• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

तक्षशिला और नालंदा क्यों तबाह हुए, ये जवाब तालिबान ने दे दिया है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 सितम्बर, 2021 05:47 PM
  • 09 सितम्बर, 2021 05:47 PM
offline
हर दूसरी चीज की तरह तालिबान ने शिक्षा पर भी अपना अधिकार जमा लिया है. जैसे हालात हैं और जैसे फरमान तालिबान जारी कर रहा है शिक्षा के लिहाज से अफगानिस्तान को नालंदा और तक्षशिला बनने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. शिक्षा के लिहाज से अफगानिस्तान की स्थिति कैसी है? जवाब खुद तालिबान ने दिया है.

समुदाय या देश कोई भी हो, विकसित तब तक नहीं हो सकता जबतक वहां शिक्षा का प्रचार प्रसार न हो. ये शिक्षा ही है जो न केवल हमें जागरूक करती है. बल्कि समाज की मुख्य धारा से भी जोड़ती है. इसके विपरीत यदि किसी समुदाय या देश को बरसों पीछे करना हो तो उसके लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. उस समुदाय या समाज से शिक्षा का अधिकार छीन लिया जाए तो उसका गर्त में जाना निश्चित है. मौजूदा वक्त में तालिबान का भी फंडा यही है. अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा लेने बाद तालिबान अतिउत्साहित है और ऐसा बहुत कुछ कर रहा है जिसे साफ और सीधे शब्दों में मूर्खता की पराकाष्ठा से ज्यादा कुछ और नहीं कहा जाएगा.

हर दूसरी चीज की तरह तालिबान ने शिक्षा पर भी अपना अधिकार जमा लिया है. जैसे हालात हैं और जैसे फरमान तालिबान जारी कर रहा है शिक्षा के लिहाज से अफगानिस्तान को नालंदा और तक्षशिला बनने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. शिक्षा के लिहाज से अफगानिस्तान की स्थिति कैसी है? इस सवाल पर चर्चा होगी लेकिन क्योंकि शिक्षा के तहत हमने अफगानिस्तान की तुलना नालंदा और तक्षशिला से की है तो ये कोरी लफ्फाजी नहीं है. इस कथन के पीछे हमारे पास माकूल वजहें हैं.

आने वाले वक़्त में यदि अफगानिस्तान बर्बाद हुआ तो उसकी एकमात्र वजह तालिबान ही होगा

आइये अफगानिस्तान पर बात करने से पहले नालंदा और तक्षशिला के इतिहास और इन दोनों शिक्षण संस्थानों की तबाही पर बात की जाए.

तक्षशिला और नालंदा क्यों तबाह हुए?

प्राचीन भारत में नालंदा यूनिवर्सिटी हायर एजुकेशन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विश्व प्रसिद्ध केन्द्र था. बताते चलें कि नालंदा का शुमार दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में है और इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने की थी. बात अगर इस...

समुदाय या देश कोई भी हो, विकसित तब तक नहीं हो सकता जबतक वहां शिक्षा का प्रचार प्रसार न हो. ये शिक्षा ही है जो न केवल हमें जागरूक करती है. बल्कि समाज की मुख्य धारा से भी जोड़ती है. इसके विपरीत यदि किसी समुदाय या देश को बरसों पीछे करना हो तो उसके लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. उस समुदाय या समाज से शिक्षा का अधिकार छीन लिया जाए तो उसका गर्त में जाना निश्चित है. मौजूदा वक्त में तालिबान का भी फंडा यही है. अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा लेने बाद तालिबान अतिउत्साहित है और ऐसा बहुत कुछ कर रहा है जिसे साफ और सीधे शब्दों में मूर्खता की पराकाष्ठा से ज्यादा कुछ और नहीं कहा जाएगा.

हर दूसरी चीज की तरह तालिबान ने शिक्षा पर भी अपना अधिकार जमा लिया है. जैसे हालात हैं और जैसे फरमान तालिबान जारी कर रहा है शिक्षा के लिहाज से अफगानिस्तान को नालंदा और तक्षशिला बनने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. शिक्षा के लिहाज से अफगानिस्तान की स्थिति कैसी है? इस सवाल पर चर्चा होगी लेकिन क्योंकि शिक्षा के तहत हमने अफगानिस्तान की तुलना नालंदा और तक्षशिला से की है तो ये कोरी लफ्फाजी नहीं है. इस कथन के पीछे हमारे पास माकूल वजहें हैं.

