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पाकिस्तान के deradicalization camp की तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 22 जनवरी, 2020 10:45 PM
  • 22 जनवरी, 2020 10:44 PM
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पाकिस्तान (Pakistan) के Deradicalisation camps की तस्‍वीरें (satellite images) सामने आई हैं. जिस शिद्दत से पाकिस्तान इन कैम्पों का निर्माण कर रहा है इस बात का अंदाजा लग जाता है कि अब आतंकवाद और कट्टरपंथ ने खुद उसकी जड़ों में मट्ठा डालते हुए उसे प्रभावित करना शुरू कर दिया है.

बात बीते दिनों की है. एक कार्यक्रम में सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) ने कई अहम मुद्दों पर अपना पक्ष रखा था. आतंकवाद और पाकिस्तान को एक बड़ी समस्या की तरह देखा गया था और इस्लामिक कट्टरपंथ (Islamic fundamentalism) पर भी खूब बात हुई थी. प्रोग्राम में अपना पक्ष रखते हुए जनरल बिपिन रावत ने यह कहकर सबको चौंका दिया था कि पाकिस्तान की तर्ज पर भारत में भी कट्टरपंथी विचारधारा (Radical ideology) से प्रभावित युवाओं के लिए विशेष प्रकार के कैंप (Deradicalisation Camps in Pakistan and India) चलाए जा रहे हैं. जनरल रावत का मानना था कि कट्टरपंथ की समस्या का रणनीतिक तरीके से समाधान किया जा सकता है. जनरल रावत ने ये भी कहा था कि देखना होगा कि वो कौन लोग हैं जो कट्टरपंथ फैला रहे हैं. कौन लोग हैं जो इससे प्रभावित हो रहे हैं.

पाकिस्तान में सुधार गृहों को विस्तार देने की कवायद तेज है सरकार का यही प्रयास है कि कट्टरपंथी युवा जल्द से जल्द सुधरें

देश के पहले सीडीएस का कहना था कि कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित होने की समस्या स्कूल, कॉलेज, धार्मिक संस्थाओं समेत कई जगहों पर नजर आ रही है और फिर इसका प्रसार किया जाता है. जनरल रावत के मुताबिक आज युवाओं में कट्टरपंथी विचार फैल रहे हैं और 10-12  साल की उम्र के लड़के-लड़कियां तक इससे प्रभावित हो रहे हैं.

साथ ही कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पूरी तरह से कट्टरपंथी विचारों की गिरफ्त में हैं. ऐसे लोगों को अलग करने की जरूरत है. उन्हें कट्टरपंथ निरोधक कैंपों में रखा जा सकता है. जनरल रावत ने इस बात पर भी बल दिया था कि ऐसे कैम्प भारत में भी चल रहे हैं.

जनरल रावत ने कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित युवाओं के लिए चल रहे शिविरों का हवाला देते हुए कहा कि भारत ही नहीं पाकिस्तान...

बात बीते दिनों की है. एक कार्यक्रम में सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) ने कई अहम मुद्दों पर अपना पक्ष रखा था. आतंकवाद और पाकिस्तान को एक बड़ी समस्या की तरह देखा गया था और इस्लामिक कट्टरपंथ (Islamic fundamentalism) पर भी खूब बात हुई थी. प्रोग्राम में अपना पक्ष रखते हुए जनरल बिपिन रावत ने यह कहकर सबको चौंका दिया था कि पाकिस्तान की तर्ज पर भारत में भी कट्टरपंथी विचारधारा (Radical ideology) से प्रभावित युवाओं के लिए विशेष प्रकार के कैंप (Deradicalisation Camps in Pakistan and India) चलाए जा रहे हैं. जनरल रावत का मानना था कि कट्टरपंथ की समस्या का रणनीतिक तरीके से समाधान किया जा सकता है. जनरल रावत ने ये भी कहा था कि देखना होगा कि वो कौन लोग हैं जो कट्टरपंथ फैला रहे हैं. कौन लोग हैं जो इससे प्रभावित हो रहे हैं.

पाकिस्तान में सुधार गृहों को विस्तार देने की कवायद तेज है सरकार का यही प्रयास है कि कट्टरपंथी युवा जल्द से जल्द सुधरें

देश के पहले सीडीएस का कहना था कि कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित होने की समस्या स्कूल, कॉलेज, धार्मिक संस्थाओं समेत कई जगहों पर नजर आ रही है और फिर इसका प्रसार किया जाता है. जनरल रावत के मुताबिक आज युवाओं में कट्टरपंथी विचार फैल रहे हैं और 10-12  साल की उम्र के लड़के-लड़कियां तक इससे प्रभावित हो रहे हैं.

