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उड़ता पंजाब से पहलाज के ये 7 कट जानिए कितने सियासी

    • आईचौक
    • Updated: 09 जून, 2016 03:03 PM
  • 09 जून, 2016 03:03 PM
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फिल्म उड़ता पंजाब पर सियासत गर्म हो चुकी है. आमतौर पर तो सेंसर बोर्ड का तो काम ही है कि वह फिल्मों पर कैंची चलाकर उसे दर्शकों के देखने लायक बनाए. लेकिन यहां आपत्ती की लिस्ट देखिये, तो साफ हो जाएगा कि ध्यान दर्शकों का दिया जा रहा है या कोरी सियासत का..

फिल्म उड़ता पंजाब देखने के बाद सेंसर बोर्ड ने 7 अहम बातों पर ऐतराज जताया और कुछ दृश्यों पर कैंची चलाने का निर्देश दिया. बकौल इंडियन एक्सकप्रेस और मुंबई मिरर के यह सूची इस प्रकार है-

1. फिल्म की टाइटल, डायलॉग के साथ-साथ पर्दे पर पंजाब का नाम न तो कहीं सुनाई दे और न ही दिखाई दे.

2. फिल्म से चंडीगढ़, जलंधर, अमृतसर, तरन-तारन, लुधियाना और मोंगा समेत राज्य के प्रत्येक शहर के नाम को भी न तो कहीं कहा जाए और न ही दिखाया जाए.

3. फिल्म की शुरुआत में ये डिस्क्लेमर अनिवार्य रूप से चलाया जाए- ‘इस फिल्म का फोकस ड्रग्स की बढ़ती समस्या और उसके खिलाफ जारी जंग है जिसके जरिए कोशिश की गई है कि आज के युवा को ड्रग्स के कुप्रभाव को समझाया जा सके. इस फिल्म में इस बुराई के खिलाफ सरकार और पुलिस की कोशिशों को सराहा गया है लेकिन इस बुराई के खिलाफ जंग तब तक नहीं जीती जा सकती है जबतक पूरा देश इसके खिलाफ एकजुट न हो जाए.’

4. फिल्म में कलाकारों द्वारा ड्रग्स के इस्तेमाल करने के सभी क्लोजअप सीन को डिलीट किया जाए.

5. फिल्म से उस डायलॉग पर कैंची चलाई जाए जहां एक कुत्ते को हॉलिवुड कलाकार जैकी चैन के नाम से संबोधित किया गया है.

6. फिल्म से चुनाव, सांसद, पार्टी, एमएलए, संसद और हरामी जैसे शब्दों पर कैंची चलाई जाए.

7. फिल्म से उस सीन पर कैंची चलाई जाए जहां कलाकार शाहिद कपूर मंच से पेशाब कर रहे हैं और एक अन्य सरदार को अपना सिर खुजलाते हुए दिखाया गया है.

यदि यह सूची सच्चीा है और पहलाज ने जिस तरह राज्सय सरकार और पुलिस की हिमायत की है, उससे उनकी मंशा पर सवाल उठना लाजमी है. अब इसका सियासी पहलू-

राहुल गांधी ने 2012 में चंडीगढ़ की एक सभा में जब दावा किया कि पंजाब के 10 युवाओं में 7 ड्रग्स के चंगुल में फंसे हैं और इसकी वजह से आने वाले दिनों में देश एक आर्थिक शक्ति बनने से चूक सकता है तो राजनीतिक बवाल हो गया. शिरोमणी अकाली दल जैसी पार्टी ने राहुल गांधी के आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कैसे राहुल गांधी...

फिल्म उड़ता पंजाब देखने के बाद सेंसर बोर्ड ने 7 अहम बातों पर ऐतराज जताया और कुछ दृश्यों पर कैंची चलाने का निर्देश दिया. बकौल इंडियन एक्सकप्रेस और मुंबई मिरर के यह सूची इस प्रकार है-

1. फिल्म की टाइटल, डायलॉग के साथ-साथ पर्दे पर पंजाब का नाम न तो कहीं सुनाई दे और न ही दिखाई दे.

2. फिल्म से चंडीगढ़, जलंधर, अमृतसर, तरन-तारन, लुधियाना और मोंगा समेत राज्य के प्रत्येक शहर के नाम को भी न तो कहीं कहा जाए और न ही दिखाया जाए.

3. फिल्म की शुरुआत में ये डिस्क्लेमर अनिवार्य रूप से चलाया जाए- ‘इस फिल्म का फोकस ड्रग्स की बढ़ती समस्या और उसके खिलाफ जारी जंग है जिसके जरिए कोशिश की गई है कि आज के युवा को ड्रग्स के कुप्रभाव को समझाया जा सके. इस फिल्म में इस बुराई के खिलाफ सरकार और पुलिस की कोशिशों को सराहा गया है लेकिन इस बुराई के खिलाफ जंग तब तक नहीं जीती जा सकती है जबतक पूरा देश इसके खिलाफ एकजुट न हो जाए.’

4. फिल्म में कलाकारों द्वारा ड्रग्स के इस्तेमाल करने के सभी क्लोजअप सीन को डिलीट किया जाए.

5. फिल्म से उस डायलॉग पर कैंची चलाई जाए जहां एक कुत्ते को हॉलिवुड कलाकार जैकी चैन के नाम से संबोधित किया गया है.

6. फिल्म से चुनाव, सांसद, पार्टी, एमएलए, संसद और हरामी जैसे शब्दों पर कैंची चलाई जाए.

7. फिल्म से उस सीन पर कैंची चलाई जाए जहां कलाकार शाहिद कपूर मंच से पेशाब कर रहे हैं और एक अन्य सरदार को अपना सिर खुजलाते हुए दिखाया गया है.

यदि यह सूची सच्चीा है और पहलाज ने जिस तरह राज्सय सरकार और पुलिस की हिमायत की है, उससे उनकी मंशा पर सवाल उठना लाजमी है. अब इसका सियासी पहलू-

राहुल गांधी ने 2012 में चंडीगढ़ की एक सभा में जब दावा किया कि पंजाब के 10 युवाओं में 7 ड्रग्स के चंगुल में फंसे हैं और इसकी वजह से आने वाले दिनों में देश एक आर्थिक शक्ति बनने से चूक सकता है तो राजनीतिक बवाल हो गया. शिरोमणी अकाली दल जैसी पार्टी ने राहुल गांधी के आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कैसे राहुल गांधी को हवा में उड़ते हुए यह आंकड़े दिखाई दे गए?

फिल्म को प्रमोट करते कलाकार

आज पंजाब में ड्रग्स की समस्या को दर्शाती एक फिल्म उड़ता पंजाब सेंसर बोर्ड के चंगुल में फंसी है. फिल्म के निर्देशक अभिषेक चौबे और निर्माता अनुराग कश्यप को बोर्ड की तरफ से फिल्म में कुल 89 जगह पर कैंची चलाने का फरमान जारी हुआ है. मामला एक बार फिर राजनीतिक हो चुका है. निर्माता पर राजनीतिक मंशा से फिल्म बनाने का आरोप है और एक बार फिर सवाल वहीं है कि क्या फिल्म के लिए भी आंकड़े हवा से मिले हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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