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इतिहास साक्षी है...पाकिस्तान न सुधरा है न सुधरेगा

    • गौरव चितरंजन सावंत
    • Updated: 04 जनवरी, 2016 11:20 AM
  • 04 जनवरी, 2016 11:20 AM
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एक बात भारत को समझ लेनी चाहिए. पाकिस्तानी सेना और ISI भारत को अपना दुश्मन मानती है. पाकिस्तानी सेना बार-बार पीठ में खंजर भोंक रही है. इसलिए आतंक के खिलाफ कदम भारत को ही उठाने होंगे.

पठानकोट वायुसेना बेस पर कथित जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों के हमले ने एक बार फिर भारत पाकिस्तान रिश्तो में खटास पैदा कर दी है. 25 दिसंबर 2015 को काबुल से दिल्ली लौटते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाहौर में रुक कर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जन्मदिन की बधाई और नवासी के निकाह में शामिल होकर दुनिया को आश्चर्य चकित कर दिया था. दोनों देशो के संबंधो में अच्छे दिन आने की बात भी होने लगी थी. किंतु इस आतंकी हमले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अच्छे दिन तब तक संभव नहीं हैं जब तक पाकिस्तानी सरकार, सेना और कुख्यात खुफिया विभाग ISI आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करती.

मैंने 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से अब तक लगभग हर बड़े आतंकी हमले पर रिपोर्टिंग और ऐंकरिंग की है. बात चाहे 2006 के मुंबई ट्रेन धमाको की हो या फिर 2008 के अहमदाबाद और सूरत आतंकी हमले की, जयपुर, बैंगलौर, दिल्ली, 26/11 मुंबई, जर्मन बेकरी (पुणे), झावेरी बाज़ार, गुरदासपुर, उधमपुर, नियंत्रण रेखा पर गोली बारी. तार पाकिस्तान से जुड़े. सबूतो का पुलिंदा देने के बावजूद पाकिस्तान ने दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए.

26/11 से आज तक पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ पनप रहे आतंकवाद पर कोई कार्रवाई नहीं की है. बात चाहे हाफिज़ सईद की हो या फिर मसूद अज़हर की. दाउद इब्राहिम की हो या आतंकी कैंपो की. फर्जी नोटो को सरकारी टकसाल में छापने की हो या फिर भारत में ड्रग्स की तस्करी की.

2014 के चुनावों से पहले तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान नया था– गोलीबारी के बीच बातचीत सुनाई नहीं देती. 26 जनवरी 2014 को लालन कॉलेज के प्रांगण से उनकी पाकिस्तान को चेतावनी सभी को हिला गई – उन्होनें कहा कि वो बॉर्डर के पास के राज्य के मुख्यमंत्री है – पाकिस्तान को भली भांति समझते हैं और इसीलिए पाकिस्तान समझ जाए कि आतंकवाद नहीं चल सकता.

और इसका सबूत उन्होनें प्रधानमंत्री बनने पर दिया भी. जब पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की तो...

पठानकोट वायुसेना बेस पर कथित जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों के हमले ने एक बार फिर भारत पाकिस्तान रिश्तो में खटास पैदा कर दी है. 25 दिसंबर 2015 को काबुल से दिल्ली लौटते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाहौर में रुक कर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जन्मदिन की बधाई और नवासी के निकाह में शामिल होकर दुनिया को आश्चर्य चकित कर दिया था. दोनों देशो के संबंधो में अच्छे दिन आने की बात भी होने लगी थी. किंतु इस आतंकी हमले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अच्छे दिन तब तक संभव नहीं हैं जब तक पाकिस्तानी सरकार, सेना और कुख्यात खुफिया विभाग ISI आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करती.

मैंने 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से अब तक लगभग हर बड़े आतंकी हमले पर रिपोर्टिंग और ऐंकरिंग की है. बात चाहे 2006 के मुंबई ट्रेन धमाको की हो या फिर 2008 के अहमदाबाद और सूरत आतंकी हमले की, जयपुर, बैंगलौर, दिल्ली, 26/11 मुंबई, जर्मन बेकरी (पुणे), झावेरी बाज़ार, गुरदासपुर, उधमपुर, नियंत्रण रेखा पर गोली बारी. तार पाकिस्तान से जुड़े. सबूतो का पुलिंदा देने के बावजूद पाकिस्तान ने दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए.

