• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

अब राज्यसभा में दिखेगा भाजपा का आक्रामक स्वरूप

    • अरिंदम डे
    • Updated: 06 अगस्त, 2017 02:54 PM
  • 06 अगस्त, 2017 02:54 PM
offline
राज्य सभा में अमित शाह की उपस्थिति न सिर्फ भाजपा के लिए अच्छी है बल्कि इससे अमित शाह को भी अपनी छवि को बदलने का एक अहम मौका मिलेगा.

हाल ही में भाजपा राज्य सभा में सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. हालांकि अभी ये बहुमत से दूर है लेकिन जल्द ही स्थिति में परिवर्तन देखने को मिलेगा. जहां एक तरफ वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने से राज्यसभा में सरकार की स्थिति और मजबूत होगी तो वहीं दूसरी तरफ अमित शाह की राज्यसभा में मौजूदगी, पार्टी का मनोबल बढ़ने की दिशा में काम करेगी. पीएम मोदी पहले ही इस बात को स्वीकार चुके हैं कि ये पहला मौका है जब राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष एक ही राजनीतिक सोच और खेमे के होंगे.

ज्ञात हो कि उच्च सदन में कई बार विपक्ष सरकार को पटकनी दे चुका है. अब राज्य सभा में सरकारी मोर्चा संभालने वाले अरुण जेटली को सुदृढ़ समर्थन का स्तम्भ मिल जायेगा. जेटली और नकवी को अब उपराष्ट्रपति और कुछ ही दिनों में अमित शाह जैसे कद्दावर मार्ग प्रदर्शक मिल जायेंगे.

भाजपा के राज्य सभा में सबसे बड़ी पार्टी बनने से कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेंगे

अमित शाह ने सारी अटकलों का खंडन करते हुए मंत्रीसभा में शामिल होने की संभावना को नकार दिया है. लेकिन राज्य सभा में उनकी मौजूदगी देखने को मिलेगी. राज्य सभा में अमित शाह की उपस्थिति न सिर्फ भाजपा के लिए अच्छी है बल्कि इससे अमित शाह को भी अपनी छवि को बदलने का एक अहम मौका मिलेगा. उच्च सदन में अमित शाह की उपस्थिति उन्हें विरोधी नेताओं से मिलने का अवसर देगी साथ ही 2018 में भाजपा राज्य सभा में संख्या गरिष्ठ स्थिति में आ जाये तो रिफॉर्म्स को और तेज करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे.

गौरतलब है कि 2019 से पहले ही सरकार तेजी से विकास योजनाओं को बढाना चाहेगी और इस काम के लिए अमित शाह का उच्च सदन में होना भाजपा के लिए कई मायनों में अहम रहेगा. ध्यान रहे कि शाह की नेगोसिएशन स्किल्स सदैव ही सरकार के लिए लाभदायी साबित हुई...

हाल ही में भाजपा राज्य सभा में सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. हालांकि अभी ये बहुमत से दूर है लेकिन जल्द ही स्थिति में परिवर्तन देखने को मिलेगा. जहां एक तरफ वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने से राज्यसभा में सरकार की स्थिति और मजबूत होगी तो वहीं दूसरी तरफ अमित शाह की राज्यसभा में मौजूदगी, पार्टी का मनोबल बढ़ने की दिशा में काम करेगी. पीएम मोदी पहले ही इस बात को स्वीकार चुके हैं कि ये पहला मौका है जब राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष एक ही राजनीतिक सोच और खेमे के होंगे.

ज्ञात हो कि उच्च सदन में कई बार विपक्ष सरकार को पटकनी दे चुका है. अब राज्य सभा में सरकारी मोर्चा संभालने वाले अरुण जेटली को सुदृढ़ समर्थन का स्तम्भ मिल जायेगा. जेटली और नकवी को अब उपराष्ट्रपति और कुछ ही दिनों में अमित शाह जैसे कद्दावर मार्ग प्रदर्शक मिल जायेंगे.

भाजपा के राज्य सभा में सबसे बड़ी पार्टी बनने से कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेंगे

अमित शाह ने सारी अटकलों का खंडन करते हुए मंत्रीसभा में शामिल होने की संभावना को नकार दिया है. लेकिन राज्य सभा में उनकी मौजूदगी देखने को मिलेगी. राज्य सभा में अमित शाह की उपस्थिति न सिर्फ भाजपा के लिए अच्छी है बल्कि इससे अमित शाह को भी अपनी छवि को बदलने का एक अहम मौका मिलेगा. उच्च सदन में अमित शाह की उपस्थिति उन्हें विरोधी नेताओं से मिलने का अवसर देगी साथ ही 2018 में भाजपा राज्य सभा में संख्या गरिष्ठ स्थिति में आ जाये तो रिफॉर्म्स को और तेज करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे.

गौरतलब है कि 2019 से पहले ही सरकार तेजी से विकास योजनाओं को बढाना चाहेगी और इस काम के लिए अमित शाह का उच्च सदन में होना भाजपा के लिए कई मायनों में अहम रहेगा. ध्यान रहे कि शाह की नेगोसिएशन स्किल्स सदैव ही सरकार के लिए लाभदायी साबित हुई हैं.

यदि शाह उच्च सदन में होते हैं तो ये न सिर्फ खुद भाजपा और घटक दलों के लिए फायदेमंद रहेगा बल्कि इससे पीएम मोदी को भी बड़ा फायदा मिलेगा. कहा जा सकता है कि शाह के सदन में आने से मोदी के ओबीसी विधेयक को भी बल मिल सकता है. उम्मीद है कि अगले शीतकालीन सत्र से ही उच्च सदन में हमें एक आक्रामक भाजपा नजर आने लग जाए. 

ये भी पढ़ें -

अमित शाह की असली ताकत छुपी है 'सोनू यादव' में

तो क्या, पीएम मोदी की अनुपस्थिति में भी भाजपा इतनी ही मजबूत रह पाएगी?

सिर्फ अच्छे दिन कौन कहे, मोदी ने तो बीजेपी का स्वर्णिम युग ही ला दिया

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