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कश्मीर में 5 जवानों की शहादत के लिए मोदी सरकार कितनी जिम्मेदार?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 12 अक्टूबर, 2021 04:11 PM
  • 12 अक्टूबर, 2021 04:07 PM
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पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने सेना की टुकड़ी पर हमला किया और 5 जवानों को शहीद कर दिया है. घटना से जहां देश का आम आदमी स्तब्ध है. वहीं मामले ने एक बार फिर विपक्ष विशेषकर कांग्रेस पार्टी को केंद्र सरकार पर हमला बोलने का मौका दे दिया है.

आतंकवाद पर एक्शन भारत को महंगा पड़ा है. जम्मू कश्मीर के पुंछ में आतंकवादियों के खिलाफ चले एक ऑपरेशन में एक जेसीओ सहित 5 भारतीय सेना के जवान शहीद हो गए हैं. दिल दहला देने वाली इस घटना को उस वक़्त अंजाम दिया गया जब आतंकियों की खोजबीन के सिलसिले में भारतीय सेना ने सर्च ओपेरेशन चला रखा था. बताया जा रहा है कि पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने सेना की टुकड़ी पर हमला किया और इससे पहले की सैनिक कुछ समझ पाते अनहोनी हो गयी. घटना को भारतीय सेना ने भी गंभीरता से लिया और अतिरिक्त सुरक्षा बलों को आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए मौके पर भेजा. घटना से जहां देश का आम आदमी स्तब्ध है. वहीं मामले ने एक बार फिर विपक्ष विशेषकर कांग्रेस पार्टी को लाशों पर राजनीति करने का मौका दे दिया है. घटना के तहत पीएम मोदी पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं. सरकार के इशारे साफ हैं और कहा यही जा रहा है कि शहीदों की कुर्बानी जाया नहीं जाएगी और ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा.

जम्मू-कश्मीर में दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम देते हुए आतंकियों ने 5 जवानों को शहीद कर दिया है

बात आतंकियों द्वारा की गई इस कायराना हरकत और सैनिकों की मौत की हुई है. तो बताते चलें कि घटना की पुष्टि स्वयं सेना की तरफ से हुई है. भारतीय सेना के मुताबिक पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने पुंछ के सुरनकोट इलाके में घात लगाकर हमला किया था. हमला उस वक्त हुआ, जब सैनिक पुंछ के चमरेर इलाके के जंगलों में आतंकियों को खोजने के उद्देश्य से तलाशी अभियान चला रहे थे.

सेना के एक अधिकारी ने बताया कि इसी दौरान सैनिकों पर भारी फायरिंग होने लगी, जिसमें हमने एक जेसीओ और 4 सैनिकों को खो दिया. इन आतंकियों को मार गिराने के लिए ऑपरेशन जारी है. उन्होंने कहा कि हमलावर आतंकियों के 4 से 5 तक होने की आशंका है. सेना के...

आतंकवाद पर एक्शन भारत को महंगा पड़ा है. जम्मू कश्मीर के पुंछ में आतंकवादियों के खिलाफ चले एक ऑपरेशन में एक जेसीओ सहित 5 भारतीय सेना के जवान शहीद हो गए हैं. दिल दहला देने वाली इस घटना को उस वक़्त अंजाम दिया गया जब आतंकियों की खोजबीन के सिलसिले में भारतीय सेना ने सर्च ओपेरेशन चला रखा था. बताया जा रहा है कि पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने सेना की टुकड़ी पर हमला किया और इससे पहले की सैनिक कुछ समझ पाते अनहोनी हो गयी. घटना को भारतीय सेना ने भी गंभीरता से लिया और अतिरिक्त सुरक्षा बलों को आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए मौके पर भेजा. घटना से जहां देश का आम आदमी स्तब्ध है. वहीं मामले ने एक बार फिर विपक्ष विशेषकर कांग्रेस पार्टी को लाशों पर राजनीति करने का मौका दे दिया है. घटना के तहत पीएम मोदी पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं. सरकार के इशारे साफ हैं और कहा यही जा रहा है कि शहीदों की कुर्बानी जाया नहीं जाएगी और ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा.

जम्मू-कश्मीर में दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम देते हुए आतंकियों ने 5 जवानों को शहीद कर दिया है

बात आतंकियों द्वारा की गई इस कायराना हरकत और सैनिकों की मौत की हुई है. तो बताते चलें कि घटना की पुष्टि स्वयं सेना की तरफ से हुई है. भारतीय सेना के मुताबिक पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने पुंछ के सुरनकोट इलाके में घात लगाकर हमला किया था. हमला उस वक्त हुआ, जब सैनिक पुंछ के चमरेर इलाके के जंगलों में आतंकियों को खोजने के उद्देश्य से तलाशी अभियान चला रहे थे.

