चुनाव में महान दल कोई बड़ा धमाका तो नहीं कर पाया, लेकिन आवंला सीट पर उसके प्रत्याशी महबूब अहमद खान ने 56 हजार से ज्यादा वोट हासिल कर विरोधियों को चैंकाने का काम जरूर किया. 2012 के विधानसभा चुनाव में 74 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किये, जो कुल जमा 6 लाख 83 हजार 808 वोट (0.90 फीसदी) हासिल करने में सफल रहे. इस चुनाव में महान दल का खाता तो नहीं खुला लेकिन उसने वेस्ट यूपी की राजनीति में अपनी पकड़ का अहसास करवाया. कई सीटों पर उसके प्रत्याशियों ने अच्छे खासे वोट बटोरे.

विधानसभा क्षेत्र बढ़पुर में 20812, नहटौर 9580, चांदपुर 31495, नूरपुर 32141, कांठ 24113, ठाकुरद्वारा 46556, बिलारी 14711, असमौली 16348 मत हासिल किये. वहीं चमरौवा, बिलासपुर, धनौरा और नवगवां सदात, कासगंज, अमांपुर और पटियाली में क्रमशः 7781, 7810, 8530, 32184, 20812, 11919 एवं 28181 वोट मिले. ठाकुरद्वारा सीट पर महान दल के प्रत्याशी विजय कुमार दूसरे स्थान पर रहे. यह सीट बीजेपी के कुंवर सर्वेश कुमार ने जीती थी. चौंकाने वाली बात यह है कि ठाकुरद्वारा में महान दल ने कांग्रेस को तीसरे, बसपा को चैथे और सपा को पांचवें स्थान पर धकेलकर दूसरा स्थान हासिल किया था. वहीं पटियाली में पार्टी तीसरे और बढ़पुर, चांदपुर, नूरपुर, नवगवां सदात सीट पर क्रमशः चौथे स्थान पर रही.

2014 के लोकसभा चुनाव में महान दल कांग्रेस के साथ था. इस चुनाव में महान दल ने बदायूं, नगीना, एटा से अपने प्रत्याशी उतारे. तीनों सीटों पर उसे कुल 22 हजार 734 वोट मिले. एटा सीट से महान दल प्रत्याशी ठाकुर जोगिन्दर सिंह 12445 वोट लेकर चैथे स्थान पर रहे.

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले महान दल की भाजपा और फिर सपा में शामिल होने की चर्चा थी. लेकिन न तो उसका विलय हुआ और न ही उसका गठबंधन सपा, कांग्रेस या भाजपा से हो सका. विधानसभा चुनाव में 14 सीटों पर महान दल के प्रत्याशी उतरे. ये सभी सीटें वेस्ट यूपी की थीं. पार्टी को कुल 96087 (0.11 फीसदी) वोट हासिल हुए और उसके सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. यूपी की कासगंज, अमांपुर, पटियाली और माधुवागढ़ सीटों पर उसके प्रत्याशियों को क्रमशः 22250, 16967, 10586 और 22022 वोट मिले. इन चारों सीटों पर महान दल ने चौथे नम्बर की पार्टी रही. 2018 में मध्य प्रदेश में भी दो सीटों टीकमगढ़ में जटारा महान दल ने चुनाव लड़ा था, यहां पार्टी प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे.

प्रियंका गांधी और भी कई छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सकती हैं

यूपी की राजनीति को करीब से समझने वालों के मुताबिक यूपी में जनाधार बढाने के लिए कांग्रेस कुछ छोटे दलों के साथ गठबंधन की रणनीति पर काम रहे हैं. पार्टी के रणनीतिकार महसूस कर रहे हैं कि जातीय वोट बैंक न होने के कारण उसे अपेक्षित लाभ यूपी में पिछले कई वर्षों से नहीं मिल पाया. ऐसे में अलग-अलग जातियों की अगुवाई करने वाले दलों को जोड़कर इस कमी की भरपाई की जा सकती है. ऐसे में प्रदेश में पहले से सक्रिय और कुछ खास क्षेत्रों में प्रभावी छोटे दलों पर ही दांव लगाया जाएगा. पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह मिशन भी कांग्रेस की नयी नवेली राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के जिम्मे है. उनकी कई छोटे दलों के नेताओं से बातचीत चल रही है. महान दल के बाद आने वाले दिनों शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, अपना दल (कृष्णा पटेल गुट), भारतीय समाज पार्टी, जनवादी पार्टी, कोल आदिवासी संघ, पीस पार्टी, राष्ट्रीय परिवर्तन दल, इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल, राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल, इण्डियन मुस्लिम लीग, सर्वोदय भारत पार्टी, विकास पार्टी, इस्लाम पार्टी आदि छोटे दल कांग्रेस के साथ खड़े दिख सकते है.

राजनीतिक विश्लेकषकों के मुताबिक, शाक्य समाज बेस वाले महान दल से हाथ मिलाने से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भले ही कोई बड़ा लाभ होता नहीं दिखता, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में यह गठबंधन वेस्ट यूपी की एक दर्जन सीटों पर असरकारी साबित हो सकता है. वहीं महानदल से कांग्रेस के हाथ मिलाने से यूपी में बीएसपी और भाजपा दोनों को नुकसान हो सकता है. गौरतलब है कि वर्तमान में मौर्या वोटर भाजपा के साथ माने जाते हैं. चूंकि प्रिंयका का फोकस यूपी में चुनाव जीतने के साथ पार्टी की खोई जमीन हासिल करने में हैं, ऐसे में महान दल जैसे छोटे व फ्लाप दल से दोस्ती को प्रियंका की एक बड़ी शुरूआत माना जा सकता है, जिसका असर आने वाले समय दिखाई देगा. आखिरकर चुनाव में जीत हार के लिये 'एक-एक वोट जरूरी जो होता है'.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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