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इमरान खान को पाकिस्तानी क्रिकेटरों ने अपना प्रधानमंत्री चुन लिया है

    • अतीत शर्मा
    • Updated: 25 जुलाई, 2018 10:00 PM
  • 25 जुलाई, 2018 10:00 PM
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सिर्फ मियांदाद ही नहीं बल्कि इमरान खान के फास्ट बॉलिंग पार्टनर वसीम अकरम और वकार यूनिस समेत कई साथी खिलाड़ियों ने खुले तौर पर पीटीआई का समर्थन किया है.

बुधवार को पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए मतदान हो रहे हैं. इस चुनाव में न सिर्फ पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थक बल्कि पाकिस्तान के क्रिकेट बिरादरी के कई लोग भी देश की मुश्किल राजनीतिक विकेट पर इमरान खान के सफल होने उम्मीद कर रहे हैं.

इमरान खान के पुराने दोस्त और राष्ट्रीय टीम के पूर्व कप्तान जावेद मियांदाद ने कराची से एक विशेष बातचीत में इंडिया टुडे को बताया- "अभी के समय में वो प्रधान मंत्री पद के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हैं. मैं गारंटी दे सकता हूं कि उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता है. दूसरों को लोग पहले आज़मा चुके हैं. अब इमरान का टाइम है. आवाम अगर उन्हें अनदेखा करती है तो मूर्खता होगी."

मियांदाद आगे कहते हैं- "लोग अब उसके बारे में बात कर रहे हैं. लेकिन पिछले 15-20 सालों से वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं. उन्हें अब जीतना चाहिए. मुझे पूरा भरोसा है कि वह पाकिस्तान के लिए अच्छा काम करेंगे. ये तो हर कोई जानता है कि 1992 में उन्होंने विश्व कप कैसे जीता था. लेकिन, क्रिकेट के अलावा, उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि कैंसर अस्पताल है जिसे उन्होंने बनाया है. अस्पताल बनाने के लिए धन इकट्ठा करने में मैं उनके शाम था. सुबह से लेकर शाम तक, मस्जिदों से बाज़ार तक, वह लोगों से चंदा मांगने के लिए हर घर के दरवाजे पर गया. अब पूरे देश को इस विश्व स्तरीय सुविधा से फायदा हुआ है और वह कराची में एक और इमारत बना रहा है. लोग इस अच्छे काम को नहीं भूलते हैं."

अकरम से लेकर यूनिस तक सभी इमरान के समर्थन में उतर आए हैं

सिर्फ मियांदाद ही नहीं बल्कि इमरान खान के फास्ट बॉलिंग पार्टनर वसीम अकरम और वकार यूनिस समेत कई साथी खिलाड़ियों ने खुले तौर पर पीटीआई का समर्थन किया है. वसीम अकरम ने कुछ दिन पहले ट्वीट किया ता- "यह आपका ही नेतृत्व था जिसने हमें 1992 में...

बुधवार को पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए मतदान हो रहे हैं. इस चुनाव में न सिर्फ पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थक बल्कि पाकिस्तान के क्रिकेट बिरादरी के कई लोग भी देश की मुश्किल राजनीतिक विकेट पर इमरान खान के सफल होने उम्मीद कर रहे हैं.

इमरान खान के पुराने दोस्त और राष्ट्रीय टीम के पूर्व कप्तान जावेद मियांदाद ने कराची से एक विशेष बातचीत में इंडिया टुडे को बताया- "अभी के समय में वो प्रधान मंत्री पद के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हैं. मैं गारंटी दे सकता हूं कि उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता है. दूसरों को लोग पहले आज़मा चुके हैं. अब इमरान का टाइम है. आवाम अगर उन्हें अनदेखा करती है तो मूर्खता होगी."

मियांदाद आगे कहते हैं- "लोग अब उसके बारे में बात कर रहे हैं. लेकिन पिछले 15-20 सालों से वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं. उन्हें अब जीतना चाहिए. मुझे पूरा भरोसा है कि वह पाकिस्तान के लिए अच्छा काम करेंगे. ये तो हर कोई जानता है कि 1992 में उन्होंने विश्व कप कैसे जीता था. लेकिन, क्रिकेट के अलावा, उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि कैंसर अस्पताल है जिसे उन्होंने बनाया है. अस्पताल बनाने के लिए धन इकट्ठा करने में मैं उनके शाम था. सुबह से लेकर शाम तक, मस्जिदों से बाज़ार तक, वह लोगों से चंदा मांगने के लिए हर घर के दरवाजे पर गया. अब पूरे देश को इस विश्व स्तरीय सुविधा से फायदा हुआ है और वह कराची में एक और इमारत बना रहा है. लोग इस अच्छे काम को नहीं भूलते हैं."

