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प्रियंका गांधी की राजनीतिक घेरेबंदी में योगी आदित्यनाथ फंस कैसे जाते हैं?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 19 मई, 2020 12:09 PM
  • 19 मई, 2020 12:09 PM
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प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) के राजनीतिक दबाव में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) यूपी में कांग्रेस की बसों (Congress 1000 Buses) को एंट्री देने को राजी हो गये हैं - ये दूसरा मौका है जब योगी आदित्यनाथ पर दबाव बनाने में प्रियंका गांधी कामयाब रही हैं - कोई खास वजह?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) की सक्रियता के मद्देनजर काफी तीखे सवाल पूछे थे, लेकिन फिर वही करने का फैसला किया जो कांग्रेस महासचिव चाहती थीं. योगी आदित्यनाथ सरकार अब प्रियंका गांधी की पहल पर कांग्रेस की तरफ से मजदूरों के लिए 1000 बसों (Congress 1000 Buses) को एंट्री देने को राजी हो गयी है.

यूपी के प्रवासी कामगारों की मदद के लिए शुरू से ही एक्टिव योगी आदित्यनाथ के प्रयासों पर औरैया हादसे ने पानी ही फेर दिया. औरैया हादसे की असली वजह तो योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के बावजूद निचले स्तर की लापरवाही ही रही और मजदूरों के बहाने राजनीति के मौके खोज रही कांग्रेस ने बगैर कोई देर किये सीधा हमला बोल दिया. औरैया हादसे में 25 मजदूरों की मौत हुई है.

एक तरफ दिल्ली में राहुल गांधी मजदूरों से मुलाकात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट कर रहे थे तो प्रियंका गांधी वीडियो मैसेज के जरिये योगी आदित्यनाथ को घेरने लगी थीं - और ट्विटर के साथ साथ जमीन पर भी एक साथ 1000 बसें यूपी बॉर्डर पर भेज कर योगी आदित्यनाथ पर दबाव बना दिया.

ये दूसरा मौका है जब प्रियंका गांधी वाड्रा के दबाव में योगी आदित्यनाथ सरकार को पीछे हटना पड़ा है - इससे पहले सोनभद्र में हुए नरसंहार के वक्त भी प्रियंका गांधी ऐसे ही राजनीति चमकाने में सफल रहीं और योगी आदित्यनाथ मन मसोस कर रह गये थे.

प्रियंका और योगी के बीच तीखे सवाल-जवाब

उत्तर प्रदेश को लेकर जब भी राहुल गांधी या प्रियंका गांधी सक्रिय नजर आते हैं पहली बड़ी प्रतिक्रिया अक्सर पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी नेता मायावती की तरफ से ही देखने को मिलती रही है. दलितों के घर राहुल गांधी का जाना तो मायावती को बुरा लगता ही था, प्रियंका गांधी जब CAA विरोध प्रदर्शनकारियों के घर जाकर सहानुभूति जता रही थीं तो मायावती कोटा के अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला उठा रही थीं. राहुल गांधी को लेकर तो पहले वो कहती ही रही हैं कि...

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) की सक्रियता के मद्देनजर काफी तीखे सवाल पूछे थे, लेकिन फिर वही करने का फैसला किया जो कांग्रेस महासचिव चाहती थीं. योगी आदित्यनाथ सरकार अब प्रियंका गांधी की पहल पर कांग्रेस की तरफ से मजदूरों के लिए 1000 बसों (Congress 1000 Buses) को एंट्री देने को राजी हो गयी है.

यूपी के प्रवासी कामगारों की मदद के लिए शुरू से ही एक्टिव योगी आदित्यनाथ के प्रयासों पर औरैया हादसे ने पानी ही फेर दिया. औरैया हादसे की असली वजह तो योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के बावजूद निचले स्तर की लापरवाही ही रही और मजदूरों के बहाने राजनीति के मौके खोज रही कांग्रेस ने बगैर कोई देर किये सीधा हमला बोल दिया. औरैया हादसे में 25 मजदूरों की मौत हुई है.

एक तरफ दिल्ली में राहुल गांधी मजदूरों से मुलाकात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट कर रहे थे तो प्रियंका गांधी वीडियो मैसेज के जरिये योगी आदित्यनाथ को घेरने लगी थीं - और ट्विटर के साथ साथ जमीन पर भी एक साथ 1000 बसें यूपी बॉर्डर पर भेज कर योगी आदित्यनाथ पर दबाव बना दिया.

ये दूसरा मौका है जब प्रियंका गांधी वाड्रा के दबाव में योगी आदित्यनाथ सरकार को पीछे हटना पड़ा है - इससे पहले सोनभद्र में हुए नरसंहार के वक्त भी प्रियंका गांधी ऐसे ही राजनीति चमकाने में सफल रहीं और योगी आदित्यनाथ मन मसोस कर रह गये थे.

