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रॉकी यादव और रूबी राय, दोनों ही के मां-बाप एक जैसे ही लगते हैं

    • आईचौक
    • Updated: 30 जून, 2016 03:43 PM
  • 30 जून, 2016 03:43 PM
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सवाल ये है कि जेल जाने के लिए क्या ये दोनों खुद ही जिम्मेदार हैं? या फिर उसकी वजह इनकी परवरिश है?

रॉकी यादव और रूबी राय दोनों ही के मां-बाप चाहते थे कि वे आइएएस बनें, लेकिन दोनों को जेल जाना पड़ा. हत्या के इल्जाम में पकड़े जाने पर रॉकी ने खुद को बेकसूर बताया था, जबकि रूबी बेफिक्र नजर आ रही थी. बड़ी ही मासूमियत से उसने कहा भी - पापा को तो बस सेकंड डिविजन के लिए कहा था, उन्होंने टॉपर बना दिया.

सवाल ये है कि जेल जाने के लिए क्या ये दोनों खुद ही जिम्मेदार हैं? या फिर उसकी वजह इनकी परवरिश है?

रूबी राय

नोटिस मिलने पर एक्सपर्ट टीम के सामने जब रूबी हाजिर हुई तो उससे तुलसीदास पर कुछ लिखने को कहा गया.

"तुलसीदास जी प्रणाम!" ढाई घंटे में रूबी सिर्फ इतना ही लिख पायी, बताया कि पहले का पढ़ा सब भूल चुका है. गिरफ्तार किये जाने या फिर कोर्ट में पेशी के वक्त भी रूबी बेफिक्र दिखी. जब पुलिस ने गमछे से मुहं ढक लेने को कहा तो उसने इंकार कर दिया. बोली - अगर गमछा ही लगाना होता तो बोर्ड ऑफिस नहीं आती.

इसे भी पढ़ें: जानिए फर्क रॉकी यादव और विवेक कुमार की मेकिंग का

"मैं बच्चा राय थोड़े ही हूं कि गमछा ओढ़ाए जा रहे हैं. मैं ऐसे ही मीडिया के सामने जाऊंगी," रूबी फिर बोली, लेकिन पुलिस के डांटने पर उसने गमछे से चेहरे ढक लिया.

जिम्मेदार कौन?

"अंकल जेल से कितने दिन में छूट जाऊंगी?" रूबी ने पूछा तो पुलिस वालों ने कहा, "जल्दी."

ये सुनते ही वह हंसते हंसते पुलिस की गाड़ी में बैठ गई. पुलिस वैन बेउर जेल रवाना हो...

रॉकी यादव और रूबी राय दोनों ही के मां-बाप चाहते थे कि वे आइएएस बनें, लेकिन दोनों को जेल जाना पड़ा. हत्या के इल्जाम में पकड़े जाने पर रॉकी ने खुद को बेकसूर बताया था, जबकि रूबी बेफिक्र नजर आ रही थी. बड़ी ही मासूमियत से उसने कहा भी - पापा को तो बस सेकंड डिविजन के लिए कहा था, उन्होंने टॉपर बना दिया.

सवाल ये है कि जेल जाने के लिए क्या ये दोनों खुद ही जिम्मेदार हैं? या फिर उसकी वजह इनकी परवरिश है?

रूबी राय

नोटिस मिलने पर एक्सपर्ट टीम के सामने जब रूबी हाजिर हुई तो उससे तुलसीदास पर कुछ लिखने को कहा गया.

"तुलसीदास जी प्रणाम!" ढाई घंटे में रूबी सिर्फ इतना ही लिख पायी, बताया कि पहले का पढ़ा सब भूल चुका है. गिरफ्तार किये जाने या फिर कोर्ट में पेशी के वक्त भी रूबी बेफिक्र दिखी. जब पुलिस ने गमछे से मुहं ढक लेने को कहा तो उसने इंकार कर दिया. बोली - अगर गमछा ही लगाना होता तो बोर्ड ऑफिस नहीं आती.

इसे भी पढ़ें: जानिए फर्क रॉकी यादव और विवेक कुमार की मेकिंग का

"मैं बच्चा राय थोड़े ही हूं कि गमछा ओढ़ाए जा रहे हैं. मैं ऐसे ही मीडिया के सामने जाऊंगी," रूबी फिर बोली, लेकिन पुलिस के डांटने पर उसने गमछे से चेहरे ढक लिया.

जिम्मेदार कौन?

"अंकल जेल से कितने दिन में छूट जाऊंगी?" रूबी ने पूछा तो पुलिस वालों ने कहा, "जल्दी."

ये सुनते ही वह हंसते हंसते पुलिस की गाड़ी में बैठ गई. पुलिस वैन बेउर जेल रवाना हो गई.

रॉकी यादव

रॉकी यादव के बारे में भी बताया गया कि वो दिल्ली में रह कर सिविल सेवा की तैयारी कर रहा था. तैयारियों में कोई दिक्कत न हो इसलिए रॉकी के

मां-बाप ने उसे लाखों रुपये वाली लैंड रोवर गाड़ी दे रखी थी - और तैयारी के दरम्यान किसी भी खतरे से मुकाबले के लिए बढ़िया सी पिस्टल.

इसे भी पढ़ें: बिहार के टॉपर छात्रों के लिए AIB ने बनाया नया वीडियो

रूबी राय ने एसआईटी को बताया कि परीक्षा से पहले उसके पापा ने खास हिदायत दी थी - रोल नंबर और दस्तखत ठीक से करना.

"आगे हम देख लेंगे," रूबी से तब उसके पापा ने कहा था और परीक्षा के बाद पूछा था, "कौन सा डिविजन चाहिए?"

रॉकी ने रूबी की तरह अपना रोल नंबर ठीक से लिखा या दस्तखत ठीक से किया या नहीं ये तो वही जाने, लेकिन यूपीएससी का रिजल्ट आने से पहले ही वो सड़क पर अपनी करामात दिखा चुका था.

ऐसा तो बिलकुल नहीं लगता कि कभी रॉकी और रूबी से उनकी पढ़ाई लिखाई के बारे में कभी पूछा गया होगा. कभी उनसे ये पूछा गया हो कि उनके किसी सब्जेक्ट की किताब है कि नहीं या मिलने में कोई दिक्कत तो नहीं है? पढ़ाई में कोई और मुश्किल तो आड़े नहीं आ रही? किसी सब्जेक्ट के लिए अलग से कोचिंग की जरूरत तो नहीं? या, कोचिंग के बावजूद कोई सब्जेक्ट या टॉपिक समझ में आ रहा है या नहीं?

दोनों की पढ़ाई को लेकर उनके घरवालों के अप्रोच अब तक कोई फर्क नजर नहीं आ रहा. रूबी से उनके पिता बस इतना चाहते हैं कि वो दस्तखत ठीक से करे और अपना रोल नंबर सही सही लिखे और बाकी वो सब संभाल ही ले लेंगे. रॉकी के पिता को शायद इसकी भी जरूरत नहीं पड़ी.

मुमकिन है घर से निकलते वक्त रॉकी से सिर्फ इतना ही पूछा जाता हो, "पिस्टल लिये हो कि नहीं?"

"और अगर लिये हो तो काम भर कारतूस लिये हो कि नहीं?"

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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