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'हमने बालाकोट मदरसा भीतर से देखा, और वहां था पाक सेना का नाटक'

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 14 अप्रिल, 2019 05:47 PM
  • 14 अप्रिल, 2019 05:39 PM
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पाकिस्तान ने 43 दिनों में एक झूठ गढ़ने की कोशिश की और ये जताना चाहा कि भारत झूठ बोल रहा है. लेकिन इस मदरसे के भीतर पहुंचे अंतर्राष्‍ट्रीय पत्रकारोंं ने पाकिस्‍तान सेना का झूठ बेनकाब कर दिया.

पिछले कुछ हफ्तों से पाकिस्तान का बालाकोट विवादों में छाया हुआ है. ये वही जगह है, जहां मदरसे की आड़ में चल रहे आतंकी ट्रेनिंग कैंप को भारत वायुसेना ने 26 फरवरी को सर्जिकल स्‍ट्राइक करके तबाह किया था. भारत ने ये हमला 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में किया था. करीब 43 दिनों के बाद पाकिस्तान ने विदेशी पत्रकारों और डिप्लोमेट्स के एक समूह को घटनास्थल का दौरा कराया. इतने दिन लगाने के पीछे पाकिस्तानी सेना का तर्क था कि तब परिस्थितियां अनुकूल नहीं थीं. खैर, जब पत्रकार वहां पहुंचे तो पाकिस्तान ने वो हाथी दिखाया, जिसके खाने के दांत अलग होते हैं और दिखाने के अलग. वहां जरूरत थी बस थोड़ा बारीकी से देखने की और जैसे ही उन बारीकियों पर नजर डाली गई, पाकिस्तान का असल चेहरा बेनकाब हो गया. आतंकियों को पालने-पोषने वाला चेहरा. चलिए जानते हैं वहां ऐसा क्या दिखा, जिसने पाकिस्तान का झूठ बेनकाब कर दिया.

भारतीय वायुसेना ने जैसे रेडार इमेज के जरिए पत्रकारों के सामने खुलासा किया कि विंग कमांडर अि‍भिनंदन ने एक पाकिस्‍तानी F-16 विमान को मार गिराया. उसके बाद पाक सेना के भीतर हड़कंप मच गया. वह 27 फरवरी को पाक अधिकृत कश्‍मीर की हवा में हुई झड़प से ध्‍यान हटाने के लिए योजना बनाने लगा. ध्‍यान रहे अब तक पाकिस्‍तान उस दूसरे पायलट के बारे में कुछ नहीं बता पाया है, जिसेे पकड़ने का दावा उसने किया था. बहरहाल, पाकिस्‍तान सेना के DGISPR मेजर जनरल आसिफ गफूर मीडिया और कुछ दूतावास के अधिकारियों को लेकर बालाकोट पहुंंचते हैं, जहां के आतंकी ट्रेनिंग कैंप पर भारत ने हमला किया था. इसी दस्‍ते में ABC न्‍यूज चैनल के पत्रकारों का भी एक दल था. अब आइए, जानते हैं इस दल ने वहां क्‍या देखा:  

पिछले कुछ हफ्तों से पाकिस्तान का बालाकोट विवादों में छाया हुआ है. ये वही जगह है, जहां मदरसे की आड़ में चल रहे आतंकी ट्रेनिंग कैंप को भारत वायुसेना ने 26 फरवरी को सर्जिकल स्‍ट्राइक करके तबाह किया था. भारत ने ये हमला 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में किया था. करीब 43 दिनों के बाद पाकिस्तान ने विदेशी पत्रकारों और डिप्लोमेट्स के एक समूह को घटनास्थल का दौरा कराया. इतने दिन लगाने के पीछे पाकिस्तानी सेना का तर्क था कि तब परिस्थितियां अनुकूल नहीं थीं. खैर, जब पत्रकार वहां पहुंचे तो पाकिस्तान ने वो हाथी दिखाया, जिसके खाने के दांत अलग होते हैं और दिखाने के अलग. वहां जरूरत थी बस थोड़ा बारीकी से देखने की और जैसे ही उन बारीकियों पर नजर डाली गई, पाकिस्तान का असल चेहरा बेनकाब हो गया. आतंकियों को पालने-पोषने वाला चेहरा. चलिए जानते हैं वहां ऐसा क्या दिखा, जिसने पाकिस्तान का झूठ बेनकाब कर दिया.

भारतीय वायुसेना ने जैसे रेडार इमेज के जरिए पत्रकारों के सामने खुलासा किया कि विंग कमांडर अि‍भिनंदन ने एक पाकिस्‍तानी F-16 विमान को मार गिराया. उसके बाद पाक सेना के भीतर हड़कंप मच गया. वह 27 फरवरी को पाक अधिकृत कश्‍मीर की हवा में हुई झड़प से ध्‍यान हटाने के लिए योजना बनाने लगा. ध्‍यान रहे अब तक पाकिस्‍तान उस दूसरे पायलट के बारे में कुछ नहीं बता पाया है, जिसेे पकड़ने का दावा उसने किया था. बहरहाल, पाकिस्‍तान सेना के DGISPR मेजर जनरल आसिफ गफूर मीडिया और कुछ दूतावास के अधिकारियों को लेकर बालाकोट पहुंंचते हैं, जहां के आतंकी ट्रेनिंग कैंप पर भारत ने हमला किया था. इसी दस्‍ते में ABC न्‍यूज चैनल के पत्रकारों का भी एक दल था. अब आइए, जानते हैं इस दल ने वहां क्‍या देखा:  

पाकिस्तान ने 43 दिनों में एक झूठ गढ़ने की कोशिश की और ये जताना चाहा कि भारत झूठ बोल रहा है.

