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9 PM 9 Minute: देशवासियों के दिया जलाने से पहले नेता नेता अपनी राजनीति की मशाल जला लाए!

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 05 अप्रिल, 2020 01:25 PM
  • 05 अप्रिल, 2020 01:24 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 5 अप्रैल को 9 मिनट तक बत्तियां (Light Up) बुझा कर दीया, कैंडल या दूसरी चीजों से देश को रौशन करने की अपील की है और राजनीति भी चालू है. एक आशंका ये भी जतायी गयी है कि एक साथ बत्तियां जलाने पर ब्लैकआउट (Black Out) हो सकता है - लेकिन ऐसा लगता नहीं है.

कोरोना वायरस से आयी महामारी (Coronavirus pandemic in India) के खिलाफ ताली और थाली बजाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अपील देशवासियों के लिए पहला चैलेंज रहा. पूरा देश विशेष योग्यता के साथ चैलेंज में उतीर्ण भी हुआ. ऐसा जनता कर्फ्यू (Janata Curfew) के दौरान किया गया था जो एक तरीके से लॉकडाउन के लिए ट्रायल जैसा था - और एक झटके में ही मालूम हो गया कि देश मोर्चे पर उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है.

लॉकडाउन के बीच ही प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से एक नयी अपील की है (Light p) - ये लोगों के लिए दूसरा चैलेंज है जो बायें हाथ के खेल जैसा है लेकिन बिजली विभाग के लिए ठीक ऐसा ही नहीं है. प्रधानमंत्री के वीडियो मैसेज के बाद से ही देश का बिजली विभाग चैलेंज से निबटने के लिए शिद्दत से जुटा हुआ है - मुश्किल ये है कि तैयारी के लिए विभाग के पास सिर्फ 48 घंटे का वक्त मिल सका है.

सुना है 9वें मिनट तक तो कोई बड़ी बात नहीं है - सबसे बड़ी चुनौती आने वाली है 10वें मिनट में जब पूरा देश एक साथ बिजली के स्वीच ऑन करेगा तो क्या होगा (Black Out)?

राजनीति छोड़ो, अपने अपने दीये जलाओ

अब चैलेंज तो चैलेंज है - वो भी कोरोना जैसी महामारी को मात देने का चैलेंज है. संकटकाल में सबसे बड़े खतरे के खिलाफ एकजुटता का चैलेंज है. प्रधानमंत्री मोदी का देश के लिए चैलेंज है.

चैलेंज को पूरा तो करना ही है. ये भी साफ है कि कुछ लोग इस चैलेंज से अपनेआप को पहले ही दूर कर रखे हैं. ठीक वैसे ही जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मास्क पहनने से इंकार कर दिया है - जबकि कोरोना के तेजी से बढ़ते खतरे को देखते हुए डॉक्टरों ने लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रखी है. अपने यहां ऐसे रोल के लिए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी आगे आये हैं, लेकिन जिस राज्य से वो आते हैं वहां की मुख्यमंत्री का नजरिया अलग है - अपने अपने दीये जलाओ यार, ये पॉलिटिक्स का टाइम नहीं है.

दीया जलाने के आयोजन को सही ठहराने के लिए ज्योतिषी भी मदद के हाथ बढ़ा चुके हैं....

कोरोना वायरस से आयी महामारी (Coronavirus pandemic in India) के खिलाफ ताली और थाली बजाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अपील देशवासियों के लिए पहला चैलेंज रहा. पूरा देश विशेष योग्यता के साथ चैलेंज में उतीर्ण भी हुआ. ऐसा जनता कर्फ्यू (Janata Curfew) के दौरान किया गया था जो एक तरीके से लॉकडाउन के लिए ट्रायल जैसा था - और एक झटके में ही मालूम हो गया कि देश मोर्चे पर उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है.

लॉकडाउन के बीच ही प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से एक नयी अपील की है (Light p) - ये लोगों के लिए दूसरा चैलेंज है जो बायें हाथ के खेल जैसा है लेकिन बिजली विभाग के लिए ठीक ऐसा ही नहीं है. प्रधानमंत्री के वीडियो मैसेज के बाद से ही देश का बिजली विभाग चैलेंज से निबटने के लिए शिद्दत से जुटा हुआ है - मुश्किल ये है कि तैयारी के लिए विभाग के पास सिर्फ 48 घंटे का वक्त मिल सका है.

सुना है 9वें मिनट तक तो कोई बड़ी बात नहीं है - सबसे बड़ी चुनौती आने वाली है 10वें मिनट में जब पूरा देश एक साथ बिजली के स्वीच ऑन करेगा तो क्या होगा (Black Out)?

राजनीति छोड़ो, अपने अपने दीये जलाओ

अब चैलेंज तो चैलेंज है - वो भी कोरोना जैसी महामारी को मात देने का चैलेंज है. संकटकाल में सबसे बड़े खतरे के खिलाफ एकजुटता का चैलेंज है. प्रधानमंत्री मोदी का देश के लिए चैलेंज है.