आने वाले वक़्त में यदि अफगानिस्तान बर्बाद हुआ तो उसकी एकमात्र वजह तालिबान ही होगा

आइये अफगानिस्तान पर बात करने से पहले नालंदा और तक्षशिला के इतिहास और इन दोनों शिक्षण संस्थानों की तबाही पर बात की जाए.

तक्षशिला और नालंदा क्यों तबाह हुए?

प्राचीन भारत में नालंदा यूनिवर्सिटी हायर एजुकेशन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विश्व प्रसिद्ध केन्द्र था. बताते चलें कि नालंदा का शुमार दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में है और इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने की थी. बात अगर इस यूनिवर्सिटी के पतन की हो तो अभिलेखों के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय को हमलावरों ने तीन बार नष्ट किया. वहीं केवल दो बार ही इसको पुनर्निर्मित किया गया.

नालंदा का पहला विनाश स्कंदगुप्त (455-467 ईस्वी) के शासनकाल के दौरान मिहिरकुल के तहत ह्यून के कारण हुआ. इसका दूसरा विनाश 7वीं शताब्दी की शुरुआत में गौदास ने किया था. नालंदा पर तीसरा और सबसे विनाशकारी हमला 1193 में तुर्क सेनापति इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी और उसकी सेना ने किया. इस हमले ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पूर्णतः नष्ट कर दिया था. ऐसा माना जाता है धार्मिक ग्रंथों के जलने के कारण भारत में एक बड़े धर्म के रूप में उभरते हुए बौद्ध धर्म को सैकड़ों वर्षों तक का झटका लगा.

नालंदा के बाद बात यदि तक्षशिला की हो तो दुनिया की सबसे प्राचीन यूनिवर्सिटी में से एक तक्षशिला में छात्रों को वेद, गणित, व्याकरण और कई विषयों की शिक्षा दी जाती थी. माना जाता है कि यहां पर लगभग 64 विषय पढ़ाए जाते हैं, जिनमें राजनीति, समाज विज्ञान और यहां तक कि राज धर्म भी शामिल था. साथ ही यहां छात्रों को युद्ध से लेकर अलग-अलग कलाओं की शिक्षा मिलती. ज्योतिष विज्ञान यहां काफी बड़ा विषय था. इसके अलावा अलग-अलग रुचियां लेकर आए छात्रों को उनके मुताबिक विषय भी पढ़ाए जाते थे.

कुछ इतिहासकारों का कहना है कि मध्य-एशियाई खानाबदोश जनजातियों ने यहां आक्रमण करके शहर को खत्म कर डाला. इस कड़ी में शक और हूण का जिक्र आता है. हालांकि बहुत से इतिहासकार कुछ और ही बताते हैं. उनके मुताबिक शक और हूण ने भारत पर आक्रमण को किया था लेकिन उसे लूटा था, नष्ट नहीं किया था. उनके मुताबिक अरब आक्रांताओं ज्ञान के इस शहर को पूरी तरह से खत्म कर दिया ताकि इससे विद्वान न निकल सकें. छठवीं सदी में यहां पर अरब और तुर्क के मुसलमानों ने आक्रमण करना शुरू किए और बड़ी संख्या में तबाही मची. आज भी यहां पर तोड़ी हुई मूर्तियों और बौद्ध प्रतिमाओं के अवशेष मिलते हैं.

तो क्या है तालिबान शासित अफगानिस्तान के नालंदा और तक्षशिला कनेक्शन

जैसा कि हम आपको इस बात से अवगत करा चुके हैं कि यदि किसी भी समाज का पतन करना हो तो वहां से शिक्षा को हटा दिया जाए मुल्क या सभ्यता अपने आप तबाह हो जाएगी. अफगानिस्तान में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है. इन बातों को समझने के लिए हमें दो महत्वपूर्ण बातों को समझना होगा.  पहला है एक मोस्ट वांटेड आतंकी को अफगानिस्तान का नया गृहमंत्री बनाना. दूसरा है अफगानिस्तान के नए नए शिक्षा मंत्री बने शेख मौलवी नूरुल्लाह मुनीर का वो बयान जो उन्होंने पीएचडी और मास्टर्स कर रहे छात्रों के सन्दर्भ में दिया है.

