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सोशल मीडिया पर एंट्री को लेकर प्रियंका गांधी में नहीं है राहुल जैसी हिचकिचाहट

    • आशीष वशिष्ठ
    • Updated: 07 फरवरी, 2019 10:10 PM
  • 07 फरवरी, 2019 10:10 PM
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मायावती ने तो सोशल मीडिया पर एंट्री कर ली, लेकिन अब एक और दिग्गज महिला सोशल मीडिया को हथियार बनाकर लोकसभा चुनाव 2019 लड़ने वाली है. कांग्रेस की नई प्रतिनिधि‍ प्रियंका गांधी वाड्रा भी अब जल्दी ही फेसबुक और ट्विटर का सहारा लेकर अपना काम करेंगी.

बरसों-बरस मेन स्ट्रीम मीडिया से दूरी बनाकर रखने वाली बसपा सुप्रीमो ने राजनीति के नये हथियार सोशल मीडिया को अपना लिया है. मायावती के बाद देश की राजनीति में सबसे ‘लेटेस्ट एंट्री’ करने वाली कांग्रेस की जनरल सेक्रेटरी प्रियंका गांधी वाड्रा सोशल मीडिया के मंच पर दस्तक देने वाली हैं. प्रियंका गांधी की राजनीति में ‘सक्रिय’ होने की खबर लगातार सुर्खियों में बनी है. प्रियंका दिल्ली में अपने आफिस में आमद दर्ज करवा चुकी हैं.

प्रियंका की राजनीति में एंट्री की खबर के बाद से ही सोशल मीडिया में प्रियंका गांधी से जुड़ी खबरों, किस्सों, वीडियो की बाढ़-सी आई हुई है. प्रियंका के रणनीतिकार भी इस बाढ़ में हाथ धो लेना चाहते हैं. वे राहुल गांधी की गलती का दोहराना नहीं चाहते हैं. सोशल मीडिया की तेज धारा में सफर करने का सबसे लंबा अनुभव लेकर जब मोदी काफी आगे निकल चुके थे, तब राहुल गांधी ने सहमे हुए भाव के साथ 'ऑफिस ऑफ आरजी' के जरिए ट्विटर पर एंट्री ली थी.

ये अलग बात है कि प्रियंका गांधी मायावती की तरह ट्विटर की बजाय पहले फेसबुक पर दस्तक देंगी. असल में टि्वटर ने अभी अपने वेरिफिकेशन प्रोसेस को रोका हुआ है. इस ‘तकनीकी कारण’ से प्रियंका का सोशल मीडिया पर श्रीगणेश फेसबुक से होगा. वैसे ट्विटर पर ‘ऑफिशियल विद पीजी’ के नाम से एक अकाउंट एक्टिव है. जिसके 908 फॉलोअर्स हैं. दिसंबर 2018 में बने इस एकाउंट से कांग्रेस पार्टी व संगठनों के एकाउंट भी जुड़े हैं. इसके अलावा भी प्रियंका गांधी के नाम से कई अकाउंट ट्विटर पर हैं. लेकिन वे उनके वेरिफाइ अकाउंट नहीं हैं. इसीलिए पार्टी चाहती है कि ट्विटर जब अकाउंट को वेरिफाइ करे, तभी प्रियंका का अकाउंट सक्रिय किया जाए. पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी अपने सोशल मीडिया अभियान में सबसे पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं और महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाएंगी. इसके बाद लोकसभा चुनाव में वो वक्त और जरूरत के हिसाब से विरोधियों पर हमलावर होंगी और अपनी बात देश-दुनिया तक भी पहुंचाएगी.

