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जेटली का बजट समझ नहीं आया तो अपने सांसद से समझिये वरना उनकी खैर नहीं !

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 02 फरवरी, 2018 09:24 PM
  • 02 फरवरी, 2018 09:24 PM
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प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी सांसदों से अपने अपने इलाके में जाकर लोगों के बीच बजट पर चर्चा करने को कहा है. सासंदों को आसान भाषा में लोगों बजट की खासियत समझाने की हिदायत दी गयी है. ऐसा न कर पाने वाले सांसदों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है.

अगर किसी को भी बजट की कोई बात समझ में नहीं आ रही हो तो भी फिक्र करने की कतई जरूरत नहीं है. बजट के बारे में लोगों के मन में जो भी सवाल हैं वे अपने सांसद से सीधे पूछ सकेंगे. अगर किसी को ऐसा लगता है कि सांसद उनकी बात नहीं सुनते या ऐसा कोई मौका नहीं मिलता कि वो मोदी सरकार से जुड़ी कोई बात पूछ सकें तो बिलकुल भी चिंता करने की जरूरत नहीं है - बीजेपी के सांसदों को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस सिलसिले में खास हिदायत मिली हुई है.

"जाओ और समझाओ..."

बीजेपी के सांसदों पर पहले से ही काम का दबाव था, बजट ने उनका बोझ और बढ़ा दिया है. बीजेपी सांसदों के मस्ती भरे दिन तो उसी दिन खत्म हो गये थे जब गुजरात से चुनाव जीत कर अगस्त, 2017 में अमित शाह राज्य सभा पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी वक्त उन्हें ये बात साफ साफ शब्दों में साफ भी कर दी थी - कुछ इस तरह कि आपके तो अच्छे दिन जाने वाले हैं.

तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, "अब अमित शाह यहीं हैं. आप के छुट्टियों के दिन खत्म हो गये."

1 फरवरी को आम बजट पेश होने के बाद शाम को बीजेपी संसदीय दल की बैठक हुई तो प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी सांसदों को बताया कि बजट में आम लोगों के काम की बातें उन्हें समझायें.

लोगों को बजट 2018 की जानकारी देने पर जोर...

एक रिपोर्ट के मुताबिक बैठक में मौजूद एक सासंद का कहना था, "मोदी ने कहा कि बीजेपी सांसद खुद को सिर्फ फीते काटने तक सीमित न रखें." प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी सांसदों से कहा कि अगले कुछ दिनों में ही वे अपने अपने इलाके में जायें और लोगों से आसान भाषा में बजट के बारे में चर्चा करें.

लगता है सरकार भी समझ रही है कि मिडिल क्लास बजट में अपने फायदे की बात न होने से कहीं नाराज होकर हाथ से निकल न जाये....

अगर किसी को भी बजट की कोई बात समझ में नहीं आ रही हो तो भी फिक्र करने की कतई जरूरत नहीं है. बजट के बारे में लोगों के मन में जो भी सवाल हैं वे अपने सांसद से सीधे पूछ सकेंगे. अगर किसी को ऐसा लगता है कि सांसद उनकी बात नहीं सुनते या ऐसा कोई मौका नहीं मिलता कि वो मोदी सरकार से जुड़ी कोई बात पूछ सकें तो बिलकुल भी चिंता करने की जरूरत नहीं है - बीजेपी के सांसदों को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस सिलसिले में खास हिदायत मिली हुई है.

"जाओ और समझाओ..."

बीजेपी के सांसदों पर पहले से ही काम का दबाव था, बजट ने उनका बोझ और बढ़ा दिया है. बीजेपी सांसदों के मस्ती भरे दिन तो उसी दिन खत्म हो गये थे जब गुजरात से चुनाव जीत कर अगस्त, 2017 में अमित शाह राज्य सभा पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी वक्त उन्हें ये बात साफ साफ शब्दों में साफ भी कर दी थी - कुछ इस तरह कि आपके तो अच्छे दिन जाने वाले हैं.

तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, "अब अमित शाह यहीं हैं. आप के छुट्टियों के दिन खत्म हो गये."

1 फरवरी को आम बजट पेश होने के बाद शाम को बीजेपी संसदीय दल की बैठक हुई तो प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी सांसदों को बताया कि बजट में आम लोगों के काम की बातें उन्हें समझायें.

लोगों को बजट 2018 की जानकारी देने पर जोर...