चैलेंज को पूरा तो करना ही है. ये भी साफ है कि कुछ लोग इस चैलेंज से अपनेआप को पहले ही दूर कर रखे हैं. ठीक वैसे ही जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मास्क पहनने से इंकार कर दिया है - जबकि कोरोना के तेजी से बढ़ते खतरे को देखते हुए डॉक्टरों ने लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रखी है. अपने यहां ऐसे रोल के लिए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी आगे आये हैं, लेकिन जिस राज्य से वो आते हैं वहां की मुख्यमंत्री का नजरिया अलग है - अपने अपने दीये जलाओ यार, ये पॉलिटिक्स का टाइम नहीं है.

दीया जलाने के आयोजन को सही ठहराने के लिए ज्योतिषी भी मदद के हाथ बढ़ा चुके हैं. ज्योतिषी समझा रहे हैं कि किस तरह ग्रहों नक्षत्रों की चाल से बनी स्थिति में दीया जलाना फायदेमंद हो सकता है. सोशल मीडिया पर तो इसे ऐसे भी समझाया जा रहा है कि एक साथ पूरे देश के दीया जलाने पर जो तापमान पैदा होगा उससे कोरोना वायरस पर किस हद तक असर पड़ सकता है.

आओ दीया जलायें!

स्वामी रामदेव भी टीवी पर आकर योग की बजाये फिलहाल दीया जलाने के फायदे समझा रहे हैं. अब तक रामदेव के योग और जड़ी बूटियों में कैंसर से लेकर होमोसेक्शुअल्टी तक के इलाज बताये जाते रहे, लेकिन अब वो भी दीया जलाने के फायदे समझा रहे हैं - कहीं ऐसा तो नहीं कि कोरोना पर विजय प्राप्ति के बाद वो योग की जगह कुछ और सिखाने का प्लान कर रहे हैं. कांग्रेस नेता शशि थरूर बीच बीच में प्रधानमंत्री मोदी को लेकर बयान देकर अपने ही पार्टी नेतृत्व के निशाने पर आ जाते हैं - कहते हैं मोदी को बार बार टारगेट पर लेकर कांग्रेस अपना ही नुकसान कर डालती है. तभी राहुल गांधी डंडा-मार बयान के साथ भूकंप लाने की कोशिश करते हैं, लेकिन दांव फिर उलटा पड़ जाता है. शशि थरूर ने साफ साफ कह दिया है कि वो दीया जरूर जलाएंगे क्योंकि देश के प्रति एकता प्रकट करने की बात है - लेकिन वो प्रधानमंत्री मोदी से कुछ और ही अपेक्षा कर रहे थे.

लेकिन शशि थरूर के साथी अधीर रंजन तो कांग्रेस का झंडा लेकर हमेशा अलग छोर पर ही नजर आते हैं. कहते हैं - भले ही देशद्रोही करार दो, लेकिन दीया तो कतई नहीं जलाएंगे. हो सकता है वो अपना दीया दीपावली के लिए बचाकर रखना चाहते हों. अभी दशहरे की राजनीति के बाद दीवाली की राजनीति शुरू होगी और उसके बाद पश्चिम बंगाल में चुनावी बयार भी तेजी से बहने लगेगी.

जब ममता बनर्जी से दीये की बात पूछी जाती है तो वो बच कर निकल भागने की कोशिश करती हैं. सही बात है चुनावों से पहले वो ऐसे पचड़े में क्यों पड़ें जिसमें जय श्रीराम जैसी ध्वनि सुनायी देती हो - आखिर दीवाली भी तो भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन से जुड़ी हुई है. अभी तो टीवी पर चल रहे रामायण में भी राम के वनवास का ही एपिसोड चल रहा है. ममता बनर्जी कलाकार हैं, कवि तो हैं नहीं कि हरिवंश राय बच्चन की तरह कहें - 'दिन को होली रात दिवाली रोज मनाती मधुशाला'. ममता बनर्जी ने दीया जलाने का फैसला लोगों के निजी फैसले के हवाले कर दिया है - जिसकी जैसी इच्छा.

दीया जलाये जाने को लेकर प्रधानमंत्री की अपील से सबसे ज्यादा परेशान नजर आये हैं महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितिन राउत. - उनका कहना है कि दीया के बाद लोगों के एक साथ बिजली के स्वीच ऑन करने पर ब्लैकआउट का खतरा पैदा हो सकता है.

नितिन राउत की आशंका के साथ सोशल मीडिया पर कई 'प्रगतिशील विचारक' सुर में सुर मिलाते हैं. लेकिन ऐसे सभी विचारों की काट का प्रतिनिधि पत्रकार शिव अरूर के ट्वीट में देखा जा सकता है. शिव लिखते हैं कि 'जो गणमान्य रविवार रात 9 बजे 9 मिनट पर ग्रिड फेल होने की चिंता जता रहे हैं उनकी ट्विटर टाइमलाइन अर्थऑवर (जो कि अच्छा उद्देश्य है) पर एक घंटे बत्ती बंद करने की अपीलों से भरी पड़ी हुई है. सिलेक्टिविटी का कोई इलाज नहीं है.'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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