प्रियंका और योगी के बीच तीखे सवाल-जवाब

उत्तर प्रदेश को लेकर जब भी राहुल गांधी या प्रियंका गांधी सक्रिय नजर आते हैं पहली बड़ी प्रतिक्रिया अक्सर पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी नेता मायावती की तरफ से ही देखने को मिलती रही है. दलितों के घर राहुल गांधी का जाना तो मायावती को बुरा लगता ही था, प्रियंका गांधी जब CAA विरोध प्रदर्शनकारियों के घर जाकर सहानुभूति जता रही थीं तो मायावती कोटा के अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला उठा रही थीं. राहुल गांधी को लेकर तो पहले वो कहती ही रही हैं कि युवराज दलितों के घरों से लौटने के बाद एक विशेष प्रकार के साबुन से नहाते हैं. जब दिल्ली के सुखदेव विहार फ्लाईओवर पर राहुल गांधी मजदूरों से मिलने गये तो भी सबसे ज्यादा नाराजगी मायावती ने ही दिखायी.

मायावती ने ट्विटर पर लिखा - 'कांग्रेसी नेता लोग दिल्ली में मजदूरों से मिलने के दौरान यदि प्रवासी मजदूरों की कुछ आर्थिक मदद व खाने आदि की व्यवस्था भी कर देते तो उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिल जाती अर्थात् कांग्रेस को उनके दुःख-दर्द को बांटने के साथ-साथ बीएसपी की तरह उनकी कुछ मदद भी जरूर करनी चाहिये.'

मायावती ने प्रियंका गांधी की बसें भेजने की पहल पर भी वैसे ही रिएक्ट किया. ट्विटर पर ही मायावती ने लिखा - 'कांग्रेसी नेताओं को भी सबक सीखना चाहिए क्योंकि पंजाब व चंडीगढ़ से यूपी के मजदूर सरकारी अनदेखी व उपेक्षा के कारण यमुना नदी के जरिए घर वापसी कर रहे हैं। जिनके साथ कभी भी दुर्घटना हो सकती है.'

औरैया हादसे पर घिरे योगी आदित्यनाथ भले ही प्रियंका गांधी के राजनीतिक दबाव में आ गये हों, लेकिन आगे से अलर्ट रहना होगा

प्रियंका गांधी को मायावती ने बसों के बहाने कांग्रेस सरकारों पर ध्यान देने की ठीक वैसे ही सलाह दी जैसे कोटा अस्पताल को लेकर अशोक गहलोत सरकार के लिए हमले बोल रही थीं. मायावती का कहना रहा कि कांग्रेस यूपी नहीं बल्कि बसें पहले पंजाब भेजे ताकि मजदूर अपनी जान जोखिम में डालने की बजाये सड़क के जरिये सुरक्षित घर पहुंच सकें.

योगी सरकार को घेरने के लिए प्रियंका गांधी ने खास रणनीति अपनायी. औरैया में मजदूरों की मौत से भड़के गुस्से का पूरा फायदा उठाते हुए कांग्रेस की तरफ से बसें सीधे उत्तर प्रदेश की सीमा पर भेज दी गयी और एक वीडियो में कतार में खड़ी बसें दिखायी गयीं. कांग्रेस को मालूम था कि मजदूर ट्विटर भले न देखें लेकिन सड़क पर खड़ी बसें तो सबको दिखेंगी - और फिर प्रियंका गांधी ने मां सोनिया गांधी की ही तरह एक वीडियो मैसेज जारी किया.

ये वीडियो मैसेज औरैया हादसे के एक दिन बाद का है. जब यूपी सरकार की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं मिला तो आधी रात से सुबह तक कांग्रेस ने बसें वापस भेज दी और फिर प्रचारित करना शुरू किया कि अनुमति नहीं मिलने के कारण बसें लौटानी पड़ रही है - लेकिन ग्रीन सिग्नल मिलते ही 12 घंटे के भीतर बसें फिर से मौके पर पहुंचायी जा सकती हैं. एक खास बात और भी देखने को मिली है कि जब भी बसों की बात हो रही है एक चीज पर काफी जोर दिखता है - 'कांग्रेस के खर्चे पर'. प्रियंका गांधी अपने ट्वीट में इसे वैसे ही इस्तेमाल कर रही हैं जैसे पंजाब का एक विधायक स्टेशन पहुंच कर श्रमिक स्पेशन ट्रेन में बैठने जा रहे मजूदरों को जोर जोर से बता रहा था कि उनके टिकट के पैसे सोनिया गांधी ने दिये हैं.

प्रियंका गांधी के इस आरोप पर कि कांग्रेस मजदूरों के लिए 1000 बसें चलाना चाहती है लेकिन ये यूपी की योगी सरकार है कि अनुमति दे ही नहीं रही है - योगी आदित्यनाथ की तरफ से बिंदुवार और सटीक चार सवाल पूछे गये.

