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कंगाल पाकिस्‍तान की सेना अब भारत से जंग पर आमादा!

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 30 अप्रिल, 2019 04:02 PM
  • 30 अप्रिल, 2019 04:02 PM
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भारत को जंग की चेतावनी देते हुए मेजर जनरल आसिफ गफूर बोल बैठे कि ये 1971 नहीं है, ना ही ये सेना 1971 की है और ना ही पाकिस्तान का मीडिया 1971 का है.

पहले पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों ने पुलवामा हमला किया और फिर भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया. इस सर्जिकल स्ट्राइक में चहेते आतंकियों के मारे जाने से पाकिस्तान इतना दुखी हुआ कि उसने अगले ही दिन भारतीय सीमा में घुसकर मिसाइलें दाग दीं. अब दोबारा ये बात इसलिए हो रही है, क्योंकि इसका जिक्र किया है पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल आसिफ गफूर ने. पुलवामा हमले को तो उन्होंने सीधे-सीधे कश्मीर की समस्या बता दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे हमले तो कश्मीर में पुलिसवालों के खिलाफ होते ही रहते हैं. हालांकि वो ये भूल गए कि खुद जैश-ए-मोहम्मद ने उस हमले की जिम्मेदारी ली है.

अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत से ही मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया. वो तो यहां तक बोल गए कि भारत झूठा है और झूठ पर झूठ बोल रहा है. उन्होंने कहा कि हमने तो बालाकोट तक अंतरराष्ट्रीय मीडिया को ले जाकर भारत का झूठ बेनकाब कर दिया और अगर भारतीय मीडिया भी जाना चाहे तो आ जाए, उसे भी दिखा देंगे. आसिफ गफूर तैश-तैश में इतना सब तो बोल गए, लेकिन ये भूल गए कि 43 दिनों तक मीडिया को बालाकोट की उस जगह पर नहीं जाने दिया गया, जहां हमला हुआ था. सबूत-सबूत चिल्लाने वाले पाकिस्तान को ये बताना चाहिए कि आखिर इतने दिनों तक उसने बालाकोट में किन सबूतों को ठिकाने लगाया.

पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक बार फिर कश्मीर राग अलापा है.

जंग की धमकी, 'ये 1971 नहीं'

मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि भारत ने एक टारगेट पर चार मिसाइलें दागीं और हमले चार टारगेट पर 6 मिसाइलें गिरा दीं. भारत को जंग की चेतावनी देते हुए वह बोल बैठे कि ये 1971 नहीं है, ना ही ये सेना 1971 की है, ना ही पाकिस्तान का मीडिया 1971 का है. अगर भारत ने कुछ भी किया तो '27...

पहले पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों ने पुलवामा हमला किया और फिर भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया. इस सर्जिकल स्ट्राइक में चहेते आतंकियों के मारे जाने से पाकिस्तान इतना दुखी हुआ कि उसने अगले ही दिन भारतीय सीमा में घुसकर मिसाइलें दाग दीं. अब दोबारा ये बात इसलिए हो रही है, क्योंकि इसका जिक्र किया है पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल आसिफ गफूर ने. पुलवामा हमले को तो उन्होंने सीधे-सीधे कश्मीर की समस्या बता दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे हमले तो कश्मीर में पुलिसवालों के खिलाफ होते ही रहते हैं. हालांकि वो ये भूल गए कि खुद जैश-ए-मोहम्मद ने उस हमले की जिम्मेदारी ली है.

अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत से ही मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया. वो तो यहां तक बोल गए कि भारत झूठा है और झूठ पर झूठ बोल रहा है. उन्होंने कहा कि हमने तो बालाकोट तक अंतरराष्ट्रीय मीडिया को ले जाकर भारत का झूठ बेनकाब कर दिया और अगर भारतीय मीडिया भी जाना चाहे तो आ जाए, उसे भी दिखा देंगे. आसिफ गफूर तैश-तैश में इतना सब तो बोल गए, लेकिन ये भूल गए कि 43 दिनों तक मीडिया को बालाकोट की उस जगह पर नहीं जाने दिया गया, जहां हमला हुआ था. सबूत-सबूत चिल्लाने वाले पाकिस्तान को ये बताना चाहिए कि आखिर इतने दिनों तक उसने बालाकोट में किन सबूतों को ठिकाने लगाया.

पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक बार फिर कश्मीर राग अलापा है.

