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क्या शरद पवार को राष्ट्रपति बनवा सकती है बीजेपी ?

    • अभिरंजन कुमार
    • Updated: 26 जनवरी, 2017 09:15 PM
  • 26 जनवरी, 2017 09:15 PM
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एक तरफ कांग्रेसी थे, जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस, अंबेडकर और पटेल जैसे नेताओं को भारत रत्न देने लायक नहीं समझा. दूसरी तरफ भाजपाई हैं, जो कांग्रेस-कुल के भ्रष्ट लोगों का तुष्टीकरण करने में जुट गए हैं.

शरद पवार के ‘पद्म विभूषण’ घोषित होने के बाद मैंने फैसला किया है कि अब से किसी भी नेता की आलोचना नहीं करूंगा. क्योंकि नेतागण तो सभी आपस में मिले ही हुए हैं. हम आम नागरिक ही इस गणतंत्र में उल्लू बन रहे हैं, जो इनके उछाले हुए शिगूफों पर आपस में लड़ने-मरने को आमादा हैं. यह भी सोच रहा हूं कि अगर इस गणतंत्र में शरद पवार ‘पद्म विभूषण’ हैं, तो सोनिया गांधी को तो हर हालत में ‘भारत रत्न’ मिलना चाहिए था. उनके साथ बड़ी नाइंसाफी हो गई है. बहरहाल, एक तरफ कांग्रेसी थे, जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल इत्यादि को भी भारत रत्न दिये जाने लायक नहीं समझा, दूसरी तरफ भाजपाई हैं, जो कांग्रेस-कुल के भ्रष्ट लोगों का भी तुष्टीकरण करने में जुट गए. एक दिन वे उन्हें भ्रष्ट कहते हैं, दूसरे दिन ‘पद्म विभूषण’ घोषित कर देते हैं. क्या पता आने वाले दिनों में वे ऐसे लोगों को ‘भारत रत्न’ से भी नवाज ही सकते हैं!

शरद पवार को ‘पद्म विभूषण’ दिया जाना भी कुछ-कुछ वैसा ही है, जैसे नारायण दत्त तिवारी के बेटे को बीजेपी में शामिल किया जाना था. याद कीजिए, पिछले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी के तमाम नेताओं ने किस तरह से एनसीपी को भ्रष्टाचार का पर्यायवाची बताया था. साफ तौर पर भ्रष्टाचार के ये पर्यायवाची शरद पवार, अजीत पवार और छगन भुजबल इत्यादि नेता ही थे. स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने शरद पवार और एनसीपी के बारे में क्या-क्या कहा था, देख लेते हैं- बारामती में- "चाचा-भतीजे (शरद पवार- अजीत पवार) की लूट समाप्त करनी है."

कोल्हापुर में- "ये राष्ट्रवादी नहीं, भ्रष्टाचारवादी हैं."

पंडरपुर में- "एनसीपी मतलब नेचुरली...

शरद पवार के ‘पद्म विभूषण’ घोषित होने के बाद मैंने फैसला किया है कि अब से किसी भी नेता की आलोचना नहीं करूंगा. क्योंकि नेतागण तो सभी आपस में मिले ही हुए हैं. हम आम नागरिक ही इस गणतंत्र में उल्लू बन रहे हैं, जो इनके उछाले हुए शिगूफों पर आपस में लड़ने-मरने को आमादा हैं. यह भी सोच रहा हूं कि अगर इस गणतंत्र में शरद पवार ‘पद्म विभूषण’ हैं, तो सोनिया गांधी को तो हर हालत में ‘भारत रत्न’ मिलना चाहिए था. उनके साथ बड़ी नाइंसाफी हो गई है. बहरहाल, एक तरफ कांग्रेसी थे, जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल इत्यादि को भी भारत रत्न दिये जाने लायक नहीं समझा, दूसरी तरफ भाजपाई हैं, जो कांग्रेस-कुल के भ्रष्ट लोगों का भी तुष्टीकरण करने में जुट गए. एक दिन वे उन्हें भ्रष्ट कहते हैं, दूसरे दिन ‘पद्म विभूषण’ घोषित कर देते हैं. क्या पता आने वाले दिनों में वे ऐसे लोगों को ‘भारत रत्न’ से भी नवाज ही सकते हैं!

शरद पवार को ‘पद्म विभूषण’ दिया जाना भी कुछ-कुछ वैसा ही है, जैसे नारायण दत्त तिवारी के बेटे को बीजेपी में शामिल किया जाना था. याद कीजिए, पिछले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी के तमाम नेताओं ने किस तरह से एनसीपी को भ्रष्टाचार का पर्यायवाची बताया था. साफ तौर पर भ्रष्टाचार के ये पर्यायवाची शरद पवार, अजीत पवार और छगन भुजबल इत्यादि नेता ही थे. स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने शरद पवार और एनसीपी के बारे में क्या-क्या कहा था, देख लेते हैं- बारामती में- "चाचा-भतीजे (शरद पवार- अजीत पवार) की लूट समाप्त करनी है."

कोल्हापुर में- "ये राष्ट्रवादी नहीं, भ्रष्टाचारवादी हैं."

पंडरपुर में- "एनसीपी मतलब नेचुरली करप्ट पार्टी."

पंडरपुर में ही- "एनसीपी मूल रूप से भ्रष्ट है. पार्टी के गठन के बाद से कुछ भी नहीं बदला है. इसके नेता वही (शरद पवार) हैं. क्या आप जानते हैं कि उनकी घड़ी (चुनाव चिन्ह) का क्या मतलब है? उनकी घड़ी में 10 बजकर 10 मिनट दिखाया गया है, जिसका अर्थ यह है कि प्रत्येक 10 वर्ष बाद उनकी भ्रष्ट गतिविधियां 10 गुनी बढ़ जाती हैं."

ये भी पढ़ें- ऐसे अवार्ड दिए जाएंगे तो विवाद तो होगा ही...

तो क्या यह समझा जाए कि मोदी सरकार ने शरद पवार को ‘भ्रष्टाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान’ के लिए ही ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित करने का फैसला किया है? और क्या अब काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई भ्रष्ट लोगों को सम्मानित करके लड़ी जाएगी? तुर्रा यह कि जिस महाराष्ट्र में अब तक लाखों किसान कर्ज और मुफलिसी के चलते आत्महत्या कर चुके हैं और आज भी कर रहे हैं, उसी महाराष्ट्र के कर्णधार शरद पवार हमें यह बता रहे हैं कि उन्हें ‘पद्म विभूषण’ कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है. वैसे, मेरे सूत्र बताते हैं कि अगर शरद पवार देश के अगले राष्ट्रपति भी बन जाएं, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वे खुद तो इस पद के लिए तगड़ी लॉबिंग करने में जुटे ही हुए हैं, बीजेपी भी उनके नाम पर काफी सहज है. संभवतः सरकार ने इसी बात को टेस्ट करने के लिए उन्हें ‘पद्म विभूषण’ से भी नवाज़ा है कि अगर बीजेपी के किसी ‘मनोवांछित’ नेता को राष्ट्रपति चुनाव में जिता सकने की स्थिति नहीं बनी, तो शरद पवार का नाम आगे किया जा सकता है या नहीं. यानी कल तक जिन्हें ‘नैचुरली करप्ट’ और ‘भ्रष्टाचारवादी’ कहा गया, कल को वे इस देश के प्रथम नागरिक भी बन सकते हैं.

जय हिन्द!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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