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चिदंबरम के ये सवाल तो कांग्रेस की जड़ में मट्ठा डाल रहे हैं...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 अप्रिल, 2019 10:21 PM
  • 04 अप्रिल, 2019 10:20 PM
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AFSPA के मद्देनजर ट्विटर पर जिस तरह के सवाल चिदंबरम ने भाजपा विशेषकर अरुण जेटली से पूछे हैं वो अपने आप ही साफ कर देते हैं कि आखिर इस देश की जनता कांग्रेस से इस हद तक नफरत क्यों करने लगी है.

2019 के लोक सभा चुनावों के तहत अपने मेनिफेस्टो में AFSPA में बदलाव का वादा करने के बाद कांग्रेस विपक्ष के निशाने पर है. भाजपा ने कांग्रेस की इस योजना पर सख्त ऐतराज जताया है. भाजपा का कहना है कि इस योजना के जरिये कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति को अंजाम दे रही है और उन लोगों का समर्थन कर रही है जिनका उद्देश्य देश तोड़ना है. AFSPA को लेकर बवाल लगातर जारी है और जैसा दोनों दलों का रुख है, साफ अंदाजा लगाया जा सकता है जैसे जैसे दिन बीतेंगे ये मुद्दा गंभीर आरोप प्रत्यारोप का कारण बनेगा. मामले को लेकर जैसा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बर्ताव है लग रहा है कि AFSPA पर गंभीर राजनीति की शुरुआत हो चुकी है. ट्विटर पर पी चिदंबरम और भाजपा के बीच बहस जारी है.

ट्विटर पर सवाल कर पी चिदंबरम ने भाजपा पर तमाम गंभीर आरोप लगाए हैं

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्विटर पर वित्त मंत्री अरुण जेटली से सवाल पूछा कि जेटली ने त्रिपुरा (2015), मेघालय (2018) और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों (1-4-2019) से AFSPA की वापसी के सवालों का जवाब क्यों नहीं दिया? इस ट्वीट का जवाब देते हुए बीजेपी ने पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम पर जमकर निशाना साधा.

बीजेपी ने चिदंबरम के ट्वीट का रिप्लाई करते हुए कहा कि, 'पूर्व गृह मंत्री को पता होना चाहिए कि AFSPA को मेघालय, त्रिपुरा में और आंशिक रूप से अरुणाचल में वापस ले लिया गया था क्योंकि यहां हालाता सामान्य हो गए थे. इन राज्यों में यूपीए सामान्य स्थिति लाने में विफल रहा. एनडीए सफल रहा. क्या कश्मीर की स्थिति इन राज्यों के बराबर है?'

बीजेपी के इस रिप्लाई के बाद चिदंबरम...

2019 के लोक सभा चुनावों के तहत अपने मेनिफेस्टो में AFSPA में बदलाव का वादा करने के बाद कांग्रेस विपक्ष के निशाने पर है. भाजपा ने कांग्रेस की इस योजना पर सख्त ऐतराज जताया है. भाजपा का कहना है कि इस योजना के जरिये कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति को अंजाम दे रही है और उन लोगों का समर्थन कर रही है जिनका उद्देश्य देश तोड़ना है. AFSPA को लेकर बवाल लगातर जारी है और जैसा दोनों दलों का रुख है, साफ अंदाजा लगाया जा सकता है जैसे जैसे दिन बीतेंगे ये मुद्दा गंभीर आरोप प्रत्यारोप का कारण बनेगा. मामले को लेकर जैसा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बर्ताव है लग रहा है कि AFSPA पर गंभीर राजनीति की शुरुआत हो चुकी है. ट्विटर पर पी चिदंबरम और भाजपा के बीच बहस जारी है.

ट्विटर पर सवाल कर पी चिदंबरम ने भाजपा पर तमाम गंभीर आरोप लगाए हैं

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्विटर पर वित्त मंत्री अरुण जेटली से सवाल पूछा कि जेटली ने त्रिपुरा (2015), मेघालय (2018) और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों (1-4-2019) से AFSPA की वापसी के सवालों का जवाब क्यों नहीं दिया? इस ट्वीट का जवाब देते हुए बीजेपी ने पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम पर जमकर निशाना साधा.