बरसों-बरस मेन स्ट्रीम मीडिया से दूरी बनाकर रखने वाली बसपा सुप्रीमो ने राजनीति के नये हथियार सोशल मीडिया को अपना लिया है. मायावती के बाद देश की राजनीति में सबसे ‘लेटेस्ट एंट्री’ करने वाली कांग्रेस की जनरल सेक्रेटरी प्रियंका गांधी वाड्रा सोशल मीडिया के मंच पर दस्तक देने वाली हैं. प्रियंका गांधी की राजनीति में ‘सक्रिय’ होने की खबर लगातार सुर्खियों में बनी है. प्रियंका दिल्ली में अपने आफिस में आमद दर्ज करवा चुकी हैं.

प्रियंका की राजनीति में एंट्री की खबर के बाद से ही सोशल मीडिया में प्रियंका गांधी से जुड़ी खबरों, किस्सों, वीडियो की बाढ़-सी आई हुई है. प्रियंका के रणनीतिकार भी इस बाढ़ में हाथ धो लेना चाहते हैं. वे राहुल गांधी की गलती का दोहराना नहीं चाहते हैं. सोशल मीडिया की तेज धारा में सफर करने का सबसे लंबा अनुभव लेकर जब मोदी काफी आगे निकल चुके थे, तब राहुल गांधी ने सहमे हुए भाव के साथ 'ऑफिस ऑफ आरजी' के जरिए ट्विटर पर एंट्री ली थी.

ये अलग बात है कि प्रियंका गांधी मायावती की तरह ट्विटर की बजाय पहले फेसबुक पर दस्तक देंगी. असल में टि्वटर ने अभी अपने वेरिफिकेशन प्रोसेस को रोका हुआ है. इस ‘तकनीकी कारण’ से प्रियंका का सोशल मीडिया पर श्रीगणेश फेसबुक से होगा. वैसे ट्विटर पर ‘ऑफिशियल विद पीजी’ के नाम से एक अकाउंट एक्टिव है. जिसके 908 फॉलोअर्स हैं. दिसंबर 2018 में बने इस एकाउंट से कांग्रेस पार्टी व संगठनों के एकाउंट भी जुड़े हैं. इसके अलावा भी प्रियंका गांधी के नाम से कई अकाउंट ट्विटर पर हैं. लेकिन वे उनके वेरिफाइ अकाउंट नहीं हैं. इसीलिए पार्टी चाहती है कि ट्विटर जब अकाउंट को वेरिफाइ करे, तभी प्रियंका का अकाउंट सक्रिय किया जाए. पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी अपने सोशल मीडिया अभियान में सबसे पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं और महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाएंगी. इसके बाद लोकसभा चुनाव में वो वक्त और जरूरत के हिसाब से विरोधियों पर हमलावर होंगी और अपनी बात देश-दुनिया तक भी पहुंचाएगी.

कांग्रेस ने 2014 चुनावों में सोशल मीडिया की ताकत नजरअंदाज की थी, अब प्रियंका गांधी ये मौका नहीं छोड़ेंगी

आज देश में तकरीबन 50 करोड़ लोग इंटरनेट से जुड़े हैं. मोबाइल फोन की बात की जाए तो ये आंकड़ा 100 करोड़ के करीब जाकर बैठेगा. इंटरनेट की तेजी से हो रहे फैलाव और स्मार्टफोन तक आम आदमी की बढ़ती पहुंच ने सोशल मीडिया को 'बेहद असरकारी' और 'शक्तिशाली हथियार' बना डाला है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सोशल मीडिया की ताकत का जमकर उपयोग किया. जब बीजेपी सोशल मीडिया से चुनावी जंग लड़ रही थी, उस समय कांग्रेस समेत दूसरे दलों के नेता सोशल मीडिया की ताकत से अनजान ही थे.

