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यूपी से ज्यादा 'हार्ड वर्क' तो प्रधानमंत्री मोदी से गुजरात ने करा डाला

    • आईचौक
    • Updated: 09 दिसम्बर, 2017 02:48 PM
  • 09 दिसम्बर, 2017 02:48 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ही बताते हैं कि हॉर्वर्ड के मुकाबले वो 'हार्ड वर्क' को ज्यादा तरजीह देते हैं, अच्छी बात है. एक बात नहीं समझ में आ रही कि यूपी के मुकाबले गुजरात चुनाव में मोदी को इतनी मशक्कत क्यों करनी पड़ रही?

गुजरात में 89 सीटों पर वोटिंग के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाकी के 93 सीटों के चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. अव्वल तो प्रधानमंत्री मोदी को गुजरात में बैठे-बिठाये वोट मिल जाने चाहिये, लेकिन इस बार तो उन्हें यूपी से भी ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही है.

बीजेपी और खुद मोदी का गढ़ होने के बावजूद गुजरात में प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, लिहाजा अमित शाह के कैंप करने के अलावा दिल्ली की पूरी कायनात ही गुजरात में उतार दी गयी है.

मेहनत का फल कितना मीठा होगा?

प्रधानमंत्री मोदी खुद ही कह चुके हैं कि हॉर्वर्ड के मुकाबले वो हार्ड वर्क को ज्यादा पसंद करते हैं. वैसे भी हार्ड वर्क यानी कड़ी मेहनत का फल तो हमेशा ही अच्छा होता है.

यूपी विधानसभा चुनाव में मोदी के हार्ड वर्क का फल तो बीजेपी को मिल ही चुका है, फिलहाल पार्टी निकाय चुनाव के फलों का स्वाद चख रही है और उसे गुजरात को भी चखाने की तैयारी है. तभी तो जीतने वाले बीजेपी के सभी 14 मेयरों की गुजरात में ड्यूटी भी लगा दी गयी है. चूंकि गुजरात में यूपी के लोग काफी तादाद में रहते हैं इसलिए नये मेयरों को वहां पहुंच कर मोदी सरकार की उपलब्धियां बता कर बीजेपी के लिए वोट मांगने की हिदायत दी गयी है. ये अलग बात है कि उसे ओखी तूफान के चलते उनका दौरा फिलहाल टाल दिया गया है.

मेहनत का फल तो मिलेगा पर मीठा कितना होगा?

यूपी में बीजेपी के चुनाव कैंपेन की गुजरात से तुलना करें तो मालूम होता है कि मोदी ने सीटों के लिहाज से छह गुना ज्यादा रैलियां की हैं. यूपी में पहले चरण में विधानसभा की 73 सीटों के लिए मतदान हुए थे, जबकि गुजरात में पहले फेज में 89 सीटों के लिए वोटिंग हुई.

प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के पहले चरण के चुनाव के दौरान महज तीन रैली की....

गुजरात में 89 सीटों पर वोटिंग के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाकी के 93 सीटों के चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. अव्वल तो प्रधानमंत्री मोदी को गुजरात में बैठे-बिठाये वोट मिल जाने चाहिये, लेकिन इस बार तो उन्हें यूपी से भी ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही है.

बीजेपी और खुद मोदी का गढ़ होने के बावजूद गुजरात में प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, लिहाजा अमित शाह के कैंप करने के अलावा दिल्ली की पूरी कायनात ही गुजरात में उतार दी गयी है.

मेहनत का फल कितना मीठा होगा?

प्रधानमंत्री मोदी खुद ही कह चुके हैं कि हॉर्वर्ड के मुकाबले वो हार्ड वर्क को ज्यादा पसंद करते हैं. वैसे भी हार्ड वर्क यानी कड़ी मेहनत का फल तो हमेशा ही अच्छा होता है.

यूपी विधानसभा चुनाव में मोदी के हार्ड वर्क का फल तो बीजेपी को मिल ही चुका है, फिलहाल पार्टी निकाय चुनाव के फलों का स्वाद चख रही है और उसे गुजरात को भी चखाने की तैयारी है. तभी तो जीतने वाले बीजेपी के सभी 14 मेयरों की गुजरात में ड्यूटी भी लगा दी गयी है. चूंकि गुजरात में यूपी के लोग काफी तादाद में रहते हैं इसलिए नये मेयरों को वहां पहुंच कर मोदी सरकार की उपलब्धियां बता कर बीजेपी के लिए वोट मांगने की हिदायत दी गयी है. ये अलग बात है कि उसे ओखी तूफान के चलते उनका दौरा फिलहाल टाल दिया गया है.

मेहनत का फल तो मिलेगा पर मीठा कितना होगा?

यूपी में बीजेपी के चुनाव कैंपेन की गुजरात से तुलना करें तो मालूम होता है कि मोदी ने सीटों के लिहाज से छह गुना ज्यादा रैलियां की हैं. यूपी में पहले चरण में विधानसभा की 73 सीटों के लिए मतदान हुए थे, जबकि गुजरात में पहले फेज में 89 सीटों के लिए वोटिंग हुई.

