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मोदी ने केरल को 'अमेठी' बनाने का काम शुरू कर दिया है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 08 जून, 2019 06:32 PM
  • 08 जून, 2019 06:32 PM
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बंगाल के बाद केरल को लेकर जो भाजपा की नीति है वो किसी से छुपी नहीं है. बंगाल के किले पर विजय पताका फहराने के बाद पीएम मोदी का केरल जाना और गुरुवायूर मंदिर में पूजा करना ये बता देता है कि आने वाले वक़्त में महाबली की भूमि पर भी कमल खिलने वाला है.

क्या कांग्रेस क्या भाजपा,देश में तमाम राजनीतिक दल हैं. साथ ही एक विशाल लोकतंत्र होने के नाते भारत की राजनीति को कई मायनों में खास समझा जाता है. अब अगर सवाल हो कि ऐसी क्या चीज है जो भाजपा को अन्य दलों से अलग बनाती है? तो जवाब बस इतना है कि, भाजपा देश की एकमात्र ऐसी पार्टी है जो न सिर्फ अपने काडर को मजबूत करती है. बल्कि जिन राज्यों में चुनाव होने वाले होते हैं, पार्टी बिल्कुल जमीनी स्तर पर आकर तैयारी शुरू कर देती है. देश की जनता से प्रचंड बहुमत पाने के बाद पीएम मोदी और भाजपा दोनों के इरादे बुलंद हैं. बचे कुचे राज्यों में केसरिया ध्वज फहर सके इसके लिए भाजपा ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. बतौर उदाहरण केरल हमारे सामने है. केरल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं और दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद जिस तरह पीएम मोदी अपनी पहली यात्रा के तहत केरल आए हैं और जैसे उन्होंने गुरुवायूर मंदिर में पूजा की है.कहा यही जा रहा है कि आने वाले वक्त में बंगाल की ही तरह यहां भी सियासी घमासान देखने को मिल सकता है और भाजपा लेफ्ट के गढ़ में एक बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है.

भाजपा केरल के लिए कितनी गंभीर है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि बीजेपी ने वामदलों के इस अंतिम दुर्ग में विस्तार की नीति के तहत कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किये हैं और राज्य के पूर्व अध्यक्ष वी मुरलीधरन को मंत्री बनाया जाना उन्हीं परिवर्तनों का एक जरूरी हिस्सा है.

चुनाव से काफी पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केरल आना अपने आप में कई बड़े संकेत दे रहा है

कुछ और बात करने से पहले पीएम मोदी की केरल यात्रा पर बात कर ली जाए. पीएम मोदी केरल के त्रिसूर में थे जहां न सिर्फ उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया बल्कि प्राचीन गुरुवायूर मंदिर में विशेष पूजा भी की. पीएम मोदी का ये दौरा...

क्या कांग्रेस क्या भाजपा,देश में तमाम राजनीतिक दल हैं. साथ ही एक विशाल लोकतंत्र होने के नाते भारत की राजनीति को कई मायनों में खास समझा जाता है. अब अगर सवाल हो कि ऐसी क्या चीज है जो भाजपा को अन्य दलों से अलग बनाती है? तो जवाब बस इतना है कि, भाजपा देश की एकमात्र ऐसी पार्टी है जो न सिर्फ अपने काडर को मजबूत करती है. बल्कि जिन राज्यों में चुनाव होने वाले होते हैं, पार्टी बिल्कुल जमीनी स्तर पर आकर तैयारी शुरू कर देती है. देश की जनता से प्रचंड बहुमत पाने के बाद पीएम मोदी और भाजपा दोनों के इरादे बुलंद हैं. बचे कुचे राज्यों में केसरिया ध्वज फहर सके इसके लिए भाजपा ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. बतौर उदाहरण केरल हमारे सामने है. केरल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं और दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद जिस तरह पीएम मोदी अपनी पहली यात्रा के तहत केरल आए हैं और जैसे उन्होंने गुरुवायूर मंदिर में पूजा की है.कहा यही जा रहा है कि आने वाले वक्त में बंगाल की ही तरह यहां भी सियासी घमासान देखने को मिल सकता है और भाजपा लेफ्ट के गढ़ में एक बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है.