सेना के एक अधिकारी ने बताया कि इसी दौरान सैनिकों पर भारी फायरिंग होने लगी, जिसमें हमने एक जेसीओ और 4 सैनिकों को खो दिया. इन आतंकियों को मार गिराने के लिए ऑपरेशन जारी है. उन्होंने कहा कि हमलावर आतंकियों के 4 से 5 तक होने की आशंका है. सेना के प्रवक्ता के अनुसार उग्रवादियों ने तलाशी दलों पर भारी गोलीबारी की, जिससे जेसीओ और चार अन्य रैंक गंभीर रूप से घायल हो गए. सभी जवानों को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई.

ध्यान रहे कि सेना ने जो आधिकारिक बयान जारी किया है उसमें कहा गया है कि, 'गंभीर रूप से घायल जेसीओ और चार जवानों को निकटतम चिकित्सा सुविधा में ले जाया गया, लेकिन उनकी मौत हो गई. ऑपरेशन अभी भी जारी है.

भारतीय सेना से जुड़े आला अफसरों कि मानें तो सुरक्षा बलों को सुरनकोट उपखंड में जंगलों में घुसपैठ की कोशिश का संदेह था. ऐसा इसलिए क्योंकि सेना के पास नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार से घुसने में कामयाब होने के बाद चमरेर जंगल में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह की मौजूदगी की खबरें थीं. सेना ने इन्हीं ख़बरों को आधार बनाकर सर्च ऑपरेशन चलाया और दुर्घटना घट गई जिससे भारत के 5 सैनिक हलाक हो गए. 

जैसा कि हम बता चुके हैं. घटना ने एक बार फिर विपक्ष को लाशों पर राजनीति करने और भारत सरकार की कार्य प्रणाली पर अंगुली उठाने का मौका दे दिया है. घटना पर कांग्रेस ने मुखर होकर सरकार आलोचना की है. कांग्रेस पार्टी की तरफ से गौरव वल्लभ ने सवाल उठाया है कि 370 हटाने के बाद वहां क्या विकास हुआ है?

उन्होंने कहा कि 370 हटने के बाद भी वहां बेरोजगारी है. उन्होंने कहा, बीजेपी जो भी करती है वो अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करती है. कश्मीर जल रहा है और इसकी जिम्मेदारी केंद्र की है. उन्होंने कहा कि केंद्र के मिसमैनेजमेंट ने कश्मीर के लोगों की परेशानी फिर से बढ़ा दी है.

गौरतलब है कि ऐसा बिलकुल नहीं है इस मामले के बाद केंद्र सरकार या भारतीय सेना हाथ पर हाथ धरकर बैठी है. पाकिस्तान पोषित आतंकवाद पर एक्शन अब भी लिया जा रहा है और इसी क्रम में अनंतनाग और बांदीपोरा में सेना ने दो आतंकियों को ढेर किया है. अनंतनाग में हुई मुठभेड़ में पुलिस का एक जवान भी घायल हुआ है. बांदीपोरा में जिस आतंकी को मारा गया उसका नाम इम्तियाज डार था जो प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (टीआरएफ) से जुड़ा हुआ था.

चूंकि मामले पर राजनीति बदस्तूर जारी है भाजपा ने आलोचकों को मुंह तोड़ जवाब दिया है. जम्मू-कश्मीर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा कि राज्य में आतंकियों के खिलाफ सेना का ऑल आउट ऑपरेशन चल रहा है. भारतीय सेना ने पूरे पुंछ में नाकेबंदी कर दी है. किसी भी आतंकी को बख्शा नहीं जाएगा और आतंकियों और अलगवादियों की कमर तोड़ दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि कुछ लोग जम्मू-कश्मीर में हिंसा के जरिए अशांति फैलाना चाहते हैं. भारतीय सेना ऐसा होने नही देगी. एक-एक को चुनकर मौत के घाट उतारा जाएगा.

मामले पर जो बातें रैना ने कही हैं उन्हें हम भी दोहराना चाहेंगे. विपक्ष को इंतजार करना होगा. सरकार इंतकाम लेगी और पूरी शिद्दत से लेगी. बाकी कांग्रेस पार्टी को समझना चाहिए कि अभी आलोचना का वक़्त नहीं है. ये समय देश और भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने और आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब देने का है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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