26/11 से आज तक पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ पनप रहे आतंकवाद पर कोई कार्रवाई नहीं की है. बात चाहे हाफिज़ सईद की हो या फिर मसूद अज़हर की. दाउद इब्राहिम की हो या आतंकी कैंपो की. फर्जी नोटो को सरकारी टकसाल में छापने की हो या फिर भारत में ड्रग्स की तस्करी की.

2014 के चुनावों से पहले तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान नया था– गोलीबारी के बीच बातचीत सुनाई नहीं देती. 26 जनवरी 2014 को लालन कॉलेज के प्रांगण से उनकी पाकिस्तान को चेतावनी सभी को हिला गई – उन्होनें कहा कि वो बॉर्डर के पास के राज्य के मुख्यमंत्री है – पाकिस्तान को भली भांति समझते हैं और इसीलिए पाकिस्तान समझ जाए कि आतंकवाद नहीं चल सकता.

और इसका सबूत उन्होनें प्रधानमंत्री बनने पर दिया भी. जब पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की तो भारत ने न केवल नियंत्रण रेखा पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी इंट का जवाब पत्थर से दिया. पाकिस्तान इससे हिल गया और नियंत्रण रेखा शांत हुई.

किंतु यह करारा जवाब आंतंकवाद को अभी तक नहीं मिला है. प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण से पहले पाकिस्तान ने उनका संकल्प टटोलने का प्रयास किया. हेरात में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला हुआ. उस समय अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ाई ने मुझे बताया कि पाकिस्तान का लश्कर ए तयैबा इसके लिए जिम्मेदार है. भारत ने कोई कड़ी जवाबी कार्यवाई की तो देश को इसकी जानकारी नहीं है.

फिर तो हमले बढ़ते गए – गुरदासपुर, उधमपुर, उत्तर कश्मीर के शहरो और कस्बो पर आतंकी हमले – सेना के दो कर्नल शहीद हुए – लेकिन भारत की तरफ से पाकिस्तान को कोई सबक नहीं सिखाया गया. और यह भारत की भूल है.

पाकिस्तानी ISI लगातार महिलाओ से जरिए सेना की टोह ले रही है, आतंकी लगातार हमले कर रहे हैं और भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह मुहतोड़ जवाब देने की बात भर कर रहे हैं.

क्या है यह मुंह तोड़ जवाब? यह बात तय है कि भारत युद्ध नहीं चाहता और पाकिस्तान युद्ध करने में सक्षम नहीं है. पाकिस्तान की सेना अपने पश्चिमी सीमा पर आतंकियों से लड़ रही है. पाकिस्तान के पास अभी हथियारो की, गोला बारूद की कमी भी है – उसके विमान और युद्धपोत युद्ध के लिए पूरी तरह सक्षम नहीं है. लेकिन आतंक द्वारा युद्ध उसकी सस्ती और कारगर रणनीति है जिसमें वो अपने से कई गुणा अधिक मजबूत भारतीय सेना को उलझाए रखने में सफल रहा है.

एक बात भारत को समझ लेनी चाहिए – पाकिस्तानी सेना और ISI भारत को अपना दुश्मन मानती है. नवाज शरीफ चाहे शांति चाहें – चाहे वो नरेंद्र मोदी के निजी मित्र भी बनना चाहें या बन रहे हों – पाकिस्तानी सेना बार बार पीठ में खंजर भोंक रही है.

पाकिस्तानी सेना जितनी मजबूत होगी – भारत पर उतने ही हमले होंगे. पाकिस्तानी सेना अपने ही देश में जितना आतंकवाद से जूझेगी – भारत पर आतंकियों से हमला करना उसके लिए उतना ही कठिन होगा. एक उलझा पाकिस्तान भारत को आतंक में नहीं उलझा सकता.

अब प्रधानमंत्री मोदी को तय करना है कि उन्हे मजबूत पाकिस्तानी सेना चाहिए या फिर एक सुरक्षित भारत. उन्हे अमेरीका और यूरोप की झूठी वाही वाही बटोरनी है या फिर एक कृतज्ञ सुरक्षित राष्ट्र का आशीर्वाद. पाकिस्तान के साथ दोस्ती की पहल तो प्रधानमंत्री मोदी ने कर दी किंतु अब उन्हे पाकिस्तान को यह दो टूक कहना होगा कि ठोस सबूतो के आधार पर या तो पाकिस्तान कार्रवाई करे या फिर दोस्ती का दिखावा छोड़ दे. क्योकि मुंह में राम बगल में छुरी भारत अब नहीं सहेगा.

आतंक अब बस.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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