अकरम से लेकर यूनिस तक सभी इमरान के समर्थन में उतर आए हैं

सिर्फ मियांदाद ही नहीं बल्कि इमरान खान के फास्ट बॉलिंग पार्टनर वसीम अकरम और वकार यूनिस समेत कई साथी खिलाड़ियों ने खुले तौर पर पीटीआई का समर्थन किया है. वसीम अकरम ने कुछ दिन पहले ट्वीट किया ता- "यह आपका ही नेतृत्व था जिसने हमें 1992 में विश्व चैंपियन बनाया. यह आपके नेतृत्व में ही है कि हम फिर से एक महान लोकतांत्रिक देश बन सकते हैं. चलो एक नए पाकिस्तान के लिए कप्तान को वोट दें."

यूनिस ने भी माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर लिखा है, "इसके लिए जो चाहिए वो आपके पास है. लेकिन ये आपका सबकुछ ले लेगा. आपकी ईमानदारी पर किसी को शक नहीं है और हमारे देश में इसी की जरुरत है. एक ईमानदार नेता की."  

मियांदाद 1975 के विश्व कप से पहले से इमरान खान को जानते हैं. मियांदाद का मानना ​​है कि 65 वर्षीय इमरान खान ने देश के लिए "बहुत कुछ त्याग दिया है".

मियांदाद कहते हैं- "उसे मुझसे बेहतर कोई नहीं जान सकता है. मैं उन्हें 1974 से जानता हूं. तब हम दोनों ने एकदुसरे के खिलाफ खेला था. सिर्फ पाकिस्तान के लिए ही नहीं, हमने काउंटी क्रिकेट में भी ससेक्स के लिए एक साथ खेला है. उनकी सबसे बड़ी खासियत उनकी लीडरशीप क्वालिटी नहीं है बल्कि उनकी शिक्षा भी है. उन्होंने ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई की है और बहुत ही जानकार व्यक्ति हैं. वह अब बदल गए हैं. वह अब पहले जैसे नहीं रहे. अगर वह स्वार्थी होते, तो राजनीति के अलावा किसी भी और चीज को चुनते. पाकिस्तान को नेतृत्व के लिए नए लोगों की जरुरत है. और इमरान से ज्यादा ईमानदार कोई भी नहीं है. उनके और एधी साहब (अब्दुल सत्तर एधी) जैसे लोगों ने हमेशा राष्ट्र के सुधार के लिए सोचा है. मैं उनकी जीत के लिए प्रार्थना करता हूं और यह भी कि वह इसके बाद जनता की उम्मीदों पर खरे उतरें."

इमरान के लिए सभी चाक चौबंद हो गए हैं

2015 में एजेंडा आजतक के लिए इंडिया टुडे समूह के अतिथि के रूप में भारत की अपनी यात्रा के दौरान, खान ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और दोनों पड़ोसी देशों के बीच क्रिकेट संबंधों को फिर से शुरू करने पर भी चर्चा की थी. मियांदाद का मानना ​​है कि यदि वह प्रधान मंत्री बन जाते हैं, तो खान वास्तव में लक्ष्य प्राप्त करने में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं -"याद कीजिए जब विश्व टी-20 टूर्नामेंट के दौरान ईडन गार्डन में हमारा मैच था. तब दोनों टीमों को देखने के लिए कोलकाता के स्टेडियम में लगभग एक लाख दर्शक आ गए थे. पड़ोसियों के रूप में हम कभी अलग नहीं हो सकते हैं. हम दोनों देश सिर्फ एक लकीर से बंटे हुए हैं, एक तरफ पाकिस्तान है और दूसरी तरफ भारत. दोनों ही देशों के लोग शांति और बेहतर संबंध चाहते हैं. हमें एक दूसरे की देखभाल करनी चाहिए और एक मजबूत ब्लॉक बनना चाहिए. लेकिन, जैसा कि कहावता है, ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत पड़ती है. आप बड़े लोग हो (भारत बड़ा भाई है), इतनी बड़ी आबादी के साथ क्रिकेट संबंधों को फिर से शुरू करने की पहल आपको करनी चाहिए. इंशाल्लाह, इमरान के प्रधान मंत्री बनने के बाद चीजें सही दिशा में आगे बढ़ सकती हैं."

आईपीएल और पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) जीतने वाली टीमों के बीच श्रृंखला कराने की मांग करने वाले जावेद आफरीदी को भी उम्मीद है कि आम चुनावों में इमरान खान ही जीतेंगे. जावेद आफरीदी पेशावर ज़ल्मी के मालिक हैं. आफरीदी ने इंडिया टुडे को बताया, "हम इमरान खान का समर्थन करते हैं क्योंकि वह सबसे गरीब इंसान की भी मुक्ति में विश्वास करते हैं. उन्होंने भ्रष्टाचार को खत्म करने का वादा किया है और यह भी कहा है कि उनके शासन के तहत, हरे पासपोर्ट के सम्मान को फिर से बहाल किया जाएगा."

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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