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NPR मैनुअल से मुस्लिमों की छुट्टियां गायब होने की हकीकत जानना जरूरी है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 30 दिसम्बर, 2019 05:18 PM
  • 30 दिसम्बर, 2019 05:18 PM
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NPR के खिलाफ ऐसी बातें कही जा रही हैं, जिनके फैक्ट (Fact Check) भी नहीं देखे जा रहे. वो कहते हैं ना कि जो दिखता है, अक्सर वो सच नहीं होता. हालांकि, यहां जो दिख रहा है वो सच तो है, लेकिन उसकी हकीकत कुछ और ही है.

CAA और NRC पर विरोध अभी थमा भी नहीं था कि मोदी सरकार (Modi Government) ने NPR सामने रख दिया. जिस तरह CAA और NRC का विरोध हो रहा था, NPR को भी उसी चश्मे से देखा जाने लगा. देखें भी क्यों नहीं, खुद मोदी सरकार ये बात कह चुकी है कि NPR और NRC एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. बल्कि भाजपा (BJP) नेता किरन रिजिजू तो ये भी कह चुके हैं कि NRC को लागू करने के लिए NPR पहला कदम है. पहले तो CAA-NRC को मुस्लिम (Muslim) विरोधी माना जा रहा था, फिर NPR को भी मुस्लिम विरोधी माना जाने लगा. जहां एक ओर इन सब से जुड़े फैक्ट सामने रखे जा रहे हैं, वहीं विरोध (Protest) की आड़ में अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं. NPR के खिलाफ ऐसी बातें कही जा रही हैं, जिनके फैक्ट (Fact Check) भी नहीं देखे जा रहे. वो कहते हैं ना कि जो दिखता है, अक्सर वो सच नहीं होता. हालांकि, यहां जो दिख रहा है वो सच तो है, लेकिन उसकी हकीकत कुछ और ही है.

एनपीआर मैनुअल में छुट्टियों की लिस्ट से मुस्लिम त्योहार गायब हैं, जिसकी वजह से तमाम भ्रम फैल रहे हैं.

पहले जानिए कि भ्रम क्या फैला है

एक पत्रकार सबा नकवी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि एनपीआर मैनुअल में भारत की छुट्टियों की लिस्ट में से ईद और अन्य सभी मुस्लिम त्यौहार हटा दिए गए हैं. इस पर पीएमओ, पीएम मोदी और अमित शाह सफाई दें.

अभी सबा नकवी के ट्वीट पर लोगों ने सरकार के लिए अपना गुस्सा जाहिर करना ही शुरू किया था कि एक अन्य पत्रकार मारिया शकील ने 2011 का एनपीआर मैनुअल ट्वीट कर दिया. उन्होंने लिखा कि इन छुट्टियों को 2011 में भी जगह नहीं मिली थी.

यानी सबा नकवी मोदी सरकार की...

CAA और NRC पर विरोध अभी थमा भी नहीं था कि मोदी सरकार (Modi Government) ने NPR सामने रख दिया. जिस तरह CAA और NRC का विरोध हो रहा था, NPR को भी उसी चश्मे से देखा जाने लगा. देखें भी क्यों नहीं, खुद मोदी सरकार ये बात कह चुकी है कि NPR और NRC एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. बल्कि भाजपा (BJP) नेता किरन रिजिजू तो ये भी कह चुके हैं कि NRC को लागू करने के लिए NPR पहला कदम है. पहले तो CAA-NRC को मुस्लिम (Muslim) विरोधी माना जा रहा था, फिर NPR को भी मुस्लिम विरोधी माना जाने लगा. जहां एक ओर इन सब से जुड़े फैक्ट सामने रखे जा रहे हैं, वहीं विरोध (Protest) की आड़ में अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं. NPR के खिलाफ ऐसी बातें कही जा रही हैं, जिनके फैक्ट (Fact Check) भी नहीं देखे जा रहे. वो कहते हैं ना कि जो दिखता है, अक्सर वो सच नहीं होता. हालांकि, यहां जो दिख रहा है वो सच तो है, लेकिन उसकी हकीकत कुछ और ही है.

एनपीआर मैनुअल में छुट्टियों की लिस्ट से मुस्लिम त्योहार गायब हैं, जिसकी वजह से तमाम भ्रम फैल रहे हैं.

