• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

प्रणब मुखर्जी की किताब पर विवाद भाई-बहन का झगड़ा तो नहीं लगता

    • आईचौक
    • Updated: 17 दिसम्बर, 2020 06:13 PM
  • 17 दिसम्बर, 2020 06:13 PM
offline
प्रणब मुखर्जी की किताब (Pranab Mukherjee Book) पर अभिजीत मुखर्जी (Abhijit Mukherjee) और शर्मिष्ठा मुखर्जी की लड़ाई कोई भाई-बहन का झगड़ा नहीं लगती - ये तो 'कहीं पे निगाहें, कहीं में पे निशाने' जैसा कोई गंभीर मामला लगता है.

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की नयी किताब (Pranab Mukherjee Book) को लेकर उनके बेटे और बेटी आमने सामने आ गये हैं. किताब में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर टिप्पणी को लेकर प्रणब मुखर्जी की टिप्पणी पहले से ही चर्चा में है. प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त, 2020 को निधन हो गया था.

प्रणब मुखर्जी के पूर्व सांसद बेटे अभिजीत मुखर्जी (Abhijit Mukherjee) चाहते हैं कि बगैर उनकी लिखित अनुमति के किताब को प्रकाशित न किया जाये, जबकि पूर्व राष्ट्रपति की बेटी और कांग्रेस प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी (Sharmishtha Mukherjee) ने इसे सस्ती लोकप्रियता की कवायद माना है - और भाई के विरोध में उतर आयी हैं.

ये सवाल हर किसी के मन में हो सकता है कि पिता की किताब को लेकर एक ही पार्टी में रहते हुए भाई-बहन एक दूसरे के खिलाफ स्टैंड क्यों ले रहे हैं? क्या अभिजीत मुखर्जी और शर्मिष्ठा मुखर्जी किसी और के कहने पर प्रणब मुखर्जी की किताब को लेकर एक दूसरे के खिलाफ बयान दे रहे हैं - और अगर ऐसा है तो क्या दोनों की बयानबाजी के पीछे एक ही पार्टी के दो गुट हैं या कोई और भी पार्टी है?

ये भाई-बहन का झगड़ा तो नहीं लगता

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' के बारे में प्रकाशक की तरफ से सूचना दी गयी है कि वो अगले साल जनवरी में बाजार में उपलब्ध होगी. ये सूचना देने के साथ ही किताब के कुछ अंश भी सार्वजनिक किये गये हैं जिसमें कांग्रेस के साथ साथ बीजेपी नेतृत्व पर भी प्रणब मुखर्जी की टिप्पणी है.

अभिजीत मुखर्जी का मानना है कि किताब का जो अंश पब्लिक किया गया है वो राजनीति से प्रेरित है - और इसीलिए वो किताब के प्रकाशन से पहले पांडुलिपि देखना चाहते हैं.

खबर है कि अभिजीत मुखर्जी ने किताब के प्रकाशक रूपा बुक्स को एक पत्र भी भेजा है और कहा है कि अपने पिता के निधन के बाद बेटा होने के नाते वो किताब के प्रकाशित होने से पहले पूरी पांडुलिपि देखना...

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की नयी किताब (Pranab Mukherjee Book) को लेकर उनके बेटे और बेटी आमने सामने आ गये हैं. किताब में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर टिप्पणी को लेकर प्रणब मुखर्जी की टिप्पणी पहले से ही चर्चा में है. प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त, 2020 को निधन हो गया था.

प्रणब मुखर्जी के पूर्व सांसद बेटे अभिजीत मुखर्जी (Abhijit Mukherjee) चाहते हैं कि बगैर उनकी लिखित अनुमति के किताब को प्रकाशित न किया जाये, जबकि पूर्व राष्ट्रपति की बेटी और कांग्रेस प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी (Sharmishtha Mukherjee) ने इसे सस्ती लोकप्रियता की कवायद माना है - और भाई के विरोध में उतर आयी हैं.

ये सवाल हर किसी के मन में हो सकता है कि पिता की किताब को लेकर एक ही पार्टी में रहते हुए भाई-बहन एक दूसरे के खिलाफ स्टैंड क्यों ले रहे हैं? क्या अभिजीत मुखर्जी और शर्मिष्ठा मुखर्जी किसी और के कहने पर प्रणब मुखर्जी की किताब को लेकर एक दूसरे के खिलाफ बयान दे रहे हैं - और अगर ऐसा है तो क्या दोनों की बयानबाजी के पीछे एक ही पार्टी के दो गुट हैं या कोई और भी पार्टी है?

ये भाई-बहन का झगड़ा तो नहीं लगता

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' के बारे में प्रकाशक की तरफ से सूचना दी गयी है कि वो अगले साल जनवरी में बाजार में उपलब्ध होगी. ये सूचना देने के साथ ही किताब के कुछ अंश भी सार्वजनिक किये गये हैं जिसमें कांग्रेस के साथ साथ बीजेपी नेतृत्व पर भी प्रणब मुखर्जी की टिप्पणी है.

