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'भगवा आतंक' से 'भगवा की दुहाई' तक पहुंचा कांग्रेस का यू-टर्न

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 01 जनवरी, 2020 08:23 PM
  • 01 जनवरी, 2020 08:23 PM
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प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने भगवा राजनीति (Saffron Politics) पर कांग्रेस का नया नजरिया पेश कर दिया है. साध्वी प्रज्ञा को लेकर कांग्रेस की जो सोच रही है, योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के बारे में बदली हुई है - आखिर ये बदलाव आया कैसे?

भगवा राजनीति (Saffron Politics) पर कांग्रेस के विचार में अचानक बड़ा बदलाव आया है. प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) ने भगवा के नाम पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को जिस तरह निशाना बनाया है उसके निहितार्थ ध्यान देने पर धीरे धीरे अपनेआप नजर आने लगते हैं.

प्रियंका गांधी की बातों से तो यही लगता है कि कांग्रेस ने भगवा पॉलिटिक्स पर बिलकुल यू-टर्न ले लिया है - और योगी आदित्यनाथ को टारगेट कर वो बीजेपी की राजनीति को कठघरे में खड़ा करना चाहती है. भगवा राजनीति को लेकर प्रियंका गांधी के बयानों में एक नया राजनीतिक पैंतरा नजर आ रहा है.

सवाल ये है कि भगवा रंग में अब सिर्फ आतंकवाद की परछाई देखने वाली कांग्रेस को एकदम से उसके अंदर 'सत्य और अहिंसा का गांधीवादी सिद्धांत' कैसे नजर आने लगा है?

भगवा राजनीति पर कांग्रेस का नया नजरिया

प्रियंका गांधी यूपी में 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की तैयारी पहले से ही शुरू कर चुकी हैं. सोनभद्र और उन्नाव के बाद उनका ताजा लखनऊ दौरा भी उसी की अगली कड़ी है.

प्रियंका गांधी ने पहले यूपी पुलिस के बहाने से मुख्यमंत्री पर सीधा अटैक किया - और उसके बाद योगी आदित्यनाथ के भगवा वस्त्र पर टिप्पणी के साथ. प्रियंका गांधी ने लोगों को ये समझाने की कोशिश की कि योगी आदित्यनाथ संन्यासी होकर भगवा वस्त्र तो धारण किये हुए हैं, लेकिन वो उसकी अहमियत नहीं समझते. ये भी कुछ कुछ वैसा ही था जैसे राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने गीता का संदर्भ देते हुए ये समझाने की कोशिश की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिंदुत्व की ठीक ठीक समझ नहीं है.

प्रियंका गांधी भी अगर राहुल गांधी की ही तरह बगैर सोचे समझे ये बयान दी हैं तो दांव बिलकुल उलटा पड़ सकता है. बीजेपी की तरह से योगी आदित्यनाथ का जबरदस्त बचाव किया गया है, तब भी सुषमा स्वराज ने तीखे तेवर में सवाल किया था - अब हिंदुत्व के बारे में राहुल गांधी से सीखना होगा? योगी आदित्यनाथ के ऑफिस की तरह से भी प्रियंका गांधी...

भगवा राजनीति (Saffron Politics) पर कांग्रेस के विचार में अचानक बड़ा बदलाव आया है. प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) ने भगवा के नाम पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को जिस तरह निशाना बनाया है उसके निहितार्थ ध्यान देने पर धीरे धीरे अपनेआप नजर आने लगते हैं.

प्रियंका गांधी की बातों से तो यही लगता है कि कांग्रेस ने भगवा पॉलिटिक्स पर बिलकुल यू-टर्न ले लिया है - और योगी आदित्यनाथ को टारगेट कर वो बीजेपी की राजनीति को कठघरे में खड़ा करना चाहती है. भगवा राजनीति को लेकर प्रियंका गांधी के बयानों में एक नया राजनीतिक पैंतरा नजर आ रहा है.