तकनीक को अछूत व शक्तिहीन समझने वाले अधिकतर नेता सोशल मीडिया से चुनाव में जीत-हार के सवाल का मजाक ही उड़ाते थे. इस जमात में युवा व बुजुर्ग हर तरह व हर दल के नेता शामिल थे. लेकिन आम चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत ने देश के तमाम नेताओं को सोशल मीडिया की ‘सोशल पावर और कनेक्टिविटी’ का असली एहसास कराया. 2014 में बुरी तरह चोट खाई कांग्रेस ने पिछले साढ़े चार साल में खुद को सोशल मीडिया के मोर्चे पर मजबूत करने का बड़ा काम किया है. आज कांग्रेस की सोशल मीडिया सेल बीजेपी की साइबर टोली को बराबर की टक्कर देती है. अभी हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की जमीन के साथ ही साथ सोशल मीडिया भी लड़ाई पूरे देश ने देखी.

कांग्रेस का हर छोटा-बड़ा नेता सोशल मीडिया पर एक्टिव है. रणनीति के तहत कांग्रेस के नेता, प्रवक्ता, मीडिया टीम और साइबर सेल किसी भी मुद्दे पर एक साथ अपने विरोधियों पर ‘अटैक’ और ‘काउंटर अटैक’ करती है. क्षेत्रीय दलों में समाजवादी पार्टी, शिवसेना, राष्ट्रीय जनता दल और एआईएमआई के नेता और कार्यकर्ता काफी एक्टिव हैं. इन दलों के कई नेता सोशल मीडिया काफी लोकप्रिय भी हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव अक्सर अपने सोशल मीडिया पोस्ट के लिये सुर्खियों में रहते हैं. सोशल मीडिया चूंकि दमदार, असरदार और ‘अति घातक’ हथियार है, इसलिए अक्सर मीडिया और सोशल मीडिया से दूरी रखने वाली बसपा भी इस मंच पर अवतरित हो चुकी है.

बसपा सुप्रीमो मायावती की ट्विटर पर एंट्री के पहले ही दिन हजारों लोग उन्हें ‘फॉलो’ करने लगे. चूंकि प्रियंका गांधी विधिवत तरीके से राजनीति के अखाड़े में पर्दापण कर चुकी हैं. ऐसे में कांग्रेस उनकी लोकप्रियता को सोशल मीडिया के द्वारा ज्यादा से ज्यादा भुनाना चाहेगी. मां सोनिया गांधी व भाई राहुल के चुनाव प्रचार व संसदीय क्षेत्र में जब-जब प्रियंका पहुंची, मीडिया ने उन्हें हाथों-हा‍थ लिया. सोशल मीडिया में उनसे जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर ट्रेंड करने लगती है. पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ही तरह आने वाले दिनों में प्रियंका के भाषणों के लिए भी एक यूट्यूब चैनल शुरू किया जा सकता है, जहां उनके भाषणों की लाइव स्ट्रीमिंग हो सके और लोगों से बातचीत की जा सके.

राहुल गांधी के ट्वि‍टर पर 84.1 लाख फॉलोअर हैं. वहीं फेसबुक पर उनके आधिकारिक पेज को 23 लाख से ज्यादा लोग लाइक करते हैं. पिछले कुछ समय से राहुल गांधी की पोस्ट सुर्खियों में रहने लगी हैं. बजट के दौरान सोशल मीडिया पर 31 जनवरी से लेकर 3 फरवरी तक के ट्वीटर के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो राहुल गांधी मोदी को पछाड़ते हुए नजर आ रहे हैं. इस दौरान राहुल गांधी का बजट को लेकर किया गया एक ट्वीट 12,000 बार से ज्यादा रीट्वीट किया गया. वहीं इसके जवाब में भारतीय जनता पार्टी के ट्वि‍टर से किये गए ट्वीट को 9,000 रीट्वीट मिले. चूंकि बहुत जल्दी ही अब प्रियंका वाड्रा भी सोशल मीडिया पर आने वाली है ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कांग्रेस विरोधियों खासकर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. सही मायनों में इस दफा लोकसभा चुनाव जमीन से ज्यादा सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर लड़ा जाएगा. और लगता है कि दोनों ओर के साइबर योद्धा इसके लिये कमर भी कस चुके हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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