पहले जानिए कि भ्रम क्या फैला है

एक पत्रकार सबा नकवी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि एनपीआर मैनुअल में भारत की छुट्टियों की लिस्ट में से ईद और अन्य सभी मुस्लिम त्यौहार हटा दिए गए हैं. इस पर पीएमओ, पीएम मोदी और अमित शाह सफाई दें.

अभी सबा नकवी के ट्वीट पर लोगों ने सरकार के लिए अपना गुस्सा जाहिर करना ही शुरू किया था कि एक अन्य पत्रकार मारिया शकील ने 2011 का एनपीआर मैनुअल ट्वीट कर दिया. उन्होंने लिखा कि इन छुट्टियों को 2011 में भी जगह नहीं मिली थी.

यानी सबा नकवी मोदी सरकार की मुस्लिमों के प्रति नफरत दिखाना चाह रही थीं, तो मारिया शकील ने ये जता दिया कांग्रेस की सरकार ने भी मुस्लिमों के साथ भेदभाव ही किया है. यानी सबा नकवी ने जिस चिंगारी को हवा दी, मारिया शकील ने उसे ही भड़काने का काम कर दिया. किसी ने भी ये नहीं जानना चाहा कि आखिर ऐसा क्यों किया गया. भले ही सरकार से सफाई मांगी गई है, लेकिन इसके पीछे का तर्क बेहद आसान है. कभी-कभी हम कुछ चीजों को इतना जटिल बनाकर देखते हैं कि आसान सी चीज भी नहीं दिखती.

इसलिए शामिल नहीं किए गए मुस्लिम त्यौहार

एनपीआर में त्योहारों की लिस्ट से मुस्लिम छुट्टियां गायब हैं, इसकी वजह जानने से पहले ये समझना होगा कि ये लिस्ट दी क्यों गई है. इस लिस्ट का मकसद है उन व्यक्तियों की जन्मतिथि का पता लगाना, जिन्हें अपनी जन्मतिथि याद नहीं है. अधिकतर मुस्लिम त्योहार चांद की चाल के हिसाब से निर्धारित होते हैं, जबकि हिंदू महीने अंग्रेजी कैलेंडर के काफी आस-पास रहते हैं. उदाहरण के लिए दिवाली अक्टूबर अंत या नवंबर की शुरुआत में ही आती है, जबकि ईद चांद के हिसाब से निर्धारित होने की वजह से काफी हफ्ते आगे पीछे हो सकती है. एक यूजर ने भी इस तर्क को बताया है.

अब जरा विस्तार में अच्छे से समझिए

एनपीआर मैनुअल में साफ लिखा है कि अगर किसी शख्स को अपनी जन्मतिथि नहीं मालूम है तो उसे लोकल कैलेंडर के हिसाब से जानकर अंग्रेजी कैलेंडर में कंवर्ट करने की कोशिश करें. अगर किसी को अपने जन्म का साल पता है, लेकिन महीना नहीं पता तो उससे कुछ सवाल पूछकर जानने की कोशिश करें कि वह कौन से महीने में पैदा हुआ. जैसे ये पूछा जा सकता है कि बारिश के मौसम से पहले या बाद में. अगर पहले तो आप पूछ सकते हैं कि उसके आसपास कौन सा त्योहार था जैसे होली, मकर संक्रांति, गुरु गोबिंद सिंह जयंति, पोंगल आदि. यानी इस लिस्ट का मकसद सिर्फ इतना जानना है कि कोई शख्स पैदा कब हुआ, इसका हिंदू-मुस्लिम से कोई लेना देना नहीं है.

एनपीआर मैनुअल से मुस्लिम त्यौहार गायब होने की वजह ये है.

एनपीआर को एनआरसी लाने का जरिया कहना एक बात है और इसके एक पेज को देखकर धार्मिक रंग देते हुए राजनीति करना अलग बात है. सिर्फ एक पेज पर छपी त्योहारों की लिस्ट देखकर कुछ कहना तथ्यात्मक रूप से गलत है. पहले पूरा मैनुअल देखें और फिर ये जानने की कोशिश करें कि ऐसी लिस्ट क्यों बनी है, हकीकत खुद ब खुद आपके सामने आ जाएगी. जिस तरह अधूरी जानकारी खतरनाक होती है, उसी तरह सिर्फ एक पेज देखकर पूरे एनपीआर के लिए कोई राय बना लेना भी खतरनाक है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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