साथ ही कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पूरी तरह से कट्टरपंथी विचारों की गिरफ्त में हैं. ऐसे लोगों को अलग करने की जरूरत है. उन्हें कट्टरपंथ निरोधक कैंपों में रखा जा सकता है. जनरल रावत ने इस बात पर भी बल दिया था कि ऐसे कैम्प भारत में भी चल रहे हैं.

जनरल रावत ने कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित युवाओं के लिए चल रहे शिविरों का हवाला देते हुए कहा कि भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी इस तरह के कैंप चलाए जा रहे हैं. पूर्व सेना प्रमुख का कहना था कि पाकिस्तान को भी अब इस बात का एहसास हुआ है कि जिस आतंकवाद को वो प्रायोजित कर रहे हैं वो उनका अपना दामन भी जला रहा है. जनरल बिपिन रावत ने भारत और पाकिस्तान में डी-रेडिकलाइजेशन कैंप का जिक्र किया है तो बता दें कि उनकी बातें सच साबित हुई हैं.

सेटेलाईट तस्वीरें जो दिखा रही हैं कि सुधार गृह का काम पाकिस्तान में बहुत तेजी से हो रहा है

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से कुछ सेटेलाईट तस्वीरें सामने आई हैं. यदि उन तस्वीरों को देखें तो मिलता है कि जो देश के पहले सीडीएस  ने कहा वो सही है. आतंकवाद के चंगुल में बुरी तरह जकड़ चुका पाकिस्तान अब उससे निजात के लिए अब अपने युवाओं को सुधारगृह की तरफ मोड़ रहा है.

बात अगर इन डी-रेडिक्लाइजेशन कैंप की हो तो, पाकिस्तान में कट्टरपंथी युवाओं की एक बड़ी संख्या ऐसी है जिन्हें यहां लाया जा रहा है और उनके सुधार को गंभीरता से लेते हुए काम किया जा रहा है. भारतीय रक्षा एजेंसियों ने इस पूरे मामले पर शोध किया है और अपने अध्ययन में पाया है कि इन कैंपों में प्रत्येक की क्षमता 700 व्यक्ति है. दिलचस्प बात ये है कि पाकिस्तान के पंजाब, बलू​चिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बने ये कैंप ज्यादातर भरे हुए हैं.

सेटेलाईट से जो तस्वीरें निकल कर बाहर आई हैं अगर उनप गौर किया जाए तो मिलता है कि क्योंकि युवा बड़ी संख्या में यहां लाए जा रहे हैं इसलिए इनका विस्तार किया जा रहा है. तस्वीरें देखने पर ये भी पता चल रहा है कि इन कैम्पों के निर्माण के वक़्त इस बात का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि यहां लाए गए लोगों के अन्दर रच बस चुका कट्टरपंथ तो छूटे ही साथ ही इनका चौ तरफ़ा विकास भी हो.

कैम्प के नक़्शे की वो तस्वीर जो हमें बता रही है कि वहां क्या क्या होगा

कैम्प में जहां एक तरफ मस्जिद को रखा गया है तो वहीं स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाकर इस बात का भी ख्याल पाकिस्तानी हुक्मरानों द्वारा रखा गया है कि वो खेल कूद में भी उतनी ही तल्लीनता से शिरकत करें. गौरतलब है कि अब पाकिस्तान अपने ही ट्रैप में फंस गया है. ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि जो उसने किसी ज़माने में दूसरों विशेषकर भारत के लिए किया था अब वो उसे खुद के लिए काट रहा है. बात अगर वैश्विक हो तो आतंकवाद का भरण पोषण करने के लिए पहले ही ये मांग उठ चुकी है कि पाकिस्तान के लिए ठोस कदम उठाए जाएं. दुनिया के तमाम मुल्क पाकिस्तान के लिए एकजुट हुए थे और मांग यही की गई थी कि इसे ब्लैक लिस्ट करते हुए, पूरी दुनिया द्वारा इसका बहिष्कार किया जाए.

पाकिस्तान के इन डी-रेडिकलाइजेशन कैंप के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारियां भी निकल कर बाहर आई हैं. बता दें कि इन कैम्पों में आने वाले ज्यादातर लोग युवा है. बात अगर इन कैम्पों में वर्तमान में रह रहे लोगों की हो तो यहां रह रहे 92 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो 30 साल से 35 साल के बीच के हैं. साथ ही इन सुधार गृहों में 12 प्रतिशत वो लोग हैं जो अभी वयस्क भी नहीं हुए हैं.

पाकिस्तान में इन सुधार गृहों की संख्या के बढ़ने ने इस बात को भी साफ़ कर दिया है कि अगर ऐसे ही हाल रहे और पाकिस्तान अपने आतंकवाद के लिए गंभीर नहीं हुआ तो वो दिन दूर नहीं जब विश्वास में कोई और उसका नाम लेने वाला नहीं रहेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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