भाजपा केरल के लिए कितनी गंभीर है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि बीजेपी ने वामदलों के इस अंतिम दुर्ग में विस्तार की नीति के तहत कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किये हैं और राज्य के पूर्व अध्यक्ष वी मुरलीधरन को मंत्री बनाया जाना उन्हीं परिवर्तनों का एक जरूरी हिस्सा है.

चुनाव से काफी पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केरल आना अपने आप में कई बड़े संकेत दे रहा है

कुछ और बात करने से पहले पीएम मोदी की केरल यात्रा पर बात कर ली जाए. पीएम मोदी केरल के त्रिसूर में थे जहां न सिर्फ उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया बल्कि प्राचीन गुरुवायूर मंदिर में विशेष पूजा भी की. पीएम मोदी का ये दौरा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी भी अपने क्षेत्र में हैं.

मंदिर में पूजा के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने वर्तमान सरकार पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के गरीबों को अपना घर बेचना न पड़े इसके लिए हम 5 लाख की सुविधा दे रहे हैं, लेकिन केरल के लोगों को यह सुविधा नहीं मिल रही है. क्योंकि यहां की सरकार ने इस सुविधा को लागू करने से मना किया है. हम अपील करते हैं कि वे स्वीकार करें और केरल के लोग इसका फायदा उठा सकें.

इसके अलावा पीएम मोदी ने ये भी कहा कि हम राजनीति में सरकार बनाने के लिए नहीं हैं. हम लोगों की सेवा करने के लिए यहां हैं. सभा में पीएम मोदी ने जनता को सर्वोपरी बताया. उन्होंने कहा कि जनता-जर्नादन ईश्वर का रूप है, ये इस लोकसभा चुनाव में देश ने भलि-भांति देखा है. राजनीतिक दल जनता के मिजाज के नहीं पहचान पाए. लेकिन जनता ने भाजपा और एनडीए के पक्ष में प्रचंड जनादेश दिया. मैं सिर झुकाकर जनता को नमन करता हूं.

साथ ही अपने भाषण में पीएम मोदी ने इस बात पर भी बल दिया कि, विपक्ष के नेता कहते हैं कि केरल में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला, फिर भी मोदी धन्यवाद के लिए गए. जो हमें जिताते हैं वो भी हमारे हैं, जो चूक गए हैं वो भी हमारे हैं. केरल मेरे लिए उतना ही है जितना बनारस है. इसके अलावा पीएम मोदी ने ये भी कहा कि गुरुवायूर की धरती पर आने का मुझे सौभाग्य मिला. ये मेरे लिए नई शक्ति देने वाला अवसर है.

कुल मिलाकर सभा में जैसा प्रधानमंत्री का अंदाज था. इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि ये सभा 2021 के चुनावों के मद्देनजर की गई है और इसका उद्देश्य उन लोगों में जोश और नई ऊर्जा का संचार करना है जो भाजपा के लिए समर्पित हैं.

ध्यान रहे कि सम्पूर्ण भारत में भाजपा अपना केसरिया ध्वज लहरा चुकी है और दक्षिण के केरल का शुमार उन चुनिन्दा राज्यों में है जो फ़िलहाल भाजपा की पहुंच से दूर है. यदि प्रधानमंत्री की इस केरल यात्रा का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि देश के प्रधानमंत्री के कुछ ऐसे ही तेवर हम लोकसभा चुनावों के दौरान बंगाल में भी देख चुके हैं. मोदी वहां आए और फिर आते रहे. जिस हिसाब से प्रधानमंत्री ने केरल में सभाएं की उसने न सिर्फ कई अहम मौकों पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दिन में तारे दिखाए बल्कि काडर तक को मजबूत किया और उसके बाद जो परिणाम आया वो हमारे सामने है.

कह सकते हैं कि बंगाल की ही तर्ज पर ऐसा ही कुछ हमें केरल में भी देखने को मिल सकता है. जो कहीं न कहीं राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और उनकी पार्टी के लिए भी गहरी चिंता का विषय है. केरल में वाम दल अपना किला बचाने में कामयाब होते हैं और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री बनते हैं या नहीं इसका फैसला आने वाला वक़्त करेगा. मगर बंगाल के किले पर विजय पताका फहराने के बाद पीएम मोदी का केरल जाना और गुरुवायूर मंदिर में पूजा करना ये बता देता है कि आने वाले वक़्त में महाबली की भूमि पर भी कमल खिल के ही मानेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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