योगी आदित्यनाथ ऑफिस के ट्विटर हैंडल से पूछे गये सवालों में कांग्रेस पर गंभीर इल्जाम लगे थे. कहा गया कि एक ट्रक पंजाब से आ रहा था और दूसरा राजस्थान से और सवाल थे - क्या कांग्रेस और प्रियंका गांधी दुर्घटना की जिम्मेदारी लेंगी? क्या मजदूरों से माफी मांगेंगी?

लेकिन इन्हीं ट्वीट के साथ योगी आदित्यनाथ ने वो भी कह दिया जो प्रियंका गांधी सुनना चाहती थीं - 'बसों और हमारे साथियों की सूची उपलब्ध करा दी जाए, जिससे उनके कार्य ट्विटर नहीं धरातल पर दिखें.'

बाद में तो महज औपचारिकताएं बची थीं जिसे अफसरों ने पूरा भी कर दिया. बसों के नंबर और ड्राइवरों की सूची के लिए यूपी सरकार की तरफ से प्रियंका गांधी के निजी सचिव को पत्र भेजा गया - और ये एपिसोड खत्म.

प्रियंका गांधी बनाम योगी आदित्यनाथ

एक बार फिर ऐसा देखने को मिला है जब प्रियंका गांधी के दबाव में योगी सरकार झुकी नजर आयी - क्या प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ की कोई कमजोर नस पकड़ ली है?

1. सोनभद्र नरसंहार: 17 जुलाई, 2019 को सोनभद्र में 10 लोगों की एक जमीन विवाद में हत्या कर दी थी, दो दिन बाद ही 19 जुलाई को प्रियंका गांधी सोनभद्र रवाना हुईं लेकिन रास्ते में ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया. बाद में प्रियंका गांधी को चुनार गेस्ट हाउस ले जाया गया जहां वो धरने पर बैठ गयीं. वो तब तक धरने पर बैठी रहीं जब तक प्रशासन पीड़ित परिवारों से मुलाकात कराने के लिए राजी नहीं हुआ.

अगले दिन गेस्ट हाउस में ही पीड़ित परिवारों के कुछ लोगों से प्रियंका गांधी ने मुलाकात की और इस वादे के साथ लौटीं कि वो फिर मिलने उनके गांव पहुंचेंगी. योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए मजबूरी में पीछे हटने का ये पहला मौका था. बाद में वादे के अनुसार अगस्त में प्रियंका गांधी ने उम्भा गांव जाकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात भी की.

जब प्रियंका गांधी चुनार गेस्ट हाउस में थीं तभी पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल भी सोनभद्र के लिए निकला था, लेकिन उसे एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया. जब प्रियंका गांधी लौटीं तो वो डेरेक ओब्रायन और दूसरे तृणमूल कांग्रेस नेताओं से मिल कर आभार जतायीं.

2. उन्नाव रेप पीड़ित की मौत का मामला: 7 दिसंबर, 2019 को जैसे ही उन्नाव की रेप पीड़ित युवती की अस्पताल में मौत की खबर आयी, प्रियंका गांधी सीधे उसके परिवार से मिलने उसके गांव पहुंच गयीं और वहीं योगी आदित्यनाथ को कठघरे में खड़ा करना शुरू किया. वहीं से प्रियंका गांधी ने महिलाओं के खिलाफ उन्नाव में तेजी से बढ़ते अपराधों पर चिंता जताते हुए बीजेपी सरकार पर हमले भी किये. ये उसी दिन की बात जब एक ही साथ प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव और मायावती तीनों योगी सरकार के खिलाफ धावा बोले थे. अखिलेश यादव विधानसभा के सामने धरने पर बैठे और मायावती ने राजभवन जाकर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को ज्ञापन सौंप कर समझाने की कोशिश की थी कि कैसे एक महिला होने के नाते वो अपराध को समझ सकती हैं.

3. लखनऊ पुलिस के बहाने योगी पर निशाना: दिसंबर, 2019 में ही प्रियंका गांधी जब दो दिन के दौरे पर लखनऊ पहुंची तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेरने के लिए सबसे पहले लखनऊ पुलिस पर इल्जाम लगा डाला. प्रियंका गांधी पूर्व आईपीएस अफसर एसआर दारापुरी के घर जा रही थीं तभी पुलिस ने रोक लिया, जिस पर कांग्रेस नेता का आरोप रहा कि पुलिस ने उनका गला दबाया और धक्का दिया. हालांकि, बाद में किसी खास वजह से प्रियंका गांधी ने गला दबाने की बात नहीं दोहरायी, सिर्फ धक्का देने का आरोप लगाती रहीं.

बहरहाल, बसों को अनुमति देने के लिए राजी हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अब प्रियंका गांधी ने शुक्रिया भी कह दिया है - राहुल गांधी तो अपने हिसाब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मनरेगा का बजट बढ़ाने के लिए पहले ही थैंक यू बोल चुके हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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