अभिजीत मुखर्जी का मानना है कि किताब का जो अंश पब्लिक किया गया है वो राजनीति से प्रेरित है - और इसीलिए वो किताब के प्रकाशन से पहले पांडुलिपि देखना चाहते हैं.

खबर है कि अभिजीत मुखर्जी ने किताब के प्रकाशक रूपा बुक्स को एक पत्र भी भेजा है और कहा है कि अपने पिता के निधन के बाद बेटा होने के नाते वो किताब के प्रकाशित होने से पहले पूरी पांडुलिपि देखना चाहते हैं.

अभिजीत मुखर्जी ने प्रकाशक से कहा है, ' मेरा मानना है कि अगर मेरे पिता ज़िंदा होते तो वो भी ऐसा ही करते.'

पूर्व राष्ट्रपति के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने दो टूक बोल दिया है कि जब तक वो पूरी किताब पढ़ नहीं लेते और उसके बाद लिखित सहमति नहीं दे देते, तब तक किताब नहीं छापी जानी चाहिये.

लेकिन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी भाई के शक-शुबहे और दावे को एक ही झटके में खारिज कर देती हैं. शर्मिष्ठा मुखर्जी का मानना है कि जिस तरह की मांग किताब को लेकर की जा रही है वो उनके पिता के लिए बहुत बड़ा अनादर होगा.

प्रणब मुखर्जी की किताब को लेकर भिड़े भाई बहन - अभिजीत मुखर्जी और शर्मिष्ठा मुखर्जी

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया है कि किताब के फाइनल ड्राफ्ट के साथ प्रणब मुखर्जी का हाथ से लिखा नोट भी लगा है जिसमें वो बताते हैं कि जो कुछ भी लिखा है उस पर वो दृढ़ निश्चय हैं. भाई के स्टैंड के खिलाफ शर्मिष्ठा मुखर्जी सख्त लहजे में रिएक्ट किया है - और कहा है कि किसी को भी सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए किताब के प्रकाशन को रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिये.

सबसे दिलचस्प बात ये है कि जिस तरीके से अभिजीत मुखर्जी ने प्रणब मुखर्जी के बेटे के तौर पर उनकी किताब के प्रकाशन को रोकने की चेष्टा की है, बिलकुल उसी शैली, तेवर और लहजे में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी खुद को पूर्व राष्ट्रपति की बेटी के तौर पर पेश किया है.

ये तो स्वाभाविक सी बात है. भाई बहन बचपन से लड़ते रहते हैं - और बड़े होने पर भी रवैये में कोई खास बदलाव नहीं आता. विचारधारा के स्तर पर भी दोनों एक ही पार्टी के सदस्य हैं. 2012 में प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बन जाने के बाद उनकी जंगीपुर लोक सभा सीट खाली हो गयी तो उप चुनाव में कांग्रेस ने उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी को उम्मीदवार बनाया. अभिजीत मुखर्जी वो चुनाव तो जीते ही, 2014 का भी चुनाव जीते, लेकिन 2019 में पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस कैंडिडेट से चुनाव हार गये.

शर्मिष्ठा मुखर्जी मूलतः कथक डांसर हैं और राजनीति में वो 2014 में आयीं. 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में वो कांग्रेस के टिकट पर ग्रेटर कैलाश से चुनाव भी लड़ी थीं, लेकिन तीसरे स्थान पर रहीं. आप नेता सौरभ भारद्वाज ने ग्रेटर कैलाश में बीजेपी उम्मीदवार को हराया था. सौरभ भारद्वाज दोबारा उसी सीट से विधायक बने हैं.

अभिजीत बनर्जी ने जिस अकड़ के साथ बेटे होने के नाते विरासत के हकदार के रूप में खुद को पेश किया है, शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी उसी तेवर में उस दंभ पर जोरदार चोट की है - फिर भी सवाल ये नहीं है कि एक ही पिता के दो संतान एक मुद्दे पर दो राय क्यों हैं?

प्रणब मुखर्जी की किताब का प्रकाशन कौन रोकना चाहता है

अगर किताब को छोड़ दिया जाये तो अभिजीत मुखर्जी और शर्मिष्ठा मुखर्जी में राजनीतिक टकराव की भी कोई वजह नहीं नजर आती. अभिजीत मुखर्जी लोक सभा में पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और शर्मिष्ठा मुखर्जी दिल्ली की राजनीति के साथ साथ कांग्रेस की प्रवक्ता हैं. साफ है दोनों का कार्यक्षेत्र अलग अलग है और दोनों के बीच राजनीतिक हिस्सेदारी को लेकर लड़ाई तो नहीं है.

