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'शिव-भक्‍त' राहुल गांधी की रैली में पाकिस्तान जैसे झंडे परेशानी तो बनेंगे ही

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 05 अप्रिल, 2019 05:35 PM
  • 05 अप्रिल, 2019 05:29 PM
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वायनाड में राहुल गांधी के रोड शो में मुस्लिम लीग के झंडे को लेकर जो गफलत हुई थी, वह तो दूर हो गई. लेकिन उससे उपजी परेशानी दूर नहीं हुई. पाकिस्तान परस्ती के बाद राहुल गांधी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लग रहा है.

जब से राहुल गांधी ने वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला किया, तब से कांग्रेस की परेशानियां और बढ़ गई हैं. कांग्रेस तब से लगातार बीजेपी के निशाने पर है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि कुछ लोग हिंदुओं से इतना घबरा गए हैं कि अल्पसंख्यक बहुल सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं, ताकि उन्हें हिंदू बहुल सीट से हार ना झेलनी पड़े.

राहुल गांधी ने वायनाड से पर्चा भरने के बाद रोड शो किया और उस रोड शो के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर जिस तरह वायरल हुए वो कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं रहा. कांग्रेस पार्टी के झंडों के साथ हरे रंग के झंडे भी फहराए जा रहे थे जिन्हें इस्लामिक झंडे या पाकिस्तान के झंडे कहा जा रहा है.

हालांकि ये झंडे पाकिस्तानी झंडे नहीं थे बल्कि केरल की पार्टी IML (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग) के झंडे थे, जो हरे रंग और चांद सितारा बना होने की वजह से पाकिस्तान के झंडे से मिलता जुलता है, लेकिन असल में ये काफी अलग है. मुस्लिम लीग (IML) ज्यादातर केरल में चुनाव लड़ती है. इस पार्टी का हमेशा से कांग्रेस के साथ गठबंधन रहा है. इस बार भी IML और कांग्रेस एक साथ हैं. कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी ऐसा ही एक वीडियो वायरल हुआ था और तब भी कांग्रेस पर इसी तरह के आरोप लगे थे जो एक बार फिर लग रहे हैं.

ये रहा दोनों झंडों में फर्क

वायनाड में राहुल गांधी के रोड शो में मुस्लिम लीग के झंडे को लेकर जो गफलत हुई थी, वह तो दूर हो गई. लेकिन उससे जो परेशानी उपजी है वो दूर नहीं हो पा रही. राहुल गांधी पर अब मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लग रहा है.

और मुस्लिम लीग को लेकर राहुल गाधी को घेरने का काम कर...

जब से राहुल गांधी ने वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला किया, तब से कांग्रेस की परेशानियां और बढ़ गई हैं. कांग्रेस तब से लगातार बीजेपी के निशाने पर है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि कुछ लोग हिंदुओं से इतना घबरा गए हैं कि अल्पसंख्यक बहुल सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं, ताकि उन्हें हिंदू बहुल सीट से हार ना झेलनी पड़े.

राहुल गांधी ने वायनाड से पर्चा भरने के बाद रोड शो किया और उस रोड शो के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर जिस तरह वायरल हुए वो कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं रहा. कांग्रेस पार्टी के झंडों के साथ हरे रंग के झंडे भी फहराए जा रहे थे जिन्हें इस्लामिक झंडे या पाकिस्तान के झंडे कहा जा रहा है.

हालांकि ये झंडे पाकिस्तानी झंडे नहीं थे बल्कि केरल की पार्टी IML (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग) के झंडे थे, जो हरे रंग और चांद सितारा बना होने की वजह से पाकिस्तान के झंडे से मिलता जुलता है, लेकिन असल में ये काफी अलग है. मुस्लिम लीग (IML) ज्यादातर केरल में चुनाव लड़ती है. इस पार्टी का हमेशा से कांग्रेस के साथ गठबंधन रहा है. इस बार भी IML और कांग्रेस एक साथ हैं. कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी ऐसा ही एक वीडियो वायरल हुआ था और तब भी कांग्रेस पर इसी तरह के आरोप लगे थे जो एक बार फिर लग रहे हैं.

ये रहा दोनों झंडों में फर्क

वायनाड में राहुल गांधी के रोड शो में मुस्लिम लीग के झंडे को लेकर जो गफलत हुई थी, वह तो दूर हो गई. लेकिन उससे जो परेशानी उपजी है वो दूर नहीं हो पा रही. राहुल गांधी पर अब मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लग रहा है.