सवाल ये है कि भगवा रंग में अब सिर्फ आतंकवाद की परछाई देखने वाली कांग्रेस को एकदम से उसके अंदर 'सत्य और अहिंसा का गांधीवादी सिद्धांत' कैसे नजर आने लगा है?

भगवा राजनीति पर कांग्रेस का नया नजरिया

प्रियंका गांधी यूपी में 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की तैयारी पहले से ही शुरू कर चुकी हैं. सोनभद्र और उन्नाव के बाद उनका ताजा लखनऊ दौरा भी उसी की अगली कड़ी है.

प्रियंका गांधी ने पहले यूपी पुलिस के बहाने से मुख्यमंत्री पर सीधा अटैक किया - और उसके बाद योगी आदित्यनाथ के भगवा वस्त्र पर टिप्पणी के साथ. प्रियंका गांधी ने लोगों को ये समझाने की कोशिश की कि योगी आदित्यनाथ संन्यासी होकर भगवा वस्त्र तो धारण किये हुए हैं, लेकिन वो उसकी अहमियत नहीं समझते. ये भी कुछ कुछ वैसा ही था जैसे राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने गीता का संदर्भ देते हुए ये समझाने की कोशिश की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिंदुत्व की ठीक ठीक समझ नहीं है.

प्रियंका गांधी भी अगर राहुल गांधी की ही तरह बगैर सोचे समझे ये बयान दी हैं तो दांव बिलकुल उलटा पड़ सकता है. बीजेपी की तरह से योगी आदित्यनाथ का जबरदस्त बचाव किया गया है, तब भी सुषमा स्वराज ने तीखे तेवर में सवाल किया था - अब हिंदुत्व के बारे में राहुल गांधी से सीखना होगा? योगी आदित्यनाथ के ऑफिस की तरह से भी प्रियंका गांधी के बयान पर कड़ा रिएक्शन आया है - और चेतावनी भी दी है कि संन्यासी के यज्ञ में जो भी बाधाएं खड़ा करेगा उसे दंड का भागी भी बनना होगा.

दरअसल, योगी आदित्यनाथ का कहना रहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों की निशादेही हो चुकी है और उनकी संपत्ति जब्‍त कर के उनसे तोड़फोड़ का बदला लिया जाएगा.

प्रियंका गांधी ने 'बदले' वाली इसी बात को राजनीतिक रंग दे दिया है. प्रियंका गांधी ने सलाह दी कि भगवाधारी योगी उस हिंदू धर्म को अपनायें जिसमें हिंसा और बदले की भावना की कोई जगह नहीं है. प्रियंका गांधी ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने इस तरह का बयान दिया है. प्रियंका गांधी सलाह के बहाने लोगों को ये समझाने की कोशिश कर रही हैं कि योगी आदित्यनाथ ने भगवा धारण तो कर लिया, लेकिन उसका मर्म नहीं समझते. प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ से कहा है कि भगवा हिंदुस्स्तान की आध्यात्मिक परंपरा से आता है और इसमें रंज, हिंसा और बदले की भावना की कोई जगह नहीं होती.

यही वो नयी बात है जो प्रियंका गांधी ने भगवा राजनीति में खोजा है - अहिंसा की भावना. वरना, अब तक कांग्रेस को भगवा रंग में आतंकवाद का साया ही नजर आता रहा है - साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने यही थ्योरी दी थी.

कांग्रेस को भगवा अचानक भाने क्यों लगा है?

प्रियंका गांधी का बयान आने के बाद भगवा पर कांग्रेस के दो दृष्टिकोण सामने आने लगे हैं. एक, जो अब तक साध्वी प्रज्ञा को लेकर कांग्रेस की सोच रही है और दूसरा, जो कुछ प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ के बारे में कहा है.

बड़ा सवाल यही है कि ये भारी बदलाव आया कैसे? क्या यूपी की राजनीति को लेकर प्रियंका गांधी को कोई नया सलाहकार मिल गया है? ये भी दिलचस्प बात है कि यूपी की राजनीति में राहुल गांधी के लंबे समय तक दिग्विजय सिंह ही सलाहकार रहे.