बीजेपी ने चिदंबरम के ट्वीट का रिप्लाई करते हुए कहा कि, 'पूर्व गृह मंत्री को पता होना चाहिए कि AFSPA को मेघालय, त्रिपुरा में और आंशिक रूप से अरुणाचल में वापस ले लिया गया था क्योंकि यहां हालाता सामान्य हो गए थे. इन राज्यों में यूपीए सामान्य स्थिति लाने में विफल रहा. एनडीए सफल रहा. क्या कश्मीर की स्थिति इन राज्यों के बराबर है?'

बीजेपी के इस रिप्लाई के बाद चिदंबरम ने एक ट्वीट और किया. चिदंबरम ने लिखा कि, कांग्रेस में कोई टुकड़े टुकड़े गैंग नहीं है. केवल बीजेपी में एक फ्लिप फ्लॉप गैंग है.' चिदंबरम के इस आरोप का जवाब देते हुए बीजेपी की तरफ से ट्वीट आया कि, 'क्या फ्लिप-फ्लॉप? 1988 के मानहानि विधेयक के ड्राफ्ट्समैन ने मानहानि के पहले अपराध के लिए 2 साल की सजा और बाद में किए गए अपराधों के लिए 5 साल की सजा का सुझाव दिया था, जो अब इसे क्रिमिनल केस के दायरे से बाहर करने की दलील दे रहे हैं.

अपने दो ट्वीट्स के जवाब से बौखलाए चिदंबरम ने फिर एक ट्वीट किया. पूर्व वित्त मंत्री ने अपने इस तीसरे ट्वीट में भाजपा और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली  पर गंभीर आरोप जड़े. अरुण जेटली को संबोधित इस ट्वीट में चिदंबरम ने लिखा कि क्या अरुण जेटली AFSA के दौरान यौन उत्पीड़न और यातना का समर्थन कर रहे हैं? हम कहते हैं कि इन मामलों में AFSPA के तहत कोई प्रतिरक्षा नहीं होनी चाहिए. क्या कहते हैं जेटली?

इस सवाल के जवाब में बीजेपी ने लिखा, 'AFSPA के तहत सुरक्षा अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए 1799 शिकायतें आई हैं, जब आतंकवादी मारे जाते हैं या गिरफ्तार किए जाते हैं. यह सभी मामले कथित तौर पर अत्याचार, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के होते हैं. अगर इन शिकायतों के प्रावधानों के दरकिनार कर दिया जाए तो यह संख्या दस गुना बढ़ जाएगी. सशस्त्र बलों के अधिकारी केवल संप्रभुता का बचाव नहीं करने वाले ट्रायल का सामना करेंगे. सशस्त्र बलों के साथ मत खेलिए.'

बहरहाल, जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि AFSPA को लेकर राजनीति की शुरुआत हो चुकी है. मगर जो अंदाज चिदंबरम का है और जिस तरह के इनके सवाल हैं, साफ पता चल रहा है कि पूर्व वित्त मंत्री कांग्रेस की इस बड़ी गलती को कवर अप करने की कोशिश कर रहे हैं. कह सकते हैं कि भाजपा विशेषकर अरुण जेटली से जवाब मांगने वाले चिदंबरम ये भूल गए कि त्रिपुरा, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के हालात और कश्मीर के हालात एक दूसरे से काफी भिन्न हैं. सारी बातों के बाद ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि नादान से नादान व्यक्ति भी शायद ही कभी कश्मीर के बिगड़ते हालात की तुलना देश के किसी अन्य स्थान से करे.

अब जबकि सामने चुनाव हैं और चिदंबरम ऐसे सवाल कर रहे हैं. तो वो कारण साफ हो जाते हैं जिनमें इस देश की जनता प्रधानमंत्री के कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को चरितार्थ कर रही है. ऐसे बेबुनियाद सवाल ही वो अहम वजहें हैं जिनके चलते देश की जनता ने 2014 में भारत की राजनीति से कांग्रेस का सूपड़ा लगभग साफ कर दिया था. जैसा अब तक का राजनीतिक परिदृश्य रहा है कहा जा सकता है कि चिदंबरम को ट्विटर पर इन सवालों को पूछने से पहले अपना और अपनी पार्टी का आत्मसात करना चाहिए था और सोचना चाहिए था कि 2019 में कहीं ऐसे सवाल पार्टी के पतन का कारण न बन जाएं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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