बेटा होने के नाते अभिजीत मुखर्जी पिता की चीजों के वारिस हैं - और इसी आधार पर वो प्रणब मुखर्जी की किताब का कंटेंट देखने की बात कर रहे हैं, लेकिन लगे हाथ वो ये भी कह रहे हैं कि उनके पिता होते तो वो भी ऐसा ही करते. अभिजीत मुखर्जी की ये बात गले के नीचे नहीं उतरती. शर्मिष्ठा मुखर्जी के मुताबिक, प्रणब मुखर्जी किताफ के फाइनल ड्राफ्ट के साथ हाथ से लिखा हुआ नोट भी दे चुके हैं जो उनका सहमति पत्र है - सवाल है कि क्या अभिजीत मुखर्जी उस नोट को चैलेंज कर सकते हैं?

अभिजीत मुखर्जी की बातों से तो ऐसा लगता है जैसे प्रकाशक ने वे चीजें छाप दी हों, जो प्रणब मुखर्जी ने लिखा ही नहीं. आखिर अभिजीत मुखर्जी को ऐसा क्यों लगता है कि प्रणब मुखर्जी 2014 में कांग्रेस की हार के लिए सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को जिम्मेदार नहीं मानते होंगे - और अगर मानते होंगे तो वो ऐसी बातें किताब में नहीं लिख सकते! या फिर प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल को 'निरंकुश शासन' के तौर पर नहीं देखते होंगे.

क्या अभिजीत मुखर्जी को लगता है कि किताब में कोई हेर फेर हुई होगी? ये हेर फेर प्रकाशक की तरफ से हुई हो सकती है - अगर अभिजीत मुखर्जी ऐसा सोचते हैं तो ये उनका निजी मामला है, लेकिन वो चाहें तो इसके खिलाफ कोर्ट जा सकते हैं.

वो चाहें तो अभी या फिर किताब प्रकाशित होने के बाद भी अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं - और किताब पर रोक की मांग कर सकते हैं. अगर कोर्ट को लगेगा कि अभिजीत की दलीलों में दम है तो वो उसके हिसाब से आदेश भी जारी करेगा. ये कोई पहली बार भी नहीं होगा. ये तो होता रहता है.

योग गुरु रामदेव ने जगरनॉट प्रकाशन की किताब 'गॉडमैन टू टाइकून' के खिलाफ अदालत का रुख किया था - और जब तक उनकी दलीलें बेदम नहीं साबित हुईं - किताब पर रोक लगी रही. ये किताब प्रियंका पाठक नारायण ने लिखी है जिसमें ऐसी कई चीजें हैं जिनके बारे पतंजलि की तरफ से दावे किये जाते हैं और वे सही साबित नहीं होते.

सवाल ये है कि किताब पर रोक कौन लगवाना चाहता है?

और सवाल ये भी है कि छपने देने के पक्ष में कौन है?

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर ये दोनों अभिजीत मुखर्जी और शर्मिष्ठा मुखर्जी नहीं है तो वो कौन है?

निश्चित तौर पर ऐसी कोशिशों के पीछे वही होगा जिसका स्वार्थ प्रणब मुखर्जी की टिप्पणियों से टकरा रहा होगा. समझने वाली बात ये भी है कि किताब में जिन वाकयों का जिक्र है उनसे किसका हित प्रभावित होता है?

अब तक जो कुछ भी सामने आया है - उसमें कांग्रेस और बीजेपी नेतृत्व दोनों शामिल है. प्रणब मुखर्जी ने 2014 में कांग्रेस की हार के लिए सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह दोनों को जिम्मेदार बताया है - और मोदी की पहली पारी के शासन को 'निरंकुश' बताया है - जाहिर है दोनों को अपने अपने बारे में ये बातें अच्छी नहीं लगेंगी. फिर भी दोनों ये जरूर चाहेंगे कि दूसरे के खिलाफ प्रणब मुखर्जी ने जो बातें कही हैं वो सामने जरूर आयें, लेकिन किताब में छेड़छाड़ तो संभव नहीं है.

तो फिर किसे माना जाये कि कौन किसके इशारे पर ट्वीट कर रहा है - अभिजीत मुखर्जी और शर्मिष्ठा दोनों तो कांग्रेस में ही हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी एक ने पार्टी बदलने का मन बना लिया हो - और ट्वीट में उसके इशारे को समझने की कोशिश होनी चाहिये, न कि भाई-बहन के झगड़े के पचड़े में पड़ने के!

इन्हें भी पढ़ें :

प्रणब मुखर्जी कांग्रेस की हार के लिए आखिर मनमोहन को जिम्मेदार क्यों मानते थे?

प्रणब मुखर्जी की किताब में दर्ज 'निरंकुश' मोदी सरकार का रूप नए सिरे से समझिए

अलविदा प्रणब दा... सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्रियों में से एक जो भारत को कभी नहीं मिला


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