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'प्रधान सेवक' उर्फ PM नरेंद्र मोदी के नाम खुला खत

    • ब्रजेश मिश्र
    • Updated: 23 अगस्त, 2015 12:52 PM
  • 23 अगस्त, 2015 12:52 PM
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जब-जब आप बोलते हैं तो लगता है कि अभी भी प्रधानमंत्री पद की रेस में हैं... बेहतर है आप चुप ही रहें क्योंकि आपकी जुबां खुलते ही स्किल इंडिया समेत न जाने कौन-कौन से जुमलों की पोल खुल जाए.

आदरणीय 'प्रधान सेवक' उर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी,
सबकुछ जानते-बूझते हुए भी आपकी चुप्पी से मैं बहुत खुश हूं. जब सारा देश आपकी जुबां से तमाम जवाब जानने को बेताब है (जो शायद अब फेवीक्विक के मजबूत जोड़ से चिपकी हुई है) तब मैं घर के एक कोने में बैठकर मोहल्ले के काल भैरव से मन्नत मांगता हूं कि आप चुप ही रहें तो बेहतर है. क्योंकि आपकी जुबां खुलते ही स्किल इंडिया समेत न जाने कौन-कौन से जुमलों की पोल खुल जाए.

शायद आप सोच रहे होंगे कि मैं ऐसी उल्टी बात क्यों कर रहा हूं. तो उसकी वजह ये है कि... जब-जब आप बोलते हैं तो लगता है कि आप अभी भी प्रधानमंत्री पद की रेस में हैं और जनता को भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना दिखा रहे हैं. हर रैली में हाथ झटकते हुए आप स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे सैकड़ों कैंपेन का दम तो भरते हैं, पीपीपी और 3-डी टाइप मॉडल और फॉर्मूला का जिक्र करते हैं, तथाकथित गुजरात मॉडल के उदाहरण देते हैं लेकिन हकीकत में सब कुछ खोखला ही नजर आता है. थोड़े दिनों पहले ही आपने जोर-शोर से स्किल इंडिया कैंपेन लॉन्च तो कर दिया लेकिन इसे लॉन्च करने से पहले अगर इसकी ट्रेनिंग अपनी कैबिनेट और पार्टी के लोगों को दी होती तो शायद कुछ बेहतर होता.

दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा तो आप करते हैं, लेकिन इसी पार्टी की सरकार वाले एक राज्य की शिक्षा मंत्री जब बिहार को पड़ोसी देश बताने लगे और इसी पार्टी के नेता जब अपनी ही सरकार के कैबिनेट मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने लगें तो महसूस होता है कि आपके शागिर्दों को कितना स्किल्ड होने की जरूरत है. दिल्ली के एक मंत्री पर फर्जी डिग्री का आरोप लगता है और 'आपकी पुलिस' उसे मिनटों में धर दबोचती है लेकिन आपकी चहेती मंत्री पर तो चुनावों में ही फर्जीवाड़े के आरोप लग रहे हैं उनका क्या? अब तो लोग आपकी भी डिग्री मांगने लगे हैं. जिस दिन पुंछ में छह निर्दोष लोग पाकिस्तान की गोलीबारी में मारे जाते हैं उसी दिन आपके मंत्री सीमा के आसपास रहने वाले लोगों के ज्यादा महफूज होने की...

आदरणीय 'प्रधान सेवक' उर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी,
सबकुछ जानते-बूझते हुए भी आपकी चुप्पी से मैं बहुत खुश हूं. जब सारा देश आपकी जुबां से तमाम जवाब जानने को बेताब है (जो शायद अब फेवीक्विक के मजबूत जोड़ से चिपकी हुई है) तब मैं घर के एक कोने में बैठकर मोहल्ले के काल भैरव से मन्नत मांगता हूं कि आप चुप ही रहें तो बेहतर है. क्योंकि आपकी जुबां खुलते ही स्किल इंडिया समेत न जाने कौन-कौन से जुमलों की पोल खुल जाए.

शायद आप सोच रहे होंगे कि मैं ऐसी उल्टी बात क्यों कर रहा हूं. तो उसकी वजह ये है कि... जब-जब आप बोलते हैं तो लगता है कि आप अभी भी प्रधानमंत्री पद की रेस में हैं और जनता को भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना दिखा रहे हैं. हर रैली में हाथ झटकते हुए आप स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे सैकड़ों कैंपेन का दम तो भरते हैं, पीपीपी और 3-डी टाइप मॉडल और फॉर्मूला का जिक्र करते हैं, तथाकथित गुजरात मॉडल के उदाहरण देते हैं लेकिन हकीकत में सब कुछ खोखला ही नजर आता है. थोड़े दिनों पहले ही आपने जोर-शोर से स्किल इंडिया कैंपेन लॉन्च तो कर दिया लेकिन इसे लॉन्च करने से पहले अगर इसकी ट्रेनिंग अपनी कैबिनेट और पार्टी के लोगों को दी होती तो शायद कुछ बेहतर होता.

दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा तो आप करते हैं, लेकिन इसी पार्टी की सरकार वाले एक राज्य की शिक्षा मंत्री जब बिहार को पड़ोसी देश बताने लगे और इसी पार्टी के नेता जब अपनी ही सरकार के कैबिनेट मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने लगें तो महसूस होता है कि आपके शागिर्दों को कितना स्किल्ड होने की जरूरत है. दिल्ली के एक मंत्री पर फर्जी डिग्री का आरोप लगता है और 'आपकी पुलिस' उसे मिनटों में धर दबोचती है लेकिन आपकी चहेती मंत्री पर तो चुनावों में ही फर्जीवाड़े के आरोप लग रहे हैं उनका क्या? अब तो लोग आपकी भी डिग्री मांगने लगे हैं. जिस दिन पुंछ में छह निर्दोष लोग पाकिस्तान की गोलीबारी में मारे जाते हैं उसी दिन आपके मंत्री सीमा के आसपास रहने वाले लोगों के ज्यादा महफूज होने की वकालत करते दिखते हैं. सरकार बनने से लेकर अब तक दर्जन भर घोटालों के आरोप आपकी पार्टी की सरकारों और नेताओं पर लग चुके हैं, जो 'आपके न खाऊंगा न खाने दूंगा' टाइप वादों की पोल खोल रहे हैं. किसी भी मुद्दे पर आपका बोलना आपकी साख पर बट्टा लगा देगा, ये आप भी जानते हैं.

व्यापम, चिक्की, चावल घोटालों के अलावा फर्जी डिग्री, पासपोर्ट से लेकर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों की हरकतों तक में आपकी चुप्पी मुझे जरा भी बेचैन नहीं करती, क्योंकि मुझे तो आदत हो गई है. आपकी चुप्पी सिर्फ चुनावी रैलियों में ही टूटती है, इसका भी मैं आदी हो चुका हूं. खुले मैदान में जब तक 8-10 भोंपू न लगे हों और 10-20 हजार लोगों की 'भीड़' न हो आपके गले के तारों से सुर ही नहीं निकलता. रैली में आपकी दहाड़ ऐसी होती है जैसे आप अभी भी विपक्ष में हैं और सारे घोटाले कांग्रेस के राज में हो रहे हैं. हर रैली में करोड़ों के नीचे के पैकेज का ऐलान तो करते ही नहीं है, लेकिन वो चुनावी रेवड़ियां बनकर ही रह जाता है. व्यापम के लिए भी कांग्रेस जिम्मेदार है. ललित मोदी के लिए भी कांग्रेस जिम्मेदार है. कश्मीर में जो कुछ हो रहा है, सीमा पार से सीजफायर तोड़ा जा रहा है, उसके लिए भी कांग्रेस ही जिम्मेदार है. बिना वजह सब आपकी टांग खींचने में लगे हैं. इसलिए मैं चाहता हूं कि आप चुप ही रहें तो बेहतर है.

कश्मीर में आईएसआईएस से लेकर पाकिस्तान तक का झंडा फहरा दिया गया. सीमा पार से फायरिंग में हर रोज कोई न कोई जवान या निर्दोष नागरिक जान गंवा रहा है. लेकिन फिर भी आप 'बेफिकर' होकर विदेश दौरे करते हुए 'मन का रेडियो' बजा रहे हैं. बचपन से अब तक मैंने ग्लोब में उन देशों के नाम भी नहीं देखे थे जहां आप घूम कर आए हैं. कहीं आप नगाड़ा बजाते दिख जाते हैं तो कहीं तीर-कमान लेकर निशाना साधते हुए. एक साल में आप इतने देशों में घूम चुके हैं कि शायद ये भूलने लगे होंगे कि देश की जनता से बोलना किस भाषा में है. पत्रकारों का काम है सवाल पूछना, और आपका काम है जवाब न देना. वैसे भी आपको बोलने की जरूरत कहां है अब. सेल्फी इंडिया तो पूरा डिजिटल और स्किल्ड हो चुका है. आप बस ट्वीट ट्वीट खेलिए! अपने शौक के मुताबिक, आप सेल्फी लेने का 'स्टार्ट अप' करिए पूरा इंडिया 'स्टैंड अप' होगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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