जनेऊधारी राहुल का सॉफ्ट हिंदुत्‍व साध्‍वी प्रज्ञा के आगे फेल

गुजरात विधानसभा चुनाव से लेकर कर्नाटक तक राहुल गांधी मंदिरों और मठों का खूब दौरा करते रहे - मध्य प्रदेश में जब चुनाव हुए तो शुरू में कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी को शिव भक्त के रूप में पेश करने की कोशिश की, लेकिन जल्दी ही ये सब पीछे छूट गया क्योंकि तब तक वो 'चौकीदार चोर...' में शिद्दत से जुट गये थे. पहले तो राहुल गांधी को जनेऊधारी हिंदू के रूप में भी स्थापित करने की कोशिश की गयी थी, लेकिन जब चुनावों में कोई फायदा नहीं मिला तो राहुल गांधी ने वो सब भी छोड़ दिया.

राहुल गांधी के मंदिर और मठ दौरों को 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की राजनीति का नाम दिया गया. अब प्रियंका गांधी की नयी राजनीति के लिए देखना है क्या नाम फिट बैठता है? राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदुत्व तो पूरी तरह फेल रहा, प्रियंका गांधी का हिंदुत्व का नया प्रयोग क्या रंग दिखाता है, देखना बाकी है. भगवा में दिग्विजय सिंह को आतंक का रंग नजर आया था - और कालांतर में वही भोपाल लोक सभा सीट पर उनकी हार का कारण बना. बीजेपी ने जानबूझ कर दिग्विजय सिंह के खिलाफ साध्वी प्रज्ञा को मैदान में उतारा था. ये यूपीए शासन के वक्त भगवा आतंकवाद की थ्योरी का जनता की अदालत में ट्रायल था - साध्वी प्रज्ञा अब जनता द्वारा चुनी हुई प्रतिनिधि और सांसद हैं. वैसे साध्वी प्रज्ञा के गोडसे वाले बयान के बाद राहुल गांधी ने ट्विटर पर उनके लिए आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल किया था. फिर मौका आने पर राहुल गांधी की प्रतिक्रिया देखनी होगी.

प्रियंका का भगवा-प्रायश्चित

कभी भगवा-टेरर का शब्‍द उछालने वाली कांग्रेस को प्रियंका गांधी के मुताबिक उसी भगवा में अब अहिंसा का रंग नजर आने लगा है - और अब वो हिंदुत्व के प्रतीक भगवा रंग को गांधीवादी तरीके से समझाने की कोशिश में जुट गयी है.

कांग्रेस अब हार्डकोर हिंदुत्व के भीतर घुसने का प्रयास कर रही है. सॉफ्ट हिंदुत्व में कांग्रेस का नाता महज प्रदर्शन भर रहा है - राहुल गांधी का धर्म-कर्म सिर्फ चुनावों तक नजर आता है - और यही वजह है कि जब बीजेपी नेता सवाल उठाते हैं कि बागी दिनों में राहुल गांधी को किसी मंदिर में जाते हुए देखने को क्यों नहीं मिलता तो कांग्रेस के पास बचाव के लिए कोई बात नहीं होती है.

प्रियंका गांधी का नया पैंतरा सॉफ्ट हिंदुत्व से आगे का विमर्श है - कांग्रेस अब बीजेपी के भगवा अपनाने को लेकर नये तरीके से सवाल उठा रही है - पहले ये सवाल भगवा आतंकवाद के नाम पर उठाया जाता रहा - और अब भगवा अहिंसा के नाम पर विमर्श आगे बढ़ाया जाने लगा है.

प्रियंका गांधी का बयान भगवा राजनीति पर दिग्विजय सिंह की आतंकवाद वाली थ्योरी को सिरे से खारिज कर रहा है. अगर कांग्रेस ने ये कदम सोच समझ कर आगे बढ़ाया है तो ये बड़ा ही जोखिम भरा कदम बढ़ाया है - आगे एक से बढ़ कर एक खतरनाक मोड़ आने वाले हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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