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सोनिया के दर्द-ए-बनारस में पीके ने पिरोई माया की सोशल इंजीनियरिंग

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 01 अगस्त, 2016 05:50 PM
  • 01 अगस्त, 2016 05:50 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो गंगा मैया ने बुलाया था, लेकिन सोनिया गांधी को बनारस प्रशांत किशोर ले जा रहे हैं - और वो भी पूरी पंचक्रोशी यात्रा पर. सोनिया इस बार काशी विश्वनाथ का दर्शन भी करने वाली हैं...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो गंगा मैया ने बुलाया था, लेकिन सोनिया गांधी को बनारस प्रशांत किशोर ले जा रहे हैं - और वो भी पूरी पंचक्रोशी यात्रा पर. सोनिया इस बार काशी विश्वनाथ का दर्शन भी करने वाली हैं - जहां अब तक नहीं जा सकी हैं. सोनिया इससे पहले भी तीन बार शहर का दौरा कर चुकी हैं - जिनमें से एक बार तो हिंदी सिखाने वाले अपने गुरु रत्नाकर पांडे के लिए वोट मांगने शामिल है.

सोनिया की पंचक्रोशी यात्रा

पीके के नाम से जाने जा रहे प्रशांत किशोर की चुनावी नब्ज पर पकड़ पक्की हो चुकी है. जिस नेता या राजनीतिक दल के लिए उन्हें काम करना होता है सबसे पहले वो उसकी नब्ज पकड़ते हैं - और बीमारी का पता लगाते हैं. उसके बाद वो लोगों की नब्ज टटोलते हैं - और आखिर में विरोधियों की नब्ज पर चोट करते हैं.

इसे भी पढ़ें: यूपी चुनावों से पहले 'राजनीतिक रॉकस्टार' बने राहुल गांधी!

यूपी में कांग्रेस को 27 साल बाद सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचाने के लिए भी वो इलाज का अपना यही तरीका अपना रहे हैं. ऐसा लगता है कि पीके को अब मायावती का एक्सपेरिमेंट ही सबसे कारगर लगा है - सोशल इंजीनियरिंग. बनारस में सोनिया के रोड शो से पहले उन्होंने ऐसा ही ताना बाना बुना है - और पहले से पहुंच कर हर इंतजाम पर बारीकी से नजर भी रख रहे हैं.

बनारस मेंं रोड शो के बहाने मोदी को घेरने की कोशिश

मायावती की ही तरह पीके कांग्रेस के लिए...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो गंगा मैया ने बुलाया था, लेकिन सोनिया गांधी को बनारस प्रशांत किशोर ले जा रहे हैं - और वो भी पूरी पंचक्रोशी यात्रा पर. सोनिया इस बार काशी विश्वनाथ का दर्शन भी करने वाली हैं - जहां अब तक नहीं जा सकी हैं. सोनिया इससे पहले भी तीन बार शहर का दौरा कर चुकी हैं - जिनमें से एक बार तो हिंदी सिखाने वाले अपने गुरु रत्नाकर पांडे के लिए वोट मांगने शामिल है.

सोनिया की पंचक्रोशी यात्रा

पीके के नाम से जाने जा रहे प्रशांत किशोर की चुनावी नब्ज पर पकड़ पक्की हो चुकी है. जिस नेता या राजनीतिक दल के लिए उन्हें काम करना होता है सबसे पहले वो उसकी नब्ज पकड़ते हैं - और बीमारी का पता लगाते हैं. उसके बाद वो लोगों की नब्ज टटोलते हैं - और आखिर में विरोधियों की नब्ज पर चोट करते हैं.

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यूपी में कांग्रेस को 27 साल बाद सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचाने के लिए भी वो इलाज का अपना यही तरीका अपना रहे हैं. ऐसा लगता है कि पीके को अब मायावती का एक्सपेरिमेंट ही सबसे कारगर लगा है - सोशल इंजीनियरिंग. बनारस में सोनिया के रोड शो से पहले उन्होंने ऐसा ही ताना बाना बुना है - और पहले से पहुंच कर हर इंतजाम पर बारीकी से नजर भी रख रहे हैं.