जंग की धमकी, 'ये 1971 नहीं'

मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि भारत ने एक टारगेट पर चार मिसाइलें दागीं और हमले चार टारगेट पर 6 मिसाइलें गिरा दीं. भारत को जंग की चेतावनी देते हुए वह बोल बैठे कि ये 1971 नहीं है, ना ही ये सेना 1971 की है, ना ही पाकिस्तान का मीडिया 1971 का है. अगर भारत ने कुछ भी किया तो '27 फरवरी' फिर से होगा. जब इतना कुछ बोल ही दिया था तो पाकिस्तान परमाणु बम की धौंस क्यों नहीं दिखाता. उन्होंने कहा कि भारत कहता है परमाणु बम दिवाली के लिए नहीं है, अगर दिल है तो हमें आजमा लें, लेकिन नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें. उन्होंने ये भी कहा कि भारत जिस एफ-16 को मार गिराने का दावा करता है, एक बार अमेरिका से उन विमानों की गितनी करवा ले, सच सामने आ जाएगा.

और फिर शुरू हो गया कश्मीर राग

बात चल रही थी भारत की बुराई करने की, तो फिर कश्मीर का मुद्दा क्यों नहीं उठता. गफूर बोले कि कश्मीर तो हमारी रगों में दौड़ता है. कश्मीरियों के लिए हमारा पूरा समर्थन है और उनके लिए तो पाकिस्तान जंग के लिए भी तैयार रहता है. कश्मीरियों को आजादी और उनका हक दिलाने के लिए हम हमेशा संघर्ष करते रहेंगे. गफूर की इस बात पर थोड़ी हंसी आती है. एक देश जहां शिक्षा की ये हालत है कि वो लिस्ट में नीचे से दूसरे नंबर पर है. अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है, पाकिस्तानी चीन का मोहताज बन गया. बेल आउट पैकेज के भरोसे बैठा है. लेकिन हेकड़ी में कोई कमी नहीं आई. खुद के घर में खाने के लाले पड़े हैं और कश्मीर को आजादी दिलाने की बातें हो रही हैं.

आतंकवाद के खिलाफ सख्त एक्शन

पाकिस्तान की सबसे बड़ी समस्या है आतंकवाद. जब सोवियत यूनियन पाकिस्तान में आया तो वहां के मदरसों ने बच्चों को जिहादी बनाना शुरू कर दिया. ये जिहादी सोवियन यूनियन के खिलाफ जंग लड़ते थे. हालात बदले, लेकिन मदरसों की हालत बद से बदतर हो गई. वहां तब जिहादी तैयार किए जाते थे, अब आतंकी तैयार किए जा रहे हैं. खुद आसिफ गफूर ने ही माना है कि पाकिस्तान की 60 फीसदी से अधिक आबादी 25-30 साल की है. हर बार की तरह इस बार भी पाकिस्तान ने कहा कि उसने आतंकवाद के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है. गफूर ने तो आंकड़े तक गिना डाले.

उनके अनुसार 9/11 के बाद से अब तक आतंकवादियों के खिलाफ 1237 काइनेटिक ऑपरेशन किए गए, 17,531 आतंकियों को मार गिराया गया, 450 टन विस्फोटक जब्त किया गया और इस तरह आतंकी ढांचे को गिरा दिया गया. हालांकि, उन्होंने खुद ही ये माना भी है कि अनऑर्गेनाइज्ड आतंकी ढांचा अभी भी मौजूद है.

आसिफ गफूर की बातें ये साफ करती हैं कि पाकिस्तान में आतंकवाद अभी भी अपनी पकड़ बनाए हैं. वैसे भी, जिस देश में मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकी खुले घूमते हों, हाफिज सईद के रिश्तेदार तो चुनाव तक लड़ रहे हैं. ऐसे में पाकिस्तान से आतंकवाद खत्म कैसे हो सकता है. एक ओर तो आसिफ गफूर ने कहा है कि मदरसों में दूसरे धर्मों के प्रति नफरत की बात नहीं होगी, वहीं दूसरी ओर खुद ही कहा है कि भारत में हिंदुत्व का कॉन्सेप्ट चल पड़ा है, जिसके चलते 20 करोड़ मुस्लिमों की जिंदगी खराब हो रही है. उनके साथ अत्याचार देखकर पाकिस्तान के मुस्लिमों का दिल दुखता है. अब गफूर साहेब को क्या कहें. वह तो अपने देश के मुसलमानों को रोटी, कपड़ा और मकान तक नहीं दे पा रहे हैं और फिक्र उन्हें कश्मीर की भी है और भारत के मुसलमानों की भी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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