पहले बात अफगानिस्तान के नए गृहमंत्री की. जिस आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी पर अमेरिका ने लाखों डॉलर का इनाम रखा हुआ है उसे ही तालिबान ने अफगानिस्तान का नया गृहमंत्री नियुक्त किया है. बताते चलें कि सिराजुद्दीन हक्कानी का नाता पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान से है. खूंखार आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क को चलाने वाले सिराजुद्दीन हक्कानी के बारे में कहा जाता है कि वो नॉर्थ वजीरिस्तान के मिराम शाह इलाके में रहता है.

हक्कानी नेटवर्क के इस शीर्ष आतंकवादी का नाम FBI की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में अभी भी शामिल है. सिराजुद्दीन हक्कानी के कारनामों की लिस्ट बहुत बड़ी है. साल 2008 में जनवरी के महीने में काबुल में एक होटल पर हुए हमले का आरोप सिराजुद्दीन के सिर पर है. इस हमले में छह लोग मारे गये थे, जिसमें अमेरिकी भी शामिल थे.

यूनाइटेड स्टेट के खिलाफ अफगानिस्तान में क्रॉस बॉर्डर अटैक में भी सिराजुद्दीन का हाथ माना जाता रहा है. इसके अलावा साल 2008 में अफगानी राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या की साजिश रचने में भी इस खूंखार आतंकी का नाम सामने आया था. सोचकर देखिये जो व्यक्ति खुद आतंकवादियों का सरगना हो, जब वो गृहमंत्री जैसे किसी महत्वपूर्ण पद पर बैठेगा तो उसका हिसाब किताब कैसा होगा वो मुल्क के लिए कैसी नीती बनाएगा.

हक़्क़ानी के अलावा बात यदि अफगानिस्तान के नए शिक्षा मंत्री बने शेख मौलवी नूरुल्लाह मुनीर के बयान की हो तो उनके इस बयान ने अफगानिस्तान का भविष्य बयां कर दिया है. शेख ने कहा है किपीएचडी और मास्टर डिग्री मूल्यवान नहीं हैं क्योंकि वह मुल्लाओं के पास नहीं है, और फिर भी वे 'सबसे महान' हैं.

जी हां भले ही ये बात विचलित करके रख दे मगर सच यही है. शेख मुनीर ने कहा है कि आज के समय में कोई पीएचडी डिग्री और मास्टर डिग्री मूल्यवान नहीं है. आप देखते हैं कि मुल्ला और तालिबान जो सत्ता में हैं, उनके पास पीएचडी, एमए या हाई स्कूल की डिग्री भी नहीं है, लेकिन सबसे महान हैं.

बहरहाल जिस तरह अभी बीते दिनों ही अफगानिस्तान की वो तस्वीरें दुनिया ने देखीं जिनमें स्टूडेंट्स के बीच पर्दा पड़ा था तस्दीख तब ही हो गयी थी कि शिक्षा के लिहाज से अफगानिस्तान बुरी तरह से पिछड़ने वाला है मगर अब जबकि हम एक मोस्ट वांटेड आतंकी को गृहमंत्री बनते देख चुके हैं और हमने शिक्षा मंत्री बने शेख मौलवी नूरुल्लाह मुनीर के बयान को सुन लिया है ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि बस कुछ ही दिन हैं. जल्द ही हम एक मुल्क के रूप में अफगानिस्तान को तक्षशिला और नालंदा की तरह तबाह होते देख लेंगे. 

कुल मिलाकर आज जो कुछ भी हम अफगानिस्तान में देख रहे हैं उसे देखकर सिर्फ और सिर्फ अफ़सोस हो रहा है. एक मुल्क कट्टरपंथ की मार इस तरह झेलेगा ऐसा हमने शायद ही कभी सोचा हो.    

ये भी पढ़ें -

तालिबान ने जितना अपने बारे में बताया है, यूनिवर्सिटी का फोटो 'फरेब' ही है!

अफगानिस्तान में आतंकी ही सरकार चलाएंगे, वो हैबतुल्लाह हो या मुल्ला बरादर

जावेद साहब, RSS से तुलना कर आप 'तालिबान' को मान्यता दे रहे हैं!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