बनारस मेंं रोड शो के बहाने मोदी को घेरने की कोशिश

मायावती की ही तरह पीके कांग्रेस के लिए दलित-ब्राह्मण फैक्टर का कॉम्बो ऑफर करने जा रहे हैं. मुख्यमंत्री पद के लिए उन्होंने शीला दीक्षित के तौर पर एक ब्राह्मण उम्मीदवार हासिल कर ही लिया है. अब बनारस की पंचक्रोशी परिक्रमा में भी यही मसाला इस्तेमाल हो रहा है. सोनिया गांधी का रोड शो कचहरी के पास अंबेडकर प्रतिमा से शुरू होगी और शहर के तमाम हिस्सों से गुजरते हुए फिर इंग्लिशिया लाइन में कमलापति त्रिपाठी की मूर्ति पर खत्म होगी. यहीं पर कांग्रेस का कार्यालय भी है.

सोनिया की ये पॉलिटिकल पंचक्रोशी यात्रा को ऐसे प्लान किया गया है कि रास्ते में खास पड़ाव भी मिलें. जिन रास्तों से गुजरेगी उसमें महात्मा गांधी, संत कबीर, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव गांधी, चंद्रशेखर आजाद की मूर्तियां भी लगी हैं. इन पड़ावों पर सोनिया गांधी और उनके साथ शामिल नेता - शीला दीक्षित, राज बब्बर, गुलाम नबी आजाद, सलमान खुर्शीद फूल माला चढ़ाने के साथ लोगों से कनेक्ट होने की कोशिश भी करेंगे.

...और दर्द-ए-बनारस

सोनिया के दौरे से 48 घंटे पहले बनारस पहुंच कर प्रशांत किशोर सारे इंतजामों का मुआयना कर चुके हैं. जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में कार्यकर्ताओं से मुलाकात में प्रशांत किशोर का जोर कि मोदी की नाकामियों को एक्सपोज करना है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबकि पीके ने कहा, "इससे लोगों को ये समझाना आसान होगा कि जब मोदी अपने संसदीय क्षेत्र की तकदीर नहीं संवार सकते वो देश के लिए क्या कर पाएंगे. लोगों को बताया जाना चाहिए बीजेपी यूपी में कामयाब हो गई तो क्या हाल होगा."

वैसे भी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गोद लिये गये जियापुर गांव जो हाल मीडिया रिपोर्ट्स में दिख रहा है वो प्रशांत किशोर के लिए अच्छा मसाला साबित हो रहा है. प्रशांत इसका पूरा फायदा उठाने की फिराक में हैं.

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प्रशांत किशोर ने पिंडरा में भी कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग की. पिंडरा कई मायने में अहम हो चला है. असल में पिडरा से ही अजय राय कांग्रेस विधायक हैं. कांग्रेस ने अजय राय को मोदी के खिलाफ लोक सभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था - और तब उनके प्रचार के लिए प्रियंका गांधी के पहुंचने की भी चर्चा छिड़ी थी. दरअसल, टिकट मिलने के बाद अजय राय ने बनारस को लेकर प्रियंका की विशेष रुचि और किसी भी जरूरत के लिए अपना फोन नंबर देने की बात कही थी.

पिंडरा के चर्चा की एक वजह नीतीश कुमार का दौरा भी है - जहां से जेडीयू की रैली में उन्हों संघ मुक्त भारत और शराब मुक्त समाज का नारा दिया था.

बीच बीच में भले ही प्रशांत किशोर के कांग्रेस का प्रचार छोड़ने की खबरें आती हों लेकिन बनारस में कार्यकर्ताओं को वो जिस हिसाब से भरोसा दिला रहे हैं वो तो अलग ही कहानी कह रहा है. बनारस में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशांत ने आश्वस्त किया कि जो भी संगठन को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करेगा पार्टी में उसे बेहतर पोजीशन मिलेगी.

23 जुलाई को सोनिया गांधी '27 साल यूपी बेहाल' स्लोगन के साथ तीन दिन के लिए 600 किलोमीटर की बस यात्रा को रवाना किया था - और अब 2 अगस्त को बनारस पहुंच कर 6 किलोमीटर लंबा रोड शो करने जा रही हैं - और इस दौरान उन्हें दर्द-ए-बनारस का इजहार करना है, लेकिन उन्हें दर्द की दवा भी बतानी होगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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