प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के पहले चरण के चुनाव के दौरान महज तीन रैली की. दूसरी तरफ, गुजरात में पहले फेज की 89 सीटों के लिए मोदी ने 19 रैलियां की - अब गणित तो यही बता रहा है कि मोदी ने यूपी के मुकाबले गुजरात में छह गुना ज्यादा हार्ड वर्क किया.

देखना होगा कि इस मेहनत का फल कैसा और कितना मीठा होता है? ये तो सच है कि किस्मत भी हार्ड वर्क वालों का ही साथ देती है. कहां बीजेपी गुजरात में सहारे के लिए तिनके इकट्ठा कर रही थी और कहां मणिशंकर अय्यर ने भारी भरकम नाव ही भेज दी.

मणिशंकर बने बीजेपी के मांझी

मणिशंकर प्रकरण के बाद कांग्रेस की ओर से तमाम नेताओं के साथ साथ प्रवक्ताओं को भी मोदी को लेकर खास हिदायत दी गयी है. कांग्रेस ने प्रवक्ताओं से मोदी के बारे में कुछ भी न कहने का फरमान जारी किया है.

मोदी को नीच बोल कर मणिशंकर ने तो जैसे बीजेपी को पतवार ही पकड़ा दी है. मोदी एक एक करके कांग्रेस के उन सभी नेताओं के नाम गिना रहे हैं जिन्होंने समय समय पर उनके लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया. इसके साथ ही वो ये भी बता रहे हैं कि किस ने कब और क्या क्या कहा?

गुजरात में पहले चरण के वोटिंग के दिन मोदी ने एक ऐसे नेता का नाम उछाला जिसके बारे कांग्रेस का कहना है कि वो न तो पार्टी के सदस्य हैं न ही उनसे कोई वास्ता ही है. एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला, 'कांग्रेस पार्टी के नेता सलमान निजामी, जो उनके स्टार प्रचारक हैं... वो मूलतः कश्मीर के रहने वाले हैं. वो कहते हैं आजाद कश्मीर चाहिए... वो कहते हैं कि सेना रेपिस्ट है... मां-बहनों का बलात्कार करने वाली है... क्या गुजरात की जनता माफ करेगी?.. कांग्रेस का वो युवा नेता कहता है कि घर घर से अफजल निकलेगा.'

उसके बाद मोदी ने बताया कि निजामी ने उनके बारे में कैसे कैसे सवाल किये. मोदी ने कहा, 'निज़ामी ने एक बार पूछा था कि मोदी के मां-बाप कौन हैं? ऐसी भाषा तो कोई दुश्मनों के लिए भी इस्तेमाल नहीं करता है.'

अपने खास सवाल-जवाब स्टाइल में मोदी आगे कहते हैं, 'मैं बताना चाहता हूं कि मोदी की मां भारत माता हैं... मोदी का पिता भारत देश है... इस देश ने मुझे इतना बड़ा किया... अब देश की सेवा करना इस बेटे का फर्ज है.'

और फिर मोदी सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र छोड़ते हैं, 'मैं प्रधानमंत्री बन गया हूं क्या आपको ऐसा लगता है? क्या आपको नहीं लगता है कि आपके अपने घर का लड़का लौटा है?'

ये सुनते ही भीड़ मोदी-मोदी के नारे लगाने लगती है और पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है. कांग्रेस पर मोदी के इस हमले के जवाब में निजामी का कहना है कि प्रधानमंत्री ने उनके फर्जी ट्वीट का जिक्र किया है जिसके लिए वो पुलिस से शिकायत भी कर चुके हैं. निजामी का दावा है कि वो ट्वीट उनका अकाउंट हैक करके किया गया था. जहां तक निजामी के कांग्रेस से रिश्ते की बात है, उनके ट्विटर प्रोफाइल में कांग्रेस पॉलिटिशियन और लेखक लिखा हुआ है जो वेरिफाईड अकाउंट है.

निजामी पर कांग्रेस ने पल्ला झाड़ा...

मणिशंकर के बयान और निजामी की बातों के साथ साथ मोदी कांग्रेस और राहुल गांधी को भी घेर रहे हैं. एक अन्य रैली में मोदी ने कहा कि कांग्रेस और उसके नेता आदिवासियों और किसानों की जरूरतों को समझने में नाकाम रहे हैं - वो हैंडपंप लगवाकर वोट मांगते थे, हमने पाइप लाइन से घरों तक पानी पहुंचाया है.

राहुल गांधी के बारे में तो मोदी ने कहा - 'राजमहल, राजपरिवारों में पैदा होने वालों को नहीं पता कि गरीबी क्या होती है. जिसको ये नहीं मालूम कि आलू खेत में होता है या कारखाने में वो क्या गरीब को समझेगा?'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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