1- सेना के अधिकारी ने खुद ही एक आदमी से बात करने के लिए कहा

पाकिस्तानी सेना के अधिकारी ने ABC के पत्रकार को बताया कि जब भारत ने बमबारी की तो एक शख्स पास में ही अपनी झोपड़ी में सो रहा था. खुद पाकिस्तानी अधिकारी ने ही विदेशी पत्रकारों से उस शख्स से बात करने के लिए भी कहा और जब उस शख्स से पत्रकारों ने सवाल पूछा तो उस वक्त भी सेना के अधिकारी साथ खड़े रहे. इन सब बातों से तो एक शक ये होता है कि शायद वह आदमी भी सेना ने पहले से वहां प्लांट किया था.

2- आदमी की बात को गलत ट्रांसलेट किया

जब पत्रकारों ने उस पाकिस्तानी शख्स से पूछा कि भारत के बारे में वह क्या सोचता है तो उसके जवाब को पाकिस्तानी सेना के अधिकारी ने अंग्रेजी में ट्रांसलेट करते हुए कहा- 'उसने कहा भारत हमारा दुश्मन है.' लेकिन उस शख्स ने ये नहीं कहा था. दरअसल, ABC के मुताबिक उस शख्स ने उर्दू में कहा था कि उसने इससे पहले कभी भारत के बारे में नहीं सोचा. पाकिस्तानी अधिकारी को लगा कि उर्दू तो विदेशी पत्रकारों को समझ आएगी नहीं, इसलिए खड़े-खड़े ही एक झूठ गढ़ दिया.

3- मदरसे की लोकेशन और सेटअप एक ट्रेनिंग कैंप जैसा

एक मदरसे को आबादी से दूर चीड़ के पेड़ों के बीच में पहाड़ी के टॉप पर बनाना ही शक करने के लिए काफी है. खैर, जब पत्रकारों को वहां ले जाया गया तो देखा कि वहां एक मदरसा है, जिसमें एक बड़ा सा हॉल है. जितनी जगह में वह स्कूल बना है, उससे करीब दोगुनी जगह का एक मैदान है. मदरसे के अंदर तो करीब 100 बच्चे कुरान की आयतें पढ़ रहे थे, लेकिन पत्रकारों के साथ गए दो डिप्लोमेट्स को ये सब देखकर ये समझते देर नहीं लगी कि ऐसा लोकेशन और इस तरह का सेटअप को एक ट्रेनिंग कैंप में होता है, ना कि बच्चों को पढ़ाने वाले मदरसों में.

4- 100-200 मदरसों का आतंकियों से संबंध खुद स्वीकार किया

पाकिस्तान में करीब 30 हजार मदरसे हैं. एक पाकिस्तानी अधिकारी ने ABC से बातचीत में बताया कि करीब 100-200 मदरसे अभी भी ऐसे हैं, जिनके आतंकी संगठनों से संबंध हैं. मदरसों में इस्लाम के कट्टरता सिखाई जाती है, लेकिन सरकार ये कहती है कि बहुत ही कम ऐसे हैं जिनमें आतंकी गतिविधियां होती हैं. ऐसे में इस बात का शक भी है कि बालाकोट के इस मदरसे का भी आतंकी संगठनों से लिंक हो, तभी तो भारत ने इस पर हमला किया था. और अगर पाकिस्तान इतना ही सच्चा है तो उसने हमले की जगह तक पत्रकारों को ले जाने में 43 दिन क्यों लगा दिए. हर बार पत्रकारों और नागरिकों तक को सेना ने हमले वाली जगह जाने से रोका क्यों?

5- अधिक बात नहीं करने दे रही थी सेना

पत्रकारों का जो समूह पाकिस्तानी सेना के साथ मदरसा देखने गया था, उसमें बीबीसी के पत्रकार भी थे. उनके अनुसार सेना के अधिकारी फोटो लेने और वीडियो बनाने से तो मना नहीं कर रहे थे, लेकिन जब किसी से बात करना चाह रहे थे तो कह दिया जा रहा था कि जल्दी करो, ज्यादा बात मत करो. यानी कहीं न कहीं उन्हें इस का डर जरूर था कि कहीं पत्रकार उन बच्चों या टीचर्स से ऐसा कोई सवाल ना पूछ लें, जो पाकिस्तानी सेना का पोल खोल दे.

यूं लग रहा है जैसे पाकिस्तान की सेना ने 43 दिनों में भारत की ओर से हुए हमले के सारे सबूत मिटाए और एक ट्रेनिंग कैंप को मदरसे का रूप दिया. खैर, मदरसा तो वो हमेशा से ही था, फर्क सिर्फ इतना है कि पहले वहां आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है थी और अब पत्रकारों को दिखाने के लिए वहां बच्चे पढ़ाई करते दिख रहे थे. पाकिस्तान ने इतने दिनों में एक झूठ गढ़ने की कोशिश की और ये जताना चाहा कि भारत तो झूठ बोल रहा है. लेकिन बारीकियों पर नजर रखने के बाद जो चेहरा सामने आया वो उसी पाकिस्तान का है, जो मसूद अजहर जैसे आतंकी को पनाह दिए हुए है, जहां हाफिज सईद जैसे आतंकी खुलेआम घूमते हैं. मदरसे के पीछे जो झूठ पाकिस्तान ने रचा था, आखिरकार वह बेनकाब हो ही गया है. हां वो बात अलग है कि जो बारीकियां नहीं देखेगा, उसे सब कुछ सही ही दिखेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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