और मुस्लिम लीग को लेकर राहुल गाधी को घेरने का काम कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए सबसे पहले कहा कि- 'वायनाड में राहुल गांधी जी ने केरल में अपने खास सहयोगी मुस्लिम लीग के कार्यकर्ताओं से मना कर दिया कि अपनी पार्टी का हरा झंडा लेकर रैली में न आयें वरना यूपी का वोटर नाराज होगा. ये मुस्लिम लीग से समझौता कर चुनाव लड़े तो सेक्युलर ? हम 'सबका साथ सबका विकास' करें तो भी साम्प्रदायिक ?'

फिर योगी ने कहा कि - 'कांग्रेस के कारण ही देश का दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन हुआ. इसके लिए मुस्लिम लीग व कांग्रेस का गठजोड़ जिम्मेदार था, आज राहुल गांधी ने वायनाड से नामांकन किया है और वहां भी कांग्रेस का मुस्लिम लीग से गठबंधन है. यह देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है. कांग्रेस देश के लिए खतरा बनती जा रही है.'

योगी यहीं नहीं थमे, उन्होंने तो मुस्लिम लीग को वायरस तक कह दिया. योगी ने कहा कि- 'मुस्लिम लीग एक वायरस है. एक ऐसा वायरस जिससे कोई संक्रमित हो गया तो वो बच नहीं सकता और आज तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ही इससे संक्रमित हो चुका है. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे के साथ पूरा देश अंग्रेजों के खिलाफ मिल कर लड़ा था, फिर ये मुस्लिम लीग का वायरस आया और ऐसा फैला कि पूरे देश का ही बंटवारा हो गया. आज फिर वही खतरा मंडरा रहा. हरे झण्डे फिर से लहर रहे हैं. कांग्रेस मुस्लिम लीग वायरस से संक्रमित है, सावधान रहिये. सोचिये अगर ये जीत गए तो क्या होगा ? ये वायरस पूरे देश मे फैल जाएगा'

जाहिर है राहुल गांधी लोकसभा चुनावों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते. उनका जितना फोकस हिंदू वोटों पर है उतना ही मुस्लिम वोटों पर भी है. उत्तर भारत, जहां का हिंदू वोटर बीजेपी को ही सपोर्ट करता है, उन हिंदू वोटों में सेंध लगाने के लिए राहुल गांधी ही नहीं प्रियंका गांधी को भी सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लेना पड़ा. जनेऊ पहनकर जगह-जगह मंदिरों में जाकर माथा टेका. उन्हें लोगों को ये यकीन दिलाना पड़ा कि वो हिंदू हैं और हिंदुओ के हितैषी हैं. वहीं प्रियंका गांधी ने तो अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत ही हिंदुत्व कार्ड खेलकर की. खुद को गंगा की बेटी कहा और प्रयागराज में लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर में पूजा अर्चना करके गंगा यात्रा की. अब भी उत्तर प्रदेश के सभी बड़े मंदिरों में प्रियंका को देखा जा सकता है. साफ दिखता है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हिंदू वोटों के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी है. 

लेकिन जैसे ही दक्षिण की तरफ रुख करते हैं राहुल गांधी बदले-बदले दिखते हैं. वहां उन्हें वोटों के लिए मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन करना पड़ता है. कांग्रेस की रैली में मुस्लिम लीग लहराता हुआ झंडा राहुल गांधी की रणनीति को उजागर कर देता है. वे दोनों हाथ में लड्डू रखना चाहते हैं. एक तरफ शिवभक्‍त के रूप में, तो दूसरी तरफ मुस्लिम वोटरों को साधकर.

चुनावी हिंदू: राहुल और प्रियंका गांधी दोनों ने उत्‍तर भारत में हिंदू वोटों को साधने के लिए मंदिर-मंदिर एक कर दिए.

ये राहुल गांधी के लिए परेशानी वाली बात तो है ही और इसके लिए उनपर उंगलियां उठना भी बनता है. क्योंकिं माथे पर तिलक लगाकर हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने के बाद जैसे तैसे राहुल गांधी वायनाड में तो जोर-शोर से रोड शो किया और जैसा कि बहन प्रियंका ने कहा कि 'मेरे भाई का ख्याल रखना वायनाड', तो जाहिर है वायनाड रखेगा भी लेकिन अब राहुल गांधी उत्तर भारतीयों को कैसे बताएंगे कि वो हिंदू हैं. बीजेपी इसी को मुद्दा बना रही है. और ये मुद्दा अभी नहीं हमेशा के चुनावों में मुद्दा बना ही रहेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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