एक रिपोर्ट के मुताबिक बैठक में मौजूद एक सासंद का कहना था, "मोदी ने कहा कि बीजेपी सांसद खुद को सिर्फ फीते काटने तक सीमित न रखें." प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी सांसदों से कहा कि अगले कुछ दिनों में ही वे अपने अपने इलाके में जायें और लोगों से आसान भाषा में बजट के बारे में चर्चा करें.

लगता है सरकार भी समझ रही है कि मिडिल क्लास बजट में अपने फायदे की बात न होने से कहीं नाराज होकर हाथ से निकल न जाये. हालांकि, बीजेपी नेतृत्व और प्रधानमंत्री मोदी को पक्का यकीन रहा है कि मिडिल क्लास कहीं नहीं जाने वाला. अगर ऐसा होता तो ये बात यूपी और गुजरात चुनाव में सामने आ चुकी होती. वित्त मंत्री अरुण जेटली के ओपन हाउस में भी आज तक ने ये मुद्दा उठाया.

आज तक के सवाल पर जेटली बोले

वित्त मंत्री जेटली के ओपन हाउस में मीडिया, कारोबार और दूसरे क्षेत्रों से जुड़े लोग मौजूद थे. इस मौके पर आजतक ने जेटली के सामने छोटे करदाताओं से जुड़ा मुद्दा उठाया.

जेटली का कहना था कि बजट में छोटे टैक्सपेयर को राहत दी गयी है और ये ईमानदार करदाताओं को टैक्स स्लैब में लाने के लिए उठाया गया कदम है. एक और बात जिस पर जेटली का ज्यादा जोर रहा - 'करदाताओं की संख्या घटा कर हम कोई देशसेवा नहीं करते हैं.'

क्या होगा अगर सांसद नहीं समझा पाये?

प्रधानमंत्री मोदी ने तो सांसदों को इस सवाल का जवाब उसी दिन दे दिया था जब पिछले साल अगस्त में अमित शाह संसद में दाखिल हुए. मोदी ने चेताया भी, धमकाया भी और ये भी कह दिया कि बाद में कोई उन्हें दोष नहीं दे सकता.

मोदी ने कहा था, "आप अपनी मर्जी की करते रहिये, मुझे जो करना है, 2019 में करूंगा. बाद में मुझे दोष मत देना."

दरअसल, मोदी सदन में सांसदों की गैरहाजिरी से गुस्से में थे. बाद में भी अपने गुड मॉर्निंग मैसेज पर रिस्पॉन्ड नहीं करने पर मोदी सांसदों को फटकार चुके हैं. तब मोदी ने सांसदों को ये भी याद दिलाया था कि अमित शाह ने बीजेपी में जनसंघ वाले हार्ड वर्क कल्चर को वापस ला दिया है. कुछ दिन बाद शाह ने भी बीजेपी नेताओं की एक मीटिंग में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों के दौरान कितना हार्ड वर्क करते थे. शाह ने बताया, 'मोदीजी अक्सर रात में 2 बजे और उसके बाद तड़के 6 बजे फोन किया करते थे. मैं यह समझ नहीं पाता था कि वह आखिर सोते कब हैं?'

असल में बजट को लेकर लोगों के बीच जाने की बात भी उसी कवायद का हिस्सा है जो 2019 को ध्यान में रख कर प्लान किया गया है. बजट भी तो उसी हिसाब से तैयार किया गया है.

माना जा रहा है कि मोदी ने 2019 में लापरवाह सांसदों को जो चेतावनी दी थी उसके हिसाब से निगरानी भी शुरू हो चुकी है. इसमें रडार पर वे सांसद आ गये हैं जिनकी इलाके में छवि ठीक नहीं मानी जा रही है - और इस कसौटी पर 30-40 सांसद खरे नहीं उतर पा रहे हैं. खास बात ये है कि इनमें ज्यादातर सांसद यूपी के हैं जहां बीजेपी इस बार पूरी की पूरी 80 सीटें जीतने की कोशिश में हैं.

बजट की खासियतों का प्रचार प्रसार भले ही सांसदों को अपने काम में इजाफा होने का अहसास दिलाये, लेकिन देखा जाये तो ये उनके लिए बड़ा मौका मुहैया करा रहा है. बीजेपी नेतृत्व की नजर में चढ़े ऐसे सांसद यूपी चुनावों के नतीजे के पीछे तो छिप गये थे, लेकिन कइयों का कद निकाय चुनावों में उजागर हो गया. यूपी बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय, संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने ऐसे सांसदों की सूची तैयार कर ली है. बीजेपी के ऐसे किसी भी सांसद की अब तो खैर नहीं - वो समझ लें उनका टिकट पहले ही कट चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अलग से देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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